NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
श्रमिक संगठनों के साथ आए किसान संगठन, कोयला श्रमिकों की हड़ताल का भी समर्थन
250 किसान संगठनों की अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने केंद्रीय श्रमिक संगठनों से एकजुटता जताते हुए किसान सम्बन्धी तीनों अध्यादेशो को ‘‘किसानों की लूट कारपोरेट को छूट’’ प्रदान करने वाला बताया।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
03 Jul 2020
श्रमिक संगठनों के साथ आए किसान संगठन

भोपाल : अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने आज, 3 जुलाई को केंद्रीय श्रमिक संगठनों द्वारा किये जा रहे राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन में साथ दिया और कोयला श्रमिकों की तीन दिन (2-3-4 जुलाई) की हड़ताल का समर्थन किया। इसी के साथ एआईकेएससीसी ने किसानों सम्बन्धी तीनों अध्यादेशो को ‘‘किसानों की लूट-कारपोरेट को छूट’’ प्रदान करने वाला बताया।

250 किसान संगठनों की एआईकेएससीसी की वर्किंग कमेटी सदस्य एवं जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय की राष्ट्रीय संयोजक  ऋचा सिंह और नर्मदा बचाओ आंदोलन, जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय की नेता मेधा पाटकर ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि वर्किंग कमेटी की 29 जून को हुई  बैठक  में किसानों के खिलाफ लाए गए तीनों अध्यादेशों को किसान विरोधी कहते हुए पुरज़ोर विरोध किया गया और इसे कॉरपोरेट परस्त बताया गया।

कहा गया कि कृषि उपज, व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन व सुविधा अध्यादेश 2020), मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता अध्यादेश 2020), आवश्यक वस्तु (संशोधन अध्यादेश 2020) तथा साथ में बिजली कानून (संशोधन) विधेयक 2020) आदि अध्यादेशों को लाकर राज्यों के कृषि संबंधी अधिकार छीन लिए है तथा कृषि मार्केट कानून में भी बदलाव किए हैं। इनसे जमाखोरी व कालाबाजारी बढ़ेगी, फसल के दाम घटेंगे, सरकारी एमएसपी समाप्त हो जाएगा, बाजार में खाने के दाम बढ़ेंगे, किसानों की कर्जदारी तथा जमीन से बेदखली व आत्महत्याएं बढ़ेंगी।

एआईकेएससीसी ने डीजल पेट्रोल के दामों में तेज वृद्धि की निंदा करते हुए कहा कि यह सरकारी टैक्स बढ़ाने के कारण हुआ है। सरकार से मांग की कि टैक्स समाप्त कर ईधन के दाम तुरन्त घटाए जाएं।

IMG-20200703-WA0018.jpg

समिति ने श्रम कानूनों में किये जा रहे बदलावों, श्रमिकों के अधिकारों को निरस्त करने की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने की केंद्रीय श्रमिक संगठनों की मांग के समर्थन में राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष् समन्वय समिति यह मानती है कि केंद्र सरकार द्वारा लॉकडाउन का दुरुपयोग किसानों और मजदूरों के खिलाफ कानून बनाने और कारपोरेट पक्षधर नीतियां तेजी से लागू करने के लिए किया जा रहा है। इस लॉकडाउन में प्रवासी श्रमिकों की खोज खबर तक नहीं ली गयी है और केवल समाज को धर्म के आधार पर बाँटने और देश के संसाधन व बाजार बड़े विदेशी व घरेलू कारपोरेट को सौंपने का काम किया जा रहा है।

घोषणाएं करने के बावजूद केंद्र सरकार ने श्रमिकों को तालाबंदी के दौरान मजदूरी का भुगतान नही कराया, उनकी छंटनी नहीं रोकी, सभी मजूदरों को 10 हजार रुपए नगद प्रतिमाह हस्तांतरित नहीं किया, 48 लाख केंद्रीय कर्मचारियों व 68 लाख पेंशनरों का महंगाई भत्ता फ्रीज कर दिया, कई राज्यों में काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 कर दिए। वह सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का थोक में विनिवेश और निजीकरण कर रही है, भारतीय रेलवे, रक्षा, बंदरगाह, डाक, कोयला, एयर इंडिया, बैंक और बीमा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में एफडीआई को अनुमति देकर देश के प्राकृतिक संसाधनों की लूट को सुगम बनाने हेतु कोविड -19 लॉकडाउन का इस्तेमाल कर रही है। 

प्रवासी श्रमिकों को न तो मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध कराया, न ही गांव में मनरेगा में 500 रु. प्रतिदिन की दर पर कम से कम 200 दिन काम दिया। 

समन्वय समिति ने देश के सभी किसान संगठनों से स्थानीय स्तर पर आज तीन जुलाई की राष्ट्रव्यापी प्रतिरोध के कार्यक्रमों में शामिल होने की अपील की। साथ ही कोल उद्योगों के निजीकरण पर रोक लगाने व ठेका मजदूरों के हाई पावर कमेटी की सिफारिशों के आधार पर वेतन देने, राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौता अनुसार आश्रितों को रोजगार देने को लेकर 2-3-4 जुलाई की कोयला श्रमिकों की हड़ताल का भी समर्थन किया।

workers protest
Farmer organizations
Coal workers strike
Coal workers
AIKSCC
Lockdown
farmer
corporate

Related Stories

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?

झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 

#Stop Killing Us : सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का मैला प्रथा के ख़िलाफ़ अभियान

मध्य प्रदेश : आशा ऊषा कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन से पहले पुलिस ने किया यूनियन नेताओं को गिरफ़्तार

झारखंड: हेमंत सरकार की वादाख़िलाफ़ी के विरोध में, भूख हड़ताल पर पोषण सखी

अधिकारों की लड़ाई लड़ रही स्कीम वर्कर्स

अर्बन कंपनी से जुड़ी महिला कर्मचारियों ने किया अपना धरना ख़त्म, कर्मचारियों ने कहा- संघर्ष रहेगा जारी!

एक बड़े आंदोलन की तैयारी में उत्तर प्रदेश की आशा बहनें, लखनऊ में हुआ हजारों का जुटान

दिल्ली: ऐक्टू ने किया निर्माण मज़दूरों के सवालों पर प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • एम. के. भद्रकुमार
    पुतिन की अमेरिका को यूक्रेन से पीछे हटने की चेतावनी
    29 Apr 2022
    बाइडेन प्रशासन का भू-राजनीतिक एजेंडा सैन्य संघर्ष को लम्बा खींचना, रूस को सैन्य और कूटनीतिक लिहाज़ से कमज़ोर करना और यूरोप को अमेरिकी नेतृत्व पर बहुत ज़्यादा निर्भर बना देना है।
  • अजय गुदावर्ती
    भारत में धर्म और नवउदारवादी व्यक्तिवाद का संयुक्त प्रभाव
    28 Apr 2022
    नवउदारवादी हिंदुत्व धर्म और बाजार के प्रति उन्मुख है, जो व्यक्तिवादी आत्मानुभूति पर जोर दे रहा है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन
    28 Apr 2022
    वाम दलों ने धरने में सांप्रदायिकता के ख़िलाफ़ व जनता की एकता, जीवन और जीविका की रक्षा में संघर्ष को तेज़ करने के संकल्प को भी दोहराया।
  • protest
    न्यूज़क्लिक टीम
    दिल्ली: सांप्रदायिक और बुलडोजर राजनीति के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन
    28 Apr 2022
    वाम दलों ने आरएसएस-भाजपा पर लगातार विभाजनकारी सांप्रदायिक राजनीति का आरोप लगाया है और इसके खिलाफ़ आज(गुरुवार) जंतर मंतर पर संयुक्त रूप से धरना- प्रदर्शन किया। जिसमे मे दिल्ली भर से सैकड़ों…
  • ज़ाकिर अली त्यागी
    मेरठ : जागरण की अनुमति ना मिलने पर BJP नेताओं ने इंस्पेक्टर को दी चुनौती, कहा बिना अनुमति करेंगे जागरण
    28 Apr 2022
    1987 में नरसंहार का दंश झेल चुके हाशिमपुरा का  माहौल ख़राब करने की कोशिश कर रहे बीजेपी नेताओं-कार्यकर्ताओं के सामने प्रशासन सख़्त नज़र आया।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License