NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
स्वास्थ्य कर्मियों को हीरो के तौर पर देखना वास्तव में उनके साथ अन्याय करना है  
जहां 73वें विश्व स्वास्थ्य सभा ने कोरोनावायरस महामारी से संबंधित चुनौतियों से निपटने के लिए खुद को केंद्रित किया वहीं स्वास्थ्य कर्मियों के जीवन की सुरक्षा और बेहतरी की ज़रूरत से जुड़े सवालों की अनदेखी कर दी गई है।
डब्ल्यूएचओ वाच टीम
03 Jun 2020
स्वास्थ्य कर्मियों को हीरो के तौर पर देखना वास्तव में उनके साथ अन्याय करना है   

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से वर्ष 2020 में आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगल के जन्म के दो सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर इस वर्ष को "नर्स और मिडवाइफ अंतर्राष्ट्रीय वर्ष" के रूप में घोषित किया था। अब चूंकि कोरोनावायरस महामारी सारी दुनिया में फ़ैल चुकी है ऐसे में नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को उनके कर्तव्य निर्वहन अर्थात ज़िम्मेदारी से अधिक कार्य करने के लिए उनकी काफी प्रशंसा की जा रही है। सभी प्रमुख संस्थाओं के लिए वैश्विक स्वास्थ्य के फ़ैसले लेने वाले निकाय के तौर पर कोविड-19 पर दुनिया कैसे इसका मुकाबला करे, इसके लिए जिस दो दिवसीय वर्चुअल मीटिंग का आयोजन किया गया था ऐसे में क्या अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए पर्याप्त ज़रूरी कदम उठाए हैं?

इस वर्चुअल 73वीं विश्व स्वास्थ्य सभा (डब्ल्यूएचए) का आयोजन 18 मई से 19 मई 2020 के बीच किया गया था और इस सम्म्मेलन को कोविड-19 के मद्देनजर तमाम देशों द्वारा किए गए उपायों पर चर्चा के लिए समर्पित किया गया था। डब्ल्यूएचओ के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों की ओर से सर्वसम्मति से कोविड-19 पर पहलकदमी के प्रस्ताव को पारित किया गया।

यह प्रस्ताव कोविड-19 महामारी की चुनौतियों से निपटने में हेल्थ प्रोफेशनल्स, स्वास्थ्य कर्मियों एवं अन्य संबंधित फ्रंट-लाइन कार्यकर्ताओं द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करता है। यह सभी देशों से अपील करता है कि वे आम लोगों और स्वास्थ्य कर्मियों जिसमें सामुदायिक स्वास्थ्यकर्मी और चिकित्सा उपकरण शामिल हैं उनके के सुरक्षित आवाजाही को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय करें ताकि उन्हें अपने कर्तव्यों के निर्वहन में किसी प्रकार की बाधाओं का सामना न करना पड़े। इस प्रस्ताव में स्वास्थ्य कर्मियों को "निजी सुरक्षा उपकरण और अन्य आवश्यक चीजें और प्रशिक्षण मुहैय्या कराने की सलाह दिया जाता है, जिसमें मनो-सामाजिक सहयोग के प्रावधान भी शामिल हैं।" इसके साथ ही साथ कार्यस्थल पर सुरक्षा की गारंटी करने के अलावा "उचित पारिश्रमिक के प्रावधान (स्वास्थ्यकर्मियों हेतु) किए जाएं।“ डब्ल्यूएचए-73 ने सभी देशों और संबंधित पक्षों से डब्ल्यूएचओ के एक्सपर्ट एडवाइजरी ग्रुप की सिफारिशों को पूरी तरह से लागू करने के लिए डब्ल्यूएचओ की ओर से स्वास्थ्य कार्मिकों के अंतर्राष्ट्रीय भर्ती पर ग्लोबल कोड ऑफ़ प्रैक्टिस की सिफारिशों को लागू करने का आग्रह किया है।

डब्लूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस घेब्रेयेसुस ने अपने स्वागत भाषण में कहा: "विश्व स्वास्थ्य संगठन बतौर विज्ञान और सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों के माध्यम से कोरोनोवायरस महामारी को मात देने के लिए कटिबद्ध है और हम उन सभी स्वास्थ्य कर्मियों के साथ खड़े हैं जो इसके फ्रंट-लाइन पर डटे हैं.....। यदि स्वास्थ्य कर्मी का जीवन ख़तरे में है तो हमें समझना चाहिए कि हम सभी का जीवन ख़तरे में है”

विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों की ओर से भी स्वास्थ्य कर्मियों के प्रयासों की दिल खोलकर सराहना की गई और कोविड-19 महामारी के ख़िलाफ़ जंग में उनकी और अन्य फ्रंट-लाइन कर्मचारियों की महती भूमिका के प्रति अपना आभार व्यक्त किया गया। सदस्य देशों की ओर से कई मुद्दों को चर्चा में उठाया गया था। उनकी ओर से फ्रंट-लाइन कर्मियों के लिए आवश्यक पीपीई और प्रशिक्षण की ज़रूरत पर ज़ोर दिया गया। चीन ने उल्लेख किया कि उसने अपने 26 लाख से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों को 23 भाषाओँ में प्रशिक्षित किया है। स्वास्थ्य कर्मियों के बीच बढ़ते संक्रमण और मौत के ख़तरे को देखते हुए ट्यूनीशिया की ओर से डब्ल्यूएचओ से तत्काल समुचित निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) तक पहुंच को सुनिश्चित करने और वर्तमान संकट से निपटने के लिए बेहतर योजना तैयार करने के लिए आवश्यक क़दम उठाने की अपील की गई। बहरीन ने अपने बयान में कहा कि उसकी ओर से इस बात को लेकर विशेष क़दम उठाए गए थे जिससे कि समय रहते हेल्थ प्रोफेशनल्स की मदद से स्वास्थ्य कर्मियों को आवश्यक प्रशिक्षण के माध्यम से बेहतर तौर पर इससे निपटने के लिए तैयार कर लिया गया था। सैन मैरिनो ने बताया कि उसकी ओर से स्वास्थ्य कर्मियों की सीरोलॉजिकल स्क्रीनिंग शुरू कर दी गई है। नाइजीरिया ने अपने यहां सभी स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बीमा कवर को सुनिश्चित किए जाने की बात कही जबकि साइप्रस ने इस बात का उल्लेख किया कि उसके यहां स्वास्थ्य कर्मियों के लिए एक हेल्पलाइन चालू की गई है।

हालांकि कुछ ज्वलंतशील मुद्दों को उठाया नहीं किया जा सका है। सार्वजनिक सेवाकर्मियों के वैश्विक संघ के फेडरेशन, पब्लिक सर्विस इंटरनेशनल ने अपने ऑनलाइन दिए गए बयान में कहा है कि “आवश्यक पीपीई और कार्यस्थल पर सुरक्षा मुहैय्या कराए जाने के मामले में होने वाले ख़र्चों पर किसी भी प्रकार के समझौते की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। बहुमूल्य जीवन को बचाने के लिए सदस्य देशों को पीपीई की कमी को दूर करना ही होगा। इसके लिए बेहतर वैश्विक सहयोग की आवश्यकता है ताकि इसके उचित भंडारण और अबाध आपूर्ति को सुनिश्चित किया जा सके।”

स्वास्थ्य कर्मियों और बाकी के फ्रंट-लाइन कर्मियों के दैनिक कार्य की स्थितियों को उठा पाने के मामले में यह प्रस्ताव कमोबेश विफल रहा है। कोरोनावायरस महामारी ने स्वास्थ्य कर्मियों के लिए जिन आपातकालीन हालात को पेश कर दिया है उसमें पीपीई की कमी, भारी संख्या में संक्रमित मामलों के साथ संपर्क में आने, बिना पर्याप्त आराम के घंटों के लम्बे शिफ्ट में काम करते जाना और स्वास्थ्य सुविधाओं में पर्याप्त निवारक उपायों और निगरानी प्रणालियों की कमी ने स्वास्थ्य कर्मियों के जीवन को बहुत बड़े संकट में डाल दिया है। इसके साथ ही समुचित ट्रेनिंग की कमी और आवश्यक वस्तुओं के अभाव ने सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मियों और सैनिटेशन कर्मियों के संक्रमित होने के ख़तरे को काफी हद तक बढ़ा दिया है। ऐसे जान पड़ता है कि मुख्य मुद्दा अभी भी पीपीई की कमी का ही बना हुआ है। रिपोर्टों से संकेत मिल रहे हैं कि स्वास्थ्य कर्मी अपने सुरक्षात्मक किट को दोबारा से इस्तेमाल में लेने के लिए मजबूर हैं या फटाफट समाधान के तौर पर प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग कर किसी तरह काम चलाने की कोशिश कर रहे हैं। फ्रंट-लाइन स्वास्थ्य कर्मियों के तौर पर भारी तादाद में महिलाएं इसमें शामिल हैं और उनकी सुरक्षा और मासिक धर्म की ज़रूरतों की ओर ध्यान नहीं दिया जाता।

सभी इस बात को स्वीकार करते हैं कि स्वास्थ्य कर्मियों को कहीं ज्यादा जोखिम उठाना पड़ता है। डब्लूएचओ हेल्थ इमर्जेंसी प्रोग्राम के मुख्य कार्यकारी निदेशक माइकल जे. रयान ने डब्ल्यूएचए सत्र के दौरान अपने भाषण में इस बात का उल्लेख किया कि “दुर्भाग्य से हमेशा ही स्वास्थ्य कर्मियों को ही महामारी से जूझने के दौरान खदान के कैनरी की भूमिका में खड़ा होना पड़ता है, विशेष तौर पर उन क्षेत्रों में जहां पर बेहतर निगरानी प्रणाली अपने वजूद में नहीं है।" इस बात के सबूत लगातार बढ़ते जा रहे हैं कि जैस-जैसे कोरोनावायरस संक्रमण में बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है, वैसे वैसे उसी अनुपात में स्वास्थ्य कर्मियों और अन्य फ्रंट-लाइन कर्मियों के बीमार पड़ते जाने की संख्या में भी इज़ाफ़ा होता जा रहा है।

इस सबके बावजूद कोविड-19 को पेशेवर बीमारी के तौर पर मान्यता दिए जाने की बात सिरे से गायब है। अंतर्राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन आंदोलन की ओर से इस विषय में व्यापक मांग उठाए जाने के बावजूद इस बीमारी की चपेट में आने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के लिए पर्याप्त मुआवजे को सुनिश्चित करने में एक बड़ी खामी अभी भी बनी हुई है। पब्लिक सर्विस इंटरनेशनल की ओर से जारी बयान में उल्लेख किया गया है कि “कार्यस्थल पर पब्लिक हेल्थ और सामाजिक समाधान को लेकर डब्ल्यूएचओ के तत्वावधान में कई गंभीर खामियां बनी हुई हैं। क्योंकि स्वास्थ्य कर्मियों की भागीदारी के बिना इसे तैयार किया गया है, शारीरिक दूरी को लेकर इसकी सिफारिशें, परीक्षण के लिए आवश्यक रणनीति और इसकी वजह से स्वास्थ्य कर्मियों में होने वाले दूरगामी मानसिक आघात का आकलन, कर्मियों की जिंदगी और बेहतरी की दृष्टि में नाकाफी हैं। हम इसकी फिर से समीक्षा की मांग करते हैं ताकि इन्हें उचित तौर पर हल किया जा सके और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए कोविड-19 को कामकाज के दौरान होने वाली बीमारी के बतौर मान्यता मिले। स्वास्थ्य कर्मियों के लिहाज से देखें तो इस डब्ल्यूएचए में व्यावसायिक खतरे और ट्रेड यूनियन भागीदारी जैसे दो प्रमुख अवसरों को गंवा दिया गया है। 

उपरोक्त लेख बेन ईडर (इंग्लैंड), गार्गेय तेलकापल्ली (भारत), माइकल सेमाकुला (युगांडा) ओसामा उमेर (भारत), कृति शुक्ला (भारत), मैथ्यूस जेड फाल्को (ब्राजील), सोफी गेप्प (जर्मनी) और नताली रोड्स (इंग्लैंड) की ओर से किए गए योगदान से संकलित किया गया है।

 

अंग्रेज़ी में लिखे मूल आलेख को आप नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

 

Looking at Healthcare Workers as Heroes Does Them a Disservice

 

 

WHO
COVID-19
Coronavirus
Healthcare workers
PPE
Nurses
World Health Assembly

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License