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भारत
राजनीति
गुजरातः सीएम पद में बदलाव की अटकलों वाली ख़बर के लिए पत्रकार पर राजद्रोह का मुक़दमा और गिरफ़्तारी
रूपाणी के नेतृत्व में गुजरात की भाजपा सरकार को इस बीच आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वह राज्य में कोरोनावायरस संक्रमण के तेज़ी से फैलने को रोक पाने में विफल रही है। इसके अलावा लॉकडाउन की घोषणा के बाद से देश में गिरफ़्तार किए जाने वाले ये चौथे पत्रकार हैं।
दमयन्ती धर
13 May 2020
Vijay Rupan
गुजरात के मुख्यमंत्री, विजय रूपाणी। साभार: स्क्रॉल.इन

एक ऑनलाइन गुजराती न्यूज़ पोर्टल फेस ऑफ द नेशन के संपादक को 11 मई को क्राइम ब्रांच डिटेक्शन (डीसीबी) द्वारा राजद्रोह के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया है। संपादक धवल पटेल को तब गिरफ़्तार किया गया जब उनके पोर्टल पर एक राजनीतिक लेख प्रकाशित किया गया जिसमें इस बात के कयास लगाए गए थे कि बीजेपी शासित गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को सीएम पद से हटाकर उनकी जगह केंद्रीय जहाजरानी मंत्री मनसुख मंडाविया को गुजरात की कमान सौंपी जा सकती है। इस लेख में इस बात का भी दावा किया गया था कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने मंडाविया को दिल्ली में नेतृत्व परिवर्तन के बारे में विचार विमर्श के लिए बुलाया था, क्योंकि रूपाणी राज्य में कोरोना वायरस के तेज़ी से बढ़ते पॉजिटिव मामलों के मद्देनज़र हालात पर काबू पाने में विफल साबित हुए।

रूपाणी के नेतृत्व में गुजरात की भाजपा सरकार को इस बीच आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि यह राज्य में कोरोनावायरस संक्रमण के तेज़ी से फैलने को रोक पाने में विफल रही है। 11 मई तक राज्य में 8,542 पॉजिटिव केस दर्ज हो चुके थे और 513 मरीज़ों की मौत के साथ मृत्यु दर 6% थी, जो देश में सर्वाधिक है।

इसके बाद तो कई स्थानीय समाचार समूहों ने गुजरात सरकार की विफलता की स्टोरी को प्रमुखता से छापना शुरू कर दिया था, जिसमें इस बात के कयास लगाए जाने शुरू हो चुके थे कि इसके चलते राज्य में नेतृत्व परिवर्तन किया जा सकता है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बाद में मनसुख मंडाविया को ट्विटर के ज़रिए स्थिति संभालनी पड़ी कि गुजरात के वर्तमान सीएम को नहीं हटाया जा रहा है।

इस बीच जहां बाकी के किसी अन्य समाचार समूहों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई है, वहीं धवल पटेल के ख़िलाफ़ एक पुलिस कांस्टेबल द्वारा एफआईआर दर्ज कर दी गई। जिसमें दावा किया गया कि यह स्टोरी “आधारहीन थी और महामारी से घिरे प्रदेश में अस्थिरता और भय का वातावरण निर्मित करने के लिए” चलाई गई थी। इस प्राथमिकी के आधार पर आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 45 और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124 ए के तहत मामला दर्ज कर लिया गया।

डीसीबी की एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि गिरफ़्तारी के बाद पटेल को मेडिकल जांच के लिए कोरोना वायरस केयर सेंटर में भेज दिया गया है।

उल्लेखनीय है कि सरकार या सरकारी मशीनरी के ख़िलाफ़ लिखने और विरोध प्रदर्शन करने वाले एक्टिविस्ट को हिरासत में लेने और गिरफ्तार करने को लेकर गुजरात सरकार का पुराना इतिहास रहा है। राज्य में प्रधानमंत्री या बाहर से आ रहे अन्य वीआईपी मेहमानों की अगुआई के दौरान एक्टिविस्ट को एहतियातन हिरासत में रखने या घर में नज़रबंद रखे जाने तक की परम्परा रही है। हालांकि हाल के दिनों में इस घटना के पहले तक गुजरात में किसी भी पत्रकार को गिरफ़्तार नहीं किया गया था।

कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी के मद्देनज़र लॉकडाउन के बाद से ही देश के विभिन्न राज्यों में कई पत्रकारों की गिरफ़्तारियों की सूचनाएं प्राप्त हो रही हैं। एक मराठी न्यूज़ चैनल से संबद्ध एक पत्रकार को 15 अप्रैल को महाराष्ट्र पुलिस ने एक रिपोर्ट को लेकर गिरफ़्तार कर लिया, जिसमें इस बात का इशारा किया गया था कि यहां पर जो प्रवासी श्रमिक फंसे हैं उन्हें उनके गृह राज्यों में भेजने के लिए ट्रेनों का प्रबंध किया जा रहा है। तमिलनाडु के एक पत्रकार एंड्रयू सैम राजा पांडियन को 18 अप्रैल को इसलिए गिरफ़्तार कर लिया गया क्योंकि उन्होंने सिम्पलीसिटी न्यूज़ पोर्टल में प्रकाशित अपने एक लेख में खाद्य वितरण में कथित भ्रष्टाचार को उजागर किया था। इसी तरह कुछ दिनों बाद 27 अप्रैल को अंडमान के एक पत्रकार जुबैर अहमद को ट्विटर पर सवाल उठाने के जुर्म में गिरफ़्तार कर लिया गया था। उन्होंने सवाल किया था कि उन परिवारों को मात्र कोरोना वायरस मरीज़ों के साथ फोन के ज़रिए हालचाल पूछने के लिए अपने घरों में क्वारंटीन रहने के आदेश क्यों दिए गए।

अंग्रेज़ी में लिखा मूल आलेख आप नीचे लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Gujarat Journalist Slapped with Sedition, Arrested for Speculative Story on CM’s Replacement

Gujarat Government
Face of the Nation
COVID-19
Nationwide Lockdown
Freedom of Press
Indian media

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