NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
किसानों और सरकार के बीच पांचवे दौर की बातचीत: अंतिम निर्णय की उम्मीद कम, फिर भी निर्णायक होगी आज की बैठक
देश का किसान आंदोलन किस तरफ़ जाएगा ये आज की वार्ता के साथ ही तय हो जाएगा। एक तरफ़ किसान संगठनों ने मांगें न माने जाने पर 8 दिसंबर को भारत बंद का अल्टीमेटम दे दिया है, तो दूसरी तरफ़ बैठक से पहले वित्तमंत्री ने कहा है कि नए कृषि कानूनों को हड़बड़ी में नहीं लाया गया और इनसे किसानों को फायदा होगा।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
05 Dec 2020
Farmers protest

नयी दिल्ली: आज, शनिवार को एक बार फिर केंद्र सरकार और किसानों के बीच पांचवें दौर की वार्ता हो रही है। इससे पहले किसान संगठनों ने मांगें न माने जाने पर 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान कर दबाव बढ़ा दिया है।

उधर, सरकार एक तरफ सकारात्मक बातचीत की उम्मीद जता रही है, वहीं दूसरी ओर उसके नेता इस तरह के बयान दे रहे हैं जिससे लगता है कि सरकार इस मामले में बहुत आगे नहीं बढ़ेगी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि नए कृषि कानूनों को हड़बड़ी में नहीं लाया गया, इन्हें हितधारकों के साथ व्यापक चर्चा और काफी विचार विमर्श के बाद लाया गया तथा इनसे किसानों को फायदा होगा।

वित्त मंत्री से लेकर कृषि मंत्री के बयानों तक से साफ है कि सरकार अभी तक यही समझ और समझा रही है कि ये कानून किसान हित में हैं और किसान इसे लेकर किसी भ्रम की स्थिति में हैं। यानी जब सरकार अपने कानूनों में विसंगतियां समझ ही नहीं रही है तो इससे लगता है कि वो इनमें संशोधन को लेकर बहुत तैयार नहीं है और कानूनों की वापसी की बात तो सोचना भी असल में भ्रम पालना है।

हालांकि चौथे दौर की बातचीत के दौरान बृहस्पतिवार को तोमर ने विभिन्न किसान संगठनों के 40 किसान नेताओं के समूह को आश्वासन दिया था कि सरकार किसान संगठनों की चिंताओं को दूर करने के प्रयास के तहत मंडियों को मजबूत बनाने, प्रस्तावित निजी बाजारों के साथ समान परिवेश सृजित करने और विवाद समाधान के लिये किसानों को ऊंची अदालतों में जाने की आजादी दिये जाने जैसे मुद्दों पर विचार करने को तैयार है।

उन्होंने यह भी कहा था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद व्यवस्था जारी रहेगी।

कुल मिलाकर अब बात अब इतनी आगे बढ़ चुकी है कि सरकार को कोई बीच का रास्ता तो निकालना ही होगा। आज दोपहर 2 बजे से हो रही बैठक में यह सबकुछ साफ हो जाएगा।

आज अगले दौर की वार्ता में सरकारी पक्ष का नेतृत्व केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर करेंगे और उनके साथ खाद्य मंत्री पीयूष गोयल एवं वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोमप्रकाश भी होंगे।

इससे पहले शुक्रवार को किसानों ने भावी कदम तय करने के लिए दिन के समय बैठक की। बैठक के बाद किसान नेताओं में एक गुरनाम सिंह चडोनी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यदि केंद्र सरकार शनिवार की वार्ता के दौरान उनकी मांगों को स्वीकार नहीं करती है, तो वे नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन को तेज करेंगे।

भारतीय किसान यूनियन के महासचिव हरिंदर सिंह लखवाल ने कहा, ‘‘आज की हमारी बैठक में हमने आठ दिसम्बर को ‘भारत बंद’ का आह्वान करने का फैसला किया और इस दौरान हम सभी टोल प्लाजा पर कब्जा भी कर लेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यदि इन कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो हमने आने वाले दिनों में दिल्ली की शेष सड़कों को अवरूद्ध करने की योजना बनाई है।’’

उन्होंने कहा कि किसान शनिवार को केन्द्र सरकार और कॉरपोरेट घरानों के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे और उनके पुतले फूकेंगे। उन्होंने कहा कि सात दिसम्बर को खिलाड़ी किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए अपने पदक लौटाएंगे।

किसान नेता अपनी इस मांग पर क़ायम हैं कि इन नये कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए केन्द्र संसद का विशेष सत्र बुलाये। उनका कहना है कि वे नये कानूनों में संशोधन नहीं चाहते हैं बल्कि वे चाहते हैं कि इन कानूनों को निरस्त किया जाये।

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि किसान उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार पांचवें दौर की वार्ता में उनकी मांगें मान लेगी।

टिकैत ने ‘पीटीआई- भाषा’ से कहा, ‘‘ सरकार और किसान बृहस्पतिवार को बैठक में किसी निर्णय पर नहीं पहुंचे। सरकार तीनों कानूनों में संशोधन करना चाहती है लेकिन हम चाहते हैं कि ये कानून पूरी तरह वापस लिये जाएं।’’

दिल्ली के बॉर्डर बिंदुओं पर पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के किसानों का प्रदर्शन आज 10वें दिन में प्रवेश कर गया है। इसके चलते राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर यातायात बहुत सुस्त रहा है। पुलिस ने दिल्ली को हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश से जोड़ने वाली अहम मार्गों को बंद रखा।

इस बीच किसान संगठन विभिन्न पक्षों का समर्थन जुटाने में लगे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस उनके साथ खड़ी है।

इनेलो नेता अभय चौटाला ने कहा, ‘‘ सरकार को मामले को नहीं खींचना चाहिए। उसे इन कानूनों को वापस लेने की किसानों की मांग पर राजी होकर इस मामले का तत्काल हल करना चाहिए। सरकार को एमएसपी पर लिखित आश्वासन भी देना चाहिए।’’

उधर बिहार में विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल ने कहा कि वह कृषि कानूनों के विरोध में शनिवार को पटना में प्रदर्शन करेगा। राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि गांधी मैदान में धरना दिया जाएगा।

किसान समुदाय को आशंका है कि केन्द्र सरकार के कृषि संबंधी कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त हो जायेगी और किसानों को बड़े औद्योगिक घरानों की ‘‘अनुकंपा’’ पर छोड़ दिया जायेगा।

सरकार लगातार कह रही है कि नए कानून किसानों को बेहतर अवसर प्रदान करेंगे और इनसे कृषि में नई तकनीकों की शुरूआत होगी।

हरियाणा : कर्मचारी संघों ने किसानों के समर्थन में प्रदर्शन की घोषणा की

सोनीपत: सीटू के राज्य उपाध्यक्ष आनंद शर्मा एवं सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के उपाध्यक्ष शिलक राम मलिक ने शुक्रवार को कहा कि पांच दिसंबर को दोनों संगठन किसानों के समर्थन में टिकरी एवं सिंघु बॉर्डर पर जोरदार प्रदर्शन करेंगे और देश के तमाम गांवों के स्तर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले जलाए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि सिंघु बॉर्डर पर सीटू एवं सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने संयुक्त रुप से निशुल्क दवाई शिविर लगा रखा है। साथ ही कहा कि जब तक आंदोलन जारी रहेगा, तब तक तमाम सुविधाएं एवं सेवाएं जारी रखी जाएंगी।

उन्होंने केंद्र कि भाजपा सरकार से अपील करते हुए कहा कि देश के अन्नदाता 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हैं इसलिए उनकी मांगें मानी जाएं।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

farmers protest
Farm bills 2020
Farmer Government Meeting
BJP
Narendra modi
Modi government
Singhu Border

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

विशाखापट्टनम इस्पात संयंत्र के निजीकरण के खिलाफ़ श्रमिकों का संघर्ष जारी, 15 महीने से कर रहे प्रदर्शन

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License