NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
गुरुदास दासगुप्ता की विरासत को हमेशा दिलों में संजो कर रखा जाएगा  
गुरुदास दासगुप्ता की याद में सीपीआई के महासचिव डी राजा का विशेष आलेख
डी राजा
01 Nov 2019
Gurudas Dasgupta’s
फोटो साभार : Scroll.।n

31 अक्टूबर को जब आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (A।TUC) अपने शताब्दी समारोह का उद्घाटन कर रही थी, कामरेड गुरुदास दासगुप्ता हमारे बीच नहीं रहे।

कामरेड दासगुप्ता ने अपने जीवन की शुरुआत एक छात्र कार्यकर्ता के रूप में की और खुद को एक जीवंत और बहुमुखी प्रतिभा के धनी छात्र नेता के रूप में स्थापित किया। वे स्टूडेंट्स फेडरेशन से जुड़े थे और 1958 से 1960 के बीच इसके राष्ट्रीय सचिव और अध्यक्ष चुने गए। 1966 से 1977 के बीच तक़रीबन एक दशक तक वे पश्चिम बंगाल में आल इंडिया यूथ फेडरेशन से जुड़े रहे।

जब उन्होंने ट्रेड यूनियन के स्तर पर पार्टी में अपनी सक्रियता बढाई तो उस समय वे न सिर्फ पश्चिम बंगाल बल्कि राष्ट्रीय नेता के रूप में स्थापित हो चुके थे। 2001 में देश की पहली और सर्वप्रमुख ट्रेड यूनियन संगठन आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) के वे महासचिव बने।

वे लोकसभा और राज्यसभा की दोनों सदनों के नेता थे और एक बेहद स्पष्टवादी व्यक्ति थे। 1985 से वे राज्य सभा सदस्य रहे और 2004 में लोकसभा के लिए चुने गए, जहाँ उनका प्रदर्शन शानदार रहा।

अगर कॉमरेड दासगुप्ता नहीं होते, तो 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की कहानी शायद ही आम जन के संज्ञान में आती। उनकी 2G स्पेक्ट्रम आवंटन पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की भूमिका के चलते, जिसके पास एयरवेव्स में हुई बंदरबांट की जांच का जिम्मा था को, सरकार द्वारा धीमा करने की कोशिशों को सबके बीच में लाने का काम किया। ये वही थे जिन्होंने सरकार को बाध्य किया कि वह इस घोटाले की रिपोर्ट सदन में पेश करे। उन्होंने सरकार द्वारा 2013 में पेश किये गए इस घोटाले की रिपोर्ट की भी कड़ी आलोचना की।

भारत-अमेरिकी परमाणु समझौते वाले मामले में भी जब सरकारी वार्ताओं में कॉमरेड दासगुप्ता ने सरकार के इस कदम का कड़े शब्दों में विरोध दर्ज किया। सार्वजनिक क्षेत्रों की रक्षा के मामले में उनकी भूमिका हमेशा अग्रणी रही ।

इसी प्रकार, जब हवाला केस के नाम से मशहूर हर्षद मेहता काण्ड प्रकाश में आया तो कामरेड दासगुप्ता इस मुद्दे पर सबसे मुखर आवाज के रूप में सामने खड़े नजर आये। उस प्रतिभूति घोटाले के लिए बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के हिस्से के रूप में और उनके काम पर कई लोगों ने उनके योगदान की सराहना की थी।

बाद में वे पार्टी के उप महासचिव के रूप में उभरे और इस पद पर वे एक साल पहले तक बने रहे, जब पिछले साल पार्टी कांग्रेस हुई थी।
कॉमरेड न सिर्फ मजदूर वर्ग के नेता थे बल्कि उन्होंने खेतिहर श्रमिकों का भी नेतृत्व किया। संसद के भीतर उन्होंने अनेकों बार अपना मुखर हस्तक्षेप दर्ज कराया और कई संसदीय समितियों के विचार-विमर्श का हिस्सा बने। वे एक महान सांसद थे। वे कई संसदीय समितियों का हिस्सा रहे जिन्हें वित्त और परामर्शदात्री समितियों के मामले निपटाने के लिए निर्मित किया गया था।

जिस एक मुद्दे पर उन्होंने बेहद मजबूती से अपनी बात हमेशा रखी वह थी, श्रमिक कल्याण। उन्होंने श्रम सम्बन्धी मामलों पर बनी संसदीय समिति की अध्यक्षता भी की।

पार्टी के अंदर कॉमरेड दासगुप्ता मुझसे वरिष्ठ थे। अखिल भारतीय स्तर पर मैं उनसे पहले आ गया, लेकिन हम दोनों एक ही साथ संसद सदस्य बने थे। अपने दृष्टिकोण में वे हमेशा बेहद स्पष्ट और मुखर रहे। लेकिन इसके साथ ही बेहद सरल स्वाभाव के भी थे, और जीवन भर उनकी यह सादगी बरक़रार रही। बेशक, एक कम्युनिस्ट के रूप में, एक इंसान हमेशा पुस्तकों के अध्ययन करने, पठन सामग्री, फाइलों और दस्तावेजों से घिरा रहता है। और यही कॉमरेड दासगुप्ता के साथ भी था: वे हमेशा पढ़ने-लिखने और सीखने की प्रक्रिया से जुड़े रहते थे।
लेकिन सबसे पहले और सर्वप्रमुख वे एक महान योद्धा के रूप में याद किये जायेंगे।

उनका सबसे योगदान और विरासत यह है कि उन्होंने ट्रेड यूनियन आंदोलन में एक नई जीवंतता की ऊर्जा का संचार कर दिया था। वे प्रतिरोध खड़ा करने, आंदोलन और  हड़ताल की ताकत पर अटूट विश्वास करते थे, और उन्होंने देश भर में कार्रवाइयों की रूपरेखा निर्मित की और उनका नेतृत्व किया। ट्रेड यूनियन आंदोलन में एक लड़ाकू भावना पैदा करने में वे सफल रहे। वे जीवन भर चीजों को इसी तरीके से करने की भावना से सम्बद्ध रहे क्योंकि उनका विश्वास था कि जनांदोलन और मजदूरों का संगठित स्वरुप ही वह जरिया है जिसके द्वारा गरीबों, मजदूरों और किसानों के अधिकारों की रक्षा की जा सकती है।

अपने योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद किया जायेगा।

{डी राजा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के महासचिव हैं, और दो बार राज्य सभा के संसद सदस्य रह चुके हैं।}

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आपने नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Gurudas Dasgupta’s Legacy Remembered

Gurudas Das Gupta
Securities scandal
Peoples Movements
Trade Union movements
Protests
strikes
Indo-US Nuclear Deal
2G scandal
Left movements
Indian Left
CPI

Related Stories

हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन

दिल्ली: ''बुलडोज़र राजनीति'' के ख़िलाफ़ सड़क पर उतरे वाम दल और नागरिक समाज

LIC के कर्मचारी 4 मई को एलआईसी-आईपीओ के ख़िलाफ़ करेंगे विरोध प्रदर्शन, बंद रखेंगे 2 घंटे काम

जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

दिल्ली: सांप्रदायिक और बुलडोजर राजनीति के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

कोलकाता : वामपंथी दलों ने जहांगीरपुरी में बुलडोज़र चलने और बढ़ती सांप्रदायिकता के ख़िलाफ़ निकाला मार्च

बिना अनुमति जुलूस और भड़काऊ नारों से भड़का दंगा

भारत में छात्र और युवा गंभीर राजकीय दमन का सामना कर रहे हैं 

जहांगीरपुरी हिंसा: वाम दलों ने जारी की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट, पुलिस की भूमिका पर सवाल

झारखंड: नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज विरोधी जन सत्याग्रह जारी, संकल्प दिवस में शामिल हुए राकेश टिकैत


बाकी खबरें

  • रवि कौशल
    डीयूः नियमित प्राचार्य न होने की स्थिति में भर्ती पर रोक; स्टाफ, शिक्षकों में नाराज़गी
    24 May 2022
    दिल्ली विश्वविद्यालय के इस फैसले की शिक्षक समूहों ने तीखी आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि इससे विश्वविद्यालय में भर्ती का संकट और गहरा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पश्चिम बंगालः वेतन वृद्धि की मांग को लेकर चाय बागान के कर्मचारी-श्रमिक तीन दिन करेंगे हड़ताल
    24 May 2022
    उत्तर बंगाल के ब्रू बेल्ट में लगभग 10,000 स्टाफ और सब-स्टाफ हैं। हड़ताल के निर्णय से बागान मालिकों में अफरा तफरी मच गयी है। मांग न मानने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल का संकेत दिया है।
  • कलिका मेहता
    खेल जगत की गंभीर समस्या है 'सेक्सटॉर्शन'
    24 May 2022
    एक भ्रष्टाचार रोधी अंतरराष्ट्रीय संस्थान के मुताबिक़, "संगठित खेल की प्रवृत्ति सेक्सटॉर्शन की समस्या को बढ़ावा दे सकती है।" खेल जगत में यौन दुर्व्यवहार के चर्चित मामलों ने दुनिया का ध्यान अपनी तरफ़…
  • आज का कार्टून
    राम मंदिर के बाद, मथुरा-काशी पहुँचा राष्ट्रवादी सिलेबस 
    24 May 2022
    2019 में सुप्रीम कोर्ट ने जब राम मंदिर पर फ़ैसला दिया तो लगा कि देश में अब हिंदू मुस्लिम मामलों में कुछ कमी आएगी। लेकिन राम मंदिर बहस की रेलगाड़ी अब मथुरा और काशी के टूर पर पहुँच गई है।
  • ज़ाहिद खान
    "रक़्स करना है तो फिर पांव की ज़ंजीर न देख..." : मजरूह सुल्तानपुरी पुण्यतिथि विशेष
    24 May 2022
    मजरूह सुल्तानपुरी की शायरी का शुरूआती दौर, आज़ादी के आंदोलन का दौर था। उनकी पुण्यतिथि पर पढ़िये उनके जीवन से जुड़े और शायरी से जुड़ी कुछ अहम बातें।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License