NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
आख़िरकार, ट्रम्प के लिए दीवार खड़ी कर दी गई
साल 2017 में जापानी पीएम शिंजो आबे की यात्रा के दौरान अहमदाबाद की स्लम बस्तियों को हरे कपड़े से छिपाया गया था जो शायद शहर के हरित क्षेत्र को बढ़ाकर दिखाने के लिए किया गया था।
सिद्धार्थ मिश्रा
17 Feb 2020
Ahamdabad
Image Courtesy : The Wire

कुछ दिनों में भारत, दूसरे शब्दों में कहें तो प्रधानमंत्री मोदी का गृह राज्य गुजरात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के स्वागत के लिए तैयार हो जाएगा। उनके स्वागत के लिए आयोजित कार्यक्रम 'केम छो’ के शीर्षक से आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम की तैयारी जोर शोर से चल रही है। (नोट-अब 'केम छो' का नाम बदलकर 'नमस्ते ट्रम्प' कर दिया गया है।) चौंकाने वाली बात ये है कि स्वागत की तैयारी में दीवारें खड़ी की जा रही हैं।

एक व्यक्ति जिसके लिए दीवार खड़ा करना हर चुनाव में अहम मुद्दा होता है। इसी कड़ी में नाकामी छिपाने के लिए अहमदाबाद में स्थानीय प्रशासन ट्रम्प के लिए निर्माण कर रहा है। हालांकि, यह दीवार मेक्सिको के निवासी को दूर नहीं रखेगा।

13 फरवरी को कई मीडिया घरानों ने रिपोर्ट किया कि एक दीवार का निर्माण किया जा रहा है ताकि अमेरिकी राष्ट्रपति और हमारे प्रधानमंत्री हवाई अड्डे से मोटेरा स्टेडियम जाने के दौरान उनके रास्ते में स्लम बस्ती न दिख सके। कहा जाता है कि यह दीवार छह से सात फीट ऊंची है और क़रीब आधा किलोमीटर तक लंबी है। स्थानीय अधिकारियों ने कथित तौर पर कहा कि इस योजना पर दो महीने से काम हो रहा है और यह दीवार अतिक्रमण को रोकने और पेड़ों को बचाने में मदद करेगी।

शहरी योजनाकारों के अनुसार, शहर के एक अन्य हिस्से में बेहतर करने के लिए इसी तरह की योजनाएं चल रही हैं जहां साबरमती आश्रम के पुनर्विकास से लाखों लोग विस्थापित हो सकते है।

अहमदाबाद में भय और आपत्ति? यह बार बार होने वाली घटना है। साल 2017 में जापानी पीएम शिंजो आबे की यात्रा के दौरान अहमदाबाद की स्लम बस्तियों को हरे कपड़े से छिपाया गया था, जो शायद शहर के हरित क्षेत्र को बढ़ाकर दिखाने के लिए तैयार किया गया था। इसी साल वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन से पहले इन तरीकों को दोहराया गया।

हालांकि, इस बार हरे कपड़े को दीवार से बदल दिया गया है, जिसे ट्रम्प की पसंद के लिए तैयार किया गया है।

इतिहासकार नारायणी गुप्ता ने एक परी कथा के माध्यम से इस घटना की व्याख्या की। उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया कि जब वंडरलैंड के एलिस में रेड क्वीन को दौरा करना था तो बागवान ने घबराहट में सफेद गुलाब को पेंट कर दिया ताकि वे लाल दिखें। बागवान ने ऐसा अपने सिर कट जाने के जोखिम को कम करने के लिए किया। वह इस घटना की तुलना ब्रिटिश भारत के समय हुई घटनाओं से करती हैं कि जब गवर्नर या लाट साहेब आते तो नगरपालिका के पास पेड़ों के निचले हिस्से की सफेदी की जाती थी। आज, जब अमेरिकी राष्ट्रपति दौरा करने वाले हैं तो वे दीवारें बना रहे हैं।”

नारायणी गुप्ता कहती हैं कि अमेरिका में एक समय था जब कस्बों के भीतरी क्षेत्र को ऊंची समृद्ध इमारतों की दीवार से घेर दिया गया और बाहरी क्षेत्र में आलीशान उपनगर तैयार किए गए। आज उन आंतरिक शहरों को कला और रंगमंच के क्षेत्रों में बदल दिया गया है। और भारत में? उच्च मध्यवर्ग ऐतिहासिक बस्ती या मामूली मकानों से सटे अच्छी तरह से निर्मित पड़ोस में रहने के लिए खुश है, लेकिन उपेक्षा की दीवार से अलग है या गरीबों को दूर रखने के लिए एक वास्तविक दीवार से अलग है।”

वह कहती है कि यह उसी जैसा है जिसे अहमदाबाद नगर निगम ट्रम्प को दिखाना चाहता है कि "वे अपनी क्षमता के अनुसार बहुत तेजी से दीवारों का निर्माण कर सकते हैं। ये दीवार मेक्सिकोवासी को दूर करने के लिए नहीं बल्कि मजदूर वर्ग को दूर करने के लिए है।"

"क्या ये दीवारें कभी गिरेंगी?" वह कहती हैं कि ज्यादातर नागरिक शायद "गरीब लोगों के घर, न देखकर खुश होते हैं जिन्हें 'आंखों का कांटा' कहा जाता है। लेकिन अगर ईश्वर वास्तव में आसमान पर है तो उसे उन पर उतनी ही नज़र डालनी चाहिए जितना कि हमारे फ्लैट, दीवार पर डालता है।"

जो कुछ हो रहा है उसे सर्वशक्तिमान नीचे देख सकता है या नहीं देख सकता है। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति निश्चित रूप से उन झुग्गियों को नहीं देख पाएंगे जो 'गुजरात मॉडल' या 'विकास पुरुष' की चर्चा से दूर ले जाती है। भारत को इसे भुनाने के लिए गंदगी पर एक नई परत चढ़ाने की जरूरत है।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Finally, A Wall for Trump

Ahmedabad wall
Trump’s India visit
Narendra modi
trump
Vibrant Gujarat
gujarat model
Donald Trump
Ahmedabad Municipal Corporation

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़

हिमाचल में हाती समूह को आदिवासी समूह घोषित करने की तैयारी, क्या हैं इसके नुक़सान? 


बाकी खबरें

  • protest
    न्यूज़क्लिक टीम
    दक्षिणी गुजरात में सिंचाई परियोजना के लिए आदिवासियों का विस्थापन
    22 May 2022
    गुजरात के दक्षिणी हिस्से वलसाड, नवसारी, डांग जिलों में बहुत से लोग विस्थापन के भय में जी रहे हैं। विवादास्पद पार-तापी-नर्मदा नदी लिंक परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। लेकिन इसे पूरी तरह से…
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: 2047 की बात है
    22 May 2022
    अब सुनते हैं कि जीएसटी काउंसिल ने सरकार जी के बढ़ते हुए खर्चों को देखते हुए सांस लेने पर भी जीएसटी लगाने का सुझाव दिया है।
  • विजय विनीत
    बनारस में ये हैं इंसानियत की भाषा सिखाने वाले मज़हबी मरकज़
    22 May 2022
    बनारस का संकटमोचन मंदिर ऐसा धार्मिक स्थल है जो गंगा-जमुनी तहज़ीब को जिंदा रखने के लिए हमेशा नई गाथा लिखता रहा है। सांप्रदायिक सौहार्द की अद्भुत मिसाल पेश करने वाले इस मंदिर में हर साल गीत-संगीत की…
  • संजय रॉय
    महंगाई की मार मजदूरी कर पेट भरने वालों पर सबसे ज्यादा 
    22 May 2022
    पेट्रोलियम उत्पादों पर हर प्रकार के केंद्रीय उपकरों को हटा देने और सरकार के इस कथन को खारिज करने यही सबसे उचित समय है कि अमीरों की तुलना में गरीबों को उच्चतर कीमतों से कम नुकसान होता है।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: महंगाई, बेकारी भुलाओ, मस्जिद से मंदिर निकलवाओ! 
    21 May 2022
    अठारह घंटे से बढ़ाकर अब से दिन में बीस-बीस घंटा लगाएंगेे, तब कहीं जाकर 2025 में मोदी जी नये इंडिया का उद्ïघाटन कर पाएंगे। तब तक महंगाई, बेकारी वगैरह का शोर मचाकर, जो इस साधना में बाधा डालते पाए…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License