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देशभर में किसानों ने मनाया ‘संपूर्ण क्रांति दिवस’, कृषि क़ानूनों की प्रतियां जलाईं, टोहाना रहा प्रमुख केंद्र
उत्तर प्रदेश में पुलिस ने कई किसान नेताओ को घर में ही नज़रबंद कर दिया। जबकि हरियणा में संपूर्ण क्रांति दिवस के साथ ही टोहाना में संयुक्त मोर्चा के नेतृत्व में हज़ारों की संख्या में किसानों ने पुलिस थाने का घेराव किया।
मुकुंद झा
05 Jun 2021
 देशभर में किसानों ने मनाया ‘संपूर्ण क्रांति दिवस’, कृषि क़ानूनों की प्रतियां जलाईं, टोहाना रहा प्रमुख केंद्र

आज यानी 5 जून को देशभर में किसानों ने संपूर्ण क्रांति दिवस मनाया। हरियाणा, पंजाब के साथ ही देश के बाकी अन्य राज्य जैसे मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश ,तमिलनाडु, बिहार सहित तामाम राज्यों में इसका असर देखने को मिला। कई राज्यों में बीजेपी विधायक और सांसदों का घेराव हुआ तो कहीं जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया गया।

उत्तर प्रदेश में पुलिस ने कई किसान नेताओ को घर में ही नज़रबंद कर दिया। जबकि हरियणा में संपूर्ण क्रांति दिवस के साथ ही टोहाना में संयुक्त मोर्चा के नेतृत्व में हज़ारों की संख्या में किसानों ने पुलिस थाने का घेराव किया। किसान, जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के विधायक पर मुक़दमा दर्ज करने और गिरफ़्तार किसानों की रिहाई की मांग कर रहे थे। जिसे प्रशासन किसान आंदोलन के दबाव में मानने को लगभग तैयार हो गया।

आपको बता दे पिछले साल 5 जून को केंद्र सरकार द्वारा अध्यादेश के जरिये तीन कृषि कानून लाए गए थे। किसान संगठन इसे किसान विरोधी व जन विरोधी बताते हुए तभी से इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कोरोना लॉकडाउन की आड़ में सरकार ने देश की जनता पर तीन कानून थोपे जिसका किसानों व आम नागरिकों ने खुलकर विरोध किया। इन कृषि कानूनों का बड़े पैमाने पर विरोध हुआ और दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 6 महीनों से ज्यादा समय से विशाल आंदोलन चल रहा है। किसान नेताओं का कहना है इसी तरह सरकार के फासीवादी और शोषणकारी रवैया के खिलाफ 1974 में जयप्रकाश नारायण एवं अन्य नेताओं के नेतृत्व में एक जन आंदोलन हुआ था। 5 जून 1974 को जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था एवं अंत में केंद्र सरकार को उसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा था। इसलिए संयुक्त किसान मोर्चा ने भी 5 जून को “संपूर्ण क्रांति दिवस” मानाने का आवाह्न किया।

इस दौरान देशभर में भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दलों के नेताओं के दफ्तरों और घरों के बाहर कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर विरोध किया गया। यह विरोध लगभग शांतमयी था एवं केंद्र सरकार को सीधी चेतावनी थी कि देश की जनता को यह कानून मंजूर नहीं है।

आइए आज राज्यों से आई रिपोर्टों पर एक नज़र डालते हैं -

हरियाणा में बीजेपी विधायकों और सांसदों के घेराव हुए लेकिन चर्चा का केंद्र रहा टोहाना

वैसे इस किसान आंदोलन की शुरुआत पंजाब से हुई थी परन्तु 26 नवम्बर 2020 के दिल्ली चलो के आह्वान के बाद से इसका मुख्य केंद्र हरियाणा ही रहा है। वहां किसान पिछले कई महीनों से बीजेपी के नेता और उनके चुने हुए जनप्रतिनिधियों का खुलकर तीखा विरोध कर रहे है। किसानों का विरोध इतना तीखा है की मुख्यमंत्री और उनके सहयोगी मंत्री भी सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं कर पा रहे हैं। आज भी संपूर्ण क्रांति दिवस का असर पूरे हरियाणा में देखने को मिला। हिसार, रोहतक, पानीपत सहित पूरे हरियाणा में किसान सड़कों पर उतरे और विरोध प्रदर्शन किया। लेकिन हरियाणा का टोहाना आज पूरे दिन चर्चा में रहा क्योंकि संयुक्त मोर्चा के नेता गुरुनाम सिंह चढूनी, राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव सहित राज्य के बड़े किसान नेता हज़ारों किसानों के साथ टोहाना थाने में गिरफ़्तारी देने पहुंचे। सुबह से ही किसानों का जमावाड़ा लगना शुरू हो गया था जिसके बाद आनाज मंडी में जनसभा हुई और उसके बाद किसान टोहाना थाने के घेराव के लिए निकले। जिसे देखकर प्रशासन के हाथ पाँव फूलने लगे। हालंकि उन्होंने पहले कोशिश की थी की किसान एकत्रित न हो सकें लेकिन वो नाकमयाब रहे। किसानों ने हज़ारों की संख्या में थाने का घेराव किया। किसानों की एक ही मांग थी कि गिरफ़्तार किसानों को रिहा करो या हमें भी गिरफ़्तार करो। जिसके बाद जन दबाव में प्रशासन उनकी मांगे मानने को तैयार दिखा। विधायक दवेंद्र बबली जिनपर किसानों के साथ अभद्रता का आरोप है। वो भी किसानों से बिना शर्त माफ़ी मांगने को तैयार हुए। दूसरी तरफ प्रशासन को गिरफ़्तार किसानों की रिहाई के लिए किसान दबाव बना रहे है । 

​​​​​अभी तक की जानकारी के मुताबिक़ टोहाना में विधायक ने माफी मांगी है लेकिन प्रशासन जेल में बंद किसान नेताओं की रिहाई की बात फिलहाल नही मानी है। किसानों और प्रशासन की बातचीत में गतिरोध, किसान थाने में धरने पर बैठे। सभी साथी समाधान होने तक यहाँ बैठे रहेंगे। 

इससे पहले पुलिस द्वारा टोहाना में लगातार हो रही गिरफ्तारियों पर संयुक्त मोर्चे ने कहा था सरकार को मुकदमे दर्ज करने व गिरफ्तारी करने का शौक कल (शनिवार) पूरा करेंगे।

किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा था सरकार अपनी जेल तैयार करे, देखेंगे कि सरकार के पास कितनी जेल हैं। सरकार की नाक रगड़ने तक ही दम लेंगे।

आज किसानों के सामने हरियाणा सरकार घुटने टेकते दिखी इससे पहले हिसार में प्रशासन को बिना शर्त माफ़ी के साथ सभी किसानों को रिहा और मुक़दमे वापस लेने पड़े थे।

हरियाणा किसान सभा के सचिव सुमित ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा "आज पुरे हरियाणा में किसान सड़को पर विरोध प्रदर्शन कर रहा है।  टोहाना में किसानों के दबाबा में प्रशासन झुका और विधायक ने माफी भी मांगी।  लेकिन हम ये समझ चुके है ये सरकार की चाल है ये इस तरह की हरकतों से लोगो का ध्यान व्यापक आंदोलन से भटकना चाहती है।  आज भी पंचकूला और कैथल में विरोध कर रहे किसानो पर पुलिस ने बल प्रयोग किया है।  हम सरकार को बता देना चाहते है हम बॉर्डर पर भी लड़ेंगे और इनकी इन हरकतों का भी जवाब देंगे। "

टोहाना का पूरा मामला क्या है ?

हरियाणा में मंगलवार को टोहाना से जननायक जनता दल (जेजेपी) के विधायक देवेन्द्र बबली पर किसानों को गाली देने का आरोप लगा था, जिसके बाद वो बड़ी मुश्किल से अपनी गाड़ी के साथ किसानों के बीच से निकल पाए थे। किसानों ने उन्हें उनकी ही गाड़ी में बंधक बना लिया था, बाद में पुलिस की मदद से वे बाहर निकल पाए। बुधवार को विधायक से नाराज़ किसानों का टोहाना में बड़ा प्रदर्शन हुआ। टोहाना के हिसार रोड स्थित टाउन पार्क के बाहर हजारों किसान सड़क पर ही एकत्रित हुए। किसान एक काफ़िले को लेकर एसडीएम कार्यालय की तरफ चले और हज़ारों किसानों ने एसडीएम कार्यालय का घेराव किया और वहीं पर अपनी सभा का संचालन भी किया। जिसके बाद प्रशासन ने बातचीत के लिए किसानों के प्रतिनिधियों को बुलाया जिसमें स्थानीय नेताओं के साथ ही संयुक्त किसान मोर्चे के नेता भी शामिल हुए।

इस मीटिंग और इसके बाद किसानों की अपनी एक संयुक्त मीटिंग हुई। जिसके बारे में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष और संयुक्त मोर्चा के नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने जानकारी दी कि प्रशासन ने कुछ समय मांगा है। जिसके बाद किसानों ने भी उन्हें समय देने का एलान किया और हम 6 जून से पहले कोई विरोध प्रदर्शन नहीं करेंगे। परन्तु इस बीच प्रशासन ने किसानों की गिरफ्तरियाँ शुरू कर दी और तीन किसानों को गिरफ़्तार कर लिया था। उसी से गुस्साए किसान हज़ारों की संख्या में अपनी गिरफ़्तारी देने पहुंचे।

 राकेश टिकैत ने कहा अगर वे किसान दोषी है तो हम भी दोषी हैं क्योंकि हम भी उनके साथ ही विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।

 उत्तर प्रदेश : किसान नेताओं को किया गया नज़रबंद, किसान नेताओं ने घरो में जलाई कृषि कानून की प्रतियां

 संयुक्त किसान मोर्चा, जिसका अखिल भारतीय किसान सभा एक मुख्य घटक है, ने आज 5 जून को भाजपा के सांसदों एवं विधायकों तथा सरकारी दफ्तरों के सामने इन तीनों कानूनों की प्रतियां जलाने की अपील की थी। उक्त कार्यक्रम के अंतर्गत उत्तर प्रदेश किसान सभा द्वारा भी कानूनों की प्रतियां जलाने का कार्यक्रम था। परंतु आज ही सुबह-सुबह ही कई जिलों में सरकार ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी  और किसान नेताओं को उनके निवास स्थान पर ‘हाउस अरेस्ट’ कर लिया। इस दौरान पूरे घर को पुलिस ने घेरे रखा।

ऐसे ही एक नेता है फर्रुखाबाद के माकपा जिलामंत्री सुनील कुमार कटियार जो उत्तर प्रदेश किसान सभा फर्रुखाबाद के सह संयोजक भी हैं, उन्होंने पुलिस की मौजूदगी में ही अपने घर पर तीनों किसान विरोधी कानूनों की प्रतियां जलाईं तथा जमकर नारेबाजी की।

 

सुनील कुमार कटियार का कहना है कि इन तीनों कानूनों के लागू होने से सरकारी मंडियों की आय घटकर आधी से भी कम रह गई है और मुनाफाखोर बड़े व्यापारी और कारपोरेट कृषि उत्पादों को औने-पौने दामों पर खरीद कर जमा कर रहे हैं, तथा बाजार में महंगा बेच रहे हैं। ठेका खेती के कानून से किसान अपनी जमीन से हाथ धोने के कगार पर है, सरकार की खाद्यान्न सुरक्षा एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली बुरी तरह ध्वस्त हो रही है, किसानों की उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है। सरकार किसानों के आंदोलन तथा जनविरोध से बुरी तरह भयभीत है, इसी कारण शांति पूर्ण विरोध को भी दबाना चाहती है, जो असंभव है। विरोध लगातार जारी रहेगा।

कटियार ने यह भी कहा कि सरकार द्वारा डाली जा रही तमाम रुकावटों के बावजूद सरकार की जनविरोधी तथा जनता के लिए घातक नीतियों का निरंतर विरोध किया जाता रहेगा।

पंजाब में किसानों ने कृषि कानूनों की प्रतियां जलायीं

किसानों ने शनिवार को पंजाब में भाजपा नेताओं के आवास के पास और अन्य स्थानों पर केंद्र के तीन कृषि कानूनों की प्रतियां जलायीं।

काला झंडा थामे किसानों ने इन कानूनों को वापस नहीं लिए जाने को लेकर भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और कहा कि इन कानूनों से कृषक समुदाय बर्बाद हो जाएगा।

कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रदर्शन स्थलों के आसपास पुलिसकर्मियों की तैनाती की गयी और बैरिकेड लगाए गए।

फगवाड़ा में अर्बन एस्टेट में किसानों ने केंद्रीय मंत्री सोम प्रकाश के आवास के पास कृषि कानूनों की प्रतियों में आग लगा दी। प्रदर्शनकारी जीटी रोड के पास जमा हुए और केंद्रीय मंत्री के आवास की ओर निकले।

 प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए प्रकाश के आवास की तरफ जाने वाली सड़क पर पुलिस ने बैरिकेड लगा रखे थे। विरोध के समय प्रकाश आवास पर नहीं थे।

किसानों ने मोहाली जिले में प्रकाश के आवास के पास भी प्रदर्शन किया। किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पुलिस ने बैरिकेड लगा रखे थे।

 चंडीगढ़ में भी किसानों ने प्रदर्शन किया।

तमिलनाडु: किसानों ने तीन नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की, उनकी प्रतियां जलायी

 तमिलनाडु के किसान संगठन विवासायिगल संगम के सदस्यों ने एक साल पहले केंद्र द्वारा बनाये गए तीन कृषि कानूनों की प्रतियां शनिवार को जलाते हुए उन्हें रद्द करने की मांग की।

 राज्य के विभिन्न हिस्सों में किसानों ने चेहरे पर मास्क पहनकर और सामाजिक दूरी का पालन करते हुए छोटे-छोटे समूहों में एकत्रित होकर प्रदर्शन किया।

देशभर में किसानों के साल भर लंबे प्रदर्शन और नयी दिल्ली में आंदोलन के दौरान उनके बलिदानों को याद करते हुए संगम के प्रदेश महासचिव पी षडमुगम ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन से विधानसभा में इन कृषि कानूनों के खिलाफ एक प्रस्ताव पास करने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे मुख्यमंत्री ने कृषक समुदाय के कल्याण के लिए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए हाल ही में केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। स्टालिन को जल्द ही विधानसभा में इन कानूनों के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए।’’

 चेन्नई के समीप तम्बरम में षडमुगम के नेतृत्व में 15 लोगों ने कानूनों की प्रतियां जलाईं।

इसके तुरंत बाद पुलिसकर्मियों ने पानी डालकर आग बुझायी।

षडमुगम ने कहा कि उनका प्रदर्शन पांच जून को हो रहा है जिस दिन 2020 में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अध्यादेश लागू किए थे।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि तिरुवरुर, तंजावुर और नागपत्तिनम जैसे कुछ जिलों में भाकपा और माकपा ने उन्हें समर्थन दिया है।

मध्यप्रदेश : गुना, ग्वलियर सहित कई शहरो में प्रदर्शन कर जलाई कृषि कानूनों की प्रतियां

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और माकपा ने ग्वालियर से बीजेपी सांसद विवेक सेजवलकर और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का घर और गुना में पंचायत मंत्री के कार्यालय के सामने काले कानूनों की प्रतियां जलाकर विरोध प्रदर्शन किया गया ।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति जिला गुना के नेतृत्व में 5 जून को दोपहर 2 वजे प्रदेश के पंचायत मंत्री के अंबेडकर चौराहा स्थित कार्यालय के सामने काले कानूनों की प्रतियां जलाकर सम्पूर्ण क्रान्ति दिवस मनाया गया। समिति के अनुसार कानूनों की प्रतियां जलाने के समय गुना पुलिस कोतवाली के टीआई मदन मोहन मालवीय ने प्रदर्शन कर रहे मात्र 6 कार्यकर्ताओं को अनावश्यक रूप से गिरफ़्तार करने का प्रयास किया था परन्तु कानून का उल्लंघन न होने की स्थिति को समझकर एसडीएम के हस्तक्षेप के चलते प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हुआ।

 

राजस्थान : किसान व जन संगठनों का कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आज किशनसिंह ढाका स्मृति भवन से कार्यकर्ता मोदी सरकार से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करने वाले नारे लगाते हुए जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे।

स्थानीय सांसद का कलेक्ट्रेट स्थित कार्यालय बंद होने के चलते कलेक्ट्रेट पर कार्यकर्ताओं को संयुक्त किसान मोर्चा के नेता दिनेश जाखड़, सागर खाचरिया,बी एल मील, किशन पारिक सहित अन्य लोगों ने संबोधित करते हुए कहा कि 500 से ज्यादा किसान अब तक आंदोलन में शहादत दे चुके हैं लेकिन मोदी सरकार हठधर्मिता का रुख अपनाए हुए हैं।

 नेताओं ने कहा कि आज से आंदोलन नये चरण में प्रवेश करेगा और नए इलाकों तक इसका विस्तार किया जाएगा। प्रदर्शन के बाद तीनों काले कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई गईं।

 इसी तरह दूजोद टोल प्लाजा पर भी कृषि कानूनों के विरोध के लिए कानूनों की प्रतियां जलाई गई तथा काले कानूनों के एवं सरकार के विरोध में नारे लगाए तथा किसानों ने संकल्प लिया कि जब तक काले कानून वापस नहीं लिए जाएंगे तब तक आंदोलन जारी रहेगा। 6 फरवरी से दूजोद टोल फ्री चल रहा है आज 4 महीने हो गए हैं और जब तक किसानों की मांग नहीं मानी जाएगी तब तक यह टोल प्लाजा फ्री रहेगा।

 छत्तीसगढ़: किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ गांव-गांव में प्रदर्शन

संयुक्त किसान मोर्चा और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के विभिन्न घटक संगठनों ने आज गांव-गांव में किसान विरोधी काले कानूनों की प्रतियां जलाई। कई स्थानों पर ये प्रदर्शन भाजपाई नेताओं के घरों और कार्यालयों के आगे भी आयोजित किये गए। ये प्रदर्शन किसान आंदोलन के 20 से ज्यादा संगठनों की अगुआई में कोरबा, राजनांदगांव, सूरजपुर, सरगुजा, दुर्ग, कोरिया, बालोद, रायगढ़, कांकेर, चांपा, मरवाही, बिलासपुर, धमतरी, जशपुर, बलौदाबाजार व बस्तर सहित 20 से ज्यादा जिलों में आयोजित किये गए। हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति व किसान सभा सहित कुछ संगठनों ने कोरबा व बिलासपुर में आज के इस प्रदर्शन को पर्यावरण दिवस के साथ भी जोड़कर मनाया। बिलासपुर में भाजपा सांसद अरुण साव के बंगले के सामने प्रदर्शन किया गया। किसान संघर्ष समन्वय समिति के कोर ग्रुप के सदस्य हन्नान मोल्ला, छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम और छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते ने इस सफल और प्रभावशाली आंदोलन के लिए प्रदेश के किसान समुदाय को बधाई दी है और कहा कि किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ पिछले एक साल से जारी यह आंदोलन इन काले कानूनों की वापसी तक जारी रहेगा।

 कृषि से जुड़े तीनों ‘काले कानूनों’ को निरस्त करे मोदी सरकार: कांग्रेस

कांग्रेस ने तीनों कृषि कानूनों से जुड़े अध्यादेश जारी किए जाने के एक साल पूरा होने के मौके पर शनिवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार को इन कानूनों को निरस्त करना चाहिए।

 पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह आरोप भी लगाया कि इन कानूनों के जरिए सरकार देश के किसानों को ‘बंधुआ मजदूर’ बनाना चाहती है।

सुरजेवाला ने एक बयान में कहा, ‘‘मोदी सरकार तीन काले कृषि अध्यादेश आज ही के दिन 5 जून, 2020 को लेकर आई थी। मोदी जी ने कहा था कि महामारी की आपदा के समय वे इन काले कानून से अन्नदाता के लिए अवसर लिख रहे हैं। सही मायने में उन्होंने 25 लाख करोड़ सालाना के कृषि उत्पादों के व्यापार को अपने मुट्ठीभर पूंजीपति दोस्तों के लिए ‘अवसर’ लिखा और 62 करोड़ किसानों के हिस्से में उन्होंने ‘अवसाद’ लिख दिया।’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘मोदी सरकार अनुबंध पर खेती के अनैतिक प्रावधानों के माध्यम से अन्नदाता भाइयों को चंद पूंजीपतियों का ‘बंधुआ मज़दूर’ बनाना चाहती है।’’

उनके मुताबिक, ‘‘मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही 2014 में अध्यादेश के माध्यम से किसानों की जमीन हड़पने की कोशिश की। साल 2015 में उच्चतम न्यायालय में शपथपत्र दे दिया कि किसानों को लागत के अलावा 50 प्रतिशत मुनाफा कभी भी समर्थन मूल्य के तौर पर नहीं दिया जा सकता। फिर 2016 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लेकर आए, जिससे चंद बीमा कंपनियों ने 26,000 करोड़ रुपये का मुनाफा कमवाया।’’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘5 जून, 2020 को लाए गए तीन काले कानूनों के माध्यम से किसानों की आजीविका पर फिर से डाका डालना चाहती है।’’ सुरजेवाला ने कहा, ‘‘काले कानूनों की बरसी पर मोदी सरकार को चाहिए कि वो अपने निर्णय को वापस ले और इन कानूनों को फौरन खारिज करे। अन्यथा जब भी ‘प्रजातंत्र की देवता - देश की जनता’ की अदालत में इन ‘क्रूरताओं और बर्बरताओं’ का मुकदमा चलेगा तब 500 से अधिक किसानों की शहादतें, लाखों किसानों की राह में बिछाए गए ‘कील और कांटे’ और 62 करोड़ किसान-मजदूरों की असहाय पीड़ा इसकी गवाह बनेंगी।’’

 इसे भी पढ़ें : किसान आंदोलन को सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन की स्पिरिट से प्रेरणा, परन्तु उसके नकारात्मक अनुभवों से सीख लेनी होगी

 (समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )

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