NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
पाकिस्तान
पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में खाद्य वस्तुओं की क़ीमतों में वृद्धि के ख़िलाफ़ प्रदर्शन तेज़
पाकिस्तानी प्रशासित जम्मू और कश्मीर में गेहूं की क़ीमतों में 30 प्रतिशत की वृद्धि के साथ सरकारी दमन के बावजूद लोगों को बुनियादी खाद्य वस्तुओं की सब्सिडी को लागू करने के लिए प्रदर्शन करने को मजबूर होना पड़ा है।
पीपल्स डिस्पैच
15 Jan 2021
पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर

गेहूं की कीमत में सब्सिडी की मांग को लेकर पाकिस्तान प्रशासित जम्मू-कश्मीर के पाटन में कर्मचारियों के खिलाफ बल प्रयोग और जम्मू कश्मीर नेशनल स्टूडेंट्स फेडरेशन के संपादक अल्तमश तसद्दुक की गिरफ्तारी के बाद इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया जो दूसरे दिन गुरुवार 14 जनवरी को भी जारी रहा। पुंछ के रावलकोट में कीमत में वृद्धि के खिलाफ रात के हड़ताल के आह्वान के बाद ये प्रदर्शन किया गया।

लोग "आटा सहित बुनियादी वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के खिलाफ और गेहूं सब्सिडी को लागू करने को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।" 13 जनवरी को पाटन में बड़ी संख्या में लोग मुख्य सड़क को अवरुद्ध करते हुए सड़कों पर उतर आए और अधिकारियों पर "आटा की उपलब्धता न होने, उच्च कीमतों और मुनाफाखोरी" आरोप लगाया।

इन प्रदर्शनकारियों को भारी संख्या में तैनात सरकारी बलों ने दखल देते हुए रोक लिया। पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को तितर बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागते हुए हिंसात्मक कार्रवाई की।

रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर क्षेत्र में गेहूं की कीमत पिछले कुछ महीनों से 30 प्रतिशत तक बढ़ गई है, जिससे इस पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों में बहुत अधिक नाराजगी पैदा कर दी है।

जम्मू कश्मीर नेशनल स्टूडेंट्स फेडरेशन के प्रमुख नेता रियाज़ बलूच के अनुसार: "आटा की सब्सिटी बाहल (#restorefloursubsidies) करने को लेकर ये आंदोलन हाशिए पर मौजूद लोगों के अधिकारों को दिलाने के पक्ष में देश भर में बड़े आंदोलन के लिए प्रेरणा बननेे जा रहा है। मुझे लगता है कि हमारी भावी पीढ़ी के अधिकार के लिए यह एक ऐतिहासिक आंदोलन साबित होगा।।”

कीमत में वृद्धि के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों को संबोधित करते हुए रियाज़ ने इन विरोधों पर अंकुश लगाने के लिए अधिकारियों की निंदा की। उन्होंने कहा: "हम इस वर्तमान व्यवस्था द्वारा बनाई गई नीतियों को अस्वीकार करते हैं। हम किसी भी व्यक्ति के व्यक्तिगत अधिकारों या मृतक के अधिकारों की मांग नहीं कर रहे हैं, बल्कि हम अपने लोगों के बुनियादी अधिकारों की मांग कर रहे हैं। इसमें इतना खतरा क्या है?"

इस बीच, स्थानीय लोग इस बात को स्वीकार करते हैं कि खाद्य की कीमत में वृद्धि के खिलाफ जन आंदोलन पूरी तरह से ऐसे लोगों के नेतृत्व में है जो ज्यादातर विभिन्न गांवों और बाज़ारों में जमीनी स्तर की कार्य समितियों में काम कर रहे हैं जो स्पष्ट रूप से अपनी प्रकृति में गैर-श्रेणीबद्ध है।

pakistan administered kashmir
POK
Food Inflation
food inflation in kashmir

Related Stories

आटा भी हो गया महंगा, क्या कर रही सरकार?

मोदी  महंगाई पर बुलडोजर क्यों नहीं चलाते?

महंगाई के आक्रोश को मुस्लिमों के ख़िलाफ़ नफ़रत बढ़ाकर ढकने की कोशिश, आख़िर किसका नुक़सान? 

खाद्य मुद्रास्फीति संकट को और बढ़ाएगा रूस-यूक्रेन युद्ध

महंगाई मार गई...: चावल, आटा, दाल, सरसों के तेल से लेकर सर्फ़ साबुन सब महंगा

कश्मीरी माहौल की वे प्रवृत्तियां जिनकी वजह से साल 1990 में कश्मीरी पंडितों का पलायन हुआ

खुदरा महंगाई दर में रिकॉर्ड उछाल से आम लोगों पर महंगाई की मार पिछले 6 महीने में सबसे ज़्यादा

गुरुग्राम में बेरोजगारी, कम कमाई और बढ़ती महंगाई के बीच पिसते मजदूरों का बयान

बढ़ती थोक महंगाई दर और बदहाल होती भारत की अर्थव्यवस्था 

तिरछी नज़र: सर जी, प्लीज़ यह महंगाई हमसे मत छीनिये


बाकी खबरें

  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?
    22 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने पत्रकार और मेरठ दंगो को करीब से देख चुके कुर्बान अली से बात की | 35 साल पहले उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास हुए बर्बर मलियाना-…
  • Modi
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक
    22 May 2022
    हर बार की तरह इस हफ़्ते भी, इस सप्ताह की ज़रूरी ख़बरों को लेकर आए हैं लेखक अनिल जैन..
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'कल शब मौसम की पहली बारिश थी...'
    22 May 2022
    बदलते मौसम को उर्दू शायरी में कई तरीक़ों से ढाला गया है, ये मौसम कभी दोस्त है तो कभी दुश्मन। बदलते मौसम के बीच पढ़िये परवीन शाकिर की एक नज़्म और इदरीस बाबर की एक ग़ज़ल।
  • diwakar
    अनिल अंशुमन
    बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका
    22 May 2022
    बिहार के चर्चित क्रन्तिकारी किसान आन्दोलन की धरती कही जानेवाली भोजपुर की धरती से जुड़े आरा के युवा जन संस्कृतिकर्मी व आला दर्जे के प्रयोगधर्मी चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर को एक जीवंत मिसाल माना जा…
  • उपेंद्र स्वामी
    ऑस्ट्रेलिया: नौ साल बाद लिबरल पार्टी सत्ता से बेदख़ल, लेबर नेता अल्बानीज होंगे नए प्रधानमंत्री
    22 May 2022
    ऑस्ट्रेलिया में नतीजों के गहरे निहितार्थ हैं। यह भी कि क्या अब पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन बन गए हैं चुनावी मुद्दे!
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License