NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
तीन प्रमुख नीतियों पर बार-बार बदलते रुख से बिगड़ गये कोविड-19 के हालात
कम से कम तीन बड़े नीतिगत निर्णय ऐसे रहे हैं जिन्हें लागू करने या उसमें बदलाव पर हमेशा सवाल उठेंगे। ये हैं- टेस्टिंग, लॉकडाउन और अनलॉक और प्रवासी मज़दूर। इन तीनों ही मसलों पर केंद्र सरकार की नीतियां ढुलमुल दिखीं हैं, जिसका ख़ामियाज़ा देश को उठाना पड़ा है।
प्रेम कुमार
16 Jun 2020
कोविड-19
Image courtesy: The Economic Times

कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण में नकारात्मक अग्रता भारत ने हासिल की है और अब हम इस बीमारी में दुनिया में चौथे नंबर पर और एशिया में पहले नंबर पर पहुंच गए हैं। दुनिया में सबसे सख्त लॉकडाउन में जाने के बावजूद यह स्थिति तब आयी है जब लॉकडाउन के फेज से भारत निकलने की कोशिशों में जुटा हुआ है। इसी विडंबना में कोरोना से लड़ने की नीति में बड़ी खोट छिपी है।

कम से कम तीन बड़े नीतिगत निर्णय ऐसे रहे हैं जिन्हें लागू करने या उसमें बदलाव पर हमेशा सवाल उठेंगे। ये हैं-

  • ·          टेस्टिंग
  • ·          लॉकडाउन और अनलॉक
  • ·          और प्रवासी मज़दूर

इन तीनों ही मसलों पर केंद्र सरकार की नीतियां ढुलमुल दिखीं हैं, जिसका ख़ामियाज़ा देश को उठाना पड़ा है।

ख़तरनाक तरीके से बदलती रही टेस्टिंग पॉलिसी

14 जून को कोविड-19 के लिए रैपिड एंटीजेन डिटेक्शन टेस्ट के लिए आईसीएमआर की एडवाइजरी आयी है। यह नयी तकनीक है और इसमें कम समय में अधिक से अधिक लोगों का टेस्ट हो सकेगा। इसके तहत दो टेस्ट हैं। एक टेस्ट निगेटिव आने पर दूसरा टेस्ट होगा। पॉजिटिव आने पर दूसरा टेस्ट नहीं होगा। ताजा आदेश में टेस्टिंग का दायरा बढ़ा दिया गया है। यानी 18 मई को जो टेस्टिंग की पॉलिसी थी उसे बदल दिया गया।

अब बगैर लक्षण वाले संभावित कोविड मरीजों की भी जांच होगी। सर्दी, खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ आदि की शिकायत करने वाले लोगों को एक बार फिर इस दायरे में रखा गया है। ऐसा तब किया गया है जब दिल्ली में कोरोना संक्रमण की लगातार बढ़ती संख्या ने सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेने पर मजबूर कर दिया। गृहमंत्रालय ने दिल्ली सरकार और दिल्ली के एलजी के साथ बैठक की और कई फैसलों में एक बड़ा फैसला टेस्टिंग बढ़ाने का था।

17 मार्च और 20 मार्च तक टेस्टिंग की जो पॉलिसी थी उसमें विदेश यात्रा, विदेशियों से संपर्क, कोविड संक्रमित की चेन में शामिल होना, हेल्थ वर्कर होना जैसी स्थितियां शामिल थीं। 9 अप्रैल आते-आते तक टेस्टिंग के दायरे में अधिक से अधिक लोगों को लाने की पॉलिसी हो गयी। इसकी वजह थी कि लगातार बगैर लक्षणों वाले कोरोना संक्रमित मरीजों का मिलना। मगर, आश्चर्यजनक तरीके से 18 मई को इस टेस्टिंग पॉलिसी से यू टर्न ले लिया गया और 20 मार्च वाली टेस्टिंग पॉलिसी पर देश लौट आया।

18 मई के बाद देशभर में टेस्टिंग घटती चली गयी। 20 मई को 24 घंटे में 1 लाख टेस्टिंग की क्षमता तक भारत पहुंच चुका था। 23 मई को 1,15,364 लोगों की टेस्टिंग हुई। मगर, आश्चर्य है कि 23 मई के समान ही 15 जून को टेस्टिंग की संख्या बनी हुई है। अभी यह 24 घंटे में 1,15,519 है। अब तक देश में 57,74,133 लोगों की टेस्टिंग देशभर में हो चुकी है।

टेस्टिंग नियंत्रित करने की नीति देश को महंगी पड़ी है। और, अब दिल्ली के लिए 6 दिन के भीतर 18 हजार टेस्टिंग प्रति दिन के स्तर पर पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है। मगर, यही लक्ष्य दूसरे राज्यों के लिए क्यों नहीं दिए जाते? उम्मीद की जानी चाहिए कि टेस्टिंग पॉलिसी पर 14 जून की नयी गाइडलाइन के बाद बाकी राज्यों में भी टेस्टिंग बढ़ेगी।

लॉकडाउन-अनलॉक पॉलिसी में सही-गलत क्या?

भारत ने जब 24 मार्च की रात 12 बजे से लॉकडाउन लागू किया तब देश में कोरोना मरीजों की संख्या महज 574 थी। आज लद्दाख में भी इससे ज्यादा केस हैं। चार लॉकडाउन और पांचवें लॉकाउन के 14 दिन बाद की स्थिति यह है कि 3 लाख 33 हजार से ज्यादा संक्रमण और 9519 मौत दर्ज हो चुके हैं।

TABLE 1.JPG

तीसरा लॉकडाउन शराब की दुकानें खोलते हुए 4 मई को शुरू हुआ था, तो चौथे लॉकडाउन पर 18 मई को इंडियन मेडिकल काउंसिल ऑफ रिसर्च यानी आईसीएमआर ने टेस्टिंग की पॉलिसी बदल दी। नयी पॉलिसी के हिसाब से बगैर डॉक्टर की अनुशंसा के टेस्टिंग कराना रोक दिया गया। ये दोनों फैसले अजीबोगरीब थे। शराब के बहाने राजकोषीय चिंता अचानक ‘जान है जहान है’ की सोच पर हावी हो गयी, वहीं टेस्टिंग को कम करने वाली पहल ने केंद्र सरकार की नीयत पर भी सवाल उठा दिए।

यह भी कम आश्चर्य की बात नहीं है कि तीसरे लॉकडाउन के दौरान ही केंद्र सरकार ने ‘जो जहां है, वहीं रहे’ की पॉलिसी बदल दी। अप्रैल के अंत तक इसी नीति पर देश कायम था। यह दौर प्रवासी मजदूरों के लिए हताशा और निराशा का था। विभिन्न राज्यों के बीच बसें भेजने की स्पर्धा, प्रवासी मजदूरों को मदद पहुंचाने की उत्कंठा, श्रमिक स्पेशल ट्रेनें आदि इसी दौरान देखने को मिले।

पांचवां लॉकडाउन यानी पहला अनलॉक आते-आते ट्रेनों का चलना भी शुरू हो गया। अब राज्य सरकारें लॉकडाउन का फैसला करने लगीं। ऊपर दिए आंकड़े बताते हैं कि स्थिति लगातार भयावह होती रही। कोरोना संक्रमण से लेकर मौत के आंकड़े तक बढ़ते चले गये। मगर, केंद्र सरकार मानो लॉकडाउन के फैसले को खुद ही पलटने में जुटी रही।

प्रवासी मजदूरों पर पॉलिसी ही नहीं दिखी

प्रवासी मजदूरों की समस्या तभी सामने आ गयी थी जब पहले लॉकडाउन के चार दिन बीते थे और आनंद विहार-यूपी बोर्डर पर घर लौटने के लिए लोग पैदल ही निकल पड़े। 29 मार्च को गृहमंत्रालय ने एक निर्देश जारी किया था जिसमें कहा गया था,

“सभी कर्मचारी चाहे वे उद्योग में हैं या दुकानों में और वाणिज्यिक संस्थानों में उनको समय पर बिना किसी कटौती के लॉकडाउन की पूरी अवधि के लिए वेतन का भुगतान देय तिथि पर किया जाएगा।“

इसके अलावा उसी निर्देश में यह भी कहा गया था,

“अगर कोई मकान मालिक किसी श्रमिक या छात्र को अपना घर खाली करने को कहता है तो उनके खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी।”

सच ये है कि श्रमिकों की नौकरियां भी गयीं, इस दौर में सैलरी भी नहीं मिली और वे घर से बेघर भी हुए। फिर भी गृहमंत्रालय के निर्देश के उल्लंघन पर देश में किसी एक पर भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। 17 मई को गृहमंत्रालय ने वह आदेश भी वापस ले लिया। इससे पहले 15 मई को सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने प्रवासी मजदूरों के उनके घर लौटने या सड़क पर पैदल चलने को लेकर बेबसी भी दिखलायी।

प्रवासी मजदूरों पर केंद्र सरकार के बदलते रुख को इस बात पर समझा जा सकता है कि अप्रैल के अंत तक ‘जो जहां हैं वहां रहे’ की नीति थी जो मई आते-आते बदल गयी। स्पेशल बसें चलने लगीं, श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चल पड़ीं। कुव्यवस्था के बीच प्रवासी करीब डेढ़ सौ मजदूर सड़क पर चलते हुए, भूख से या हादसों का शिकार होकर जान गंवा बैठे। वहीं स्पेशल ट्रेनों से घर लौट रहे दर्जनों लोग ज़िन्दा नहीं बचे। 

लॉकडाउन से लेकर अनलॉक, टेस्टिंग और प्रवासी मजदूरों पर नीतियां एक जैसी नहीं रही। इसमें बदलाव होते रहे। भ्रम की स्थिति सरकार में भी रही और आम लोगों में भी। प्रांतीय सरकारें आज तक लॉकडाउन और अनलॉक में फर्क नहीं समझ सकी हैं। हर प्रांत में अलग-अलग नियम इसके सबूत हैं। टेस्टिंग कम करना ही प्रांतीय सरकारों ने केंद्र सरकार की नीति से सीखा। इन सब कारणों से कोरोना को लेकर लड़ने के बजाय इसे छिपाने की प्रवृत्ति बढ़ती चली गयी। ऐसे में अब ख़तरनाक नतीजे तो आएंगे ही। मगर, सरकार समय पर सीख ले, यह सबसे अधिक ज़रूरी लगता है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Coronavirus
COVID-19
Lockdown
India Lockdown
Migrant workers
BJP
Narendra modi
modi sarkar

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड के खिलाफ मुख्यमंत्री के समक्ष ऐक्टू का विरोध प्रदर्शन
    20 May 2022
    मुंडका, नरेला, झिलमिल, करोल बाग से लेकर बवाना तक हो रहे मज़दूरों के नरसंहार पर रोक लगाओ
  • रवि कौशल
    छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस
    20 May 2022
    प्रचंड गर्मी के कारण पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे गेहूं उत्पादक राज्यों में फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है।
  • Worship Places Act 1991
    न्यूज़क्लिक टीम
    'उपासना स्थल क़ानून 1991' के प्रावधान
    20 May 2022
    ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ा विवाद इस समय सुर्खियों में है। यह उछाला गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर क्या है? अगर मस्जिद के भीतर हिंदू धार्मिक…
  • सोनिया यादव
    भारत में असमानता की स्थिति लोगों को अधिक संवेदनशील और ग़रीब बनाती है : रिपोर्ट
    20 May 2022
    प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट में परिवारों की आय बढ़ाने के लिए एक ऐसी योजना की शुरूआत का सुझाव दिया गया है जिससे उनकी आमदनी बढ़ सके। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य, शिक्षा, पारिवारिक विशेषताओं…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हिसारः फसल के नुक़सान के मुआवज़े को लेकर किसानों का धरना
    20 May 2022
    हिसार के तीन तहसील बालसमंद, आदमपुर तथा खेरी के किसान गत 11 मई से धरना दिए हुए हैं। उनका कहना है कि इन तीन तहसीलों को छोड़कर सरकार ने सभी तहसीलों को मुआवजे का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License