NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
हिमाचल प्रदेश: बस किराये में बढ़ोतरी पर विपक्ष सहित मज़दूर संगठनों का विरोध
कोरोना संकट के इस दौर में भी हिमाचल प्रदेश सरकार ने आम जनता पर आर्थिक बोझ डालते हुए बस किराए में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
23 Jul 2020
CITU

हिमाचल प्रदेश सरकार ने कोरोना काल में जनता पर आर्थिक बोझ डालते हुए बस किराए में 25 प्रतिशत बढ़ोतरी की। बस किराया में हुई बढ़ोतरी के खिलाफ विपक्ष समेत राज्य के मज़दूर संगठनों ने अपना विरोध जताया है। उनका कहना है कि निजी बस संचालकों के दबाव में बस किराये में बढ़ोतरी की गई। इस बढ़ोतरी के खिलाफ मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी (सीपीएम) गुरुवार को राज्यव्यापी प्रदर्शन कर रही है। गौरतलब है कि किराए में इजाफे पर मुख्य विपक्षी कांग्रेस समेत मज़दूर संगठन भी अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं। सभी ने साफ तौर पर कहा है कि अगर सरकार ने किराया वृद्धि को तुरन्त वापस नहीं लिया तो वो सरकार के खिलाफ अपना संघर्ष और तेज़ करेगी।

क्या है पूरा मामला ?

हिमाचल प्रदेश सरकार ने बस किराए में 25 प्रतिशत बढ़ोतरी करने का सोमवार को फैसला किया। आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में बस किराया वृद्धि का फैसला किया गया। अधिकारी ने बताया कि मंत्रिमंडल ने पहले तीन किलोमीटर के लिए बस का न्यूनतम किराया भी पांच रुपये से बढ़ाकर सात रुपये करने का फैसला किया है।

उन्होंने बताया कि पहाड़ी और मैदानी, दोनों क्षेत्रों के लिए तीन किलोमीटर के बाद सभी यात्रियों के लिए प्रति किलोमीटर की मौजूदा दर में 25 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी। उन्होंने बताया कि कोविड-19 के कारण आर्थिक दिक्कतों के चलते मंत्रिमंडल ने राज्य में बस किराया बढ़ाने का फैसला किया।

सरकार के इस फैसले के बाद से ही भारी विरोध दर्ज किया गया। इस मामले को तूल पकड़ता देख मुख्यमंत्री ने अपनी चुप्पी तोड़ी और निजी मीडिया संस्थान से बात करते हुए कहा कि किराया बढ़ाने का फैसला भारी मन से लेना पड़ा है। यह जरूरी था हम देश के सामने अपनी बात कह सकते थे, लेकिन देश भी उसी दौर से गुजर रहा है, जिससे हम गुजर रहे हैं। हमने अन्‍य राज्यों से कम किराया बढ़ाया है।

IMG-20200723-WA0012.jpg

बढ़ोतरी से मज़दूर और आम जनता होगी परेशान

बस किराये में हुई इस बढ़ोतरी से सबसे अधिक हिमाचल की आम जनता के लिए परेशनी का सबब है क्योंकि वहाँ की भौगलिक स्थिति बहुत जटिल है। वहाँ के जन सामान्य के लिए सफर के लिए बसों के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है, अगर है तो वो टैक्सी या फिर निजी वाहन है जो काफी महंगा है और इसका खर्च वहन भी सबकी बस की बात नही है और डीजल पेट्रोल की कीमत बढने के बाद अधिकतर मध्यम वर्ग के लोगो अपने निजी वाहन को छोड़कर सार्वजनिक परिवहन की ओर बढ़ रहे थे उनके लिए नही यह निर्णय निराशाजनक है।

लोगों का कहना है कि पहले ही पेट्रोल-डीजल और गैस सिलेंडर के महंगा होने से लगातार बोझ झेलने के बाद अब बसों में सफर करने वालों का बजट और भी गड़बड़ा जाएगा। किराया बढ़ाए जाने का सबसे ज्यादा असर रोजाना एक से दो किलोमीटर सफर करने वाले छात्रों, कर्मचारियों और दूसरे नौकरी पेशा लोगों की जेब पर पड़ेगा।

आपको बता दें कि गत 21 जुलाई को मज़दूर संगठन सीटू ने शिमला में सांकेतिक प्रदर्शन किया और प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर बस किराया वृद्धि को वापिस न लिया गया तो सीटू जनता व मजदूर वर्ग को लामबन्द करके प्रदेशव्यापी आंदोलन खड़ा करेगा व सड़कों पर उतरकर इस जनविरोधी निर्णय का ब्लॉक व जिला मुख्यालय स्तर पर विरोध करेगा।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि बस किराया वृद्धि को तुरन्त वापिस लिया जाए। उन्होंने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया कि यह सरकार लगातार जनता पर बोझ डालने का कार्य कर रही है।

विजेंद्र मेहरा ने कहा कि "भाजपा सरकार के सत्तासीन होने के बाद बस किरायों में पचास प्रतिशत वृद्धि हो चुकी है। न्यूनतम किराया में दो सौ प्रतिशत से भी ज़्यादा की बढ़ोतरी हो चुकी है। भाजपा सरकार के सत्तासीन होने के समय बस किराया लगभग डेढ़ रुपया प्रति किलोमीटर था जो आज बढ़कर लगभग सवा दो रुपये हो चुका है। न्यूनतम किराया तीन से बढ़कर सात रुपये हो चुका है। यह सीधी लूट है। सरकार ने पेट्रोल-डीजल के भारी दामों की आड़ में बस किराया वृद्धि की है। दुनिया में कच्चे तेल की कीमतों में पिछले सालों की अपेक्षा भारी गिरावट है परंतु पेट्रोल-डीजल की कीमतें लगातार आसमान छू रही हैं।"

आगे उन्होंने प्रदेश सरकार पर बड़े-बड़े ट्रांसपोर्टरों से मिलभगत का आरोप लगते हुए कहा कि "कोरोना काल में निजी क्षेत्र में कार्यरत सत्तर फीसद लोगों की नौकरी पूर्ण अथवा आंशिक रूप से खत्म हो चुकी है। ऐसे समय में जनता को सरकार से मदद की दरकार थी परन्तु भारी बस किराया वृद्धि करके इस सरकार ने जनता की राहत की उम्मीद पर पूरी तरह पानी फेर दिया।"

उन्होंने कहा कि पूरे देश की अपेक्षा पहले ही हिमाचल प्रदेश में किराया बहुत ज़्यादा है। यह उत्तर-पूर्व भारत के पहाड़ी राज्यों के मुकाबले कहीं ज़्यादा है। सात रुपये न्यूनतम किराया होने से मजदूर व गरीब किसानों को बस में बैठने से पहले दस बार सोचना पड़ेगा। यह सीधी गरीब मार है। यह सरकार पूरी तरह गरीब विरोधी है।

इस बढ़ोतरी के खिलाफ कांग्रेस भी सड़क पर उतरी

कांग्रेस ने मंगलवार को बस किराये में वृद्धि का विरोध किया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने राजीव भवन से पुराना बस स्टैंड तक एचआरटीसी के प्रबंध निदेशक के दफ्तर तक जुलूस भी निकाला। इसके बाद कांग्रेस की तरफ से बस भाड़े में वृद्धि को तुरंत वापस लेने की मांग को लेकर सीएम जयराम ठाकुर को ज्ञापन भेजा गया।

स्थानीय अख़बारों के मुतबिक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप राठौर ने कहा कि जब तक सरकार किराया वृद्धि वापस नहीं ली तो कांग्रेस आम जन के साथ किसी बड़े आंदोलन से भी पीछे नहीं हटेगी। राठौर ने कहा कि यह निर्णय पूरी तरह जनविरोधी है और जनहित में इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।

इस वृद्धि से सरकारी बस परिवहन को होगा नुकसान

इस किराया वृद्धि से हिमाचल रोडवेज ट्रांसपोर्ट कॉपोरेशन(एचआरटीसी) को फायदे के बजाय भारी नुकसान होगा क्योंकि यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि आमतौर पर प्राइवेट बस संचालक सवारियों से एचआरटीसी के मुकाबले कम किराया लेते हैं और अपना बिज़नेस बढ़ाते हैं। इस निर्णय के लागू होने से एचआरटीसी को प्रतिदिन होने वाली आय भी गिर जाएगी।

जानकारों का कहना है कि इस वृद्धि से पहले से ही कमज़ोर एचआरटीसी और ज़्यादा कमज़ोर हो जाएगी व उसकी प्रतिदिन की आय भी गिर जाएगी। आगे वो कहते हैं कि नुकसान एचआरटीसी को ही भुगतना करना पड़ेगा क्योंकि दूरदराज के इलाकों में एचआरटीसी ही अपनी सेवाएं देती है जबकि प्राइवेट रूट वहीं है जहां पर मुनाफा है। ये फैसला केवल निजी ट्रांसपोर्टरों के लाभ के लिए किया गया है। ये साफ दिखा रहा है कि सरकार निजी बस मालिकों के फायदे के लिए किराये में बढ़ोतरी कर रही है। 2013 में भी किराया बढ़ाया गया था। जब निजी ऑपरेटर हड़ताल पर गए थे।

हालंकि सरकार की गलत नीतियों से ही एचआरटीसी बर्बाद हो रहा है और उसकी गाड़ियों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है जबकि प्राइवेट बसों की संख्या बढ़ रही है। इस किराया वृद्धि से सरकारी परिवहन जो पहले से बहुत ही बीमारू हालत में है और बर्बाद होगा और प्राइवेट बस का दबदबा बढ़ेगा।

ठियोग से सीपीएम विधायक राकेश सिंघा ने इस प्रस्ताव विरोध किया और कहा यह सार्वजनिक परिवहन को बर्बाद करेगा जबकि निजी बस चालकों को फायदा होगा। राकेश सिंघा ने सरकार की मंशा पर सवाल उठते हुए कहाकि सरकार भी कह रही है ये फैसला भारी मन से लेना पड़ा और कॉरपरेशन से भी बढ़ोतरी कोई मांग नहीं थी, फिर क्यों बढ़ाया गया किराया? इस प्रस्ताव को लेकर क्यों नहीं खुले तौर पर चर्चा की। एक बंद कमरे में बिना किसी से चर्चा के किराये में बढ़ोतरी कर दी जो सरासर गलत है और वो और उनकी पार्टी इसका विरोध सदन से सड़क तक करेगी।

सीपीएम के राज्य सचिव ओंकार शाद ने 23 जुलाई को पूरे प्रदेश में प्रदर्शन करने का एलान किया है। उन्होंने प्रदेश सरकार पर कोरोना संकट के बीच जनता पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डालने का आरोप लगाया है। शाद ने कहा कि जब तक किराया बढ़ोतरी का फैसला वापस नहीं होगा, तब तक प्रदर्शन जारी रहेंगे। 

Himachal Pradesh
Bus fare increase
Protests
Labor organizations
Jairam Thakur
CITU
BJP
Congress

Related Stories

हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License