NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
एसकेएम का ऐलान : 29 नवंबर से ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर संसद पहुंचना शुरू करेंगे किसान
एसकेएम ने कहा, "शीत सत्र के दौरान 500 चयनित किसान हर दिन संसद पहुंचेंगे, ताकि वे राष्ट्रीय राजधानी में अपने विरोध प्रदर्शन के अधिकार का इस्तेमाल कर सके।"
रवि कौशल
10 Nov 2021
 कृषि क़ानूनों की वापसी

नई दिल्ली: मंगलवार को एक लंबी बैठक के बाद सम्युक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने ऐलान किया है कि दिल्ली में सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर से हज़ारों किसान संसद की तरफ़ कूच करेंगे। सम्युक्त किसान मोर्चा 40 से ज़्यादा किसान संगठनों का साझा मंच है, जो तीन केंद्रीय कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहा है। इस विरोध प्रदर्शन को अब एक साल होने वाले हैं।  

26 नवंबर को प्रदर्शनों का एक साल पूरा होने के उपलक्ष्य में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान से हज़ारों किसान राष्ट्रीय राजधानी में प्रदर्शन स्थलों पर पहुंचेंगे। ताकि तीनों केंद्रीय कृषि क़ानूनों के विरोध को तेज स्वर दिया जा सके। 

एसकेएम के नेताओं ने बताया कि दूर-दराज के राज्यों में ऐतहासिक प्रदर्शनों की पहली सालगिरह राज्यों की राजधानियों में बड़ी रैलियां आयोजित कर मनाई जाएगी। 

बैठक की अध्यक्षता करने वाले सत्यवान मलिक ने कहा कि हर दिन गाजीपुर और टिकरी बॉर्डर से हर दिन 500 किसानों का जत्था संसद के बाहर प्रदर्शन करने जाएगा, अगले दिन इन किसानों के साथ 500 किसानों का एक और जत्था जुड़ता जाएगा। अगर इन्हें कहीं रोका जाएगा, तो यह किसान गिरफ़्तारी देंगे।  

नेताओं ने बताया कि किसान संगठन 10 लोगों की उनके पहचान पत्र के साथ तैनाती करेंगे, ताकि कोई भी असामाजिक तत्व जत्थों में प्रवेश ना कर पाए। ऑल इंडिया किसान फेडरेशन के सचिव प्रेम सिंह भांगु ने न्यूज़क्लिक को बताया कि किसान संगठनों की जिम्मेदारी होगी कि वे पहचान पत्र के साथ लोगों की तैनाती करें। 

उन्होंने बताया, "हमने 26 जनवरी को हुई घटना की पृष्ठभूमि में, इस बारे के प्रदर्शन के लिए तमाम नियमों को लेकर लंबी बातचीत की। हमने टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर का इसलिए चुनाव किया, क्योंकि उन्हें पुलिस ने खोल दिया है।"

एक प्रेस वक्तव्य में मोर्चा ने कहा, "दिल्ली में 29 नवंबर को संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होगा। एसकेएम ने तय किया है कि 29 नवंबर से इस सत्र के अंतिम दिन तक, 500 चयनित किसानों को हर दिन ट्रैक्टर ट्रॉली में शांतिपूर्ण ढंग से पूरे अनुशासन के साथ  संसद भेजा जाएगा, ताकि वे राष्ट्रीय राजधानी में अपने विरोध प्रदर्शन के अधिकार का इस्तेमाल कर सकें, जिससे इस अंसवेदनशील, जिद्दी, जन विरोधी और कॉरपोरेट समर्थक बीजेपी सरकार को देशभर के किसानों की मांग पूरी करने पर मजबूर किया जा सके, जिसके लिए उन्होंने पिछले एक साल से ऐतिहासिक संघर्ष छेड़ रखा है।"

ऑल इंडिया किसान सभा के अध्यक्ष अशोक धवाले ने न्यूज़क्लिक को बताया कि प्रदर्शन स्थल पर बड़ी संख्या में आने वाले किसान उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश से होंगे। हालांकि दूसरे राज्यों का भी इस प्रदर्शन को मजबूत करने में अहम योगदान होगा। 

उन्होंने कहा, "हमने तय किया है कि राज्यों की राजधानियों में बड़े प्रदर्शन किए जाएंगे। केरल में हर जिले में प्रदर्शन किया जाएगा। इसी तरह तमिलनाडु में भी प्रदर्शन होंगे। मुंबई के आजाद मैदान में 28 नवंबर को एक महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। फिर 22 नवंबर को लखनऊ में एक बेहद अहम महापंचायत होगी। हरियाणा के जींद में 16 नवंबर को मोर्चा का राज्य सम्मेलन होगा, इसके लिए हर गांव में जत्थे जाएंगे, ताकि लोगों की ज़्यादा से ज़्यादा भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।" 

धवाले ने कहा कि 28 नवंबर को मुंबई के आज़ाद मैदान में एक बड़ी किसान-मजदूर महापंचायत होगी। यह आयोजन सम्युक्त शेतकारी कामगार मोर्चा (एसएसकेएम) के बैनर चले होगा, ऐतिहासिक किसान प्रदर्शन के एक साल पूरा होने के उपलक्ष्य में होने वाले इस प्रदर्शन में 100 से ज़्यादा संगठन हिस्सा लेंगे। 28 नवंबर को महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबाराव फुले की पुण्यतिथि भी है। 

एआईकेएस नेता ने कहा कि "महापंचायत हर मोर्चे पर भारतीय जनता पार्टी की सरकार का विरोध करेगी और कामग़ार वर्ग के तमाम ज्वलंत मुद्दों को उठाएगी, जिसमें कृषि क़ानूनों और लेबर कोड की वापसी, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर केंद्रीय क़ानून की गारंटी, पेट्रोल और खाना बनाने की गैस की कीमत आधी करने के साथ-साथ निजीकरण रोकने की मांग शामिल रहेगी।"

धवाले ने कहा कि महापंचायत अस्थि कलश यात्रा में शामिल सभी लोगों के लिए जुटाव का एक बिंदु भी रहेगी। अस्थि कलश यात्रा लखीमपुर में शहीद हुए किसानों की राख-अस्थियों को लेकर निकाली गई थी। 

"लखीमपुर खीरी शहीद कलश यात्रा, जो पुणे से 27 अक्टूबर को शुरू हुई थी और जिन्हें अब सभी राज्यों में किसान संगठनों द्वारा ले जाया जा रहा है, जिसे बड़ा जनसमर्थन भी मिल रहा है, यह सारी यात्राएं मुंबई में 27 नवंबर को आकर मिलेंगी। उस दिन शहीद कलश यात्रा शिवाजी पार्क में छत्रपति शिवाजी, चैत्य भूमि में बीआर आंबेडकर, मंत्रालय के पास महात्मा गांधी की मूर्ति और शहीद बाबू गेनू को मेमोरियल में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेगी। बाबू गेनू को स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटेन के कपड़ों का विरोद करने पर एक ब्रिटिश ट्रक द्वारा कुचल दिया गया था।    

भारतीय किसान यूनियन-टिकैत के नेता धर्मेंद्र मलिक ने न्यूज़क्लिक को बताया कि किसान संगठनों ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रदर्शन बिना किसी हिंसा के संपन्न हों। वह कहते हैं, "मैं उस संगठन से आता हूं जिसने दिल्ली के बोट क्लब पर ऊचित मुआवज़े के अधिकार के लिए दस लाख लोगों को इकट्ठा कर दिया था। आज हम ज़्यादा जुड़े हुए हैं। तो हमारा बकाया लेने का यह संघर्ष ऐतिहासिक है।" 

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Farm Law Repeal: Farmers to Move to Parliament from November 29 on Tractors from Protest Sites

SKM
AIKS
farmers protest
Farm Laws
March to Parliament
Tractor March

Related Stories

छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस

डीवाईएफ़आई ने भारत में धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिए संयुक्त संघर्ष का आह्वान किया

लखीमपुर खीरी हत्याकांड: आशीष मिश्रा के साथियों की ज़मानत ख़ारिज, मंत्री टेनी के आचरण पर कोर्ट की तीखी टिप्पणी

युद्ध, खाद्यान्न और औपनिवेशीकरण

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

किसान-आंदोलन के पुनर्जीवन की तैयारियां तेज़

लखीमपुर खीरी कांड में एक और अहम गवाह पर हमले की खबर  

‘तमिलनाडु सरकार मंदिर की ज़मीन पर रहने वाले लोगों पर हमले बंद करे’

विभाजनकारी चंडीगढ़ मुद्दे का सच और केंद्र की विनाशकारी मंशा

किसान आंदोलन: मुस्तैदी से करनी होगी अपनी 'जीत' की रक्षा


बाकी खबरें

  • अनिल अंशुमन
    झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 
    12 May 2022
    दो दिवसीय सम्मलेन के विभिन्न सत्रों में आयोजित हुए विमर्शों के माध्यम से कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध जन संस्कृति के हस्तक्षेप को कारगर व धारदार बनाने के साथ-साथ झारखंड की भाषा-संस्कृति व “अखड़ा-…
  • विजय विनीत
    अयोध्या के बाबरी मस्जिद विवाद की शक्ल अख़्तियार करेगा बनारस का ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा?
    12 May 2022
    वाराणसी के ज्ञानवापी प्रकरण में सिविल जज (सीनियर डिविजन) ने लगातार दो दिनों की बहस के बाद कड़ी सुरक्षा के बीच गुरुवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि अधिवक्ता कमिश्नर नहीं बदले जाएंगे। उत्तर प्रदेश के…
  • राज वाल्मीकि
    #Stop Killing Us : सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का मैला प्रथा के ख़िलाफ़ अभियान
    12 May 2022
    सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन पिछले 35 सालों से मैला प्रथा उन्मूलन और सफ़ाई कर्मचारियों की सीवर-सेप्टिक टैंको में हो रही मौतों को रोकने और सफ़ाई कर्मचारियों की मुक्ति तथा पुनर्वास के मुहिम में लगा है। एक्शन-…
  • पीपल्स डिस्पैच
    अल-जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह की क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीन में इज़रायली सुरक्षाबलों ने हत्या की
    12 May 2022
    अल जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह (51) की इज़रायली सुरक्षाबलों ने उस वक़्त हत्या कर दी, जब वे क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक स्थित जेनिन शरणार्थी कैंप में इज़रायली सेना द्वारा की जा रही छापेमारी की…
  • बी. सिवरामन
    श्रीलंकाई संकट के समय, क्या कूटनीतिक भूल कर रहा है भारत?
    12 May 2022
    श्रीलंका में सेना की तैनाती के बावजूद 10 मई को कोलंबो में विरोध प्रदर्शन जारी रहा। 11 मई की सुबह भी संसद के सामने विरोध प्रदर्शन हुआ है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License