NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
छह राज्यों की शहरी झुग्गियों में रहने वालों में आधे ही करते हैं रसोई गैस का उपयोग: सर्वेक्षण
‘‘छह भारतीय राज्यों में केवल आधे शहरी झोपड़पट्टी परिवारों में ही रसाईं ईंधन के रूप में केवल और केवल एलपीजी का उपयोग होता है। हालांकि इन राज्यों में शहरी मलिन बस्तियों में 86 प्रतिशत शहरी परिवारों के पास एलपीजी कनेक्शन है।’’ 
भाषा
11 Mar 2021
छह राज्यों की शहरी झुग्गियों में रहने वालों में आधे ही करते हैं रसोई गैस का उपयोग: सर्वेक्षण
Image Courtesy :Punjab Kesari

नयी दिल्ली: उत्तर प्रदेश और बिहार सहित छह राज्यों में शहरी झोपड़ पट्टियों में रहने वाले लगभग 50 फीसदी परिवाह रसोईं ईंधन के रूप में केवल और रसोई गैस सिलेंडर (एलपीजी) का उपयोग करते हैं। एक सर्वेक्षण में यह जानकारी सामने आयी है।

सर्वेक्षण में छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान को भी शामिल किया गया है। सीईईडब्ल्यू की कूकिंग एनर्जी एक्सेस सर्वे 2020 रपट बुधवार को जारी की गयी। यह सर्वेक्षण छह राज्यों में शहरी झोपड़पट्टियों में किया गया। इसमें 58 जिलों में 83 अधिसूचित और गैर-अधिसूचित शहरी झोपड़पट्टियों में 656 घरों को शामिल किया गया।

काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) द्वारा कराये गये इस सर्वेक्षण के अनुसार, ‘‘छह भारतीय राज्यों में केवल आधे शहरी झोपड़पट्टी परिवारों में ही रसाईं ईंधन के रूप में केवल और केवल एलपीजी का उपयोग होता है। हालांकि इन राज्यों में शहरी मलिन बस्तियों में 86 प्रतिशत शहरी परिवारों के पास एलपीजी कनेक्शन है।’’ देश शहरी झोपड़पट्टी आबादी में ये छह राज्य लगभग एक चौथाई हिस्सा रखते हैं।

इसके अलावा, 16 प्रतिशत घरों में अभी भी पारंपरिक ईंधन जैसे कि लकड़ी, कंडे, कृषि अवशेष, लकड़ी का कोयला और मिट्टी के तेल का उपयोग प्राथमिक ईंधन के रूप में किया जाता है ।

सीईईडब्ल्यू के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुणभ घोष ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के अगले चरण के तहत सरकार को शहरी मलिन बस्तियों में एलपीजी कनेक्शन के बिना गरीब परिवारों को लक्षित करना चाहिये। नीति निर्माताओं को तेल विपणन कंपनियों और वितरकों को कुटीर क्षेत्रों में एलपीजी रिफिल की होम डिलिवरी में सुधार करने के लिये भी कहना होगा।’’

इस अध्ययन की मुख्य लेखक के रूप में सीईईडब्ल्यू की अनुसंधान विश्लेषक शैली झा ने कहा, “शहरी झुग्गी बस्ती का एक अच्छा-खासा हिस्सा एलपीजी का उपयोग करने के लिए संघर्ष कर रहा है। खासकर बढ़ती कीमतों और महामारी के प्रभाव के कारण। इसके अलावा, शहरी झुग्गियों में रहने वाले उज्ज्वला के लाभार्थियों की संख्या कम है, जिस वजह से शहरी झुग्गियों के ज्यादातर परिवार पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत मुफ्त सिलेंडर के रूप में राहत सहायता पाने के हकदार नहीं हैं। हमारा सुझाव है कि प्रमुख सरकारी कार्यक्रमों जैसे नेशनल अर्बन लाइवलीहुड्स मिशन और आवास के लिये सोशल सर्विस आवंटनों का उपयोग साफ रसोई ईंधन के लिये भी करना चाहिए। इससे जरूरतमंदों तक साफ रसोई ईंधन पहुंचेगा और यह गरीब के लिये सेवा की सीमा में ही रहेगा।”

LPG
Inflation
LPG price hike
poverty

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

डरावना आर्थिक संकट: न तो ख़रीदने की ताक़त, न कोई नौकरी, और उस पर बढ़ती कीमतें

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

आर्थिक रिकवरी के वहम का शिकार है मोदी सरकार

क्या जानबूझकर महंगाई पर चर्चा से आम आदमी से जुड़े मुद्दे बाहर रखे जाते हैं?

ध्यान देने वाली बात: 1 जून से आपकी जेब पर अतिरिक्त ख़र्च

मोदी@8: भाजपा की 'कल्याण' और 'सेवा' की बात

गतिरोध से जूझ रही अर्थव्यवस्था: आपूर्ति में सुधार और मांग को बनाये रखने की ज़रूरत

मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?

जन-संगठनों और नागरिक समाज का उभरता प्रतिरोध लोकतन्त्र के लिये शुभ है


बाकी खबरें

  • विकास भदौरिया
    एक्सप्लेनर: क्या है संविधान का अनुच्छेद 142, उसके दायरे और सीमाएं, जिसके तहत पेरारिवलन रिहा हुआ
    20 May 2022
    “प्राकृतिक न्याय सभी कानून से ऊपर है, और सर्वोच्च न्यायालय भी कानून से ऊपर रहना चाहिये ताकि उसे कोई भी आदेश पारित करने का पूरा अधिकार हो जिसे वह न्यायसंगत मानता है।”
  • रवि शंकर दुबे
    27 महीने बाद जेल से बाहर आए आज़म खान अब किसके साथ?
    20 May 2022
    सपा के वरिष्ठ नेता आज़म खान अंतरिम ज़मानत मिलने पर जेल से रिहा हो गए हैं। अब देखना होगा कि उनकी राजनीतिक पारी किस ओर बढ़ती है।
  • डी डब्ल्यू स्टाफ़
    क्या श्रीलंका जैसे आर्थिक संकट की तरफ़ बढ़ रहा है बांग्लादेश?
    20 May 2022
    श्रीलंका की तरह बांग्लादेश ने भी बेहद ख़र्चीली योजनाओं को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर विदेशी क़र्ज़ लिए हैं, जिनसे मुनाफ़ा ना के बराबर है। विशेषज्ञों का कहना है कि श्रीलंका में जारी आर्थिक उथल-पुथल…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: पर उपदेस कुसल बहुतेरे...
    20 May 2022
    आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्याएं महंगाई और बेरोज़गारी है। और सत्तारूढ़ दल भाजपा और उसके पितृ संगठन आरएसएस पर सबसे ज़्यादा गैर ज़रूरी और सांप्रदायिक मुद्दों को हवा देने का आरोप है, लेकिन…
  • राज वाल्मीकि
    मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?
    20 May 2022
    अभी 11 से 17 मई 2022 तक का सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का “हमें मारना बंद करो” #StopKillingUs का दिल्ली कैंपेन संपन्न हुआ। अब ये कैंपेन 18 मई से उत्तराखंड में शुरू हो गया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License