NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
किसानों का मिशन यूपी तेज, चंपारण से वाराणसी तक 2 अक्टूबर को निकलेगी 'पदयात्रा'
विवादास्पद कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों ने चंपारण से वाराणसी तक 350 किलोमीटर की पदयात्रा निकालने की घोषणा की है। किसान, आगामी विधानसभा चुनावों से पहले पूरे पूर्वी उत्तर में आंदोलन का विस्तार करने की रणनीति बना रहे हैं।
असद रिज़वी
11 Sep 2021
किसानों का मिशन यूपी तेज, चंपारण से वाराणसी तक 2 अक्टूबर को निकलेगी 'पदयात्रा'

संयुक्त किसान मोर्चा ने अंदेशा ज़ाहिर किया है कि किसान आंदोलन को कमज़ोर करने के लिए प्रदेश का संप्रदायिक सौहार्द ख़राब किया जा सकता है। मोर्चे ने किसानों से आह्वान किया है कि वह भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और अंबानी-अडानी के उत्पादों का बहिष्कार करें।

विवादास्पद तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों ने चंपारण से वाराणसी तक 350 किलोमीटर की पदयात्रा निकालने की घोषणा की है। किसान, आगामी विधानसभा चुनावों से पहले पूरे पूर्वी उत्तर में आंदोलन का विस्तार करने की रणनीति बना रहे हैं।

प्रदेश की राजधानी लखनऊ में किसानों की दो दिन चली बैठक के बाद शुक्रवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया है कि क़रीब 85 किसान संगठनों ने भाजपा सरकार के ख़िलाफ़ चल रहे किसान आंदोलन को समर्थन देने का वादा किया है। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य- पश्चिम के बाद प्रदेश के दूसरे हिस्सों में किसान आंदोलन का विस्तार करना और भाजपा को सत्ता में वापस लौटने से रोकने की रणनीति बनाना था.

संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय नेताओं डा. दर्शन पाल, डा. अशोक धावले, हरनाम सिंह, डी.पी. सिंह, तजिन्दर सिंह विर्क और मुकुट सिंह ने मीडिया को बताया कि किसान “मिशन उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड” शुरू करने जा रहे हैं, ताकि आगामी चुनावों में दोनो प्रदेशों से किसान विरोधी और प्रो कॉर्पोरेट भाजपा सरकार को उखाड़ फेंका जाये।

किसान नेताओं ने कहा कि उनको आशंका है कि उनके आंदोलन के मुक़ाबले भाजपा अपनेआखिरी हथियार के तौर पर “धर्म-जाति” की राजनीति कर सकती है। लेकिन इस बार किसान ऐसा नहीं होने देंगे। किसानों का आंदोलन जहां एक तरफ तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ है, वहीं यह आंदोलन “निजीकरण-कॉर्पोरेट और साम्प्रदायिकता” के विरुद्ध भी है।

केंद्र सरकार के तीन कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की माँग कर रहे किसानों ने कहा कि वह अपने “मिशन उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड” को सफल बनाने के लिए सभी धर्मों और जातियों को एक मंच पर लायेंगे ताकि संप्रदायिक ताक़तों के हर षड़यंत्र को विफ़ल किया जा सके।

मोर्चे के नेता डा. दर्शन पाल ने बताया कि आंदोलन को विस्तार देने के लिए 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन चंपारण से वाराणसी तक 350 किमी की किसान जनजागरण पदयात्रा निकाली जायेगी। यह यात्रा बलिया और ग़ाज़ीपुर होते हुए 20 अक्टूबर को बनारस पहुंचेगी। इसमें हजारों लोग शामिल होंगे।

इस बीच किसान नेताओं ने संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 27 सितम्बर को आयोजित किये जा रहे भारत बंद को सफ़ल बनाने की रणनीति बनाना भी शुरू कर दिया है। भाकियू के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरनाम सिंह के अनुसार भारत बंद को सफ़ल बनाने में किसान संगठनों के अलावा ट्रेड यूनियन, युवा संगठनों, ट्रांसपोर्टर्स यूनियन, व्यापारी संगठन, महिला और नागरिक संगठन भी शामिल रहेंगे।

बंद को लेकर 17 सितंबर को प्रदेश के सभी जिलों में किसान संगठनों की साझा बैठकें होंगी। किसान आंदोलन को विस्तार देने के लिए तीन कृषि क़ानूनों के अलावा स्थानीय कृषि संकट को भी मुद्दा बनाया जायेगा।

डा. अशोक धावले के अनुसार गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाने और बकाया भुगतान, आवारा पशुओं पर पाबंदी, ट्रयूबवैल कनेक्शन पर फ्री बिजली जैसे मुद्दों को को भी आंदोलन के मंच से उठाया जायेगा।

डी.पी. सिंह, तजिन्दर सिंह विर्क और मुकुट सिंह ने कहा कि पंजाब और हरियाणा की तरह उत्तर प्रदेश में ज़िलों से लेकर तहसील और गांव तक भाजपा और उनके सहयोगी दलों (एनडीए) के नेताओं का किसानों द्वारा सोशल बहिष्कार किया जाये। उनके किसी भी तरह के कार्यक्रम या सभाएँ ना होने दी जायें। इसके अलावा कॉर्पोरेट विशेषकर अंबानी-अडानी समूह के उत्पादों और संस्थानों का बहिष्कार किया जाएगा। 

नेताओं ने कहा कि हाल ही में नरेंद्र मोदी सरकार की रबी फसलों के लिए एमएसपी को मंजूरी दी है और जिसको सरकार द्वारा  एक बड़ा कदम जा रहा है। जबकि यह देश भर के किसानों के साथ विश्वासघात है। क्यूँकि महंगाई दर की बात करें तो इस वर्ष 6 प्रतिशत वृद्धि हुई है। जिस तरह से पिछले वर्ष समर्थन मूल्य में इज़ाफ़ा किया गया था। अगर उस फार्मूले को भी लागू किया जाए तो किसानों को 74 रुपये कम दिए गए हैं। सरकार किसानों को आंदोलन की सज़ा दे रही है।

इसी श्रृंखला में पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी आंदोलन के विस्तार के लिए आगामी 7 अक्टूबर को, वाराणसी में किसान संगठनों की बैठक का निर्णय लिया गया है। 

आपको बता दें कि आज किसान नेता मीडिया से बात करने पहुँचते, उससे पहले ही स्थानीय प्रशासन ने प्रेस क्लब को क़िले में तब्दील कर दिया। इधर देखा गया है कि किसान जब भी कोई कार्यक्रम करते हैं, तो वहाँ भारी पुलिस बल तैनात कर दिया जाता है।जब किसान नेता राकेश टिकैत और योगेन्द्र यादव आये तब भी यही हुआ था। 

नए कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर हजारों किसान, कई महीनों दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने हाल ही में मुजफ्फरनगर में एक किसान महापंचायत की थी। जिसमें कई लाख किसानों ने हिस्सा लिया। किसान नेताओं ने ने कहा है कि जब तक कृषि कानूनों की वापसी नहीं होगी तब तक प्रदर्शन चलता रहेगा। नेताओं और मोदी सरकार के बीच कृषि कानूनों पर हर दौर की बातचीत विफल ही रही है।

kisan andolan
UP kisan Andolan
farmers protest
New Farm Laws
Farmers Protest on 2nd Oct
Samyukt Kisan Morcha
rakesh tikait

Related Stories

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

झारखंड: नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज विरोधी जन सत्याग्रह जारी, संकल्प दिवस में शामिल हुए राकेश टिकैत

मोदी सरकार की वादाख़िलाफ़ी पर आंदोलन को नए सिरे से धार देने में जुटे पूर्वांचल के किसान

ग़ौरतलब: किसानों को आंदोलन और परिवर्तनकामी राजनीति दोनों को ही साधना होगा

एमएसपी पर फिर से राष्ट्रव्यापी आंदोलन करेगा संयुक्त किसान मोर्चा

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार

1982 की गौरवशाली संयुक्त हड़ताल के 40 वर्ष: वर्तमान में मेहनतकश वर्ग की एकता का महत्व

किसानों को आंदोलन और राजनीति दोनों को साधना होगा

किसानों ने 2021 में जो उम्मीद जगाई है, आशा है 2022 में वे इसे नयी ऊंचाई पर ले जाएंगे

ऐतिहासिक किसान विरोध में महिला किसानों की भागीदारी और भारत में महिलाओं का सवाल


बाकी खबरें

  • भाषा
    ईडी ने फ़ारूक़ अब्दुल्ला को धनशोधन मामले में पूछताछ के लिए तलब किया
    27 May 2022
    माना जाता है कि फ़ारूक़ अब्दुल्ला से यह पूछताछ जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) में कथित वित्तीय अनिमियतता के मामले में की जाएगी। संघीय एजेंसी इस मामले की जांच कर रही है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    एनसीबी ने क्रूज़ ड्रग्स मामले में आर्यन ख़ान को दी क्लीनचिट
    27 May 2022
    मेनस्ट्रीम मीडिया ने आर्यन और शाहरुख़ ख़ान को 'विलेन' बनाते हुए मीडिया ट्रायल किए थे। आर्यन को पूर्णतः दोषी दिखाने में मीडिया ने कोई क़सर नहीं छोड़ी थी।
  • जितेन्द्र कुमार
    कांग्रेस के चिंतन शिविर का क्या असर रहा? 3 मुख्य नेताओं ने छोड़ा पार्टी का साथ
    27 May 2022
    कांग्रेस नेतृत्व ख़ासकर राहुल गांधी और उनके सिपहसलारों को यह क़तई नहीं भूलना चाहिए कि सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई कई मजबूरियों के बावजूद सबसे मज़बूती से वामपंथी दलों के बाद क्षेत्रीय दलों…
  • भाषा
    वर्ष 1991 फ़र्ज़ी मुठभेड़ : उच्च न्यायालय का पीएसी के 34 पूर्व सिपाहियों को ज़मानत देने से इंकार
    27 May 2022
    यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की पीठ ने देवेंद्र पांडेय व अन्य की ओर से दाखिल अपील के साथ अलग से दी गई जमानत अर्जी खारिज करते हुए पारित किया।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    “रेत समाधि/ Tomb of sand एक शोकगीत है, उस दुनिया का जिसमें हम रहते हैं”
    27 May 2022
    ‘रेत समाधि’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला पहला हिंदी उपन्यास है। इस पर गीतांजलि श्री ने कहा कि हिंदी भाषा के किसी उपन्यास को पहला अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार दिलाने का जरिया बनकर उन्हें बहुत…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License