NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
बांग्लादेश में गारमेंट फैक्ट्री के कर्मचारियों ने बकाया के समय से भुगतान की मांग को लेकर धरना दिया 
बांग्लादेश में COVID-19 मामलों में अब तक वृद्धि देखी गई है। फिर से खुलने वाले अधिकांश कारखानों में अनिवार्य उपायों की कमी पाई गई है जो हजारों कर्मचारियों के स्वास्थ्य को ख़तरे में डालता है।
पीपल्स डिस्पैच
04 May 2020
बांग्लादेश
Image courtesy: The Daily Star

बांग्लादेश के गाजीपुर ज़िले में एमएचसी अप्पारेल्स लिमिटेड के सैकड़ों कर्मचारियों ने पिछले तीन महीनों से बकाया राशि के भुगतान की मांग को लेकर धरना दिया। कारखाने में प्रवेश करने वाले 1900 कर्मचारियों ने काम करने से इनकार कर दिया और विरोध में बैठ गए।

कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें इस साल फरवरी महीने से उनके बकाया का भुगतान नहीं किया गया है और पिछले अगस्त से उनका ओवरटाइम बकाया है।

कारखाने में लगभग 3000 कर्मचारी हैं। COVID -19 के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण बाकी कर्मचारी काम करने के लिए नहीं आ रहे हैं।

विरोध न करने के लिए स्थानीय बदमाशों के ज़रिए अधिकारियों द्वारा सहारा लेने के कर्मचारियों के दावों का फैक्ट्री के प्रबंधन इनकार किया है। हालांकि प्रबंधन ने ओवरटाइम का भुगता अगस्त से लंबित होने की बात से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि सिर्फ फरवरी से ही बिल लंबित है।

डेली स्टार के अनुसार, प्रबंधन ने बाद में आश्वासन दिया कि शेष सभी बकाया राशि का भुगतान 13 मई तक कर दिया जाएगा।

दुनिया में रेडीमेड कपड़ों के दूसरे सबसे बड़े निर्यातक बांग्लादेश के सभी कपड़ा कारखाने COVID-19 संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण बंद थे। हालांकि, सरकार के साथ एक बैठक में कार्यस्थल पर सख्त फिजिकल जिस्टेंसिंग के मानदंडों का पालन करने और सुरक्षात्मक उपायों की व्यवस्था करने के लिए सहमत होने के बाद कुल 7602 फैक्ट्रियों में से लगभग 2600 कारखानों ने पिछले हफ्ते से काम करना शुरू कर दिया है।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के राष्ट्रीय निदेशक टूओमो पूटिएनेन ने COVID-19 विशिष्ट ओएसएच दिशानिर्देशों में शामिल निर्वाह भत्ता, बुनियादी स्वास्थ्य सेवा और आय सुरक्षा की उम्मीद जताई थी।

हालांकि कुछ कारखानों ने इनमें से कुछ उपायों को अपनाया है, लेकिन अधिकांश कारखाने अन्य हजारों कर्मचारियों को जोखिम में डालते हुए इसमें लापरवाह पाए गए हैं। अधिकांश कारखाने छोटे स्थानों में संचालित होते हैं, इसलिए फिजिकिल डिस्टेंसिंग को मेनटेन रखना बहुत मुश्किल है।

बांग्लादेश में COVID-19 संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़ रही है। पहला मामला 8 मार्च को सामने आया था। 2 मई को 665 नए मामलों के साथ सबसे ज़्यादा मामले सामने आए। देश में अब तक कुल 9455 मामले सामने आए हैं जिसमें 177 लोगों की मौत हो गई है। अब तक क़रीब 1000 लोग ठीक हो चुके हैं।

साभार : पीपल्स डिस्पैच 

Bangladesh
bangladesh garment worker in corona
garment workers
Workers and Labors
workers protest

Related Stories

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?

#Stop Killing Us : सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का मैला प्रथा के ख़िलाफ़ अभियान

मध्य प्रदेश : आशा ऊषा कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन से पहले पुलिस ने किया यूनियन नेताओं को गिरफ़्तार

झारखंड: हेमंत सरकार की वादाख़िलाफ़ी के विरोध में, भूख हड़ताल पर पोषण सखी

अधिकारों की लड़ाई लड़ रही स्कीम वर्कर्स

अर्बन कंपनी से जुड़ी महिला कर्मचारियों ने किया अपना धरना ख़त्म, कर्मचारियों ने कहा- संघर्ष रहेगा जारी!

एक बड़े आंदोलन की तैयारी में उत्तर प्रदेश की आशा बहनें, लखनऊ में हुआ हजारों का जुटान

दिल्ली: ऐक्टू ने किया निर्माण मज़दूरों के सवालों पर प्रदर्शन

मज़दूर हड़ताल : "कृषि कानूनों की तरह ही लेबर कोड की भी होगी वापसी"


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा
    20 May 2022
    एक तरफ भारत की बहुसंख्यक आबादी बेरोजगारी, महंगाई , पढाई, दवाई और जीवन के बुनियादी जरूरतों से हर रोज जूझ रही है और तभी अचनाक मंदिर मस्जिद का मसला सामने आकर खड़ा हो जाता है। जैसे कि ज्ञानवापी मस्जिद से…
  • अजय सिंह
    ‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार
    20 May 2022
    मौजूदा निज़ामशाही में असहमति और विरोध के लिए जगह लगातार कम, और कम, होती जा रही है। ‘धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना’—यह ऐसा हथियार बन गया है, जिससे कभी भी किसी पर भी वार किया जा सकता है।
  • India ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेता
    20 May 2022
    India Ki Baat के दूसरे एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, भाषा सिंह और अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेताओं की। एक तरफ ज्ञानवापी के नाम…
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    पूजा स्थल कानून होने के बावजूद भी ज्ञानवापी विवाद कैसे?
    20 May 2022
    अचानक मंदिर - मस्जिद विवाद कैसे पैदा हो जाता है? ज्ञानवापी विवाद क्या है?पक्षकारों की मांग क्या है? कानून से लेकर अदालत का इस पर रुख क्या है? पूजा स्थल कानून क्या है? इस कानून के अपवाद क्या है?…
  • भाषा
    उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी दिवानी वाद वाराणसी जिला न्यायालय को स्थानांतरित किया
    20 May 2022
    सर्वोच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश को सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 के तहत, मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन पर पहले फैसला करने का निर्देश दिया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License