NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
हरियाणा : कोरोना योद्धा आशा कार्यकर्ता और उनका जीवन संघर्ष
आशा कार्यकर्ता बेहद गंभीर और जोखिम भरी परिस्थितियों में कम भुगतान पर काम कर रही हैं। इन महिला श्रमिकों का एक बड़ा वर्ग सामाजिक रूप से वंचित और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से संबंध रखता है।
एस नियति और नेल्सन मंडेला एस
12 Jun 2020
आशा कार्यकर्ता

हरियाणा की कुछ आशा कार्यकर्ताओं के साथ हुए टेलीफोनिक साक्षात्कार इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि वे किन गंभीर परिस्थितियों में कम भुगतान पर काम कर रही हैं। समाज में व्याप्त आर्थिक संकट और सामाजिक भेदभाव के कारण स्थिति और बिगड़ जाती है। इन महिला श्रमिकों का एक बड़ा वर्ग सामाजिक रूप से वंचित और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (विधवा, तलाक़शुदा, अनुसूचित जाति और भूमिहीन) से संबंध रखता है।

काम की गहनता 

इन श्रमिकों के लिए काम बढ़ गया है। क्योंकि उन्हें नए कार्य भी सौंपा गया है। जिसमें हर दिन कम से कम 50 घरों का सर्वेक्षण शामिल है। घरों से संबंधित व्यक्तियों का यात्रा विवरण, उम्रदराज व्यक्तियों, मधुमेह, रक्तचाप वाले व्यक्तियों तथा गर्भवती महिलाओं की सूची तैयार करना है। उनमें से ज्यादातर के लिए इन दिनों औसत काम के घंटे बढ़े हुए हैं। 

सोनीपत की एक कार्यकर्ता ने कहा कि “ हमें घरेलू सर्वेक्षणों के साथ लॉरी ड्राइवरों की जांच करने, प्रवासी श्रमिकों के विवरण एकत्र करने, हार्वेस्टर ऑपरेटरों और श्रमिकों के स्वास्थ्य की स्थिति की जांच करने के लिए चेक पोस्टों पर भी रखा जाता है। कभी-कभी हमें मंडियों में भी जाँच हेतु भेजा जाता है। मैं सुबह 9 बजे काम शुरू करती हूं और शाम 7 बजे तक घर लौटती हूं।”

कभी-कभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHCs) घर से 15 किलोमीटर तक की दूरी पर होता है और इन श्रमिकों से अपेक्षा की जाती है कि वे इकट्ठा सर्वेक्षण विवरण जमा करने के लिए स्वास्थ्य केंद्रों पर जाएँ। लॉकडाउन के कारण अपनी कठिनाई के बारे में बार-बार बताए जाने के बाद अधिकारियों ने उन्हें ये विवरण ऑनलाइन जमा करने के लिए कहा है।

करनाल से एक कार्यकर्ता ने कहा कि “हम में से अधिकांश आने वाले दिनों में अपने भोजन के बारे में निश्चित नहीं हैं और सरकार हमसे एंड्रॉइड फोन खरीदने और इन फॉर्मों को भरने की उम्मीद करती है?  सरकार चाहती है कि हम ऑनलाइन विवरण भरें। लेकिन यह भी नहीं भूलना चाहिए कि हम दसवीं पास हैं और विस्तृत रूप फार्म भरने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

अल्प और अनियमित भुगतान 

इन श्रमिकों को 4000 रुपये की प्रोत्साहन राशि के साथ कार्य-आधारित कुछ निश्चित मानदेय मिलता है। तब भी महीने का 6500 रुपये से ज्यादा वेतन नहीं मिल पाता है। केंद्र करकार निर्धारित पैसे का 50 प्रतिशत भुगतान करती है और शेष राज्य सरकार द्वारा दिया जाता है। ये सभी मानदेय अलग-अलग अंतराल पर प्राप्त होते हैं और बेहद अनियमित होते हैं। भुगतान की अवधि दो और पांच महीने के बीच तक लंबित रहती है। लॉकडाउन की स्थिति में प्रोत्साहन राशि का नुकसान होता है, क्योंकि वे टीकाकरण अभियान और ग्राम स्वास्थ्य जागरूकता अभियान नहीं चला सकती हैं। केंद्र ने अब तक अगले तीन महीनों के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन के रूप में प्रति माह 1000 रुपये की घोषणा की है, जो उनके द्वारा किए गए जोखिम भरे काम की तुलना में नगण्य है।

असुरक्षित परिस्थितियों में काम

उन्हें सुरक्षा के नाम पर कुछ मास्क दिए गए हैं और सैनिटाइज़र की एक बोतल दी गई है। उनमें से ज्यादातर के पास दस्ताने नहीं थे। चूंकि उन्हें योजना में "स्वयंसेवक" की भूमिका में रखा गया है। इसलिए वे किसी भी तरह के सामाजिक सुरक्षा लाभ - स्वास्थ्य बीमा से वंचित हैं। उनमें से अधिकांश लोगों को केंद्र द्वारा घोषित 50 लाख रुपये के बीमा योजना के बारे में पता था। लेकिन यह सुनिश्चित नहीं था कि यह उन पर लागू होगा। हाल ही में खट्टर सरकार ने आशा कार्यकर्ताओं सहित सभी आवश्यक श्रमिकों के लिए 10 लाख रुपये के बीमा की घोषणा की है। उनमें से कई रेड-ज़ोन क्षेत्रों में काम करती हैं और कोविड-19 के लिए उनका परीक्षण नहीं किया जाता है।

अंबाला की एक आशा कार्यकर्ता कहती हैं कि “मेरे ब्लॉक में सहायक स्वास्थ्य नर्स (एएनएम) का परीक्षण पॉजिटिव आया था। कई आशा कार्यकर्ता सहायक स्वास्थ्य नर्स (एएनएम) को रिपोर्ट करते हैं। ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी को बार-बार परीक्षण करने के लिए कहने के बावजूद उन्होंने मना कर दिया। क्या सरकार के लिए हमारी सुरक्षा महत्वपूर्ण नहीं है? ”

गृहस्थों के आर्थिक हालात और ख़राब

लॉकडाउन के बाद परिवारों में कमाई करने वाले सदस्यों ने नौकरी खो दी है। उनमें से अधिकांश निर्माण और कृषि क्षेत्र में अथवा कारखाने के श्रमिकों के रूप में दैनिक मज़दूर का काम करते हैं। आशा कार्यकर्ता इस संकट की स्थिति में अपने परिवारों के लिए एकमात्र सहारा बन गईं हैं। घरों के आर्थिक बोझ के साथ इन महिलाओं को घरेलू काम भी करने होते हैं। घर पर बच्चे की देखभाल करना, खाना बनाना और अन्य आवश्यक काम; जो परिवार के सभी सदस्यों के घर पर होने के कारण बढ़ गया है। कैथल की एक कार्यकर्ता ने बताया कि “मेरे पति एक मनरेगा मज़दूर हैं। उनके पास कोई काम नहीं है। पिछले साल भी 30 दिनों का रोजगार प्राप्त किया था। गाँव में दैनिक मजदूरी के कोई अवसर नहीं हैं। मुझे पिछले दो महीनों से भुगतान भी नहीं मिला है। चूंकि आधार को योजना के साथ जोड़ने में कुछ समस्या है। तो हमें अभी राशन के तहत गेहूं और दाल भी नहीं मिला है।”

आगे का रास्ता

सबसे कड़ी मेहनत करने वाले इन योद्धाओं को सबसे अंत में सुविधा और सुरक्षा पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। राज्य को तुरंत इन कार्यकर्ताओं को आर्थिक मदद देनी चाहिए। इसके साथ ही ड्यूटी के दौरान सुरक्षा उपकरण, स्वास्थ्य बीमा, परिवहन सुविधा और पके हुए भोजन की व्यवस्था की जानी चाहिए। उनकी पहचान “स्वयंसेवकों” से इतर “श्रमिकों” के रूप में होनी चाहिए। ताकि वे श्रम अधिकारों और सामाजिक सुरक्षा लाभों के हक़दार हों। महिलाओं के कार्य में निहित पितृसत्तात्मक धारणाओं के खिलाफ संघर्ष लंबा है और संगठित तरीके से संघर्ष करना होगा।

फरीदाबाद की एक कार्यकर्ता ने कहा कि “सर्वेक्षण करते समय प्रवासी श्रमिक मुझसे राशन मांगते हैं और भूख से मरने के बारे में सोच कर रोते हैं। पीएचसी में मरीज को एस्कॉर्ट करते समय डॉक्टर मुझे बाहर इंतजार करने के लिए कहता है- क्योंकि हम प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता नहीं बल्कि स्वयंसेवक हैं। एक प्रवासी मुझे सरकारी एजेंट के रूप में देखता है। उधर डॉक्टर मुझे एक स्वयंसेवक के रूप में देखता है, जो स्वास्थ्य प्रशासन का हिस्सा नहीं है। मेरी पहचान क्या है? ”

लेखक एस नियति, इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टिट्यूट, बैंगलोर में सीनियर रिसर्च फेलो हैं। नेल्सन मंडेला एस, अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी, बैंगलोर में रिसर्च फेलो हैं। मूल अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद अभिषेक नंदन ने किया है।

Haryana
asha wokers
ASHA worker and his life struggle
Coronavirus
COVID-19
Corona warriors

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी
    18 May 2022
    ज़िला अस्पतालों में डॉक्टरों के लिए स्वीकृत पद 1872 हैं, जिनमें 1204 डॉक्टर ही पदस्थापित हैं, जबकि 668 पद खाली हैं। अनुमंडल अस्पतालों में 1595 पद स्वीकृत हैं, जिनमें 547 ही पदस्थापित हैं, जबकि 1048…
  • heat
    मोहम्मद इमरान खान
    लू का कहर: विशेषज्ञों ने कहा झुलसाती गर्मी से निबटने की योजनाओं पर अमल करे सरकार
    18 May 2022
    उत्तर भारत के कई-कई शहरों में 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पारा चढ़ने के दो दिन बाद, विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन के चलते पड़ रही प्रचंड गर्मी की मार से आम लोगों के बचाव के लिए सरकार पर जोर दे रहे हैं।
  • hardik
    रवि शंकर दुबे
    हार्दिक पटेल का अगला राजनीतिक ठिकाना... भाजपा या AAP?
    18 May 2022
    गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। हार्दिक पटेल ने पार्टी पर तमाम आरोप मढ़ते हुए इस्तीफा दे दिया है।
  • masjid
    अजय कुमार
    समझिये पूजा स्थल अधिनियम 1991 से जुड़ी सारी बारीकियां
    18 May 2022
    पूजा स्थल अधिनयम 1991 से जुड़ी सारी बारीकियां तब खुलकर सामने आती हैं जब इसके ख़िलाफ़ दायर की गयी याचिका से जुड़े सवालों का भी इस क़ानून के आधार पर जवाब दिया जाता है।  
  • PROTEST
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पंजाब: आप सरकार के ख़िलाफ़ किसानों ने खोला बड़ा मोर्चा, चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर पर डाला डेरा
    18 May 2022
    पंजाब के किसान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर राजधानी में प्रदर्शन करना चाहते हैं, लेकिन राज्य की राजधानी जाने से रोके जाने के बाद वे मंगलवार से ही चंडीगढ़-मोहाली सीमा के पास धरने पर बैठ गए हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License