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हल्द्वानी के ‘शाहीन बाग’ से घबरायी उत्तराखंड सरकार
सीएए-एनआरसी के विरोध के बीच इस बार का गणतंत्र दिवस भी ख़ास होगा। जब देशभर के शाहीन बागों में जन-गण-मन गाया जाएगा। क्या सरकारें जन-गण के मन की बात सुनने को तैयार हैं, या वे जनता की जगह खुद को भारत के भाग्य का विधाता मानती हैं।
वर्षा सिंह
25 Jan 2020
haldwani protest
(तस्वीरें सोशल मीडिया से साभार)

दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर हल्द्वानी के ताज चौराहे पर मुस्लिम महिलाएं सीएए-एनआरसी के विरोध में दिन-रात प्रदर्शन पर डटी हुईं हैं। महिलाओं के इस स्वत:स्फूर्त आंदोलन की घबराहट मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से लेकर स्थानीय पुलिस-प्रशासन तक पहुंच गई। प्रदर्शन को खत्म कराने के लिए पूरा प्रशासनिक अमला जुटा गया। ताज चौराहे पर प्रदर्शन कर रही महिलाओं को शुक्रवार दोपहर सुरक्षा का हवाला देकर जबरन बनभूलपुरा की गली नंबर-8 में शिफ्ट कर दिया गया। पुलिस कई बार उनसे प्रदर्शन स्थगित करने का आश्वासन लेकर लौट चुकी है, लेकिन महिलाएं उन्हें वहीं मौजूद दिखाई देती हैं।

हल्द्वानी का ‘शाहीन बाग’ बना ताज चौराहा

हल्द्वानी के बनभूलपुरा,आज़ाद नगर, इंदिरा नगर क्षेत्र की महिलाएं अपने छोटे बच्चों के साथ बड़ी तादाद में दिन-रात प्रदर्शन कर रही हैं। कड़कती ठंड में भी वे एक स्वर में कहती हैं कि “हम हिंदुस्तानी हैं, थे और रहेंगे”, आप हमसे दस्तावेज मांगेंगे तो हम कागज नहीं दिखाएंगे। युवा लड़कियां कहती हैं कि नए कानून में मुस्लिम समुदाय के लोगों को नागरिकता नहीं दी जा रही है, इसलिए वो धरने पर बैठी हैं। जब तक ये कानून वापस नहीं होता, धरना जारी रहेगा।

वह कहती हैं कि यदि ये कानून लागू कर रहे हो, तो मुसलानों को भी इसमें शामिल करो। देश को आजादी दिलाने में मुस्लिमों का भी योगदान रहा है। महिलाएं कहती हैं कि हम बच्चों के स्कूल, घर का कामकाज छोड़कर पूरी-पूरी रात गुजार रहे हैं लेकिन सरकार पर कोई असर नहीं हो रहा है। एक अन्य महिला कहती है कि असम में लोग डिटेंशन कैंप में डाले गए हैं। वे हमारे साथ भी यही करना चाहते हैं। महिलाएं दम भर के नारे लगाती हैं “हम लड़ेंगे-लड़ेंगे, जीतेंगे-जीतेंगे”, “कल भी हम ही जीते थे, आज भी हम ही जीतेंगे”, “कल भी तुम भी हारे थे, आज भी तुम ही हारोगे”। तबले की थाप पर आज़ादी के नारे लगे। कहा गया कि सरकार सीएए वापस नहीं लेगी तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा।

 प्रदर्शनकारियों को किया गया शिफ्ट

महिलाओं के प्रदर्शन को देखते हुए हल्द्वानी के बनभूलपुरा और काठगोदाम में धारा 144 लगा दी गई। इसके बावजूद महिलाएं डटी रहीं। कुमाऊं रेंज के डीआईजी जगतराम जोशी का कहना है कि ताज चौराहा बहुत भीड़भाड़ वाली जगह है, वहां लंबे समय तक भीड़ को संभालना मुश्किल है, इसलिए धारा 144 लगाई गई और प्रदर्शनकारियों को बनभूलपुरा की गली नंबर-8 में शिफ्ट कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारियों से प्रदर्शन खत्म करने को लेकर लगातार बात की जा रही है।
haldwani protest2_0.jpg

जामिया, अलीगढ़ विवि, कश्मीर के लोगों से क्या है डर?

शाहीन बाग देशभर के लोगों को हौसला दे रहा है। खासतौर पर महिलाओं को। यहां आज़ादी के नारे लगे तो देहरादून में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उन्हें ऐसे इनपुट्स मिले हैं कि जामिया मिलिया, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से और कश्मीर के दो लोग भी वहां देखे गए। उनके मुताबिक बाहरी शरारती तत्व यहां पर आकर माहौल बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं, ऐसे इनपुट्स मिले हैं, इसलिए बाहरी लोग यदि यहां पर हैं, तो उनकी जगह उत्तराखंड की जेलों में है, उन्हें राज्य से बाहर नहीं जाना चाहिए। उनके उकसावे में स्थानीय लोग गड़बड़ी कर रहे हैं तो उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। हम राज्य के अंदर अशांति बर्दाश्त नहीं करेंगे।

क्या उत्तराखंड आने के लिए वीज़ा चाहिए- कांग्रेस

मुख्यमंत्री के इस बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रीतम सिंह ने कहा कि सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन लोगों का अधिकार है, सरकार उसे रोक नहीं सकती। लेकिन ये कहना कि दूसरे प्रदेश से लोग प्रदर्शन के लिए आ रहे हैं तो क्या उत्तराखंड आने के लिए वीजा की आवश्यकता है। आंदोलन के समर्थन में देश के किसी हिस्से से लोग आ सकते हैं।

मुख्यमंत्री के बयान की कश्मीरी छात्रों ने की आलोचना

उधर, जम्मू-कश्मीर स्टुडेंट एसोसिएशन के प्रवक्ता नासिर ख़ुमानी ने भी कश्मीरी और जामिया से आए लोगों के मुख्यमंत्री के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया जतायी। कश्मीरी स्टुडेंट्स को सुरक्षा देने की जगह उलटा मुख्यमंत्री इस तरह के उकसावे वाले बयान दे रहे हैं। नासिर ने कहा कि कि कश्मीरी अमनपसंद लोग हैं। इस तरह उनका नाम लेना पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है। राज्य के मुखिया को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए।

‘सरकार खुद अफ़वाह फैला रही’

गढ़वाल में सीपीआई-एमएल और अन्य प्रगतिशील संगठनों ने सीएए-एनआरसी पर लोगों को जागरुक करने के लिए पर्चा तैयार किया है, जिसे वे घर-घर जाकर लोगों को बांट रहे हैं। इसी समय भाजपा विधायक भी अपने क्षेत्रों में रैली कर लोगों को सीएए का समर्थन करने की अपील कर रहे हैं। इस पर वामपंथी नेता इंद्रेश मैखुरी कहते हैं कि कोई कानून लोगों के समर्थन से पास किया जाता है। सीएए के लिए ठीक उलटा हुआ, पहले कानून पास कराया गया  फिर उनके विधायक समर्थन जुटा रहे हैं। मुख्यमंत्री के बयान पर वे कहते हैं कि सरकार का काम होता है कि अफवाहों पर रोक लगाए और उसे फैलने से रोके। यहां मुख्यमंत्री खुद ही अफवाह फैला रहे हैं। वे मुख्यमंत्री हैं, आरएसएस के प्रचारक नहीं।

कल से संविधान बचाओ मंच का प्रदर्शन

हल्द्वानी से विधायक इंदिरा ह्रदयेश भी गुरुवार को महिलाओं के धरने के बीच पहुंच गई थीं और उनके साथ खड़े होने का दावा किया। सीपीआई-एमएल के प्रदेश सचिव राजा बहुगुणा कहते हैं कि इंदिरा ह्रदयेश यदि ताज चौराहे पर प्रदर्शन कर रही महिलाओं के साथ थीं, तो जब उन्हें वहां से शिफ्ट किया गया तो वे क्यों नहीं आईं। बहुगुणा बताते हैं कि संविधान बचाने की इस लड़ाई में शामिल लोगों को एकजुट करने के लिए संविधान बचाओ मंच तैयार किया गया है। 25 जनवरी से संविधान बचाओ मंच 72 घंटे का धरना हल्द्वानी के बुद्ध पार्क में शुरू हो रहा है।

 सीएए-एनआरसी के विरोध के बीच इस बार का गणतंत्र दिवस भी ख़ास होगा। जब देशभर के शाहीन बागों में जन-गण-मन गाया जाएगा। क्या सरकारें जन-गण के मन की बात सुनने को तैयार हैं, या वे जनता की जगह खुद को भारत के भाग्य का विधाता मानती हैं।

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