बिहार के स्वास्थ्य मंत्री और बिहार भाजपा के पूर्व अध्यक्ष मंगल पांडे ने 15 अक्टूबर को एक ट्वीट किया। ट्वीट में लिखा “स्वच्छ भारत अभियान के तहत बिहार के सभी 40 हज़ार गांवों में शौचालय का निर्माण कर बिहार हो रहा खुले में शौच मुक्त...” साथ ही लिखा है बिहार के विकास हेतु प्रतिबद्ध एनडीए सरकार। इस लिंक पर क्लिक करके आप ट्वीट देख सकते हैं। यानी ये चुनाव प्रचार का हिस्सा है। ट्वीट में एक फोटो भी इस्तेमाल किया गया है। क्या ये फोटो सचमुच बिहार का है? आइये पड़ताल शुरू करते हैं।
जांच-पड़ताल
जब इस फोटो के बारे में खोजबीन की गई तो हमें ये इंटरनेट पर कई जगह मिला और हम जल्द ही ओरिज़िनल फोटो तक पहुंच गये जिसे ट्वीट किए गये ग्राफिक में इस्तेमाल किया गया है।

अगर आप शौचालय के पास लिखी जानकारी को ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि उस पर लिखा है “करवाचौथ उपहार...शारदा गौतम w/o वीरभद्र सिंह ग्रा. पं. अमाही।”
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 में करवाचौथ के व्रत के मौके पर एक अभियान चलाया गया था। जिसमें उन पतियों को सार्वजनिक तौर सम्मानित किया जाना था जो अपनी पत्नी को करवाचौथ पर शौचालय भेंट करेंगे। ये फोटो उसी अभियान का हिस्सा है। इस अभियान के बारे में आप “Swachh Bharat Agra” अकाउंट का 7 अक्टूबर 2017 का ये ट्वीट देख सकते हैं।
स्वच्छ भारत आगरा के ही ट्वीटर हैंडल पर हमें ये फोटो भी मिल गया। आप इस लिंक पर क्लिक करके ये ट्वीट और फोटो देख सकते हैं।
इसके अलावा हमने ग्राम पंचायत अमाही के ग्राम सचिव विजेंद्र से फोन पर बात की और उनको वाट्सअप के ज़रिये ये फोटो भेजा। उनसे पूछा कि क्या ये फोटो आपके ही गांव का है। तो ग्राम सचिव विजेंद्र ने पुष्टि की कि फोटो उन्हीं के गांव का है और वीरभद्र और उसकी पत्नी का है। वो वीरभद्र को बहुत अच्छे से जानते हैं।
निष्कर्ष
जांच के दौरान पाया गया कि बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के ट्वीट में जो फोटो इस्तेमाल किया गया है वो बिहार का नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के एक गांव अमाही का है। क्योंकि उत्तर प्रदेश को फोटो को बिहार के संदर्भ में इस्तेमाल किया गया है इसलिये ये ट्वीट भ्रामक है।
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उल्लेखनीय है कि इस चुनाव के मौसम में इस तरह के भ्रामक या ग़लत सूचनाओं और दावों की इस कदर भरमार है, कि उन्हें चेक करना भी मुश्किल है। हमने इससे पहले भी डिप्टी सीएम सुशील मोदी के हवाले से किए गए ऐसे ही कई भ्रामक दावों और पोस्ट का खुलासा किया था।
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ऐसे ही लगातार फेक्ट चेक के बाद अब नेताओं ने अपने प्रचार और दावों के साथ कुछ जगह पर प्रतीकात्मक तस्वीर भी लिखना शुरू किया है। लेकिन सरकार और सत्तारूढ़ दलों के लिए ये किसी भी तौर पर सही नहीं है क्योंकि आप कहीं और की तस्वीर लगाकर अपने राज्य के विकास के दावे नहीं कर सकते। सोशल मीडिया पर तो इस समय अपुष्ट और भ्रामक दावों के साथ कई ऐसी तस्वीरें पोस्ट की जा रही हैं जो बिहार तो छोड़िए भारत तक की नहीं हैं।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते रहते हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)