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सरकार का निजीकरण की दिशा में बड़ा कदम, बीपीसीएल समेत पांच कंपनियों में हिस्सेदारी बेचेगी सरकार
केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक पहले चरण में पांच कंपनियों - भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन और नार्थ ईस्टर्न इलेक्टिक पावर कॉरपोरेशन की बिक्री की जाएगी।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
21 Nov 2019
nirmala sitaraman
फाइल फोटो

नई दिल्ली: सरकार ने बुधवार को निजीकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पेट्रोलियम क्षेत्र की प्रमुख कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल), पोत परिवहन कंपनी भारतीय जहाजरानी निगम (एससीआई) और माल ढुलाई से जुड़ी कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकार) में सरकारी हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी दे दी।

साथ ही चुनिंदा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में हिस्सेदारी को 51 प्रतिशत से नीचे लाने को मंजूरी दी है।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार शाम को हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संवाददाताओं से कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की देश की दूसरी सबसे बड़ी रिफाइनरी कंपनी बीपीसीएल से नुमालीगढ़ रिफाइनरी को अलग किया जायेगा। उसके बाद प्रबंधन नियंत्रण के साथ बीपीसीएल में सरकार की 53.29 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी दे दी गई।  

मंत्रिमंडल ने एससीआई में सरकार की पूरी 63.75 प्रतिशत हिस्सेदारी तथा कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में 30.9 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने को भी मंजूरी दे दी। सरकार की कॉनकार में फिलहाल 54.80 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

मंत्री ने कहा कि इसके अलावा सरकार टीएचडीसी इंडिया तथा नार्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन लि. (एनईईपीसीओ) में सरकार की हिस्सेदारी को सार्वजनिक क्षेत्र की एनटीपीसी लि. को बेच दिया जायेगा।

सरकार ने इसके साथ ही इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) जैसे चुनिंदा सार्वजनिक उपक्रमों में अपनी हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से नीचे लाने को मंजूरी दे दी। हालांकि, इनमें प्रबंधन नियंत्रण सरकार अपने पास ही रखेगी।

विनिवेश की जाने वाली कंपनी की हिस्सेदारी दूसरे सार्वजनिक उपक्रमों को बेचे जाने के आधार पर सरकार का उस इकाई में प्रबंधन नियंत्रण होगा। सरकार की फिलहाल आईओसी में 51.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसमें 25.9 प्रतिशत हिस्सेदारी सार्वजनिक क्षेत्र की एलआईसी के पास तथा ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) तथा ऑयल इंडिया लि. के पास है। सरकार 26.4 प्रतिशत हिस्सेदारी करीब 33,000 करोड़ रुपये में बेच सकती है।

सीतारमण ने कहा कि नुमालीगढ़ रिफाइनरी को सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनी को सौंपा जायेगा। पूर्वोत्तर में निजीकरण की पहल को लेकर चिंता को दूर करते हुए यह कदम उठाया गया है।

आपको बता दें कि सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 में विनिवेश की मदद से 1.05 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. अब तक करीब 17365 करोड़ रुपये जुटाए जा चुके हैं।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार भारत पेट्रोलियम (बीपीसीएल) के प्रस्तावित विनिवेश की खबरों की पृष्ठभूमि में कांग्रेस के एक सदस्य ने लोकसभा में बुधवार को इस तरह के फैसले को देशहित के लिए नुकसानदेह बताते हुए सरकार से इस पर पुनर्विचार की मांग की।

कांग्रेस के हीबी इडन ने नियम 377 के तहत इस विषय को उठाते हुए कहा कि खबरों के अनुसार बीपीसीएल के विनिवेश का सैद्धांतिक फैसला लिया गया है जो देशहित के लिए नुकसान वाला है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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