NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
देश भर में निकाली गई हनुमान जयंती की शोभायात्रा, रामनवमी जुलूस में झुलसे घरों की किसी को नहीं याद?
एक धार्मिक जुलूस से पैदा हुई दहशत और घायल लोगों की चीख़-पुकार अभी फ़िज़ा में मौजूद है कि राजधानी दिल्ली सहित देश भर में एक और त्योहार के जुलूस निकाले गए। और वह भी बाक़ायदा सरकारी आयोजन की तरह। सवाल उठता है कि यह राजनीतिक दल अल्पसंख्यकों को दरकिनार करने के लिए इतने आतुर क्यों हैं?
सत्यम् तिवारी
16 Apr 2022
hanuman jayanti

अप्रैल का यह महीना हर धर्म के नागरिक के लिए जौन एलिया के एक मिसरे की तरह बीत रहा है, या शायद बीत नहीं रहा मगर बीतना ज़रूर चाहिये। हर नागरिक को इस महीने में शर्म, दहशत, झिझक और परेशानी महसूस करनी चाहिये। 10 अप्रैल को निकले रामनवमी के जुलूसों से पैदा हुई हिंसा और जलाए गए घर और दुकानों की राख अभी तक सड़कों पर मौजूद है। मध्यप्रदेश में गृह राज्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा के 'धमकी' भरे आदेशों से मुसलमानों के घर तोड़े गए हैं और नागरिकों को सुनियोजित तरीक़े से प्रशासन ने बेघर कर दिया है। यह सब हो रहा है राम के नाम पर और सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी इसका जश्न मनाती दिख रही है।

एक धार्मिक जुलूस से पैदा हुई दहशत और घायल लोगों की चीख़-पुकार अभी फ़िज़ा में मौजूद है कि राजधानी दिल्ली में एक और जुलूस निकाला जा रहा है। और इस बार यह काम भारतीय जनता पार्टी ने नहीं बल्कि तथाकथित धर्मनिरपेक्ष आम आदमी पार्टी ने किया है। आज 16 अप्रैल को हनुमान जयंती के मौक़े पर राजधानी दिल्ली के अलग अलग इलाक़ों में आप के विधायक हनुमान जयंती पर शोभायात्रा निकाल रहे हैं। बात सिर्फ़ आम आदमी पार्टी तक सीमित नहीं है। देश भर में बीजेपी के अलावा तमाम पार्टियाँ हनुमान जयंती के जुलूसों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं। राजस्थान की कांग्रेस सरकार के विधायकों ने भी इसी तरह से शोभायात्रा निकाली हैं और मंदिरों में सुंदरकांड के पाठ कराए गए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि सरकारें अपने स्तर पर बहुसंख्यक वर्ग के धार्मिक जुलूसों, पूजा आयोजनों में शामिल होती हैं तो देश के अल्पसंख्यक तक क्या सन्देश पहुंचता है?

दिल्ली के चिराग दिल्ली इलाक़े में शोभायात्रा निकाली गई जिसमें आम आदमी पार्टी के ग्रेटर कैलाश विधायक सौरभ भारद्वाज एक काफ़िले पर बैठे जनता को फूल, केले बांटते नज़र आये। न्यूज़क्लिक ने सौरभ से सवाल किया कि ऐसे माहौल में जब 6 दिन पहले ही इसी तरह के धार्मिक जुलूस से हिंसा भड़की है, आम आदमी पार्टी की तरफ़ से निकाले जा रहे इस जुलूस से अल्पसंख्यक वर्ग तक क्या संदेश जाएगा। इसपर सौरभ ने कहा, "आम आदमी पार्टी जिस हिंदुत्व की बात करती है, वह सबको साथ लेकर चलने वाला हिन्दू धर्म है। हम हिंसा की बात नहीं करते हैं जहाँ भी हिंसा हुई है वह ग़लत है। किसी जुलूस का इस्तेमाल कर के धर्म विशेष को डराने के हम सख़्त ख़िलाफ़ हैं।"

सौरभ ने अपने स्तर पर आम आदमी पार्टी के धर्मनिरपेक्ष होने का सबूत देते हुए कहा, "जो जय श्री राम के झंडे आप देख रहे हैं, वह नौशाद नाम का एक पार्टी कार्यकर्ता लेकर आया है। जहाँ शरबत और खाना बांटा जाएगा वह स्टॉल हमारे मुस्लिम भाइयों ने लगाए हैं।"

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के कनॉट प्लेस, झंडेवालान की 108 फ़ीट ऊंची हनुमान मूर्ति पर भी हनुमान जयंती के आयोजन किये हैं। आप के अलावा राजस्थान में कांग्रेस, महाराष्ट्र में मनसे, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी ने भी इस तरह के आयोजन किये हैं।

इस मसले पर न्यूज़क्लिक ने जनवादी महिला समिति की मैमूना से बात की। उन्होंने कहा, "उसका नाम आप शोभायात्रा रखें, हनुमान जयंती रखें या जो भोपाल में कहा है कि 'जिहादियों की छाती पर जुलूस निकालेंगे' नाम आप कुछ भी रखें, मुझे लगता है सवाल इस बात का है कि कोई भी पार्टी की सरकार, क्या आधिकारिक तौर पर वह किसी धार्मिक प्रक्रिया में शामिल होंगे? हम कहते हैं कि सरकार को ख़ुद को धर्म से दूर रखना चाहिये। हमारा अनुभव बताता है कि जब राजनीति को धर्म को दूर रखते हैं तो उससे फ़ायदा भी होता है।"

मैमूना ने पार्टियों के इस दावे पर भी सवाल उठाए कि वह इसके ज़रिए नफ़रत नहीं बल्कि सौहार्द दिखाना चाह रही हैं। उन्होंने कहा, "आप कैसे दिखाएंगे सौहार्द, जब इतनी नफ़रतें भरी हुई हैं? उसके लिए सरकार की तरफ़ से क्या होना चाहिये? अगर वह यह कहें कि हम ऐसे कार्यक्रमों में निजी तौर पर जा रहे हैं, मगर जब कोई मुख्यमंत्री या विधायक इसमें शामिल होता है तो वह निजी कहाँ रह गया? बीजेपी की बी टीम बन कर अगर आप काम करेंगे और सोचेंगे कि सांप्रदायिक सौहार्द आ जायेगा तो यह बस एक पाइपड्रीम है।"

मध्यप्रदेश के खरगोन और अन्य स्थानों में रामनवमी पर जो जुलूस निकले थे वह मुसलमान इलाक़ों से ही नहीं निकाले गए बल्कि मस्जिदों के सामने भद्दे गाने चलाये गए और कुछ जगहों पर हिंदुत्ववादी गुंडों ने मस्जिदों पर चढ़ कर भगवा झंडा भी फहराया था। मैमूना ने कहा कि पुलिस प्रशासन का काम होता है कि ऐसे जुलूसों में इन सब चीज़ों को रोके मगर यहाँ तो पुलिस और प्रशासन इसमें मिल कर काम कर रहा है।

न्यूज़क्लिक ने इस विषय पर प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद से भी बात की। उन्होंने कहा, "अगर आम आदमी पार्टी को ही हम सिंगल आउट न करें, और हम देखें कि यह पूरी राजनीति जो इस तरफ़ ढुलक रही है, कि अभी हाल में पश्चिम बंगाल में जो रामनवमी गुज़री है उसमें तृणमूल कांग्रेस ने भी अपने रामनवमी जुलूस बड़ी संख्या में निकाले, जो पश्चिम बंगाल के लिए बहुत नई परंपरा है, जो भारतीय जनता पार्टी ने शुरू की और प्रतियोगिता में अब तृणमूल कांग्रेस ने भी शुरू की। आम आदमी पार्टी भी यही चीज़ कर रही है यहाँ पर और इसमें इन सबकी (पार्टियों) समझ यह है कि हम दरअसल असली हिन्दू रूप को सामने रखना चाहते हैं, जो कि आक्रामक और मुस्लिम विरोधी नहीं है, अगर हम इसको छोड़ देंगे तो यह भारतीय जनता पार्टी करेगी जो आक्रामक और मुस्लिम विरोधी होगा इसीलिये हम इसे धार्मिक रखना चाहते हैं।"

इस पर एक अहम सवाल उठाते हुए अपूर्वानंद कहते हैं, "यह वे दूसरे धर्मों के साथ नहीं करेंगे, मसलन मिलाद उन नबी का जुलूस तो कोई नहीं निकलेगा; चाहे आम आदमी पार्टी हो या वामपंथी दल हों या तृणमूल कांग्रेस या कोई भी हो। इसका मतलब यह हुआ कि अपने आपको यह दल हिन्दू दलों के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं और यह काफ़ी चिंता का विषय है।"

सोशल मीडिया पर एक तरफ़ इन जुलूसों के साथ हो रही हिंसा का समर्थन हो रहा है तो विरोध भी देखने को मिल रहा है। कवि और बॉलीवुड गीतकार पुनीत शर्मा ने लिखा, "जिस युग में मुस्लिमों को माँ की गाली देने वाले गाने भी भजन बन गए हैं और उन पर हथियार लहरा कर नाचने वाले भी रामभक्त कहलाते हैं। ऐसे युग में श्रीराम वनवास नहीं, सीधे अज्ञातवास में चले गए हैं क्यूँकि इस करोड़ों सिर वाले रावण ने केवल माता सीता का नहीं, पूरी अयोध्या का हरण कर लिया है।"

इसे भी पढ़ें : अब भी संभलिए!, नफ़रत के सौदागर आपसे आपके राम को छीनना चाहते हैं

मुस्लिम समुदाय को मौजूद वक़्त में अदृश्य करने के साथ साथ दरकिनार करने की भी कोशिशें हो रही हैं। ऐसा रमज़ान का महीना शायद ही कहीं बीता हो जब रोज़ेदारों के घरों को प्रशासन के बुलडोज़र तोड़ कर चले गए और सरकार ने इसपर एक शब्द नहीं बोला। एक वक़्त था जब इसी रमज़ान के महीने में इफ़्तार की दावतों का एक राजनीतिक चलन था, एक परंपरा थी। वह परंपरा अब कोई दल दिखावे के लिए भी नहीं कर रहा है।

मैमूना से इफ़्तार की दावतों पर बात हुई तो उन्होंने कहा, "दोनों तरह से ही मुसलमानों को साइडलाइन किया जा रहा है। बीजेपी तो खुले आम कर रही है कि किसी भी मुसलमान को टिकट न देना। इफ़्तार पार्टी, होली मिलन, ईद मिलन, दीवाली मिलन को हमें पूजन और नमाज़ में शामिल होने से अलग कर के देखना होगा। यह एक सामाजिक पहलू है, मुझे लगता है इसमें सेक्युलर सरकारों को शामिल होना चाहिये बीजेपी नहीं शामिल हो रही है यह तो समझ में आता है लेकिन अगर और सरकारें और पार्टियां भी यह नहीं कर रही हैं तो यह साफ़ नज़र आ रहा है कि किस तरह से मुसलमानों को हाशिये पर रखने और उन्हें ग़ायब करने की दिशा में हमारे क़दम बढ़ रहे हैं।"

अपूर्वानंद ने कहा, "आपने वाइट हाउस और इंग्लैंड की तस्वीरें देखी होंगी। पिछले साल की इंग्लैंड की तस्वीर है प्राइम मिनिस्टर हाउस में बोरिस जॉनसन लक्ष्मी की तस्वीर पर जल चढ़ा रहे हैं। वाइट हाउस में दीवाली मानते हुए तस्वीरें छपती हैं। यह एक भाव है जो कोई भी देश अपने अल्पसंख्यकों के प्रति दिखलाता है जो उन्हें विश्वास दिलाता है कि वह उनके साथ है।"

उन्होंने आगे कहा, "इसी तरह जो इफ़्तार की दावतें होती थीं वो एक भाव था अल्पसंख्यकों के लिए, जो किसी भी स्वस्थ समाज में होना चाहिये।"

आम आदमी पार्टी सहित जिन राजनीतिक दलों ने बीजेपी की देखादेखी मंदिरों, रामनवमी, हनुमान जयंती के जुलूसों को अपना कर हिन्दू वोटर को साधने की कोशिशें तेज़ कर दी हैं, वही दल धर्मनिरपेक्ष होने का दावा भी करते हैं। मगर धर्मनिरपेक्षता तब कहीं खो जाती है जब बहुसंख्यक अल्पसंख्यक पर हमले करता है। ऐसे में आप ख़ुद ही सोचिए कि क्या ऐसे जुलूस अन्य धर्म के त्योहारों पर भी निकले जाएंगे?

Hanuman Jayanti
Religious Procession
Ram Navami rally
Hanuman Jayanti Rally
religion
Hindu Right Wing
minorities
Madhya Pradesh
Khargone
Khargone Violence

Related Stories

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

परिक्रमा वासियों की नज़र से नर्मदा

कड़ी मेहनत से तेंदूपत्ता तोड़ने के बावजूद नहीं मिलता वाजिब दाम!  

बच्चों को कौन बता रहा है दलित और सवर्ण में अंतर?

मनासा में "जागे हिन्दू" ने एक जैन हमेशा के लिए सुलाया

‘’तेरा नाम मोहम्मद है’’?... फिर पीट-पीटकर मार डाला!

‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार

मध्य प्रदेश : खरगोन हिंसा के एक महीने बाद नीमच में दो समुदायों के बीच टकराव

कॉर्पोरेटी मुनाफ़े के यज्ञ कुंड में आहुति देते 'मनु' के हाथों स्वाहा होते आदिवासी

एमपी ग़ज़ब है: अब दहेज ग़ैर क़ानूनी और वर्जित शब्द नहीं रह गया


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License