NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
नज़रिया
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
बीच बहस: आह किसान! वाह किसान!
बंगाल में किसान के घर खाना खाते अमित शाह की तस्वीरें देखकर दिल्ली के विज्ञान भवन की वह तस्वीरें भी याद आ गईं जब किसानों ने वार्ता के दौरान सरकार का खाना खाने से इंकार कर दिया था और लंगर से आए भोजन को ज़मीन पर बैठकर खाया था। काश...!
मुकुल सरल
19 Dec 2020
बंगाल में किसान के घर खाना खाते अमित शाह की तस्वीर

दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों को ठिठुरता छोड़कर देश के गृहमंत्री अमित शाह दो दिन के दौरे पर पश्चिम बंगाल पहुंच गए हैं और वो भी किसलिए- पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा की तैयारियों का जायजा लेने के लिए। वे और उनके मंत्री-सहयोगी अब हर चौथे-आठवें दिन बंगाल पहुंच रहे हैं।  इससे पहले वे बिहार में और उसके बाद हैदराबाद नगर निगम के चुनाव में बिज़ी थे। शायद अब उनके पास देश में चुनाव की तैयारियों के अलावा कोई काम ही नहीं बचा है। और जैसे कोरोना भी शायद ख़त्म हो गया है, जबकि इसी कोरोना के नाम पर उन्होंने संसद का शीत सत्र रद्द कराया है।  

अमित शाह ने आज शनिवार को मिदनापुर में पहले एक किसान के घर दोपहर का भोजन भी किया है, लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए कि नमक का क़र्ज़ भी अदा करना होता है। ये किसान भले उनकी पार्टी भाजपा का समर्थक या कार्यकर्ता हो, लेकिन अगर वाकई किसान है, तो उसे भी किसानों के दुख-दर्द का पता होना चाहिए और उसके घर भोजन करने वालों को भी जान लेना चाहिए कि किसान सबको खिलाने की क्षमता रखता है, बस हम ही उसका क़र्ज़ अदा नहीं कर पाते बल्कि उसे ही क़र्ज़ में धकेल देते हैं।

फोटो साभार : इंडिया टुडे 

किसान के घर खाना खाते अमित शाह की मनोहारी तस्वीरें देखकर दिल्ली के विज्ञान भवन की वह तस्वीरें भी याद आ गईं जब किसानों ने समझौता वार्ता के दौरान सरकार का खाना खाने से इंकार कर दिया था और लंगर से आए भोजन को ज़मीन पर बैठकर खाया था।

फोटो साभार : एनडीटीवी 

काश! आप या आपके मंत्री उसी समय उनके साथ ज़मीन पर बैठकर लंगर का खाना खा लेते यानी “अपना सिंहासन छोड़कर धरातल पर आकर किसानों की समस्या को समझते और सुलझाते” तो आज ये तस्वीरें बनाने और दिखाने की ज़रूरत न पड़ती।

वैसे बंगाल का हाल देखकर लगता है कि अगर आज पूरे देश में चुनाव होते...तो मोदीजी, शाह जी किसान के घर जाने की बजाय खुद ही किसान बन जाते!

आज अमित शाह के किसान के घर खाना खाते हुए देखकर लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले इसी तरह कई राज्यों में आपको नेताओं के किसानों, दलितों के घर जाने, खाना खाने और रात बिताने की तस्वीरें ज़रूर याद आ गई होंगी। मुझे तो एक और तस्वीर याद आ गई, वो है प्रधानमंत्री द्वारा सफ़ाकर्मियों के पांव धोने की तस्वीर।

आपको याद है न कि लोकसभा चुनाव से पहले फरवरी, 2019 में कुंभ मेले के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रयागराज (इलाहाबाद) में खुद पांच सफ़ाईकर्मियों के पांव धोए थे, उस तस्वीर को किस तरह वायरल कर भुनाया गया था। यह अलग बात है कि उसके बाद उन्होंने या उनकी सरकार ने सफ़ाईकर्मियों की तरफ़ पलटकर नहीं देखा कि आज भी क्यों उनके पांव कीचड़ में सने हैं, क्यों आज भी सर पर मैला ढोया जा रहा है।

ख़ैर, अभी भी देर नहीं हुई है, अभी भी समस्याओं का समाधान हो सकता है, बस ध्यान केवल ख़ुद खाना खाने की बजाय खाना उपजाने वालों पर, खाना कमाने वालों पर लगाना होगा।

West Bengal
West Bengal Elections 2021
Amit Shah
BJP
farmers protest
Farm bills 2020
Modi government
Narendra modi

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

पश्चिम बंगालः वेतन वृद्धि की मांग को लेकर चाय बागान के कर्मचारी-श्रमिक तीन दिन करेंगे हड़ताल

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

विशाखापट्टनम इस्पात संयंत्र के निजीकरण के खिलाफ़ श्रमिकों का संघर्ष जारी, 15 महीने से कर रहे प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • भाषा
    ईडी ने फ़ारूक़ अब्दुल्ला को धनशोधन मामले में पूछताछ के लिए तलब किया
    27 May 2022
    माना जाता है कि फ़ारूक़ अब्दुल्ला से यह पूछताछ जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) में कथित वित्तीय अनिमियतता के मामले में की जाएगी। संघीय एजेंसी इस मामले की जांच कर रही है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    एनसीबी ने क्रूज़ ड्रग्स मामले में आर्यन ख़ान को दी क्लीनचिट
    27 May 2022
    मेनस्ट्रीम मीडिया ने आर्यन और शाहरुख़ ख़ान को 'विलेन' बनाते हुए मीडिया ट्रायल किए थे। आर्यन को पूर्णतः दोषी दिखाने में मीडिया ने कोई क़सर नहीं छोड़ी थी।
  • जितेन्द्र कुमार
    कांग्रेस के चिंतन शिविर का क्या असर रहा? 3 मुख्य नेताओं ने छोड़ा पार्टी का साथ
    27 May 2022
    कांग्रेस नेतृत्व ख़ासकर राहुल गांधी और उनके सिपहसलारों को यह क़तई नहीं भूलना चाहिए कि सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई कई मजबूरियों के बावजूद सबसे मज़बूती से वामपंथी दलों के बाद क्षेत्रीय दलों…
  • भाषा
    वर्ष 1991 फ़र्ज़ी मुठभेड़ : उच्च न्यायालय का पीएसी के 34 पूर्व सिपाहियों को ज़मानत देने से इंकार
    27 May 2022
    यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की पीठ ने देवेंद्र पांडेय व अन्य की ओर से दाखिल अपील के साथ अलग से दी गई जमानत अर्जी खारिज करते हुए पारित किया।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    “रेत समाधि/ Tomb of sand एक शोकगीत है, उस दुनिया का जिसमें हम रहते हैं”
    27 May 2022
    ‘रेत समाधि’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला पहला हिंदी उपन्यास है। इस पर गीतांजलि श्री ने कहा कि हिंदी भाषा के किसी उपन्यास को पहला अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार दिलाने का जरिया बनकर उन्हें बहुत…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License