NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
किसान आंदोलन: सरकार ने अगले दौर की वार्ता के लिए किसान संगठनों को 30 दिसंबर को बुलाया
केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच अब मंगलवार, 29 दिसंबर को बातचीत नहीं होगी, बल्कि इसकी जगह सरकार ने उन्हें 30 दिसंबर दोपहर 2 बजे बातचीत का न्योता दिया है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
28 Dec 2020
किसान आंदोलन

दिल्ली: सरकार और किसान संगठनों के बीच अब कल मंगलवार, 29 दिसंबर को बातचीत नहीं होगी, बल्कि इसकी जगह सरकार ने उन्हें 30 दिसंबर दोपहर 2 बजे बातचीत का न्योता दिया है।

आपको बता दें कि केंद्र और किसान संगठनों के बीच अब तक पांच दौर की औपचारिक वार्ता बेनतीजा रही है। किसानों का कहना है कि सरकार समस्या के समाधान के प्रति गंभीर नहीं है। जबकि इसके उलट सरकार बार-बार यह प्रचारित कर रही थी कि वह किसानों से खुले मन से वार्ता के लिए हर समय तैयार है। इस प्रचार को देखते हुए करीब 40 किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा ने शनिवार 26 दिसंबर को बैठक कर सरकार को 29 दिसंबर को बातचीत का प्रस्ताव दिया था। इसी के साथ मोर्चा ने बातचीत का एक चार सूत्रीय एजेंडा भी सरकार के सामने रख दिया था। जिसमें पहले नंबर पर बातचीत के लिए तीन केंद्रीय कानूनों को निरस्त या रद्द करने के लिए अपनाए जानी वाली क्रिया विधि पर वार्ता की शर्त निर्धारित की गई थी।

इस प्रस्ताव का जवाब देते हुए कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने किसान संगठनों को लिखे एक पत्र के जरिए उन्हें राष्ट्रीय राजधानी के विज्ञान भवन में 30 दिसंबर को दोपहर दो बजे वार्ता करने का न्योता दिया है।

अग्रवाल ने पत्र में कहा, ‘‘सरकार एक स्पष्ट इरादे और खुले मन से सभी प्रासंगिक मुद्दों का एक तार्किक समाधान निकालने के लिए भी प्रतिबद्ध है। ’’

पत्र में तो तार्किक समाधान के लिए भी प्रतिबद्धता जताई गई है, लेकिन सरकार के रवैये से लगता नहीं कि फिलहाल इसका कोई हल निकलेगा। क्योंकि कृषि मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक किसी ने भी अभी तक कोई नरम संकेत नहीं दिए हैं। सभी नेता-मंत्री अपने बयानों में न केवल किसान आंदोलन के ख़िलाफ़ बोल रहे हैं, बल्कि बार-बार यही कह रहे हैं कि किसान भ्रमित हैं।

आज, सोमवार को भी कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के बीच ‘‘सुनियोजित तरीके से’’ ‘‘झूठ की दीवार’’ खड़ी की गई है, लेकिन ऐसा लंबे समय तक नहीं चलेगा है और प्रदर्शनकारी किसानों को जल्द सच्चाई का अहसास होगा।

तोमर ने कन्फेडरेशन ऑफ एनजीओ ऑफ रूरल इंडिया (सीएनआरआई) की तरफ से आयोजित डिजिटल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘जल्द ही कुछ रास्ता निकलेगा और हम समाधान तक पहुंचेंगे। हर कोई जानता है कि झूठ की दीवार कभी मजबूत नहीं होती। सच्चाई सच्चाई होती है। समय आएगा जब लोग सच्चाई स्वीकार करना शुरू करेंगे।’’

उल्लेखनीय है कि एक महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान डेरा डाले हुए हैं। वे तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

प्रदर्शनकारी किसानों ने अपनी मांगें नहीं माने जाने की स्थिति में आने वाले दिनों में अपना आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है।

कृषि का सम्मान नहीं करने वाले देश का पतन हो जाता है : कमल हसन

तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडु): दिल्ली के बाहर विवादास्पद केंद्रीय कृषि कानून का विरोध कर रहे किसानों का समर्थन करते हुए मक्कल नीधि मय्यम (एमएनएम) के संस्थापक कमल हसन ने सोमवार को कहा कि जो देश “कृषि का सम्मान नहीं करता उसका पतन हो जाता है।”

हसन ने यहां संवाददाताओं से कहा कि किसान “अन्नदाता” हैं। उन्होंने पूर्व में राष्ट्रीय राजधानी के निकट प्रदर्शन कर रहे किसानों से एकजुटता दिखाने के लिये पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल को भेजा था।

हसन ने कहा, “जो देश कृषि का सम्मान नहीं करता उसका पतन हो जाएगा। मैं मानता हूं कि ऐसा हमारे देश के साथ नहीं होना चाहिए। वे (किसान) अन्नदाता हैं।”

वह दिल्ली में एक महीने से भी ज्यादा समय से चल रहे किसानों के प्रदर्शन से जुड़े एक सवाल पर प्रतिक्रिया दे रहे थे।

रक्तचाप में उतार-चढ़ाव के लिये अस्पताल में भर्ती होने के बाद रविवार को अस्पताल से छुट्टी पाने वाले अभिनेता रजनीकांत से जुड़े एक सवाल पर हसन ने उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए कहा कि यह ज्यादा महत्वपूर्ण है।

यह पूछे जाने पर कि क्या रजनीकांत द्वारा अगले महीने अपनी पार्टी बनाए जाने के बाद वो उनसे हाथ मिलाएंगे, हसन ने कहा, “हम 40 साल पहले ऐसा कर चुके हैं।” उन्होंने संभवत: कई फिल्मों में साथ काम करने के संदर्भ में यह बात कही।

हसन ने कहा, “यह जरूरी नहीं कि दोस्ती खत्म हो जानी चाहिए” अगर वे राजनीति में आएं तो।

पूर्व में दोनों ने राजनीति में साथ मिलकर काम करने के संकेत दिये थे।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने संकेत दिया कि उनकी पार्टी 2021 के विधानसभा चुनावों में “तीसरे मोर्चे” का नेतृत्व कर सकती है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

farmers protest
Farm Bills
BJP
Narendra modi
Modi government
farmers protest update

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

विशाखापट्टनम इस्पात संयंत्र के निजीकरण के खिलाफ़ श्रमिकों का संघर्ष जारी, 15 महीने से कर रहे प्रदर्शन

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल


बाकी खबरें

  • सरोजिनी बिष्ट
    विधानसभा घेरने की तैयारी में उत्तर प्रदेश की आशाएं, जानिये क्या हैं इनके मुद्दे? 
    17 May 2022
    ये आशायें लखनऊ में "उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन- (AICCTU, ऐक्टू) के बैनर तले एकत्रित हुईं थीं।
  • जितेन्द्र कुमार
    बिहार में विकास की जाति क्या है? क्या ख़ास जातियों वाले ज़िलों में ही किया जा रहा विकास? 
    17 May 2022
    बिहार में एक कहावत बड़ी प्रसिद्ध है, इसे लगभग हर बार चुनाव के समय दुहराया जाता है: ‘रोम पोप का, मधेपुरा गोप का और दरभंगा ठोप का’ (मतलब रोम में पोप का वर्चस्व है, मधेपुरा में यादवों का वर्चस्व है और…
  • असद रिज़वी
    लखनऊः नफ़रत के ख़िलाफ़ प्रेम और सद्भावना का महिलाएं दे रहीं संदेश
    17 May 2022
    एडवा से जुड़ी महिलाएं घर-घर जाकर सांप्रदायिकता और नफ़रत से दूर रहने की लोगों से अपील कर रही हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 43 फ़ीसदी से ज़्यादा नए मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए 
    17 May 2022
    देश में क़रीब एक महीने बाद कोरोना के 2 हज़ार से कम यानी 1,569 नए मामले सामने आए हैं | इसमें से 43 फीसदी से ज्यादा यानी 663 मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए हैं। 
  • एम. के. भद्रकुमार
    श्रीलंका की मौजूदा स्थिति ख़तरे से भरी
    17 May 2022
    यहां ख़तरा इस बात को लेकर है कि जिस तरह के राजनीतिक परिदृश्य सामने आ रहे हैं, उनसे आर्थिक बहाली की संभावनाएं कमज़ोर होंगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License