NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
कृषि
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
झारखंड-बिहार: देश के किसानों की हुंकार, खेत–किसान पर कंपनी राज नहीं स्वीकार!
झारखंड की राजधानी रांची में किसान संघर्ष समन्वय समिति के घटक किसान संगठनों तथा वामपंथी दलों द्वारा प्रतिवाद मार्च निकाल कर अलबर्ट एक्का चौक पर विरोध प्रदर्शित किया गया।
अनिल अंशुमन
25 Sep 2020
देश के किसानों की हुंकार

“...अनाज उपजाने में तुमने कभी बहाया नहीं पसीना फिर तुम कैसे तय करोगे किसान का जीना? अन्न उपजाते किसान हैं तो उसे बेचेंगे भी किसान ही। तुमने किसानों के उपजाए अनाज से हमेशा अपना पेट पाला है, उसकी मेहनत–पसीने का किया नहीं सम्मान कभी, आत्महत्या करके मरते रहे किसान और तुम बनाते रहे सिर्फ उसके आंकड़े! किसान खेती करेगा–कैसे करेगा–किसके लिए करेगा और कब करेगा... अनाज कौन बेचेगा, कौन खरीदेगा– कैसे खरीदेगा–कब खरीदेगा और क्यों खरीदेगा, यह सब कौन तय करेगा, अन्नदाता किसान अथवा तुम और मुनाफाखोर कंपनियां? आज तक तो एम्एसपी की भी गारंटी तो कर न सके। इसीलिए ज़रूरी है कि खेती – किसानी – खाद्य सुरक्षा की गुलामी के लिए लाये गए तुम्हारे कृषि सम्बन्धी काले कानूनों को तुम जितनी ज़ल्द हो वापस लो , इन्साफ का यही तकाज़ा है!”

...ऐसे ढेरों पोस्ट आज सोशल मीडिया में लगातार वायरल हो रहें हैं। जिसे लिखनेवाले कहीं से भी किसान नहीं हैं लेकिन खस्ताहाल बना दिए गये और बदहाल बना दिए गए देश के अन्नदाता किसानों की दुरावस्था को खुली आँखों देख  कर व्यथित और क्षुब्ध हैं। 25 सितम्बर को देशभर के किसानों कि ओर से विभिन्न किसान संगठनों के आह्वान पर मोदी सरकार द्वारा लाये गए कृषि सम्बन्धी व खाद्य सुरक्षा से जुड़े काले कानूनों के खिलाफ ‘ भारत बंद ’ और राष्ट्रिय प्रतिरोध दिवस मनाया गया। सभी वामपंथी पार्टियों के अलावा विभिन्न सामाजिक जन संगठन भी सक्रिय समर्थन देते हुए इस राष्ट्रव्यापी अभियान को सफल बनाने के लिए सड़कों पर उतरे।

kisan prot. 02.jpg

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के विभिन्न घटक किसान संगठनों तथा  वामपंथी पार्टियों व संगठनों के साथ साथ कई सामाजिक संगठनों ने झारखण्ड और बिहार के कई इलाकों में व्यापक रूप से इसे सफल बनाया। जिसके तहत विरोध मार्च निकालकर तथा कई स्थानों पर राष्ट्रीय राजमार्गों को जाम कर –‘ देश के किसानों का ऐलान, नहीं चलेगा मोदी फरमान! मोदी सरकार होश में आओ, देश के किसानों से मत टकराओ! इत्यादि नारे लिखे बैनर–पोस्टरों के जरिये विरोध प्रदर्शित किया गया ।

झारखण्ड की राजधानी रांची में किसान संघर्ष समन्वय समिति के घटक किसान संगठनों तथा वामपंथी दलों द्वारा प्रतिवाद मार्च निकाल कर अलबर्ट एक्का चौक पर विरोध प्रदर्शित किया गया।

kisan wirodh 13.jpg

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सभी वक्ताओं द्वारा पूर्व में देश के किसानों के लिए बनी स्वामीनाथन आयोग कि सिफारिशों को लागू करने की मांग की। साथ ही गढ़वा, रामगढ़, बुंडू व जमशेदपुर के अलावा उत्तरी छोटानागपुर के गिरिडीह जिले व अन्य कई स्थानों पर भी अखिल भारतीय किसान महासभा व भाकपा माले के संयुक्त तत्वावधान में इस अभियान को सफल बनाया गया। 

बिहार की राजधानी पटना में भाकपा माले राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर व कई पोलित ब्यूरो सदस्यों के नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा मार्च निकाला गया। जिसे संबोधित करते हुए माले माहासचिव ने कहा कि जो सरकार किसान विरोधी होती है उसे जाना पड़ता है। इसलिए बिहार चुनाव में भी दिखेगा किसानों का आक्रोश। वहीं बुद्ध पार्क के समीप अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव राजाराम सिंह के नेतृत्व में भारत बंद के समर्थन में सड़कों पर विरोध प्रदर्शित किया गया।

kisan prot. 05.jpg

किसानों के भारत बंद और राष्ट्रीय प्रतिरोध दिवस कार्यक्रम को सफल बनाने का आह्वान करनेवाले सभी किसान संगठनों ने आम लोगों के नाम जारी अपील में कहा है कि मोदी सरकार कृषि सम्बन्धी बिल को पास कराकर लागू करने की इतनी उतावली क्यों है इस पर गौर करने की ज़रूरत है। जबकि देश के सारे किसान सड़कों पर हजारों हज़ार की संख्या में इकट्ठे होकर विरोध कर रहें हैं। वे समझ रहें हैं कि मोदी सरकार देश के सभी सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपने के बाद अब देश के किसान–खेती और अन्न उत्पादन पर भी कॉर्पोरेट वर्चस्व स्थापित करना चाहती है। जो वास्तव में खेती - किसानी और देश की जनता की खाद्य सुरक्षा की गुलामी का दस्तावेज़ है। कॉर्पोरेट और मल्टीनेशनल कम्पनियों के बेलगाम मुनाफा गारंटी के लिए ही सरकार अब कॉर्पोरेट फार्मिंग के जरिये गाँव की खेती–किसानी पर इनका नियंत्रण करना चाहती है। जिससे किसान अंततोगत्वा कंपनी का गुलाम बनकर रह जाएगा जो अपनी मर्ज़ी से न खेती कर पायेगा और न ही उसकी फसल को बेच सकेगा।

पूरी मंडी - अन्न भण्डारण और फसल की सरकारी खरीद व्यवस्था के समानांतर एक अलग व्यवस्था के थोप रही है ताकि किसानों के पुरे अनाज पर उनका कब्ज़ा हो जाए। वहीं आवश्यक वास्तु अधिनियम में बदलाव करके अनाज–खाद्यानों की मनमाना जमाखोरी–काला बाजारी से अकूत मुनाफा व लूट का रास्ता प्रशस्त किया जा रहा है। सरकार चीख चीखकर जितना भी कह ले कि इससे किसानों आजादी है, लेकिन असल में यह मुनाफाखोर देशी विदेशी कंपनियों की गुलामी है। इसीलिए राज्यसभा में बिना विपक्ष के संशोधनों को सुने और इस पर मत विभाजन कराये जबरदस्ती इन बिलों को पास कराया गया। जो देश के संसदीय इतिहास में एक काला अध्याय के रूप में याद किया जाएगा। देश के किसान गुलामी के इस दस्तावेज़ को किसी भी कीमत पर मंज़ूर नहीं करेंगे। इसीलिए आज इसके खिलाफ पूरे देश के किसान सड़कों पर विरोध प्रदर्शित कर रहे हैं।

kisan wirodh 4.jpg

झारखण्ड सरकार व मुख्यमंत्री ने भी किसान विरोधी इस बिल का कड़ा विरोध किया है। मानसून सत्र के समापन के दिन ही सरकार के घटक दलों ने विधान सभा परिसर के बाहर बैलगाड़ी निकलकर विरोध प्रदर्शित किया।

वहीं बिहार विधानसभा चुनाव की अहम् बेला में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार किसान विरोधी उक्त तीनों बिल की शान में जितने कसीदे पढ़ रहें हैं। लेकिन ज़मीनी हकीक़त यही है कि एनडीए शासन द्वारा लाये गए इन कृषि कानूनों के खिलाफ देश के किसानों के साथ साथ बिहार के किसानों में भी भारी संदेह और बेचैनी है। जिसे व्यक्त करता सोशल मीडिया का एक पोस्ट भी समय संदर्भित है कि – “वो लूट रहें हैं सपनों को, चैन से कैसे सो जाऊं मैं /  वो बेच रहें हैं देश को खामोश कैसे रह जाऊं मैं / जो किसान का नहीं, वो किसी का नहीं...!”

Bihar
Jharkhand
Farmer protest
Farm Bills
Bharat Bandh
All India Kisan Sangharsh Samiti
CPIML
Bihar Elections 2020
BJP
Narendra modi
Hemant Soren
Hemant Sarkar

Related Stories

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

वाम दलों का महंगाई और बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ कल से 31 मई तक देशव्यापी आंदोलन का आह्वान

पंजाब: आप सरकार के ख़िलाफ़ किसानों ने खोला बड़ा मोर्चा, चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर पर डाला डेरा

झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 


बाकी खबरें

  • general strike
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्यों है 28-29 मार्च को पूरे देश में हड़ताल?
    27 Mar 2022
    भारत के औद्योगिक श्रमिक, कर्मचारी, किसान और खेतिहर मज़दूर ‘लोग बचाओ, देश बचाओ’ के नारे के साथ 28-29 मार्च 2022 को दो दिवसीय आम हड़ताल करेंगे। इसका मतलब यह है कि न सिर्फ देश के विशाल विनिर्माण क्षेत्र…
  • Bhagat Singh
    न्यूज़क्लिक टीम
    शहीद भगत सिंह के इतिहास पर एस. इरफ़ान हबीब
    27 Mar 2022
    'इतिहास के पन्ने मेरी नज़र से' के इस एपिसोड में नीलांजन ने बात की है इतिहासकार एस. इरफ़ान हबीब से भगत सिंह के इतिहास पर।
  • Raghav Chadha
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: पंजाब में राघव चड्ढा की भूमिका से लेकर सोनिया गांधी की चुनौतियों तक..
    27 Mar 2022
    हर हफ़्ते की प्रमुख ख़बरों को लेकर एकबार फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन…
  • jaunpur violence against dalits
    विजय विनीत
    उत्तर प्रदेश: योगी के "रामराज्य" में पुलिस पर थाने में दलित औरतों और बच्चियों को निर्वस्त्र कर पीटेने का आरोप
    27 Mar 2022
    आरोप है कि बदलापुर थाने में औरतों और बच्चियों को पीटने से पहले सीसीटीवी कैमरे बंद कर दिए गए। पहले उनके कपड़े उतरवाए गए और फिर बेरहमी से पीटा गया। औरतों और लड़कियों ने पुलिस पर यह भी आरोप लगाया कि वे…
  • सोनिया यादव
    अपने ही देश में नस्लभेद अपनों को पराया बना देता है!
    27 Mar 2022
    भारत का संविधान सभी को धर्म, जाति, भाषा, वेशभूषा से परे बिना किसी भेदभाव के एक समान होने की बात करता है, लेकिन नस्लीय भेद इस अनेकता में एकता की भावना को कलंकित करता है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License