NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
रबी फसलों के बंपर उत्पादन की उम्मीदों पर फिरा पानी
रबी सीजन 2019-20 में देश में गेहूं, चना, रेपसीड और सरसों का उत्पादन पिछले सीजन बढ़ने की उम्मीद थी। लेकिन अब ये सभी केवल अनुमान ही बनकर रह जाएंगे क्योंकि वास्तविक उत्पादन अब कम से कम 60 से 70 प्रतिशत तक घट सकता है।
राकेश सिंह
17 Mar 2020
रबी फसलों के बंपर उत्पादन की उम्मीदों पर फिरा पानी
फाइल फोटो साभार : दैनिक ट्रिब्यून

पिछले 15 दिनों के भीतर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार और मध्य प्रदेश में बारिश, ओले और आंधी ने कहर ढा दिया है। उत्तर प्रदेश के 75 में से 74 जिलों में बहुत भारी बारिश हुई और तेज हवाओं के साथ ओले गिरे। झारखंड, बिहार, उत्तराखंड, हरियाणा और पंजाब के सभी जिलों में पिछले 15 दिनों में औसत से बहुत ज्यादा बारिश हुई और ओले पड़े हैं। हिमाचल प्रदेश के 12 में से 10 जिले, राजस्थान के 33 में 25 जिले और मध्य प्रदेश के 51 में से 24 जिले इस आपदा के शिकार बने हैं।

केवल 13 मार्च को ही वाराणसी में 40 मिलीमीटर, पटना में 17 मिलीमीटर, भागलपुर में 16 मिलीमीटर, डाल्टनगंज में 47 मिलीमीटर और गया में 43 मिलीमीटर वर्षा रिकार्ड की गई। इसके साथ ही तेज हवाएं चलीं और ओले भी पड़े। कुछ स्थानों पर हवाओं की रफ्तार 60 किलोमीटर प्रतिघंटा थी। अब तक पश्चिम और पूर्वी उत्तर प्रदेश दोनों में ही औसत से बहुत ज्यादा बारिश हुई है। 15 मार्च तक पूर्वी उत्तर प्रदेश में औसत से 808% ज्यादा और पश्चिम उत्तर प्रदेश में औसत से 741% ज्यादा बारिश हुई है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में 3.9 मिमी. की सामान्य औसत बारिश के मुकाबले 35.4 मिमी. बारिश हुई है, जबकि पश्चिम उत्तर प्रदेश में 5.4 मिमी. की सामान्य बारिश के मुकाबले 45.4 मिमी. बारिश हुई है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में बारिश 16 मार्च को भी जारी रही।

मानसून के बाद की वर्षा पिछले लगातार पांच साल से औसत से कम रही थी। 2014 में मानसून के बाद की बारिश 33%, 2016 में 45% और 2018 में 44% कम थी। 2019 में यह सिलसिला आखिरकार टूटा। पिछले साल के विपरीत 2019 की सर्दियों की शुरुआत में अच्छी बारिश हुई। इस बार औसत से 29% ज्यादा बारिश हुई। इसका लाभ पाने वाले मुख्य इलाके उत्तर पश्चिम भारत और मध्य भारत थे।

पंजाब और राजस्थान में क्रमशः 83% और 136% ज्यादा बारिश दर्ज की गई। गुजरात में 156% ज्यादा बारिश हुई। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ के साथ ओडिशा में भी ज्यादा बारिश दर्ज की गई। इससे देश को रबी फसल उत्पादन के मामले में काफी उम्मीद थी। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार सर्दियों की अच्छी बारिश के साथ-साथ मिट्टी की पर्याप्त नमी रबी फसल के उत्पादन को बढ़ाएगी।

कृषि मंत्रालय द्वारा 24 जनवरी, 2020 को जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार रबी के बुवाई के क्षेत्रफल में पिछले वर्ष की तुलना में इस बार 9.5% की वृद्धि हुई थी।

पिछले साल इसी अवधि में बोये गये कुल 597.52 लाख हेक्टेयर के विपरीत इस बार 654.13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बोया गया है।

पिछले वर्ष गेहूं के 102.19 मिलियन टन उत्पादन की तुलना में रबी सीजन 2019-20 में देश गेहूं का उत्पादन 10.6%  बढ़कर 113.06 मिलियन टन होने का अनुमान था। पिछले सीज़न में उत्पादित 10.13 मिलियन टन चने की तुलना में उत्पादन 5% बढ़कर 10.66 मिलियन टन तक जाने की उम्मीद थी। रेपसीड और सरसों का उत्पादन पिछले सीजन में 9.33 मिलियन टन उत्पादन  की तुलना में 1.4% बढ़कर 9.46 मिलियन टन रहने की उम्मीद थी। अब ये सभी केवल अनुमान ही बनकर रह जाएंगे क्योंकि वास्तविक उत्पादन अब कम से कम 60 से 70 प्रतिशत तक घट सकता है।

इस तबाही ने ऐसे इलाकों के किसानों की हिम्मत भी तोड़कर रख दी है, जहां इससे पहले फसल नुकसान के कारण किसानों के आत्महत्या करने की खबरें सुनाई नहीं देती थीं। राजस्थान में 3 किसानों के फसल नुकसान के कारण आत्महत्या करने की खबर सामने आई है। इसके बाद राज्य सरकार हरकत में आई और विधानसभा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किसानों को हुए नुकसान का मुआवजा देने की घोषणा कर दी है, जिससे किसानों के अंदर का डर कुछ कम हो सके।

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में भी एक किसान के आत्महत्या करने की सूचना मिली है। इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों की फसलों को हुए नुकसान का जायजा लेने में तेजी दिखानी शुरू की है। किसानों को इस नुकसान की भरपाई आगे कैसे होती है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन इतना तो तय है कि यह कोई साधारण नुकसान नहीं है, जिससे किसान कम समय में उबर पाएंगे।

मौसम विभाग ने 20 मार्च को भी बारिश की संभावना जताई है। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि पूरे उत्तर भारत के कृषि प्रधान चार राज्यों पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार में कुछ हिस्सों में किसानों को 6 महीने की अपनी पूरी आमदनी गंवानी पड़ेगी।

बारिश के लिहाज से देश के लिए 2019 असाधारण वर्ष रहा है। 2019 में पिछले 25 वर्षों यानी 1974 के बाद सबसे ज्यादा मानसूनी बारिश हुई। इस मानसून के मौसम में नौ चक्रवात आए, जो भारतीय इतिहास में अब तक का सर्वाधिक है। मौसम विभाग के अनुसार जून से सितंबर के मानसून में पूरे देश में औसत से 10% ज्यादा बारिश हुई है। औसत से सबसे ज्यादा 29% बारिश मध्य भारत में दर्ज की गई, जबकि दक्षिण भारत में 16% अधिक  बारिश दर्ज की गई। जून में औसत का केवल 67 प्रतिशत बारिश हुई, जुलाई में 105% अगस्त में 115% और सितंबर में 152% बारिश हुई।

मध्य भारत में इस अधिक मानसूनी बारिश का सबसे ज्यादा असर सोयाबीन, गन्ना और प्याज की फसलों पर हुआ। खरीफ के मौसम में प्याज की फसल पूरी तरह नष्ट होने के कारण लोगों को डेढ़ सौ रुपये किलो तक प्याज खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ा।

पूरे देश में प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में इस बार करीब आधे उत्पादन से संतोष करना पड़ा है। इसी तरह कर्नाटक में भी चीनी उत्पादन एक-चौथाई घट गया है। उत्तर प्रदेश में जरूर चीनी उत्पादन ठीक-ठाक रहा है। देश में कुल 747 चीनी मिलें है। लेकिन में इनमें वर्ष 2019-20 में कुल 446 चीनी मिले ही चल पाई हैं। बाकी मिलें बंद रह गई।

नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज फेडरेशन के एमडी प्रकाश नायकनवारे के अनुसार 13 मार्च, 2020 को देश का चीनी उत्पादन 210 लाख टन तक हो गया है, जो पिछले सीजन की तुलना में लगभग 57 लाख टन कम है।

इसमें से उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों ने लगभग 83 लाख टन का उत्पादन किया है। यूपी का चीनी उत्पादन पिछले सीजन की तुलना में लगभग 2 लाख टन अधिक है। इसके विपरीत, महाराष्ट्र की मिलों ने पिछले सीजन की तुलना में लगभग 43 लाख टन कम, लगभग 55 लाख टन का उत्पादन किया है। इसी तरह कर्नाटक ने इस सीजन में 33 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 9 लाख टन कम है।

एक अनुमान के हिसाब से रबी मौसम के दौरान सिंचाई के मुख्य स्रोत जलाशयों में पानी का भंडार 28 नवंबर को कुल जल स्तर का 86 प्रतिशत था। एक साल पहले इसी अवधि में यह केवल 61 प्रतिशत था। पिछले साल 2018 में मानसून के बाद की वर्षा में औसतन 44% की कमी थी। इससे देश के कई हिस्सों में पानी की भारी कमी हो गई थी। उसका रबी के सीजन में फसल के उत्पादन पर इसका बहुत विपरीत प्रभाव पड़ा था। इस बार नमी के रहने के कारण किसानों ने देर से ही सही काफी ज्यादा बुवाई कर दी थी।

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की 3 से 5 दिसंबर 2019 को हुई बैठक की  रिपार्ट के हिसाब से भारतीय कृषि अक्टूबर में और नवंबर की शुरुआत में बेमौसम बारिश के कारण खरीफ की कटाई में देरी और रबी की बुवाई में देरी जैसे झटकों को पहले ही झेल रही थी। क्योकि उत्तर-पूर्व मानसून इस बार औसत से लंबी अवधि तक चला। इसके बावजूद रबी के दौरान बंपर फसल उत्पादन की उम्मीद जगी थी।

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) द्वारा 2013 में किये गये आखिरी सर्वेक्षण के अलावा किसानों की आर्थिक स्थिति की जानकारी देने वाला कृषि मंत्रालय के पास कोई दूसरा डेटा उपलब्ध नहीं है। भारत में एनएसएसओ द्वारा वर्ष 2013 में किए गए अंतिम सर्वेक्षण के अनुसार ग्रामीण भारत में कुल 9.2 करोड़ कृषि परिवार थे, जो उसी अवधि के दौरान देश के कुल अनुमानित ग्रामीण परिवारों का लगभग 57.8 प्रतिशत था। एक अनुमान किसान परिवारों की संख्या अब बढ़कर करीब 12 करोड़ हो चुकी है।

उस सर्वेक्षण में 0.40 हेक्टेयर से अधिक भूमि वाले अधिकांश किसान परिवारों ने खेती को अपनी आय का मुख्य स्रोत बताया। 0.01 हेक्टेयर से कम भूमि वाले कृषक परिवारों में लगभग 56 प्रतिशत ने मजदूरी/ वेतन रोजगार को अपनी आय का मुख्य स्रोत और अन्य 23 प्रतिशत ने पशुधन को अपनी आय का मुख्य स्रोत बताया था। एनएसएसओ की रिपोर्ट के अनुसार देश में लगभग 52 प्रतिशत कृषक परिवार कर्जदार थे। अब उनके ऊपर कर्ज का बोझ निश्चित रूप से और ज्यादा बढ़ने वाला है।

बजट भाषण में किसानों को अन्नदाता से ऊर्जादाता बनाने का वादा करने वाली सरकार को नई संसद, नया प्रधानमंत्री आवास और सरकारी कर्मचारियों के नये कार्यालय बनाने की सेंट्रल विस्ता जैसी अपनी सभी फिजूलखर्ची को तत्काल रोककर किसानों की तबाही को राष्ट्रीय क्षति घोषित करके राहत कार्य चलाना चाहिये। एक झटके में ही कारपोरेट जगत को 1 लाख 47 हजार करोड़ रुपये की कर छूट देने वाली सरकार इस आपदा के बावजूद किसानों की तबाही पर कोई संवेदनशील रूख अपनायेगी, इसकी उम्मीद कम ही है।

कोरपोरेट को जायज-नाजायज हर उपाय से लाभ देने के मोदी सरकार के कारनामों की सूची बहुत लंबी है। कोरोनावायरस के कारण कच्चे तेल की कीमतें 52 डॉलर प्रति बैरल से 40% गिरकर 30 डॉलर बैरल से नीचे आ चुकी हैं। पहले ही महंगाई की मार, मंदी और बेरोजगारी की मार से जूझ रही जनता को इसका कोई लाभ मिलना तो दूर की बात है, उल्टे पेट्रो अत्पादों पर एक्साएज ड्यूटी बढ़ाकर सरकार ने जले पर नमक छिड़कने का काम किया है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

RABI CROPS
Wheat
heavy rains
Heavy rain and storm
Haryana
UttarPradesh
punjab
Rajasthan
Jharkhand
Bihar
Madhya Pradesh
Agriculture Crises
agriculture ministry

Related Stories

बदायूं : मुस्लिम युवक के टॉर्चर को लेकर यूपी पुलिस पर फिर उठे सवाल

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

परिक्रमा वासियों की नज़र से नर्मदा

बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

मिड डे मिल रसोईया सिर्फ़ 1650 रुपये महीने में काम करने को मजबूर! 


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी सरकार के 8 साल: सत्ता के अच्छे दिन, लोगोें के बुरे दिन!
    29 May 2022
    देश के सत्ताधारी अपने शासन के आठ सालो को 'गौरवशाली 8 साल' बताकर उत्सव कर रहे हैं. पर आम लोग हर मोर्चे पर बेहाल हैं. हर हलके में तबाही का आलम है. #HafteKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार…
  • Kejriwal
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?
    29 May 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस बार भी सप्ताह की महत्वपूर्ण ख़बरों को लेकर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन…
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
    29 May 2022
    गोडसे जी के साथ न्याय नहीं हुआ। हम पूछते हैं, अब भी नहीं तो कब। गोडसे जी के अच्छे दिन कब आएंगे! गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
  • Raja Ram Mohan Roy
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या राजा राममोहन राय की सीख आज के ध्रुवीकरण की काट है ?
    29 May 2022
    इस साल राजा राममोहन रॉय की 250वी वर्षगांठ है। राजा राम मोहन राय ने ही देश में अंतर धर्म सौहार्द और शान्ति की नींव रखी थी जिसे आज बर्बाद किया जा रहा है। क्या अब वक्त आ गया है उनकी दी हुई सीख को अमल…
  • अरविंद दास
    ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली
    29 May 2022
    प्रख्यात निर्देशक का कहना है कि फिल्मी अवसंरचना, जिसमें प्राथमिक तौर पर थिएटर और वितरण तंत्र शामिल है, वह मुख्यधारा से हटकर बनने वाली समानांतर फिल्मों या गैर फिल्मों की जरूरतों के लिए मुफ़ीद नहीं है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License