NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
ग्राउंड रिपोर्ट : हरियाणा में किसानों के चक्का जाम का व्यापक असर, सड़कों पर नारों के साथ गूंजी रागनी
इस चक्का जाम मे महिला, नौजवान और बुज़ुर्ग किसानों की अच्छी खासी संख्या थी। चक्का जाम के दौरान सड़कों का नज़ारा पूरी तरह बदला हुआ था। जिन सड़कों और हाईवे पर गाड़ियां बुलेट की गति से दौड़ती थी वहां किसान शांति से बैठे थे। कहीं किसान बैठकर रागनी गा रहे थे तो कहीं ताश खेलकर मन बहला रहे थे।
मुकुंद झा
06 Feb 2021
हरियाणा

मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं के साथ देशभर में आंदोलन लगातार तेज़ हो रहा है। इसके समर्थन में आ, शनिवार 6 फरवरी को देशभर में तीन घंटे के लिए चक्का जाम किया गया है। इसी के तहत पूरे हरियाणा में किसान व अन्य लोगों ने सड़क पर उतरकर रास्ता बन्द किया। हालांकि उन्होंने इस दौरान अपातकालीन सेवाओं को बाधित नहीं किया ।

इस चक्का जाम मे महिला, नौजवान और बुज़ुर्ग किसानों की अच्छी खासी संख्या थी। चक्का जाम के दौरान सड़कों का नज़ारा पूरी तरह बदला हुआ था। जिन सड़कों और हाईवे पर गाड़ियां बुलेट की गति से दौड़ती थी वहां किसान शांति से बैठे थे। कहीं किसान बैठकर रागनी गा रहे थे तो कहीं किसानों के समूह सड़क पर बैठकर ताश खेलकर वक्त बिता रहे थे। कई किसान सड़कों पर ही लेट कर जाम के साथ आराम की मुद्रा थे तो महिलाएं भी बैठकर गाना गा रही थीं।

झज्जर के पास रोहदा टोल प्लाजा के पास चक्का जाम का नेतृत्व कर रहे हरियाणा किसान सभा उपाध्यक्ष प्रीत सिंह  ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा संयुक्त मोर्चे के आवाह्न पर पूरे राज्य में किसान और आम जनता सड़कों पर उतरी है। ये चक्का जाम सरकार की हठधर्मिता के ख़िलाफ़ है।

उन्होंने कृषि मंत्री के संसद में दिए उस बयान पर भी टिप्पणी की, जिसमे मंत्री ने कहा था कि आजतक किसी ने यह नही बताया कि इन तीनों कानूनों मे काला क्या है? हम आज भी इसमें सुधार के लिए तैयार हैं। प्रीत सिंह ने कहा कि यह कानून एक लाश है और लाश का ऑपरेशन नहीं होता बल्कि उसे दाग़ (जला) देते हैं। यह कानून पूरी तरह से किसानों के ख़िलाफ़ हैं इसलिए इसमें संशोधन नहीं बल्कि इनकी वापसी ही रास्ता है।

हरियाणा के सापंला से आईं  रामरती एक महिला किसान हैं, वो करीब ढाई बीघे ज़मीनी पर खेती करती हैं। वो भी इस चक्का जाम का हिस्सा थीं। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने सभी को सड़क पर ला दिया है। जब हम कह रहे है हमे यह कानून नहीं चाहिए फिर भी सरकार ज़बरदस्ती हम पर लागू कर रही है। उन्होने कहा हम इस अंदोलन को सफल बनाने
इस चक्का जाम में रोहतक से शामिल होने आई हैं। हम पीछे हटने वाले नहीं हैं। 

80 वर्षीय वृद्ध धर्मेंद्र जो आन्दोलन शुरू होने के बाद से ही रोजाना हरियाणा के सांपला के पास समलखा गांव  से टिकरी बॉर्डर अपनी रेंजर साइकिल पर यूनियन का झंडा लगाकर जाते हैं,  उन्होंने  न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि मेरी उम्र इतनी हो गई है लेकिन इतनी जालिम सरकार नहीं देखी। पहले बच्चों की नौकरी छीन ली और अब हमारी खेती छीन रही है।

 सामाजिक कार्यकर्ता वीना मलिक ने कहा यह आन्दोलन अब जन आंदोलन बन चुका है। वीना मलिक ने कहा कि इस आन्दोलन में महिला, पुरुष सब कंधे से कंधा मिलाकर लड़ रहे हैं। महिलाएं इस आन्दोलन की अगुवा हैं और उनके पुरुष साथी भी उनका साथ दे रहे हैं।

‘संयुक्त किसान मोर्चा’ के नेताओ ने कहा कि सरकार और दिल्ली पुलिस ने किसानों के आंदोलन को दबाने के लिए दिल्ली के बॉर्डर्स के सभी रास्ते बंद कर दिये हैं। बिजली-पानी और इंटरनेट जैसी सुविधाएं भी बंद कर दी हैं। आंदोलन में शामिल होने के लिए दिल्ली आ रहे लोगों को ट्रेनों में परेशान किया जा रहा है। आंदोलन को कवर कर रहे पत्रकारों को गिरफ्तार किया जा रहा है और उन्हें किसानों के मोर्चों तक पहुंचने से रोका जा रहा है। किसानों के साथ इस तरह का अत्याचार सहन नहीं किया जाएगा। इसलिए इसके विरोध में  देशभर में यह  चक्का जाम किया गया है।  

इसके साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा ने फैसला किया है कि जब तक पुलिस और प्रशासन द्वारा किसानों के आंदोलन के खिलाफ विभिन्न प्रकार के उत्पीड़न पर तुरंत रोक नहीं लगाई जाती, तब तक सरकार के साथ कोई औपचारिक बातचीत नहीं होगी।

Chakka Jaam
farmers protest
Farm bills 2020
Haryana Chakka jaam
Haryana
BJP
Congress
Farmers union
Sanyukt Kisan Morcha

Related Stories

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

हिसारः फसल के नुक़सान के मुआवज़े को लेकर किसानों का धरना

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

दिल्ली: सांप्रदायिक और बुलडोजर राजनीति के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

आंगनवाड़ी महिलाकर्मियों ने क्यों कर रखा है आप और भाजपा की "नाक में दम”?


बाकी खबरें

  • भाषा
    ज्ञानवापी मामला : अधूरी रही मुस्लिम पक्ष की जिरह, अगली सुनवाई 4 जुलाई को
    30 May 2022
    अदालत में मामले की सुनवाई करने के औचित्य संबंधी याचिका पर मुस्लिम पक्ष की जिरह आज भी जारी रही और उसके मुकम्मल होने से पहले ही अदालत का समय समाप्त हो गया, जिसके बाद अदालत ने कहा कि वह अब इस मामले को…
  • चमन लाल
    एक किताब जो फिदेल कास्त्रो की ज़ुबानी उनकी शानदार कहानी बयां करती है
    30 May 2022
    यद्यपि यह पुस्तक धर्म के मुद्दे पर केंद्रित है, पर वास्तव में यह कास्त्रो के जीवन और क्यूबा-क्रांति की कहानी बयां करती है।
  • भाषा
    श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह प्रकरण में दो अलग-अलग याचिकाएं दाखिल
    30 May 2022
    पेश की गईं याचिकाओं में विवादित परिसर में मौजूद कथित साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की संभावना को समाप्त करने के लिए अदालत द्वारा कमिश्नर नियुक्त किए जाने तथा जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की उपस्थिति…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बेंगलुरु में किसान नेता राकेश टिकैत पर काली स्याही फेंकी गयी
    30 May 2022
    टिकैत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘स्थानीय पुलिस इसके लिये जिम्मेदार है और राज्य सरकार की मिलीभगत से यह हुआ है।’’
  • समृद्धि साकुनिया
    कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम जॉब पैकेज में कोई सुरक्षित आवास, पदोन्नति नहीं 
    30 May 2022
    पिछले सात वर्षों में कश्मीरी पंडितों के लिए प्रस्तावित आवास में से केवल 17% का ही निर्माण पूरा किया जा सका है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License