NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
जम्मू कश्मीर में पाबंदियों के खिलाफ सुनवाई पूरी, फ़ैसला बाद में
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद और कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन और कई अन्य की याचिकाओं पर सभी पक्षों को विस्तार से सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फ़ैसला बाद में सुनाया जायेगा।
भाषा
27 Nov 2019
Kashmir restrictions
Representational image. | Image Courtesy: Deccan Herald

दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान खत्म करने के बाद वहां लगायी गयी पाबंदियों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई पूरी कर ली। इस मामले में न्यायालय फ़ैसला बाद में सुनायेगा।

न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद और कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन और कई अन्य की याचिकाओं पर सभी पक्षों को विस्तार से सुनने के बाद कहा कि फ़ैसला बाद में सुनाया जायेगा।

आज़ाद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि जम्मू कश्मीर में राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले को वह समझते हैं लेकिन इस वजह से घाटी की समूची 70 लाख की आबादी को ‘ताले में बंद’ नहीं किया जा सकता।

अनुराधा भसीन की ओर से अधिवक्ता वृन्दा ग्रोवर ने इन पाबंदियों को ‘असंवैधानिक’ बताया और कहा कि इन प्रतिबंधों आनुपातिक परीक्षण से गुजरना होगा।

जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान खत्म करने के बाद पूर्व राज्य में इंटरनेट सेवाओं पर लगायी गयी पाबंदियों को मंगलवार को न्यायोचित ठहराया था।

मेहता ने कहा था कि उनकी लड़ाई भीतर सक्रिय दुश्मनों से ही नहीं बल्कि सीमापार से सक्रिया शत्रुओं से भी है। उन्होंने अनुच्छेद 35ए हटाये जाने के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और नेशनल कांफ्रेन्स पार्टी के नेताओं के भाषणों और सोशल मीडिया पर अपलोड पोस्ट का हवाला दिया।

अनुच्छेद 35ए राज्य के स्थायी निवासियों को विशेष अधिकार प्रदान करता था और अनुच्छेद 370 में राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करने संबंधी प्रावधान थे।

मेहता ने सोशल मीडिया ऐप ट्विटर का जिक्र करते हुये कहा कि पाकिस्तानी सेना, अफगान तालिबान और अन्य आतंकी समूहों के आधिकारिक ट्विटर हैंडल्स पर जम्मू कश्मीर की जनता को भड़काने वाले हजारों संदेश हैं।

सालिसीटर जनरल ने कहा कि पाकिस्तानी सेना का दुष्प्रचार चल रहा है। यदि हमने ऐहतियाती कदम नहीं उठाये होते तो हम अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने मे विफल हो जाते।

उन्होंने कहा कि इसका एकमात्र समाधान यही है कि या तो आप इंटरनेट सेवा रखें या नहीं रखें क्योंकि इन्हें अलग करना, विशेषकर इतने बड़े क्षेत्र में, बहुत ही मुश्किल काम है। उन्होंने कहा कि वहां निषेधाज्ञा लगायी गयी ताकि लोग एकत्र नहीं हो सकें क्योंकि ऐसा होने पर कानून व्यवस्था की समस्या खड़ी हो सकती थी।

केन्द्र ने भी 21 नवंबर को अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान खत्म किये जाने के बाद जम्मू कश्मीर में लगायी गयी पाबंदियों को न्यायोचित ठहराया था। केन्द्र ने कहा था कि ऐहतियात के तौर पर उठाये गये कदमों की वजह से घाटी में एक भी व्यक्ति की जान नहीं गयी और न ही सुरक्षा बल को एक भी गोली चलानी पड़ी।

केन्द्र ने कश्मीर घाटी में आतंकी हिसा का जिक्र किया था और कहा था कि पिछले कई साल से सीमा पार से आतंकवादियों को यहां भेजा जा रहा है, स्थानीय उग्रवादियों और अलगाववादी संगठन ने नागरिकों को बंधक बना रखा था और ऐसी स्थिति में यदि सरकार ने नागरिकों के जीवन की सुरक्षा के लिये एहतियाती कदम नहीं उठाये होते तो यह बहुत ही मूर्खतापूर्ण होता।

Jammu and Kashmir
Article 370 Scrapped
Article 35A Scrapped
Kashmir crises
Restrictions in Kashmir

Related Stories

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

कश्मीर में हिंसा का नया दौर, शासकीय नीति की विफलता

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम जॉब पैकेज में कोई सुरक्षित आवास, पदोन्नति नहीं 

यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा

आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रक़ैद

जम्मू में आप ने मचाई हलचल, लेकिन कश्मीर उसके लिए अब भी चुनौती

जम्मू-कश्मीर परिसीमन से नाराज़गी, प्रशांत की राजनीतिक आकांक्षा, चंदौली मे दमन


बाकी खबरें

  • लेखनाथ पांडे (काठमांडू)
    नेपाल की अर्थव्यवस्था पर बिजली कटौती की मार
    16 May 2022
    नेपाल भारत से आयातित बिजली पर बहुत ज़्यादा निर्भर है, जहां सालों से बिजली संकटों की बुरी स्थितियों के बीच बिजली उत्पादन का काम चल रहा है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: गिर रहा कोरोना का स्तर लेकिन गंभीर संक्रमण से गुजर चुके लोगों की ज़िंदगी अभी भी सामान्य नहीं
    16 May 2022
    देश में कोरोना के मामलों में एक बार फिर लगातार गिरावट देखी जा रही है। पिछले एक सप्ताह के भीतर कोरोना का दैनिक आंकड़ा 3 हज़ार से भी कम रहा है |
  • सुबोध वर्मा
    कमरतोड़ महंगाई को नियंत्रित करने में नाकाम मोदी सरकार 
    16 May 2022
    गेहूं और आटे के साथ-साथ सब्ज़ियों, खाना पकाने के तेल, दूध और एलपीजी सिलेंडर के दाम भी आसमान छू रहे हैं।
  • gandhi ji
    न्यूज़क्लिक टीम
    वैष्णव जन: गांधी जी के मनपसंद भजन के मायने
    15 May 2022
    हाल ही में धार्मिक गीत और मंत्र पूजा अर्चना की जगह भड़काऊ माहौल बनाने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं। इसी सन्दर्भ में नीलांजन और प्रोफेसर अपूर्वानंद गाँधी जी को प्रिय भजन वैष्णव जन पर चर्चा कर रहे हैं।
  • Gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी विवाद: क्या और क्यों?
    15 May 2022
    जो लोग यह कहते या समझते थे कि अयोध्या का बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद आख़िरी है, वे ग़लत थे। अब ज्ञानवापी विवाद नये सिरे से शुरू कर दिया गया है। और इसके साथ कई नए विवाद इस कड़ी में हैं। ज्ञानवापी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License