NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
फिनलैंड के कामगार वर्ग वेतन वृद्धि और काम के घंटे को घटाने की मांग की
ये मांग वसंत ऋतु को लेकर नए सामूहिक समझौतों के लिए नियोक्ताओं के साथ ताज़ा बातचीत से पहले उठाई गई है।
पीपल्स डिस्पैच
17 Jan 2020
finland
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ फ़िनलैंड (एसकेपी) इस साल मार्च महीने में हेलसिंकी में काम के समय में कमी को लेकर एक अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित करेगी।

फिनलैंड के कामकाजी वर्ग के प्रगतिशील वर्गों ने वेतन वृद्धि और काम के घंटे में कमी के लिए अपनी मांग को तेज़ कर दिया है। सार्वजनिक चर्चाओं में मांग फिर से बढ़ गई है क्योंकि फ़िन्निश ट्रेड यूनियनों ने वसंत ऋतु को लेकर नए सामूहिक समझौतों के लिए नियोक्ताओं के साथ नई बातचीत के लिए कमर कस ली है। पेशेवरों के संघ "प्रो" ने एक नए सामूहिक समझौते के लिए निष्पक्ष वार्ता की मांग करते हुए पहले ही 27 जनवरी से 9 फरवरी तक हड़ताल करने का आह्वान किया था।

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ फ़िनलैंड (एसकेपी) के अध्यक्ष जेपी वैसॉनेन ने कहा था कि वेतन वृद्धि की मांग न्यायसंगत है और अब सभी को वेतन में कमी के बिना काम के घंटे कम करने के लिए अब आगे प्रयास करना चाहिए। एसकेपी ने यह भी घोषणा की थी कि यूरोपीय वामपंथियों के साथ वे मार्च 2020 में हेलसिंकी में काम के घंटे में कमी को लेकर एक अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन करेंगे।

विभिन्न ट्रेड यूनियनों और वामपंथियों ने मांग की है कि काम के घंटों में कमी के लिए श्रमिक आंदोलन द्वारा एक कट्टरपंथी पहल के माध्यम से चुनाव से पहले लोकप्रियता हासिल करने वाली फिनलैंड के प्रधानमंत्री सना मारिन को अपने वादों पर खरा उतरना चाहिए और उनकी सरकार को देश में काम के घंटे को कम करने चाहिए।

अब तक फिनलैंड में कोई व्यापक वैधानिक न्यूनतम मज़दूरी नहीं है और क्षेत्र-वार सामूहिक समझौतों के तहत श्रमिकों की आयु/ लाभ निर्धारित है। श्रमिकों को वर्तमान में सप्ताह के पांच दिनों (40 घंटे/ सप्ताह) में प्रति दिन न्यूनतम आठ घंटे काम करने के लिए निर्धारित किया गया है।

साभार : पीपल्स डिस्पैच

Finland
Communist Party of Finland
SKP
Finnish Trade Unions

Related Stories

फ़िनलैंड के कम्युनिस्ट युवाओं ने 'मैत्री स्मारकों' को हटाने के प्रस्ताव की आलोचना की

वेतन वृद्धि के बाद फिनलैंड के पेपर कर्मचारियों की हड़ताल समाप्त


बाकी खबरें

  • अनिल अंशुमन
    झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 
    12 May 2022
    दो दिवसीय सम्मलेन के विभिन्न सत्रों में आयोजित हुए विमर्शों के माध्यम से कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध जन संस्कृति के हस्तक्षेप को कारगर व धारदार बनाने के साथ-साथ झारखंड की भाषा-संस्कृति व “अखड़ा-…
  • विजय विनीत
    अयोध्या के बाबरी मस्जिद विवाद की शक्ल अख़्तियार करेगा बनारस का ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा?
    12 May 2022
    वाराणसी के ज्ञानवापी प्रकरण में सिविल जज (सीनियर डिविजन) ने लगातार दो दिनों की बहस के बाद कड़ी सुरक्षा के बीच गुरुवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि अधिवक्ता कमिश्नर नहीं बदले जाएंगे। उत्तर प्रदेश के…
  • राज वाल्मीकि
    #Stop Killing Us : सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का मैला प्रथा के ख़िलाफ़ अभियान
    12 May 2022
    सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन पिछले 35 सालों से मैला प्रथा उन्मूलन और सफ़ाई कर्मचारियों की सीवर-सेप्टिक टैंको में हो रही मौतों को रोकने और सफ़ाई कर्मचारियों की मुक्ति तथा पुनर्वास के मुहिम में लगा है। एक्शन-…
  • पीपल्स डिस्पैच
    अल-जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह की क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीन में इज़रायली सुरक्षाबलों ने हत्या की
    12 May 2022
    अल जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह (51) की इज़रायली सुरक्षाबलों ने उस वक़्त हत्या कर दी, जब वे क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक स्थित जेनिन शरणार्थी कैंप में इज़रायली सेना द्वारा की जा रही छापेमारी की…
  • बी. सिवरामन
    श्रीलंकाई संकट के समय, क्या कूटनीतिक भूल कर रहा है भारत?
    12 May 2022
    श्रीलंका में सेना की तैनाती के बावजूद 10 मई को कोलंबो में विरोध प्रदर्शन जारी रहा। 11 मई की सुबह भी संसद के सामने विरोध प्रदर्शन हुआ है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License