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‘दिल्ली चलो’ के आह्वान से घबराई हरियाणा सरकार!, सीमाएं सील, किसान-मज़दूरों ने कहा- ऐतिहासिक होगा प्रदर्शन
मज़दूर किसानों की एकता से बीजेपी सरकार डरी दिख रही है, इसलिए वो किसान मज़दूर दिल्ली न पहुँच सके इसके लिए हर हथकंडा अपना रही है। परन्तु ऐसा लग रहा है किसान और मज़दूर भी इसबार आर-पार के लड़ाई के मूड में हैं। उन्होंने भी साफतौर पर कहा उनका यह विरोध प्रदर्शन ऐतिहासिक होगा
मुकुंद झा
25 Nov 2020
  ‘दिल्ली चलो’ के आह्वान से घबराई हरियाणा सरकार!, सीमाएं सील, किसान-मज़दूरों ने कहा- ऐतिहासिक होगा प्रदर्शन
सांकेतिक तस्वीर।

केंद्र की मोदी सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों और श्रम कानूनों को खत्म कर चार लेबर कोड लाने के फैसले के खिलाफ देश के मज़दूर किसानों ने एक साथ मोर्चा खोल दिया। देशभर के मज़दूर संगठनों ने 26 नवंबर को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है तो देशभर के 200 से अधिक किसान संगठनों ने भी 26-27 नवंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का आवाह्न किया है। जबकि हरियाणा और पंजाब के किसानों ने लाखों की संख्या में दिल्ली आने का एलान किया है।

इस एकता से बीजेपी सरकार डरी दिख रही है, इसलिए वो किसान मज़दूर दिल्ली न पहुँच सके इसके लिए हर हथकंडा अपना रही है। कहीं वो पुलिस से मज़दूर नेताओं को डराने की कोशिश कर रही है तो कहीं किसान मज़दूर नेताओं को गिरफ़्तार कर रही है। हरियाण की बीजेपी और जेजेपी गठबंधन वाली सरकार ने तो किसानो को दिल्ली न पहुंचने देने के लिए अपनी सीमाओं को सील कर दिया। परन्तु ऐसा लग रहा है किसान और मज़दूर भी इसबार आर-पार के लड़ाई के मूड में है। उन्होंने भी साफतौर पर कहा उनका यह विरोध प्रदर्शन ऐतिहासिक होगा, और वो अपने तय कार्यक्रम के तहत दिल्ली कूच करेंगे और जहाँ पुलिस उन्हें रोकने की कोशिश करेंगे वो वही अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ जाएँगे। एकबार देखते है सरकार और किसान-मज़दूर दोनों इस हड़ताल के लिए कितने तैयार है।

हरियाणा की सीमाएं सील, पुलिस ने दिल्ली आने वाले किसानों को कानूनी कार्रवाई की दी चेतावनी

केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के ‘दिल्ली मार्च’ के पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मंगलवार को कहा कि पंजाब के साथ लगने वाली राज्य की सीमाएं 26 और 27 नवंबर को बंद रहेंगी।

खट्टर ने कहा , "पंजाब के साथ लगने वाली सीमाएं दो दिनों के लिए सील रहेगी।’’ उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस सख्त कदम उठाएगी।

खट्टर ने कहा, ‘‘मैं किसानों से अपील करता हूं कि कुछ संगठनों द्वारा किए गए ‘दिल्ली चलो’ के आह्वान का कोई मतलब नहीं है क्योंकि केंद्र द्वारा बनाए गए तीनों कानून किसानों के हित में हैं। हम मंडियों की संख्या और बढ़ाएंगे और ‘एमएसपी’ पहले की तरह जारी रहेगा।’’

दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को कहा कि अगर कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के दौरान प्रदर्शनकारी किसान किसी सभा के लिए नगर में आते हैं तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

पुलिस ने ट्विटर पर कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में इस तरह की किसी भी सभा के लिए कोई अनुमति नहीं दी गयी है।

कोरोना वायरस के प्रकोप के दौरान किसी भी सभा की अनुमति नहीं है। आयोजकों को काफी पहले ही इस बारे में सूचित कर दिया गया था।

पुलिस ने कहा कि अगर इसके बाद भी प्रदर्शनकारी दिल्ली में आते हैं, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

किसान संगठनों ने सीमा सील करने के हरियाणा सरकार के फैसले की निंदा की

किसान संगठनों ने दिल्ली मार्च के मद्देनजर 26 और 27 नवंबर को हरियाणा सरकार द्वारा पड़ोसी राज्य से लगी अपनी सीमाएं सील करने का निर्णय लिये जाने की मंगलवार को निंदा की।

किसान संगठनों ने कहा कि वे अपने प्रस्तावित मार्च के लिए तैयार हैं क्योंकि यह एक ऐतिहासिक आंदोलन होगा, जिसमें महिलाएं और युवा बड़ी संख्या में हिस्सा लेंगे।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKCCC), ने केंद्र पर हाल के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का दबाव बनाने के लिए 26-27 नवंबर को ‘दिल्ली चलो’ का आह्वान किया था।

उन्होंने घोषणा की थी कि वे राष्ट्रीय राजधानी को जोड़ने वाले पांच राजमार्गों से दिल्ली पहुंचेंगे और यदि उन्हें कहीं रोका गया तो वे वहीं अनिश्चित काल के लिए धरने पर बैठ जायेंगे।

भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के प्रमुख बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, ‘‘ पंजाब के साथ लगती सीमा को सील करने के हरियाणा सरकार के कदम की हम कड़ी निंदा करते हैं। उसने कई किसान नेताओं को एहतियाती हिरासत में ले लिया है। ’’

उन्होंने सवाल दागा कि कैसे वह किसानों को राष्ट्रीय राजधानी पहुंचने से रोकने के लिए ऐसी पाबंदियां लगा सकती है। प्रस्तावित मार्च पर उन्होंने कहा कि यह ऐतहासिक आंदोलन होगा।

किसान नेता सर छोटू राम का जिक्र करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि यह "शर्मनाक" है कि राज्य सरकार ने किसानों को उनकी जयंती पर एहतियाती हिरासत में ले लिया।

सुरजेवाला ने कहा कि, ‘‘क्या किसान अपराधी हैं? क्या किसानों ने कोई अपराध किया है? क्या अपने अधिकारों के लिए उनके द्वारा आवाज उठाना कोई अपराध है? कांग्रेस की मांग है कि किसानों को दिल्ली तक मार्च करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

हुड्डा ने कहा कि “किसानों की वैध मांगों को नहीं दबाया जा सकता। नेताओं को रात में उनके घरों से गिरफ्तार करने को उचित नहीं ठहराया जा सकता है। सरकार को गिरफ्तार नेताओं को जल्द से जल्द रिहा करना चाहिए।’’

किसानों के सबसे बड़े निकायों में से एक एआईकेएससीसी ने एक बयान में कहा, "इस तरह के दमन किसानों के संघर्ष को मजबूत बनाएंगे क्योंकि यह उनके लिए जीवन और मृत्यु का सवाल है।"

स्वराज इण्डिया के नेता योगेंद्र यादव ने कहा हर हाल में किसान दिल्ली कूच करेंगे चाहे सरकार कितने भी नेताओ को गिरफ़्तार कर ले। इसके साथ ही उन्होंने सरकार माहमारी के नाम पर किसनो के आंदोलन को न करने की सलाह दी और बीजेपी को घेरा, कहा क्या सिर्फ किसानों की रैली से कोरोना होगा? क्योंकि रविवार को हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने किसानों की रैली की थी जिसमें बड़ी संख्या में जमावड़ा था और अगर वो रैली कर सकते हैं तो बाकि किसान क्यों नहीं? सरकार को यह दोहरा मापदंड छोड़कर किसानों को दिल्ली जाने देना चाहिए।

किसान नेताओं की गिरफ़्तारी; किसानों ने कहा अगर उनके नेताओ को जल्द नहीं छोड़ा तो सरकार को भुगतना पड़ेगा इसका खामियाजा

दिल्ली चलो से पहले हरियाणा में लगभग 31 किसान मज़दूर नेताओं को गिरफ़्तार किया गया है। इनमे से कई को तो जेल में भी भेज दिया गया है।

मुख्यमंत्री खट्टर ने भी माना कि उनकी पुलिस ने कुछ किसान नेताओं को भी हिरासत में लिया है। जिसे किसान और विपक्षी दलों ने ‘शर्मनाक’ बताया।

AIKCCC के राष्ट्रीय कार्य समूह ने “हरियाणा में भाजपा सरकार द्वारा किए गए दमन” की निंदा की। समिति ने दावा किया कि मंगलवार सुबह से 31 किसान नेताओं को गिरफ्तार किया गया है।

प्रेस को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान सभा के राज्य उपप्रधान इंदरजीत सिंह ने कहा कि देश भर में तीन कृषि कानूनों का विरोध हर स्तर पर हो रहा है जब से ये कानून लागू हुए हैं किसान इनके खिलाफ आंदोलनरत हैं पर सरकार केंद्र व प्रदेश की भाजपा सरकार किसानों की इन जायज मांगो को सुनने की बजाय तानशाही का रास्ता अपनाए हुए है। देश के 250 से ज्यादा किसान संगठनों के संयुक्त आह्वान पर 26-27 नवंबर को किसान दिल्ली कूच करेंगे परंतु इस बीच रात को प्रदेश भर में किसान संगठनों के पदाधिकारियों को बिना किसी कारण के गिरफ्तार कर लिया गया अब तक 31 के लगभग रोहतक, भिवानी, सिरसा, फतेहाबाद, करनाल, बहादुरगढ़, झज्जर से किसान संगठनों के पदाधिकारियों को सरकार गिरफ्तार कर चुकी है सरकार का यह कदम सरासर तानशाही व लोगों के जनतांत्रिक अधिकारो पर हमला है।

प्रेस को आगे जानकारी देते हुए किसान सभा राज्य प्रधान फूल सिंह और राज्य सचिव सुमित सिंह ने संयुक्त तौर पर कहा कि क्या अब किसान अपनी आवाज भी नही उठा सकते। ये कृषि कानून देश की खेती व्यवस्था को बर्बाद करने वाले हैं पर सरकार इन्हें जबरन लागू करना चाहती है आज चौधरी छोटू राम जयंती के अवसर पर सरकार किसानों का दमन करके किसानों के आंदोलन को दबाना चाहती है परन्तु देश का किसान किसी भी कीमत पर इन काले कानूनो को स्वीकार नही करेगा। न ही सरकार के इन ओछे हथकंडों के किसान डरने वाले हैं किसानों का दिल्ली चलो का आह्वान कामयाब होगा।

मंगलवार को सरकार द्वारा नेताओ गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदेश भर में किसान मज़दूरों ने गांव गांव में सरकार के पुतले दहन किए। और अपने 26 नवंबर के दिल्ली कूच को सफल बनाने का आह्वान किया।

किसान सभा ने चेतवानी देते हुए कहा कि सरकार से सभी किसान नेताओं को जल्द रिहा करने की मांग की गई है और अगर सरकार किसानों की मांगों को अनसुना करती है तो इसका खामियाजा भी सरकार को भुगतना पड़ेगा।

दिल्ली में मज़दूर संगठनों ने भी भरी हुंकार, कहा- हड़ताल में 25 करोड़ श्रमिक होंगे शामिल

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने मंगलवार को कहा कि 26 नवंबर को देशव्यापी आम हड़ताल की तैयारी जोरों पर है और लगभग 25 करोड़ श्रमिक इसमें भाग लेंगे।

दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ‘इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर फार इंडियान ट्रेड यूनियंस (सीटू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी), ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), सेल्फ-एम्प्लॉइड वुमेन्स एसोसिएशन (सेवा), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) के संयुक्त फोरम ने इस बारे में संयुक्त बयान जारी किया। संयुक्त फोरम में स्वतंत्र फेडरेशन व संगठन भी शामिल हैं।

संयुक्त फोरम ने कहा, ‘‘26 नवंबर की अखिल भारतीय हड़ताल के लिये तैयारियां जोरों पर हैं। हम उम्मीद करते हैं कि 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी इस बार हड़ताल में हिस्सा लेंगे।’’

इस बीच, भाजपा से संबंधित भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने स्पष्ट किया है कि वह इस हड़ताल में भाग नहीं लेगा। मंगलवार को जारी एक बयान में बीएमएस ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट किया जाता है कि बीएमएस और इसकी इकाइयां 26 नवंबर 2020 को राजनीतिक रूप से प्रेरित हड़ताल में भाग नहीं लेंगी।’’

दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों ने यहां आयोजित एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में 26 नवंबर 2020 को देशव्यापी आम हड़ताल की तैयारियों के बारे में संतोष व्यक्त किया। केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के कई स्वतंत्र फेडरेशनों और एसोसिएशनों ने भी उस दिन हड़ताल का नोटिस दिया है।

 (समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )

Haryana Government
'Delhi Chalo farmers
laborers
punjab
Delhi
delhi police
National Strike
General Strike November 26
November 26 Strike
Central Trade Unions Protest on November 26
Samyuktha Karshaka Samithi
Kerala Karshaka Sangham
CITU
AIKS
AIKSCC
General Strike in Kerala
DILLI CHALO

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