NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
एल्गार परिषद मामला :'वरवर राव की हिरासत की स्थिति क्रूर, अमानवीय'
एल्गार परिषद-माओवादी से कथित संबंधों के आरोप में गिरफ्तार राव नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल में विचाराधीन कैदी के रूप में बंद हैं। वर्तमान में वह मुंबई स्थित नानावती अस्पताल में भर्ती हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
21 Jan 2021
वरवर राव

वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि कवि वरवर राव की हिरासत की स्थिति क्रूर और अमानवीय है तथा अदालत को जेल से उनकी रिहाई के लिए संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपने अधिकार का इस्तेमाल करना चाहिए।

एल्गार परिषद-माओवादी से कथित संबंधों के आरोप में गिरफ्तार राव नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल में विचाराधीन कैदी के रूप में बंद हैं। वर्तमान में वह मुंबई स्थित नानावती अस्पताल में भर्ती हैं।

पिछले साल दायर की गई एक रिट याचिका में राव की पत्नी हेमलता की ओर से पैरवी कर रहीं जयसिंह ने आरोप लगाया कि पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में राव को लगातार जेल में रखना जीवन के उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।

जयसिंह ने न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पिताले की पीठ से बुधवार को कहा कि हिरासत की वजह से गरिमा और स्वास्थ्य के राव के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है तथा अदालत को जेल से उनकी रिहाई के लिए संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपने अधिकार का इस्तेमाल करना चाहिए।

जयसिंह ने कहा, ‘‘जीवन और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है...राव की हिरासत की स्थितियां क्रूर तथा अमानवीय हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘स्वास्थ्य और गरिमा का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत एक मौलिक अधिकार है। जीवन और गरिमा का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत एक मौलिक अधिकार है।’’

अदालत ने हालांकि, कहा कि मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के इस तरह के दावे ‘‘आम तौर पर किए जानेवाले’’ दावे हैं।

इसने कहा कि राव की आयु और स्वास्थ्य के संबंध में वह विशिष्ट तौर पर दलील दे सकती हैं।

इसी सुनवाई के दौरान इससे पहले अदालत ने चिकित्सा आधार पर जामनत के मुद्दे पर राव की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर की दलीलें भी सुनीं।

ग्रोवर की दलीलें पूरी होने के बाद जयसिंह ने अपनी दलीलें शुरू कीं।

मंगलवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह तथा राज्य के वकील दीपक ठाकरे ने अदालत को बताया था कि राव की हालत में सुधार हुआ है और नानावती अस्पताल के अनुसार उन्हें छुट्टी दी जा सकती है।

उच्च न्यायालय राव की पत्नी की ओर से दायर रिट याचिका पर बृहस्पतिवार को भी दलीलें सुनना जारी रखेगा।
आपको बता दें कि महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में माओवादियों से कथित संबंधों को लेकर पुणे पुलिस ने पिछले महीने 28 अगस्त को कवि और वामपंथी विचारक वरवर राव, अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज, सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा, अरुण फरेरा और वेर्नोन गोंसाल्विस को गिरफ्तार किया था।

इस तरह के मामलों में देश के कई बुद्धजीवियों, पत्रकारों, लेखकों सहित समाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी हुई है।  हालांकि, किसी भी मामले में पुलिस कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाई है। इसमें आनन्द तेलतुम्बड़े के अतिरिक्त, सुधा भारद्वाज, सोमा सेन, अरुण फरेरा, वेरनॉन गोंजाल्विस, फादर स्टेन स्वामी, सुधीर धावले वरवरा राव, रोना विल्सन, गौतम नवलखा, जैसे बुद्धिजीवी भी शामिल हैं। यह सभी, आम लोगों के सम्मानपूर्वक जीने के हक के पक्ष में, कोर्ट से लेकर सड़क तक संघर्षशील रहे हैं। ये लोग स्वास्थ्य-शिक्षा मुफ्त मिले, इसके लिए निजीकरण का विरोध करते रहे हैं और उन आदिवासियों के साथ खड़े हुए जिनकी जीविका के संसाधन को छीन कर पूंजीपतियों के हवाले किया जाता रहा है। इसलिए ये लोग शासक वर्ग के आंखों के किरकिरी बने हुए थे।

सुधा भरद्वाज, सोमा सेन, अरुण फरेरा, वेरनॉन गोंजाल्विस, फादर स्टेन स्वामी, सुधीर धावले, वरवरा राव, रोना विल्सन भीमा कोरेंगांव केस में जून और सितम्बर, 2018 से ही महाराष्ट्र के जेलों में बंद हैं। जबकि उस केस के असली गुनाहगार संभाजी भिंडे और मिलिन्द एकबोटे बाहर हैं।

महाराष्ट्र में सरकार बदलने के बाद केन्द्र सरकार ने इस केस को एनआईए के हाथों में सुपुर्द कर दिया था। 18 माह बाद लम्बी कानूनी प्रक्रिया झेलने के बाद 14 अप्रैल 2020, को गौतम नवलखा और आनन्द तेलतुम्बड़े को एनआईए के समक्ष आत्मसमर्पण करना पड़ा। तब से ही ये दोनों भी जेल में है।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

Varvara Rao
NIA
Bhima Koregaon activists
elgar parishad
BJP
gautam navlakha

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • रवि कौशल
    डीयूः नियमित प्राचार्य न होने की स्थिति में भर्ती पर रोक; स्टाफ, शिक्षकों में नाराज़गी
    24 May 2022
    दिल्ली विश्वविद्यालय के इस फैसले की शिक्षक समूहों ने तीखी आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि इससे विश्वविद्यालय में भर्ती का संकट और गहरा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पश्चिम बंगालः वेतन वृद्धि की मांग को लेकर चाय बागान के कर्मचारी-श्रमिक तीन दिन करेंगे हड़ताल
    24 May 2022
    उत्तर बंगाल के ब्रू बेल्ट में लगभग 10,000 स्टाफ और सब-स्टाफ हैं। हड़ताल के निर्णय से बागान मालिकों में अफरा तफरी मच गयी है। मांग न मानने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल का संकेत दिया है।
  • कलिका मेहता
    खेल जगत की गंभीर समस्या है 'सेक्सटॉर्शन'
    24 May 2022
    एक भ्रष्टाचार रोधी अंतरराष्ट्रीय संस्थान के मुताबिक़, "संगठित खेल की प्रवृत्ति सेक्सटॉर्शन की समस्या को बढ़ावा दे सकती है।" खेल जगत में यौन दुर्व्यवहार के चर्चित मामलों ने दुनिया का ध्यान अपनी तरफ़…
  • आज का कार्टून
    राम मंदिर के बाद, मथुरा-काशी पहुँचा राष्ट्रवादी सिलेबस 
    24 May 2022
    2019 में सुप्रीम कोर्ट ने जब राम मंदिर पर फ़ैसला दिया तो लगा कि देश में अब हिंदू मुस्लिम मामलों में कुछ कमी आएगी। लेकिन राम मंदिर बहस की रेलगाड़ी अब मथुरा और काशी के टूर पर पहुँच गई है।
  • ज़ाहिद खान
    "रक़्स करना है तो फिर पांव की ज़ंजीर न देख..." : मजरूह सुल्तानपुरी पुण्यतिथि विशेष
    24 May 2022
    मजरूह सुल्तानपुरी की शायरी का शुरूआती दौर, आज़ादी के आंदोलन का दौर था। उनकी पुण्यतिथि पर पढ़िये उनके जीवन से जुड़े और शायरी से जुड़ी कुछ अहम बातें।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License