NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
सुप्रीम कोर्ट को दिखाने के लिए बैरिकेड हटा रही है सरकार: संयुक्त किसान मोर्चा
पुलिस टिकरी बॉर्डर और ग़ाज़ीपुर मोर्चों पर कुछ बैरिकेड को हटा रही है, एसकेएम नेताओं ने कहा है कि वे सही साबित हुए हैं कि पुलिस ने ही सड़कों को अवरुद्ध कर रखा था।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
30 Oct 2021
kisan andolan
Image courtesy : The Indian Express

किसान आंदोलन दिल्ली के बॉर्डर पर शुरू हुआ और अब इसे 338 दिन हो गए हैं। पिछले दो तीन दिनों से एक बार फिर आंदोलन स्थलों पर हलचल शुरू हो गई है। आंदोलनकारी किसान आशंकित हैं कहीं पुलिस आंदोलन को कुचलने का प्रयास तो नहीं कर रही है। 

गुरुवार से दिल्ली पुलिस प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ सड़कों पर लगाए गए बैरिकेड्स और विभिन्न अन्य बाधाओं को हटाने के लिए विशेष प्रयास कर रही है। ऐसा टिकरी मोर्चा के साथ-साथ गाजीपुर मोर्चा पर भी हो रहा है।

संयुक्त किसान मोर्चा(एसकेएम) के नेताओं ने यह भी कहा है कि विरोध करने वाले किसान सही साबित हुए हैं- यह पुलिस है जिसने सड़कों को अवरुद्ध किया है किसानों ने नहीं। यही किसानों ने पहले भी समझाने की कोशिश की थी। प्रदर्शनकारियों ने पहले भी यातायात की जगह दी थी और अब भी ऐसा ही किया जा रहा है।

कल यानी शुक्रवार देर रात टिकरी बॉर्डर पर अचानक माहौल तनावपूर्ण बन गया, पुलिस और किसान आमने सामने आ गए। हालाँकि ये कुछ ही देर में शांत हो गया। पुलिस पीछे हट गई और किसान मुख्य मंच की तरफ चले गए। इन सब घटनाओं के बाद बॉर्डरों पर किसानों की संख्या बढ़ने लगी है और एसकेएम ने भी किसानो को किसी भी परिस्थति के लिए तैयार रहने को कहा है। टिकरी की तरह ही गाजीपुर बॉर्डर पर भी आस पास के किसान पहुंचने लगे हैं और रात से ही युवा किसानों की टोलियाँ पहरा दे रही हैं। जिससे अगर प्रशासन रात के अंधरे में आंदोलन को खत्म कराने का प्रयास करे तो उससे मुकाबला किया ज सके।

संयुक्त किसान मोर्चा के बरिष्ठ नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि सरकार बौखला गई है। लेकिन हम डरने वाले नहीं हैं हम अपनी एकता से सरकार को काबू कर लेंगे। हम हर परिस्थिति के लिए तैयार हैं।

टिकरी बॉर्डर पर पहले दिन से मौजूद युवा किसान नेता और हरियाणा किसान सभा के सचिव सुमित ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने रात में बैरिकेट्स खोलने का प्रयास किया था। जिसका किसानो ने प्रतिरोध किया, क्योंकि अभी भी यहाँ से गाड़ियाँ गुजरती हैं जिनसे हादसे हो रहे हैं, अभी कुछ दिन पहले ऐसे ही एक हादसे में तीन माताओ की मौत हो गई थी। अगर ये रास्ता खुलता है तो ऐसे हादसे और बढ़ेंगे। हालाँकि अभी भी मंच के पीछे कंक्रीट की दीवार और बैरिकेट्स लगे हुए हैं। हालाँकि बीच में लगे कील और गढ्ढों को साफ किया गया है। 

सुमित ने कहा- हमारी एक ही मांग है सरकार ये काले कानूनों को वापस ले और एमएसपी की गारंटी दे। हम दिल्ली जाने आए थे। सरकार ने हमे यहाँ ही रोका है, सरकार हमें दिल्ली जाने दे। आंदोलन को बदनाम करने के लिए ऐसे प्रपंच और ढोंग न करे सरकार। 

ये भी पढ़ें: लखीमपुर खीरी कांड के बाद हरियाणा में प्रदर्शनकारी महिला किसानों को ट्रक ने कुचला, तीन की मौत

आगे उन्होंने कहा संयुक्त मोर्चा इसपर नज़र बनाए हुआ है। 6 तारीख को मोर्चे की मीटिंग है उसमें हम इस पर फैसला करेंगे। 

हालाँकि प्रशासन द्वारा बैरिकेट्स को कम करने को लेकर एसकेएम ने कहा कि ये सब सुप्रीम कोर्ट को प्रभावित करने के लिए किया जा रहा है। 

एसकेएम ने अपने बयान में कहा कि यह सर्वविदित है कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के साथ ऐसा व्यवहार किया है जैसे कि वे भारत के दुश्मन हैं और देश की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। पुलिस ने विशाल सीमेंट बोल्डर, धातु के बैरिकेड्स की 9 परतें, सड़कों पर रेत के ट्रक लगाकर और सड़क पर कीलों की कई परतों को ठोक कर मोर्चा स्थल को किलेबंद किया है। नवीनतम आख्यान में, जाहिर तौर पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय को प्रभावित करने के लिए, इन बैरिकेड्स को आंशिक रूप से हटाने का काम किया जा रहा है। एसकेएम इन घटनाओं पर नज़र रखे हुए है, और भाजपा सरकार के युद्धाभ्यास को देख रहा है।

दिल्ली बॉर्डर पर रास्ते बंद होने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी डाली गई, सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणियां भी कीं, लेकिन किसान नेताओं ने साफ़ कर दिया कि रास्ते उन्होंने नहीं दिल्ली पुलिस ने बंद किए हैं। हरियाणा सरकार ने भी इससे अपना पल्ला झाड़ लिया और कहा उन्होंने कोई रास्ता नहीं रोका है। ऐसे में ये संदेश जा रहा था की रास्तो को अवरुद्ध पुलिस ने किया है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 7 नवंबर को है उससे पहले ये कार्रवाई कर दिल्ली पुलिस अपने हाथ साफ करना चाहता है। 

आपको मालूम है कि दिल्ली के ग़ाज़ीपुर बार्डर, टिकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर किसान 11 महीने से आंदोलन कर रहे हैं। ये किसान 26 नवंबर को पंजाब ,हरियाणा और उत्तर प्रदेश से दिल्ली कूच पर निकले थे। परन्तु पुलिस ने भारी बल प्रयोग कर इन्हे दिल्ली की सीमाओं में प्रवेश नहीं दिया। जिसके बाद हजारों-हज़ार किसान केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में बॉर्डर पर ही बैठे गए। जिसके बाद मज़बूरी में सरकार ने किसान नेताओं से वार्ता शुरू की। परन्तु 11 दौर की वार्ता में कोई हल नहीं निकला। जिसके बाद सरकार ने किसानो से पुनः संवाद स्थापित करने का कोई ठोस प्रयास नहीं किया। हालाँकि टीवी और रैलियों में बार-बार कहती रही कि वो वार्ता के लिए तैयार है। इस बीच ,26 जनवरी की लाल किले वाली घटना के बाद से ही सिंघु, गाजीपुर और टिकरी बॉर्डर पर बड़ी संख्या में बैरिकेड लगाकर और सड़क पर कीलें बिछाकर आवाजाही रोक दी गई थी। अब यह देखना है जिस तरह सरकार रास्ता खोलने का प्रयास कर रही है क्या वो किसानों से वार्ता करने का भी रास्ता खोलेगी।

kisan andolan
farmers protest
Supreme Court
Barricades Removes
Ghazipur Border
delhi police
Tikri Border

Related Stories

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

लंबे संघर्ष के बाद आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायक को मिला ग्रेच्युटी का हक़, यूनियन ने बताया ऐतिहासिक निर्णय

मुस्लिम विरोधी हिंसा के ख़िलाफ़ अमन का संदेश देने के लिए एकजुट हुए दिल्ली के नागरिक

मोदी सरकार की वादाख़िलाफ़ी पर आंदोलन को नए सिरे से धार देने में जुटे पूर्वांचल के किसान

ग़ौरतलब: किसानों को आंदोलन और परिवर्तनकामी राजनीति दोनों को ही साधना होगा

दिल्ली दंगों के दो साल: इंसाफ़ के लिए भटकते पीड़ित, तारीख़ पर मिलती तारीख़

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार

किसानों को आंदोलन और राजनीति दोनों को साधना होगा

किसानों ने 2021 में जो उम्मीद जगाई है, आशा है 2022 में वे इसे नयी ऊंचाई पर ले जाएंगे

जानिए: अस्पताल छोड़कर सड़कों पर क्यों उतर आए भारतीय डॉक्टर्स?


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार : गेहूं की धीमी सरकारी ख़रीद से किसान परेशान, कम क़ीमत में बिचौलियों को बेचने पर मजबूर
    30 Apr 2022
    मुज़फ़्फ़रपुर में सरकारी केंद्रों पर गेहूं ख़रीद शुरू हुए दस दिन होने को हैं लेकिन अब तक सिर्फ़ चार किसानों से ही उपज की ख़रीद हुई है। ऐसे में बिचौलिये किसानों की मजबूरी का फ़ायदा उठा रहे है।
  • श्रुति एमडी
    तमिलनाडु: ग्राम सभाओं को अब साल में 6 बार करनी होंगी बैठकें, कार्यकर्ताओं ने की जागरूकता की मांग 
    30 Apr 2022
    प्रदेश के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 22 अप्रैल 2022 को विधानसभा में घोषणा की कि ग्रामसभाओं की बैठक गणतंत्र दिवस, श्रम दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती के अलावा, विश्व जल दिवस और स्थानीय शासन…
  • समीना खान
    लखनऊ: महंगाई और बेरोज़गारी से ईद का रंग फीका, बाज़ार में भीड़ लेकिन ख़रीदारी कम
    30 Apr 2022
    बेरोज़गारी से लोगों की आर्थिक स्थिति काफी कमज़ोर हुई है। ऐसे में ज़्यादातर लोग चाहते हैं कि ईद के मौक़े से कम से कम वे अपने बच्चों को कम कीमत का ही सही नया कपड़ा दिला सकें और खाने पीने की चीज़ ख़रीद…
  • अजय कुमार
    पाम ऑयल पर प्रतिबंध की वजह से महंगाई का बवंडर आने वाला है
    30 Apr 2022
    पाम ऑयल की क़ीमतें आसमान छू रही हैं। मार्च 2021 में ब्रांडेड पाम ऑयल की क़ीमत 14 हजार इंडोनेशियन रुपये प्रति लीटर पाम ऑयल से क़ीमतें बढ़कर मार्च 2022 में 22 हजार रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गईं।
  • रौनक छाबड़ा
    LIC के कर्मचारी 4 मई को एलआईसी-आईपीओ के ख़िलाफ़ करेंगे विरोध प्रदर्शन, बंद रखेंगे 2 घंटे काम
    30 Apr 2022
    कर्मचारियों के संगठन ने एलआईसी के मूल्य को कम करने पर भी चिंता ज़ाहिर की। उनके मुताबिक़ यह एलआईसी के पॉलिसी धारकों और देश के नागरिकों के भरोसे का गंभीर उल्लंघन है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License