NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कृषि
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
दिल्ली में संसद के पास किसानों ने लगाई अपनी किसान संसद, पास किए कई प्रस्ताव
संसद भवन के निकट ऐतिहासिक किसान संसद के मानसून सत्र की जोर-शोर से शुरुआत - किसान-विरोधी एपीएमसी बाइपास अधिनियम के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत और अनुशासित बहस हुई। दिल्ली पुलिस द्वारा मीडिया को किसान संसद की कार्यवाही से दूर रखने की कोशिश को एसकेएम ने शर्मनाक प्रयास कहा और उसकी की निंदा की
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
22 Jul 2021
दिल्ली में संसद के पास किसानों ने लगाई अपनी किसान संसद, पास किए कई प्रस्ताव

नयी दिल्ली : भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए 200 किसानों के एक समूह ने मध्य दिल्ली के जंतर मंतर पर बृहस्पतिवार को 'किसान संसद' शुरू की। जंतर मंतर, संसद भवन से कुछ ही दूरी पर स्थित है जहां मॉनसून सत्र चल रहा है।

किसानों ने कहा कि किसान संसद आयोजित करने का उद्देश्य यह प्रदर्शित करना है कि उनका आंदोलन अब भी जारी है तथा केंद्र को यह संदेश देना है कि वे भी जानते हैं कि संसद कैसे चलाई जाती है।

पुलिस ने बताया कि प्रदर्शन के मद्देनजर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और हजारों कर्मियों को इलाके में तैनात किया गया है।

किसान नेता रमिंदर सिंह पटियाला ने कहा, ‘‘(किसान) संसद के तीन सत्र होंगे। छह सदस्यों का चयन किया गया है जिन्हें तीनों सत्र के लिए अध्यक्ष (स्पीकर) और उपाध्यक्ष (डिप्टी स्पीकर) चुना जाएगा। प्रथम सत्र में किसान नेता हन्नान मौल्ला और मंजीत सिंह को इन पदों के लिए चुना गया है।

अन्य नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि गणतंत्र दिवस की घटना के बाद इस बार किसानों ने कम संख्या में एकत्र होने का फैसला किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘ना तो हम और ना ही सरकार भारी भीड़ के प्रति सहज है। भोजनावकाश और चाय के लिए भी अवकाश होगा तथा हमारे पास सबकुछ है।’’

उन्होंने किसान संसद की जरूरत के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि मीडिया देश भर में कोविड की स्थिति पर रिपोर्टिंग कर रहा है और यह संदेश जा रहा है कि किसान आंदोलन अंतिम सांसें गिन रहा है।

कक्का ने कहा, ‘‘किसान संसद के जरिए हमने दिखा दिया है कि आंदोलन अब भी जीवंत है और हम अपना अधिकार लेकर रहेंगे। ’’

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) नेता राकेश टिकैत ने कहा कि आठ महीने बाद सरकार ने स्वीकार किया कि दिल्ली की सीमाओं पर बैठे लोग किसान हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘किसान जानते हैं कि संसद कैसे चलानी है। जो लोग संसद में बैठे हैं-चाहे वे विपक्षी नेता हों या सरकार के लोग हों, यदि वे हमारे मुद्दे नहीं उठाते हैं तो हम उनके निर्वाचन क्षेत्र में अपनी आवाज उठाएंगे। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह दुनिया की पहली संसद है जो अवरोधकों के अंदर चल रही है और जिसे किसानों ने शुरू किया है। किसान संसद, संसद का सत्र जारी रहने तक चलेगी और आप (सरकार) को हमारी मांगें माननी पड़ेगी।’’

टिकैत ने कहा कि वे तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए एक प्रस्ताव पारित करेंगे।

किसान नेता हन्नान मौल्ला ने कहा कि तीन नये कृषि कानूनों को लेकर संसद में हंगामा हुआ।

उन्होंने कहा, ‘‘किसान संसद में हम उन तीन कृषि कानूनों पर चर्चा करेंगे जिनके खिलाफ हम लड़ रहे हैं। ये काले कानून संसद में चर्चा के बगैर पारित किये गये थे। हम किसान संसद के जरिए इन्हें खारिज करेंगे। ’’

मौल्ला ने कहा कि किसानों ने सभी सांसदों को पत्र लिख कर अपनी मांग उठाई है। उन्होंने आरोप लगाया कि संसद उनके मुद्दों पर चर्चा नहीं कर रही है।

मोर्चे ने इसे एक ऐतिहासिक जन आंदोलन का एक ऐतिहासिक दिन कहा। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर संसद के समीप जंतर-मंतर पर किसान संसद का आयोजन किया गया। जैसा कि एसकेएम ने पहले ही बताया था, किसान संसद पूरी तरह से अनुशासित और व्यवस्थित रही। सुबह पुलिस ने किसान संसद के प्रतिभागियों की बस को जंतर-मंतर जाने से रोकने की कोशिश की, लेकिन बाद में इसे सुलझा लिया गया। दिल्ली पुलिस ने मीडिया को किसान संसद की कार्यवाही पर प्रतिवेदन करने से रोकने की भी कोशिश की, और उन्हें बैरीकेड लगा कर किसान संसद के आयोजन स्थल से बहुत दूर रोक दिया गया।

संयुक्त मोर्चे ने अपने बयान में कहा "किसान संसद में किसानों ने भारत सरकार के मंत्रियों के खोखले दावों का खंडन किया कि किसानों ने यह नहीं स्पष्ट किया है कि तीन कानूनों के साथ उनकी चिंता क्या है, और वे केवल अपनी निरसन की मांग पर डटे हैं। एपीएमसी बाइपास अधिनियम पर चर्चा करते हुए, किसान संसद में भाग लेने वालों ने कानून की असंवैधानिक प्रकृति, भारत सरकार की अलोकतांत्रिक प्रक्रियाओं, और कृषि आजीविका पर कानून के गंभीर प्रभावों के संबंध में कई बिंदु उठाए। उन्होंने दुनिया के सामने इस काले कानून के बारे में अपनी विस्तृत ज्ञान को प्रदर्शित किया, और क्यों वे पूर्ण निरसन और इससे कम कुछ नहीं पर जोर दे रहे हैं।"

इस बीच, किसान संसद एक तरह से संसद की कार्यवाही के ठीक विपरीत थी। किसान आंदोलन के समर्थन में सांसदों ने आज यानी गुरुवार को सुबह गांधी प्रतिमा पर पार्टी लाइन से हटकर विरोध प्रदर्शन किया। वे किसानों द्वारा जारी पीपुल्स व्हिप का पालन कर रहे थे। कई सांसदों ने किसान संसद का दौरा भी किया। जैसा कि किसान आंदोलन में होता रहा है, एसकेएम नेताओं ने किसानों के संघर्ष को समर्थन देने के लिए सांसदों को धन्यवाद दिया, लेकिन सांसदों को मंच या माइक का समय नहीं दिया गया। इसके बजाय उनसे संसद के अंदर किसानों की आवाज बनने का अनुरोध किया गया।

इससे पहले, दिल्ली के उप राज्यपाल (एलजी) अनिल बैजल ने जंतर मंतर पर नौ अगस्त तक अधिकतम 200 किसानों को प्रदर्शन करने की विशेष अनुमति दी है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि करीब 5,000 सुरक्षा कर्मी नयी दिल्ली जिले में तैनात किये गये हैं।

पुलिस उपायुक्त(नयी दिल्ली) दीपक यादव ने कहा, ‘‘केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ) की कई कंपनियां जंतर मंतर पर तैनात की गई हैं। इलाके में सीसीटीवे कैमरे भी लगाए गये हैं। ’’

उन्होंने बताया कि जंतर मंतर के दोनों ओर अवरोधक लगाये गये हैं और पानी की बौछार करने वाली दो मशीनें भी वहां रखी गई हैं।

जहां किसान संसद चल रही है, उस इलाके में शुरूआत में मीडियाकर्मियों को जाने की इजाजत नहीं दी गई थी। किसानों ने इस कदम की निंदा करते हुए एक "प्रस्ताव" पारित किया। हालांकि, बाद में परिचय पत्र की जांच करने के बाद उन्हें अंदर जाने की अनुमति दे दी गई।

इससे पहले, 200 किसानों का समूह पुलिस सुरक्षा के बीच बसों में सिंघू सीमा प्रदर्शन स्थल से जंतर मंतर पर पूर्वाह्न 11 बजे से शाम पांच बजे तक प्रदर्शन करने पहुंचा।

प्रदर्शनकारी किसान संघों का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा से इस बारे में शपथपत्र देने को कहा गया था कि वे कोविड के सभी नियमों का अनुपालन करेंगे और शांतपिपूर्ण आंदोलन करेंगे।

इसके अलावा, केरल के 20 सांसदों ने किसानों के लिए अपना समर्थन व्यक्त करने के लिए जंतर-मंतर का दौरा किया। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने अपनी निरंतर एकजुटता में गुरुवार को जंतर-मंतर पर किसानों के लिए लंगर की व्यवस्था की और आगे भी करने का दावा किया है ।

समिति के एक सदस्य सरबजीत सिंह विर्क ने न्यूज़क्लिक को बताया कि 'किसान संसद' में भाग लेने वाले किसानों के लिए पास के बांग्ला साहिब गुरुद्वारा से भोजन उपलब्ध कराया गया। “हमारी समिति पिछले नवंबर से तीनों सीमाओं पर लंगर का आयोजन कर रही है । अब जब किसान जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन कर रहे है तो हम उन्हें खाना भी परोसना जारी रखेंगे।

इस बीच, दिल्ली पुलिस ने पूरे शहर में, खासकर जंतर-मंतर के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी थी। किसान संसद को देखते हुए वहां बैरिकेड्स, वॉटर कैनन और दंगा कंट्रोल वैन तैनात कर दी गई है। बीकेयू के चादुनी गुट के संगठनिक सचिव हरपाल सिंह ने न्यूज़क्लिक को बताया कि एसकेएम द्वारा किसी भी असमाजिक तत्व के प्रवेश से बचने के लिए " पर्याप्त सावधानी" भी बरती जा रही है।

सिंह ने एसकेएम द्वारा जारी एक पहचान पत्र रखा था, जिसके बिना, उनके अनुसार, 'किसान संसद' में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। सिंह ने कहा कि हर दिन जंतर-मंतर पर किसानों के नए दल के आने के साथ ही उनमें से हर एक को ये पहचान पत्र जारी किए जाएंगे।

आगे उन्होंने कहा “हम इस सरकार को हम पर उंगली उठाने का कोई और कारण नहीं देना चाहते हैं। हम शांतिपूर्ण विरोध के बिना जारी रखने के लिए दृढ़ हैं, भले ही हमे 2024 तक दिल्ली की सीमाओं पर बैठन पड़े।”

प्रदर्शनकारी किसान संघों की सरकार के साथ 10 से अधिक दौर की वार्ता गतिरोध को दूर कर पाने में नाकाम रही है।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )

Samyukt Kisan Morcha
farmers protest
Jantar Mantar
kisan sansad
Farm Laws
Parliament
Farmers Parliament
MSP

Related Stories

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

अगर फ़्लाइट, कैब और ट्रेन का किराया डायनामिक हो सकता है, तो फिर खेती की एमएसपी डायनामिक क्यों नहीं हो सकती?

युद्ध, खाद्यान्न और औपनिवेशीकरण

किसान-आंदोलन के पुनर्जीवन की तैयारियां तेज़

MSP पर लड़ने के सिवा किसानों के पास रास्ता ही क्या है?

किसान आंदोलन: मुस्तैदी से करनी होगी अपनी 'जीत' की रक्षा

सावधान: यूं ही नहीं जारी की है अनिल घनवट ने 'कृषि सुधार' के लिए 'सुप्रीम कमेटी' की रिपोर्ट 

ग़ौरतलब: किसानों को आंदोलन और परिवर्तनकामी राजनीति दोनों को ही साधना होगा

राजस्थान: अलग कृषि बजट किसानों के संघर्ष की जीत है या फिर चुनावी हथियार?

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार


बाकी खबरें

  • पुलकित कुमार शर्मा
    आख़िर फ़ायदे में चल रही कंपनियां भी क्यों बेचना चाहती है सरकार?
    30 May 2022
    मोदी सरकार अच्छे ख़ासी प्रॉफिट में चल रही BPCL जैसी सार्वजानिक कंपनी का भी निजीकरण करना चाहती है, जबकि 2020-21 में BPCL के प्रॉफिट में 600 फ़ीसदी से ज्यादा की वृद्धि हुई है। फ़िलहाल तो इस निजीकरण को…
  • भाषा
    रालोद के सम्मेलन में जाति जनगणना कराने, सामाजिक न्याय आयोग के गठन की मांग
    30 May 2022
    रालोद की ओर से रविवार को दिल्ली में ‘सामाजिक न्याय सम्मेलन’ का आयोजन किया जिसमें राजद, जद (यू) और तृणमूल कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने भाग लिया। सम्मेलन में देश में जाति आधारित जनगणना…
  • सुबोध वर्मा
    मोदी@8: भाजपा की 'कल्याण' और 'सेवा' की बात
    30 May 2022
    बढ़ती बेरोज़गारी और महंगाई से पैदा हुए असंतोष से निपटने में सरकार की विफलता का मुकाबला करने के लिए भाजपा यह बातें कर रही है।
  • भाषा
    नेपाल विमान हादसे में कोई व्यक्ति जीवित नहीं मिला
    30 May 2022
    नेपाल की सेना ने सोमवार को बताया कि रविवार की सुबह दुर्घटनाग्रस्त हुए यात्री विमान का मलबा नेपाल के मुस्तांग जिले में मिला है। यह विमान करीब 20 घंटे से लापता था।
  • भाषा
    मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया
    30 May 2022
    पंजाब के मानसा जिले में रविवार को अज्ञात हमलावरों ने सिद्धू मूसेवाला (28) की गोली मारकर हत्या कर दी थी। राज्य सरकार द्वारा मूसेवाला की सुरक्षा वापस लिए जाने के एक दिन बाद यह घटना हुई थी। मूसेवाला के…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License