NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
PUDR ने तेलतुंबडे व नवलखा की रिहाई की मांग की, जेलों में बंद बुजुर्गों को भी रिहा करने की अपील
हाल में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के एक अधिकारी में COVID-19 के संक्रमण की पुष्टि के बाद संगठन का ये बयान सामने आया है। 14 अप्रैल को दोनों की गिरफ्तारी से पहले तेलतुंबडे ने एनआईए कार्यालय में 11 दिन बिताए थे और उन्हें सांस संबंधी परेशानी है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
30 Apr 2020
तेलतुंबडे व नवलखा

एक्टिविस्ट आनंद तेलतुंबडे और गौतम नवलखा की रिहाई की मांग करते हुए पीपल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (PUDR-पीयूडीआर) ने अधिक उम्र वाले लोगों को भी देश भर की जेलों से रिहा करने की मांग की।

हाल में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के एक अधिकारी में कोविड-19 के संक्रमण की पुष्टि के बाद संगठन का ये बयान सामने आया है। 14 अप्रैल को दोनों की गिरफ्तारी से पहले तेलतुंबडे ने एनआईए कार्यालय में 11 दिन बिताए थे, लेकिन एजेंसी ने पूछताछ में अधिकारी के उनके संपर्क में आने से इनकार किया है। बाद में की गई जांच के अनुसार तेलतुंबडे में कोविड-19 पॉजिटिव नहीं पाया गया।

पीयूडीआर ने कहा कि "जेलों में अधिक जोखिम और उनके निरंतर सांस की बीमारी को लेकर चिंतित है। हम यह दोहराना चाहते हैं कि जेलों में बंद लोगों के लिए ये जोखिम स्वभाविक और गंभीर परिणामों वाले हैं। प्रोफेसर आनंद तेलतुंबडे की उम्र 70 वर्ष और श्री गौतम नवलखा की उम्र 67 वर्ष है। दोनों ने ही जांच के लिए स्वेच्छा से आत्मसमर्पण कर दिया है। जांच एजेंसी ने पूछताछ के लिए आगे हिरासत की कोई इच्छा नहीं जताई है। इस प्रकार उन्हें हिरासत में रखकर कोई उद्देश्य पूरा नहीं किया जा रहा है।"

पीयूडीआर ने उल्लेख किया कि कोविड-19 के कारण जेल के कैदियों के सामने आने वाले सेहत संबंधी ख़तरों के बारे में बार-बार कहा गया है। संगठन ने कहा कि “उसने आरोपों की प्रकृति पर विचार किए बिना, बुज़ुर्ग क़ैदियों को और जो स्वास्थ्य की परेशानी झेल रहे हैं उनके लिए ज़मानत की मांग की है। संक्रामक रोगों के लिए जेलों को सबसे ज़्यादा प्रजनन करने वाले आधारों में से एक माना जाता है और उनके लिए ज़िंदगी के लिए ख़तरे अधिक स्पष्ट हैं।”

पीयूडीआर ने केंद्र और न्यायालयों से अपील की कि "असाधारण परिस्थितियों" और "अधिक उम्र के लोगों और वर्तमान में देश की जेलों में बंद बीमार लोगों के लिए" अंतरिम ज़मानत की अनुमति दी जाए।

तेलतुंबडे के वकीलों और परिवार ने उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं। उन्हें सांस लेने की भी समस्या है।

दो साल के क़रीब हो रहा है जब तेलतुंबडे और नवलखा पर मामला दर्ज किया गया और सभी स्तरों पर अदालतों में याचिका दायर करने के बाद दोनों ने एनआईए के कार्यालय के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।

इस साल 17 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी से पहले की ज़मानत याचिका को ख़ारिज कर दिया था और उन्हें जांच एजेंसी के समक्ष समर्पण करने का निर्देश दिया था। कथित रूप से माओवादी लिंक होने और प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश रचने के आरोप में तेलतुंबडे, नवलखा और नौ अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं पर ग़ैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के कड़े प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया।

दोनों ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया है। शीर्ष अदालत ने 17 मार्च को तेलतुंबडे और नवलखा की ज़मानत याचिका को ख़ारिज करते हुए उन्हें अभियोजन एजेंसी के समक्ष तीन सप्ताह की अवधि में आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। बाद में दोनों ने समय बढ़ाने की मांग की। 9 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने आख़िरी मौके के रूप में एक सप्ताह का समय बढ़ा दिया।

भीमा-कोरेगांव में भड़की हिंसा के बाद पुणे पुलिस द्वारा आरंभ में इन कार्यकर्ताओं पर मामला दर्ज किया गया था। पुलिस ने इन कार्यकर्ताओं पर 31 दिसंबर 2017 को पुणे में हुई एल्गार परिषद की बैठक में भड़काऊ भाषण देने और उकसाने वाला बयान देने का आरोप लगाया, जिससे अगले दिन हिंसा भड़क गई।

पुलिस ने यह भी आरोप लगाया कि ये कार्यकर्ता प्रतिबंधित माओवादी समूहों के सक्रिय सदस्य थे। बाद में ये मामला एनआईए को स्थानांतरित कर दिया गया। जब तेलतुंबडे और नवलखा के गिरफ्तारी पूर्व ज़मानत याचिका पर सुनवाई की जा रही थी तो उनको बॉम्बे हाईकोर्ट ने अंतरिम संरक्षण दिया था। उच्च न्यायालय द्वारा उनकी याचिका को ख़ारिज करने के बाद, उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल लेख को नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ा जा सकता है।

PUDR Demands Teltumbde, Navlakha’s Release, Asks Centre to Release Elderly from Prisons

Prisons
COVID-19
Coronavirus
gautam navlakha
Anand Teltumbde

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License