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स्वास्थ्य
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क्या कोरोना का वायरस तीसरे स्टेज में पहुंच चुका है?
भारत सरकार अभी तक यह मानती है कि देश में फिलहाल कोरोना वायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं हुआ है। लेकिन ICMR की SARI  रिपोर्ट कुछ आशंकाएं जताती है। हालांकि इस रिपोर्ट की भी दो व्याख्याएं की जा रही हैं।
अजय कुमार
11 Apr 2020
कोरोना वायरस
Image courtesy: The Indian Express

इंडियन जर्नल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (ICMR) नामक पत्रिका में इंडियन मेडिकल कॉउंसिल ऑफ़ रिसर्च की तरफ से एक रिपोर्ट जारी की गयी है। रिपोर्ट का नाम 'Severe acute respiratory illness surveillance for coronavirus disease (SARI)' है।  सीवियर एक्यूट रेस्पेरेटरी डिजीज यानी वैसे मरीज़ जो बुरी तरह से सांस की बीमारी से परेशान हैं। आईसीयू यानी इंटेंस केयर यूनिट के देखभाल में रह रहे हैं। 15 फरवरी से लेकर 2 अप्रैल तक देश भर के 20 राज्यों के 52 जिलों में  रैंडम तरीके से 5911 सांस के मरीजों का अध्ययन किया गया। इससे यह निष्कर्ष निकला है कि 104 मरीज कोरोना वायरस से पीड़ित हैं। प्रतिशत हिस्सेदारी देखें तो यह करीब 1.08 फीसदी होता है।  

इस रिपोर्ट को बनाने में शामिल वैज्ञानिक तरुण भटनागर का मीडिया में बयान छपा है। तरुण कहते हैं कि ''चूँकि देश भर में रैंडम तरीके से केवल उन्हीं की जांच की गयी है, जिनमें कोरोना वायरस होने की सबसे अधिक संभावना थी, जिसका निष्कर्ष यह निकला कि उसमें से तकरीबन 1.08 फीसदी लोगों में संक्रमण हो चुका है तो इसका मतलब है कि कोरोना वायरस बहुत बड़े इलाके में फ़ैल चुका है।''

इसमें सबसे अधिक चौंकाने वाली बात है कि इन 104 मरीजों में से 40 मरीज ऐसे हैं, जिनका सम्बन्ध किसी भी तरह के विदेश यात्रा से नहीं पाया गया।

अब पूरी बात को साफ-साफ ऐसे समझिये कि देश भर में कोरोना की स्थिति जानने के लिए रैंडम तरीके से तकरीबन 6 हजार लोगों की जाँच की गयी जिनमें कोरोना वायरस होने की संभावना सबसे अधिक थी। जाँच से यह निष्कर्ष निकला कि 104 कोरोना पॉजिटिव लोगों में करीब 40 लोग ऐसे हैं, जिनका इतिहास किसी भी तरह के विदेश यात्रा का नही है और जिन्होंने न ही किसी ऐसे व्यक्ति से मुलाक़ात की है जो विदेश से लौटा हो।  

इस रिपोर्ट का सारी व्याख्या इसी बिंदू से की जा रही है। बहुत सारे जानकार यह कह रहे हैं कि 104 लोगों में से 40 लोग यानी 38 फीसदी लोग ऐसे हैं, जिनकी कांटेक्ट ट्रेसिंग में विदेश यात्रा का कोई जिक्र नहीं आ रहा है, न ही कोई ऐसा जिक्र आ रहा है कि इन्होंने कभी किसी विदेशी व्यक्ति से मुलाकात की है तो इसका मतलब है कि कोरोना वायरस का कम्युनिटी लेवल पर ट्रांसमिशन हो रहा है।  

इस बात को समझने में आपको मुश्किल आयी होगी कि आख़िरकार यह कम्युनिटी लेवल ट्रांसफर क्या है?

कोरोना वायरस के फैलने के तीन स्टेज हैं-

पहला है इम्पोर्ट स्टेज यानी किसी ऐसे व्यक्ति से कोरोना फैल रहा है, जो दूसरे देश की यात्रा करके आया है।

दूसरा लोकल स्टेज यानी किसी भी तरह से ऐसे व्यक्ति के सम्पर्क में आ जाना जिसे संक्रमण है।

और तीसरा, कम्युनिटी स्टेज यानी कोरोना वायरस हर जगह है। पूरे समुदाय में फ़ैल गया है। आप सब्जी खरीदने गए और घर आये तो आपको पता चला कि कोरोना वायरस से आप पीड़ित हो चुके हैं। इस हालत से इस समय स्पेन और इटली गुजर रहे हैं। 40 लोगों की कोई ट्रैवल हिस्ट्री विदेश की नहीं है और न किसी ने ऐसे व्यक्ति से मुलाकात की है जो विदेश से आया हो तो जानकारों का एक धड़ा यह अंदेशा जता रहा है कि कोरोना वायरस बहुत बड़े इलाके में फ़ैल चुका है। इसका कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो रहा है।

दूसरा नज़रिया जो उम्मीद बंधाता है

लेकिन जानकारों का दूसरा धड़ा भी है। वह इस रिपोर्ट की थोड़ी आशावादी व्याख्या कर रहा है। इस धड़े का कहना है कि देश भर में से साँस के मरीज़ों का अध्ययन किया गया, जिनमें कोरोना वायरस फैलने की संभावना सबसे अधिक थी। तकरीबन 6 हजार में से केवल 104 मरीजों में कोरोना का संक्रमण पाया गया। इनमें से 83 फीसदी मरीज 50 साल के ऊपर के हैं।

इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि जिन्हें कोरोना वायरस से सबसे अधिक खतरा हो सकता था, उनमें से केवल 1.08 फीसदी मरीजों को खतरा हुआ। इसका मतलब है कि भारत की बहुत बड़ी आबादी के लिए ज्यादा चिंता की बात नहीं है। यही बात उन 40 लोगों के लिए भी कही जा सकती है कि जिनकी ट्रवेल हिस्ट्री विदेश की नहीं है। इनका भी हिस्सा कुल 5911 लोगों में केवल 0.6 फीसदी का ही है। मतलब यह कि बहुत अधिक चिंतित होने की बात नहीं है।  

भारत सरकार के स्वास्थ्य सचिव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसी रिपोर्ट पर पूछे गए सवाल पर कहा कि कुछ मामलों में यह पता नहीं चल पाया है कि संक्रमण का स्रोत क्या है लेकिन आधिकारिक तौर पर भारत सरकार यह मानती है कि देश में फिलहाल कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं हुआ है।

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COVID-19
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Dr. Harshvardhan
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