NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
गुजरात: सरकार को फटकार लगाने वाली हाईकोर्ट बेंच में बदलाव, कम टेस्टिंग और अव्यवस्था पर उठाए थे सवाल!
गुजरात सरकार के कामकाज के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। इस दौरान जस्टिस परदीवाला और जस्टिस इलेश वोरा की बेंच ने कई बार अस्पताल में अव्यवस्था तो कभी कम टेस्टिंग को लेकर विजय रूपाणी सरकार पर सख्त टिप्पणियां की थीं। हाईकोर्ट से जारी नए नोटिफिकेशन के मुताबिक कोरोना वायरस के मामलों की सुनवाई अब नई बेंच करेगी।
सोनिया यादव
29 May 2020
कोरोना वायरस
Image courtesy: The Indian Practitioner

'राज्य सरकार इस बात पर गर्व करती है कि अहमदाबाद का सिविल अस्पताल एशिया का सबसे बड़ा अस्पताल है, लेकिन उसे अब इसे एशिया के सर्वश्रेष्ठ अस्पतालों में शामिल करने के लिए बहुत मेहनत करनी चाहिए।'

गुजरात हाईकोर्ट ने पिछले दिनों कोरोना संक्रमण को लेकर राज्य की विजय रूपाणी सरकार पर सख्त टिप्पणी करते हुए अहमदाबाद सिविल अस्पताल की तुलना काल-कोठरी से की थी। कोर्ट ने कोरोना से निपटने के लिए सरकार के प्रयासों को अपर्याप्त बताते हुए इसे ‘डूबता  टाइटैनिक जहाज़’ तक करार दे दिया था। इस मामले की अगली सुनवाई आज यानी 29 मई को होनी थी लेकिन उससे ठीक एक दिन पहले ही हाईकोर्ट की जिस बेंच ने सरकार को फटकार लगाई थी उसे बदल दिया गया, जिसे लेकर अब नया विवाद शुरू हो गया है। कई लोग इसे सरकार की आलोचना से जोड़कर भी देख रहे हैं।

क्या है पूरा मामला?

राज्य में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को लेकर गुजरात सरकार के कामकाज के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। इस मामले में कोर्ट ने स्वत: संज्ञान भी लिया था। इस दौरान जस्टिस परदीवाला और जस्टिस इलेश वोरा की बेंच ने लगभग 11 बार विजय रूपाणी सरकार पर सख्त टिप्पणियां की थी, कभी अस्पताल में अव्यवस्था तो कभी कम टेस्टिंग को लेकर कई महत्वपूर्ण सवाल भी खड़े किए थे।

हाईकोर्ट से जारी एक नोटिफिकेशन में गुरुवार, 28 मई को जानकारी दी गई कि कोरोना वायरस के मामलों की सुनवाई अब नई बेंच करेगी। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विक्रम नाथ अब इस बेंच की अध्यक्षता करेंगे। इसके पहले 11 मई से जस्टिस परदीवाला इस बेंच की अगुवाई कर रहे थे और बेंच में जस्टिस इलेश वोरा भी शामिल थे। लेकिन नए रोस्टर के मुताबिक, जस्टिस परदीवाला अब बेंच में जूनियर जज हो गए हैं। वहीं जस्टिस वोरा अब इस बेंच का हिस्सा नहीं होंगे।

क्या टिप्णियां की थी कोर्ट ने?

अपनी टिप्पणी में कोर्ट ने अहमदाबाद सिविल अस्पताल को काल-कोठरी जैसा बताया था। इसके साथ ही कम टेस्टिंग के मामले पर सरकार के उद्देश्यों पर सवाल खड़ा करते हुए कहा था कि ‘यह तर्क कि अधिक संख्या में टेस्ट होने से 70 फीसदी आबादी ही पॉजिटिव निकलेगी, यह डर टेस्ट को नकारने या सीमित कर देने का आधार नहीं होना चाहिए।’

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कई अन्य सख्त टिप्पणियां भी की थीं जैसे “आप मरीज़ों को इंसान समझिए, जानवर समझकर इलाज न करें, आप अपने अस्पताल को एशिया का सबसे बड़ा अस्पताल कहते हैं, लेकिन उसमें इलाज का स्तर भी सुधारिए, ये युद्ध की स्थिति है, धंधा करके मुनाफा करने का वक्त नहीं है।”

सरकार ने क्या कहा?

कोर्ट में सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि काल-कोठरी वाली जैसी सख्त टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी, इससे अस्पताल में मरीज़ों का मनोबल गिरता है।

क्या है कम टेस्टिंग का मामला?

महाराष्ट्र के बाद हाल ही में सबसे अधिक संक्रमित राज्यों में दूसरे स्थान पर रहे गुजरात में अचानक कोरोना संक्रमितों की संख्या में भारी गिरावट देखी गई। इसके पीछे एक बड़ा कारण राज्य में हो रही कम टेस्टिंग को बताया जा रहा है। गुजरात सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि कोरोना के मरीजों की तादाद कम दिखाने के लिए सरकार कम टेस्टिंग कर रही है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गुजरात में महाराष्ट्र और तमिलनाडु की तुलना में प्रति 1,000 लोगों पर टेस्ट का अनुपात कम है। गुजरात की टेस्टिंग दर बहुत धीमी गति से बढ़ रही है। 26 मई तक प्रति हजार व्यक्ति गुजरात में महज़ 2.79 लोगों की जांच हो रही थी, जबकि महाराष्ट्र में ये संख्या 3.2 है और तमिलनाडु में 5.7 थी।

गुजरात सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 17 मई को जहां राज्य में 5,193 लोगों की जांच हुई तो वहीं 26 मई को केवल 2,992 लोगों की ही टेस्टिंग की गई। इस मामले को लेकर अहमदाबाद मेडिकल एसोसिएशन ने गुजरात हाईकोर्ट में एक याचिका भी दाखिल की है, जिस पर आज सुनवाई से पहले ही बेंच को ट्रांसफर कर दिया गया।

Capture_20.JPG

क्या कहना है डॉक्टरों का?

अहमदाबाद नर्सिंग होम एसोसिएशन एक्‍जीक्‍यूटिव कमेटी के सदस्‍य डॉ. वसंत पटेल ने कहा कि आईसीएमआर की गाइडलाइंस के मुताबिक किसी भी मरीज की सर्जरी के पहले उसका कोविड-19 टेस्‍ट कराना जरूरी है। लेकिन गुजरात सरकार कोविड-19 टेस्‍ट को काफी हल्‍के में ले रही है। वे कम संख्‍या में कोविड-19 टेस्‍ट क्‍यों कर रहे हैं, ये लोगों और डॉक्‍टरों की समझ से अब भी परे हैं।

डॉ. वसंत पटेल ने मीडिया को बताया, 'मैंने बुधवार को एक पेशेंट की डिलीवरी के लिए अप्‍लाई किया था। इसे 24 घंटे से अधिक हो चुके हैं। लेकिन अभी तक मुझे उसके कोविड-19 टेस्‍ट की अनुमति नहीं मिली। अहमदाबाद के सभी डॉक्‍टर इस परेशानी से जूझ रहे हैं। इसके कारण मरीज परेशान हालत में हैं। यह गुजरात सरकार की खराब नीति का नतीजा है।'

आखिर प्राइवेट लैब में टेस्ट क्यों बंद किया गया?

इस संबंध में अहमदाबाद हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉक्टर भरत गढ़वी ने आरोग्य सचिव जयंति रवि को एक लेटर लिख कर पूछा है कि प्राइवेट लैब में टेस्ट क्यों बंद किया गया है।

डॉक्टर भरत गढ़वी का कहना है कि प्राइवेट लैब में टेस्ट होने से फायदा होता था। मरीजों की रिपोर्ट जल्दी आ जाती थी और उसके बाद उसकी लाइन ऑफ ट्रीटमेन्ट तय हो पाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं हो पा रहा है।

बता दें कि पिछले हफ्ते गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को तुरंत अधिक से अधिक टेस्टिंग किट खरीदने का निर्देश दिया था। साथ ही निजी लैब को सरकारी दरों पर परीक्षण करने में सक्षम बनाने के लिए भी कहा था। फिलहाल राज्य में प्राइवेट लैब में कोविड टेस्ट करवाने के लिए सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य है, जिसके चलते अस्पतालों में ढेरों कोविड संभावित मरीज़ भर्ती होने के बावजूद टेस्ट के लिए लंबे इंतज़ार करने को मजबूर हैं।

क्या सरकार संक्रमितों के आंकड़ें छुपाना चाहती है?

अहमदाबाद मिरर की रिपोर्ट के अनुसार शहर के निजी अस्पतालों में भर्ती मरीज प्राइवेट लैब में कोविड टेस्ट करवाने के लिए सरकारी अनुमति लेने के लिए कई-कई दिनों तक इंतजार करने को मजबूर हैं। इसके चलते राज्य में टेस्टिंग की गति तो कम हुई ही है, साथ ही इलाज का इंतजार कर रहे मरीजों के लिए भी यह स्थिति घातक साबित हो रही है क्योंकि उनके ट्रीटमेंट के बारे में कोई फैसला ही नहीं लिया जा पा रहा है।

अख़बार का कहना है कि उनके पास सरकारी, अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) द्वारा संचालित और निजी अस्पतालों में भर्ती 18 मरीजों के मेडिकल दस्तावेज हैं, जो बताते हैं कि वे गंभीर हालत में हैं या वेंटिलेटर पर हैं, लेकिन उनके कोविड-19 टेस्ट की रिपोर्ट भर्ती होने के पांच दिन बाद भी नहीं मिली।

निजी अस्पतालों के अनुसार टेस्टिंग के लिए किए जा रहे उनके अनुरोध, जो अनिवार्य रूप से सरकारी कर्मचारियों के माध्यम से किए जाने हैं, को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। कम से कम चार मामलों में टेस्ट के अनुरोध और टेस्टिंग में चार दिन से ज्यादा समय लगा और मरीज की मौत हो गई।

कम टेस्टिंग ज़िंदगी से खिलवाड़ है!

कम टेस्टिंग को लेकर कांग्रेस ने भी गुजरात सरकार पर सवाल उठाए हैं। लोगों की ज़िंदगी से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस प्रवक्ता जयराज सिंह परमार का कहना है कि सरकार ने प्राइवेट लैब के कोरोना टेस्ट करने पर पाबंदी लगाई है। प्राइवेट लैब को टेस्ट करने से पहले सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है। ज्यादा टेस्ट होंगे, तो करोना के मामले ज्यादा दिखेंगे. इसे छिपाने के लिए सरकार ने ऐसा किया है।

गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण से गुजरात में अब तक 960 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं फैटेलिटी रेट यानी मृत्यु दर (कुल कन्फर्म केसों में मरने वालों की संख्या का औसत) छह फीसदी से ऊपर है जबकि राष्ट्रीय औसत 2.87 फीसद है। इसके साथ ही गुजरात सरकार के ऊपर रोजाना होने वाले टेस्ट में कमी लाने का भी आरोप लगा है। 

Coronavirus
COVID-19
Gujrat
coronavirus testing
gujrat government
Gujrat model
VIJAY RUPANI
BJP
Gujrat High Court
health care facilities

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • bhasha singh
    न्यूज़क्लिक टीम
    श्रीलंका में सत्ता बदल के बिना जनता नहीं रुकेगीः डॉ. सिवा प्रज्ञासम
    12 May 2022
    स्पेशल इंटरव्यू में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने बात की, श्रीलंका के मानवाधिकार कार्यकर्ता-ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता डॉ. सिवा प्रज्ञासम से और जानने की कोशिश की कि किस दिशा में बढ़ रहा है आंदोलन।
  •  delimitation report
    न्यूज़क्लिक टीम
    जम्मू कश्मीर की Delimitation की रिपोर्ट क्या कहती है?
    12 May 2022
    जम्मू कश्मीर से जुड़ा परिसीमन की रिपोर्ट क्या कहती है? भाजपा इस रिपोर्ट पर खुश क्यों हैं और भाजपा के अलावा दूसरी पार्टियां खफा क्यों है? क्या निष्पक्ष ढंग से परिसीमन किया गया? जम्मू कश्मीर के परिसीमन…
  • दमयन्ती धर
    खंभात दंगों की निष्पक्ष जाँच की मांग करते हुए मुस्लिमों ने गुजरात उच्च न्यायालय का किया रुख
    12 May 2022
    याचिका के मुताबिक पुलिस कथित तौर पर हिंदुओं और मुस्लिमों के द्वारा दायर की गई प्राथमिकियों पर जानबूझकर अलग-अलग तरीके से और दुर्भावनापूर्ण तरीके से जांच कर रही है।
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    शाहीन बाग से खरगोन : मुस्लिम महिलाओं का शांतिपूर्ण संघर्ष !
    12 May 2022
    बोल के लब के आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में आज वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं खरगोन में मुस्लिम महिलाओं के रैली की जिसमे निर्दोष लोगो को रिहा करने की मांग की गई हैं।
  • अब्दुल अलीम जाफ़री
    योगी 2.0 का पहला बड़ा फैसला: लाभार्थियों को नहीं मिला 3 महीने से मुफ़्त राशन 
    12 May 2022
    पीएमजीकेएवाई ने भाजपा को विधानसभा चुनाव जीतने में मदद की थी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License