CMIE के आंकड़ों के मुताबिक भारत की काम करने लायक़ 90 करोड़ आबादी में नौकरी और नौकरी की तलाश में केवल 36 करोड़ लोग हैं। तकरीबन 54 करोड़ आबादी रोज़गार की दुनिया से बाहर है। बेरोज़गरी के यह आंकड़ें क्या कहते है? भारत में रोज़गार की प्रकृति और कमाई का क्या हाल है? पिछले पांच साल में मोदी सरकार की रोज़गार को लेकर क्या नीति रही है? आख़िकार बेरोज़गरी चुनावी मुद्दा क्यों नहीं बन पाती?