NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
बिजली (संशोधन) विधेयक के ख़िलाफ़ जंतर-मंतर पर 3 अगस्त से धरना देंगे कर्मचारी
"सत्याग्रह कार्यक्रम के बाद अगले कदम के रूप में 10 अगस्त को देशभर के 15 लाख बिजली कर्मचारी व इंजीनियर एक दिन हड़ताल करेंगे। अगर केंद्र सरकार इस विधेयक को पारित कराने के लिए कोई एक तरफा कार्यवाही करती है और 10 अगस्त के पहले यह बिल संसद में रखा जाता है तो बिजली कर्मी उसी दिन हड़ताल करेंगे।"
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
02 Aug 2021
बिजली (संशोधन) विधेयक के ख़िलाफ़ जंतर-मंतर पर 3 अगस्त से धरना देंगे कर्मचारी
'प्रतीकात्मक फ़ोटो'

केंद्र सरकार द्वारा संसद में बिजली (संशोधन) विधेयक 2021 रखे जाने की तैयारी के बीच बिजली कर्मचारी इसके विरोध में तीन अगस्त से दिल्ली के जंतर-मंतर पर चार दिवसीय सत्याग्रह धरना शुरू करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने भविष्य में देशव्यापी हड़ताल की चेतावनी दी है। जबकि कर्मचारी इससे पहले देशभर में कर्मचारियों के सम्मेलन और विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं।

‘नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाइज एंड इंजीनियर्स’ (एनसीसीओईई) के आह्वान पर देशभर के बिजली कर्मचारी और इंजीनियर तीन से छह अगस्त तक जंतर-मंतर पर सत्याग्रह कर बिजली (संशोधन) विधेयक के विरोध में केंद्र सरकार का ध्यानाकर्षण करेंगे।

आज यानि सोमवार को किसान संसद में चर्चा हुई और किसानों ने भी इस विधेयक का विरोध किया है। सनद रहे देशभर के किसान पिछले आठ महीने से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। वे 22 जुलाई से देश की संसद के समीप अपनी एक किसान संसद चला रहे हैं, जहाँ वो खेती किसानी और जन सरोकार पर बहस कर रहे हैं।

बिजली कर्मचारियों की संयुक्त कमेटी में शामिल ‘ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन’ के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने सोमवार को बताया कि तीन अगस्त को उत्तर भारत, चार अगस्त को पूर्व एवं पूर्वोत्तर भारत, पांच अगस्त को पश्चिमी भारत और छह अगस्त को दक्षिण भारत के विभिन्न प्रांतों के बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता जंतर-मंतर पर सत्याग्रह कर बिजली (संशोधन) विधेयक वापस लेने की मांग करेंगे। उत्तर प्रदेश के बिजलीकर्मी चारों दिन सत्याग्रह में सम्मिलित होंगे।

उन्होंने बताया कि सत्याग्रह कार्यक्रम के बाद अगले कदम के रूप में 10 अगस्त को देशभर के 15 लाख बिजली कर्मचारी व इंजीनियर एक दिन हड़ताल करेंगे। अगर केंद्र सरकार इस विधेयक को पारित कराने के लिए कोई एक तरफा कार्रवाई करती है और 10 अगस्त के पहले यह बिल संसद में रखा जाता है तो बिजली कर्मी उसी दिन हड़ताल करेंगे।

दुबे ने मांग की है कि बिजली (संशोधन) विधेयक को जल्दबाजी में संसद से पारित कराने के बजाय इसे बिजली मामलों की स्थाई समिति को भेजा जाना चाहिए। बिजली क्षेत्र के सबसे प्रमुख हितधारकों यानी बिजली उपभोक्ताओं और बिजली कर्मचारियों को इस समिति के सामने अपना पक्ष प्रस्तुत करने का पूरा अवसर दिया जाना चाहिए।

बृहस्पतिवार को बिजली क्षेत्र के इंजीनियरों और कर्मचारियों ने प्रस्तावित बिजली (संशोधन) विधेयक, 2021 के विरोध में विभिन्न प्रदेशों में राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित किये हैं।

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने एक बयान में कहा था, ‘‘बिजली क्षेत्र के इंजीनियरों और कर्मचारियों ने प्रस्तावित बिजली (संशोधन) विधेयक, 2021 के विरोध में विभिन्न प्रदेशों में सम्मेलन आयोजित किये हैं। केंद्र सरकार का उन लोगों को लेकर रुख उदासीन है।’’

बिजली कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी सम्मेलन किया और उनके कार्यालय में एक ज्ञापन सौंपा। इसके साथ ये सम्मेलन बेंगलुरु, त्रिची, हैदराबाद, चंडीगढ़ और अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनियों के मुख्यालयों में भी आयोजित किये गये।

एआईपीईएफ के प्रवक्ता वी के गुप्ता ने कहा कि संयोजक प्रशांत चौधरी के नेतृत्व में बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति के चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को बिजली सचिव आलोक कुमार से मुलाकात की तथा बिजली (संशोधन) विधेयक, 2021 के खिलाफ एक ज्ञापन सौंपा।

प्रतिनिधिमंडल में एआईपीईएफ महासचिच रत्नाकर राव भी शामिल थे।

प्रतिनिधिमंडल ने बिजली सचिव से पूछा कि कर्मचारियों और उपभोक्ताओं के साथ संबंधित पक्षों के रूप में व्यवहार क्यों नहीं किया जा रहा है और सरकार उनसे चर्चा किये बिना एकतरफा कदम उठा रही है।

बयान के अनुसार बिजली सचिव ने कहा कि संगठनों की चिंताओं पर पहले ही विचार किया जा चुका है। ऐसे में बिजली क्षेत्र के इंजीनियरों और कर्मचारियों के पास बिजली वितरण के निजीकरण के प्रयासों का पुरजोर विरोध करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

गुप्ता ने कहा कि अब यह संसद की जिम्मेदारी है कि जब भी विधेयक को पेश किया जाए तो उस पर ध्यान से विचार करें और ऊर्जा पर स्थायी समिति द्वारा एक विस्तृत जांच प्रक्रिया की अनुमति दी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि जल्दबाजी में पारित विधेयक अपने इच्छित परिणामों को प्राप्त करने में विफल हो सकता है।

संगठन के अनुसार प्रस्तावित सुधार से लाभ के बजाए नुकसान है। इससे वंचित तबका प्रभावित होगा और घरेलू तथा कृषि उपभोक्ताओं के लिए शुल्क दरों में वृद्धि होगी। इससे समाज के केवल कुछ विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों को ही लाभ होगा।

कर्मचारियों का कहना है कि ये कोई सुधार नहीं बल्कि सरकार बिजली क्षेत्र का निजीकरण कर रही है। इसको लेकर ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फ़ेडरेशन के प्रवक्ता वी के गुप्ता ने एक आर्टिकल लिखा था। जिसमें उन्होंने बताया था कि ग्यारह राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश ने बिजली संशोधन विधेयक 2020 के कई प्रावधानों का विरोध किया है। राज्यों ने बिजली (संशोधन) विधेयक, 2020 को संविधान की भावना के विपरीत और राज्यों की शक्ति के विकेंद्रीकरण के प्रति विरोधाभासी बताया, बावजूद इसके कि यह विषय समवर्ती सूची में आता है।

उनका पूरा आर्टिकल हिंदी में इस लिंक पर जाकर पढ़ा जा सकता है जिसमें उन्होंने बताया है कि वो इसका विरोध क्यों कर रहे है।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )

AIPEF
Electricity bill
Parliament
AIPEF Satyagrah
Power Engineers
Power Sector Protest

Related Stories

विचारों की लड़ाई: पीतल से बना अंबेडकर सिक्का बनाम लोहे से बना स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी

17वीं लोकसभा की दो सालों की उपलब्धियां: एक भ्रामक दस्तावेज़

संसद में तीनों दिल्ली नगर निगम के एकीकरण का प्रस्ताव, AAP ने कहा- भाजपा को हार का डर

यूपी चुनावः बिजली बिल माफ़ करने की घोषणा करने वाली BJP का, 5 साल का रिपोर्ट कार्ड कुछ और ही कहता है

आम बजट में शामिल होकर रेलवे क्या उपेक्षा का शिकार हो गया ?

ख़बरों के आगे-पीछे : संसद का मखौल, बृजभूमि का ध्रुवीकरण और अन्य

ख़बरों के आगे-पीछे: अमृत महोत्सव, सांसदों को फटकार का नाटक और अन्य

भारतीय संसदीय लोकतंत्र का 'क़ानून' और 'व्यवस्था'

आगामी जीटीए चुनावों पर टिकी है दार्जिलिंग हिल्स की राजनीति

मुद्दा: महिलाओं के राजनीतिक प्रतिनिधित्व का सवाल और वबाल


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार : गेहूं की धीमी सरकारी ख़रीद से किसान परेशान, कम क़ीमत में बिचौलियों को बेचने पर मजबूर
    30 Apr 2022
    मुज़फ़्फ़रपुर में सरकारी केंद्रों पर गेहूं ख़रीद शुरू हुए दस दिन होने को हैं लेकिन अब तक सिर्फ़ चार किसानों से ही उपज की ख़रीद हुई है। ऐसे में बिचौलिये किसानों की मजबूरी का फ़ायदा उठा रहे है।
  • श्रुति एमडी
    तमिलनाडु: ग्राम सभाओं को अब साल में 6 बार करनी होंगी बैठकें, कार्यकर्ताओं ने की जागरूकता की मांग 
    30 Apr 2022
    प्रदेश के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 22 अप्रैल 2022 को विधानसभा में घोषणा की कि ग्रामसभाओं की बैठक गणतंत्र दिवस, श्रम दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती के अलावा, विश्व जल दिवस और स्थानीय शासन…
  • समीना खान
    लखनऊ: महंगाई और बेरोज़गारी से ईद का रंग फीका, बाज़ार में भीड़ लेकिन ख़रीदारी कम
    30 Apr 2022
    बेरोज़गारी से लोगों की आर्थिक स्थिति काफी कमज़ोर हुई है। ऐसे में ज़्यादातर लोग चाहते हैं कि ईद के मौक़े से कम से कम वे अपने बच्चों को कम कीमत का ही सही नया कपड़ा दिला सकें और खाने पीने की चीज़ ख़रीद…
  • अजय कुमार
    पाम ऑयल पर प्रतिबंध की वजह से महंगाई का बवंडर आने वाला है
    30 Apr 2022
    पाम ऑयल की क़ीमतें आसमान छू रही हैं। मार्च 2021 में ब्रांडेड पाम ऑयल की क़ीमत 14 हजार इंडोनेशियन रुपये प्रति लीटर पाम ऑयल से क़ीमतें बढ़कर मार्च 2022 में 22 हजार रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गईं।
  • रौनक छाबड़ा
    LIC के कर्मचारी 4 मई को एलआईसी-आईपीओ के ख़िलाफ़ करेंगे विरोध प्रदर्शन, बंद रखेंगे 2 घंटे काम
    30 Apr 2022
    कर्मचारियों के संगठन ने एलआईसी के मूल्य को कम करने पर भी चिंता ज़ाहिर की। उनके मुताबिक़ यह एलआईसी के पॉलिसी धारकों और देश के नागरिकों के भरोसे का गंभीर उल्लंघन है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License