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भारत
राजनीति
हिसार : दिल्ली सल्तनत चलाने से लेकर इस्पात सिटी तक का सफ़र!
शहरनामा: शौर्य, बलिदान व देश पर मर मिटने और गौरवशाली राजनीतिक परंपरा का गवाह रहा हिसार शहर एक बादशाह के दूध बेचने वाली से हुए प्रेम की कहानी भी समेटे हुए है।
अमित सिंह
14 Oct 2019
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हिसार: हरियाणा में विधानसभा चुनावों की घोषणा के बाद से सियासी पार्टियों में हलचल मची हुई है। सत्तापक्ष और विपक्ष अपने अपने स्तर पर योजनाएं बना रहे हैं। राजनीतिक दलों के केंद्र में हिसार प्रमुख रूप से है। राज्य में इसी ज़िले में सबसे ज्यादा सात विधानसभा सीटे हैं। लेकिन सिर्फ इस शहर का इतना ही राजनीतिक महत्व नहीं है। बल्कि यह शहर शौर्य, बलिदान व देश पर मर मिटने और गौरवशाली राजनीतिक परंपरा का गवाह रहा है। साथ ही एक बादशाह और दूध बेचने वाली से प्रेम की कहानी भी समेटे हुआ है। आज इसे इस्पात का शहर भी कहा जाता है।

इतिहासकारों का कहना है कि साल 1353 से लेकर 1357 तक देश की राजधानी दिल्ली का प्रशासन हिसार से चलता था। दिल्ली सल्तनत के सुल्तान फिरोजशाह तुगलक इस काल में ज्यादातर समय हिसार में रहे। दरअसल मार्च 1354 में फिरोजशाह तुगलक ने हिसार की स्थापना की और 4 साल अधिकांश समय यहां गुजारा। यहीं से देश का शासन चलाया।

बादशाह और दूध बेचने वाली की प्रेमकहानी

तुगलक के हिसार से जुड़ाव की बड़ी वजह उनकी प्रेम कहानी थी। जनश्रुतियों की मानें तो यह घटना उस समय की है, जब फिरोजशाह को गद्दी नहीं मिली थी और वह शहजादे थे। उन दिनों हिसार के इस इलाके में घना जंगल हुआ करता था, जहां शहजादा फिरोज शिकार खेलने निकल जाते थे।

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करीब 1342 में फिरोजशाह तुगलक शिकार खेलने हिसार आए थे। खेलते समय वह बेहोश होकर घोड़े से गिर गए। गूजरी नामक युवती वहां से जा रही थी। उसने उनके मुंह में दूध डाला तो शहजादे को होश आया। गूजरी ने शहजादे के प्राण बचाए। शहजादे ने उनसे जीवन साथी बनाने का प्रस्ताव रखा लेकिन गूजरी ने दिल्ली जाने से इंकार कर दिया। इस पर फिरोजशाह ने हिसार में फिरोजशाह का भवन, लाट की मस्जिद, तहखाने, गूजरी महल और बाग बनवाया। इसी से हिसार शहर अस्तित्व में आया। हिसार की सरकारी वेबसाइट पर भी इस कहानी का जिक्र मिलता है।

फिरोजशाह तुगलक द्वारा अपनी रानी गूजरी के लिए बनवाया गया गूजरी महल 1356 में बन कर तैयार हुआ। यह एक विशाल आयताकार मंच पर खड़ा है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा इसको एक केंद्रीय संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है।

प्रागैतिहासिक काल का इतिहास

‘हिसार’ फारसी शब्द है। इसका अर्थ किला या घेरा है। हिसार जिले में अग्रोहा, राखीगढ़ी, (बनावाली, कुनाल और भिरडाना अब फतेहाबाद जिला में) नामक स्थलों की खुदाई के दौरान पहली बार मानव सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जिनके अध्ययन से प्रि हड़प्पन सेटलमेंट और प्रागैतिहासिक काल के इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है।

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इतना ही नहीं फिरोजशाह के किले की शान एक लाट है। यह लाट वास्तव में अशोक की लाट बताई जाती है। इसकी वास्तुकला, संस्कृत के लेख धरती में दबा लाट का भाग इस बात की पुष्टि करते हैं कि फिरोजशाह ने इसे कहीं से उखाड़कर यहां स्थापित करवाया होगा।

तुगलक के बाद मुगल काल में जिसे हिसार की जागीर मिली, वही अगला उत्तराधिकारी बना। कहा जाता है कि मुगल काल में जिसे भी अगला उत्तराधिकारी घोषित करना होता, उसे हिसार की जागीर दी जाती थी। यानी अप्रत्यक्ष रूप से वही उत्तराधिकारी होता था। इसमें हुमायुं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां इन सभी को उत्तराधिकारी घोषित करने से पहले हिसार की जागीर दी गई।

1857 में हो गया था आज़ाद

हिसार 1857 में ही अंग्रेजी राज से आजाद हो गया था। 29 मई, 1857 को क्रांतिकारियों ने डिप्टी कलेक्टर विलियम वेडरबर्न समेत कई अंग्रेजों की हत्या करने के बाद नागोरी गेट पर आज़ादी की पताका लहराई थी। उस हार से ब्रिटिश हुकूमत खूब बौखलाई। बीकानेर से फौज बुलाकर अंग्रेजों ने शहर पर फिर से कब्जे के लिए बड़ा हमला किया। हिसार और आसपास के गांवों के क्रांतिकारी पूरी ताकत के साथ अंग्रेजों से टकराए। लेकिन 19 अगस्त, 1857 को हिसार दोबारा से अंग्रेजों के कब्जे में चला गया।

तब 500 से 600 क्रांतिकारी शहीद और जख्मी हुए थे। कई अंग्रेज भी मारे गए थे। उस समय अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह या स्वतंत्रता संग्राम में सरकारी मुलाजिमों की सक्रिय भूमिका थी। यही वजह थी कि बगावत के आरोप में सात कर्मचारियों को फांसी पर लटकाया गया। कई क्रांतिकारियों की जमीन-जायदाद को जब्त करके जेल में डाल दिया था।

अंग्रेजों के राज में दिल्ली क्षेत्र के अधीन तीन जिले होते थे जिन्हें सेंट्रल, साउदर्न वेस्टर्न जिलों के नाम पुकारा जाता था। वेस्टर्न जिले में भिवानी, हिसार, हांसी, सिरसा, फतेहाबाद रोहतक का क्षेत्र होता था। 1861 में हिसार को ज़िले का दर्जा दिया गया। 1966 में हरियाणा गठन के समय हिसार प्रदेश का सबसे बड़ा ज़िला था।

सबसे पहले हिसार से भिवानी के रूप में 22 दिसंबर, 1972 को अलग जिले का गठन हुआ। 1974 में जींद जिला बनाया गया तो हिसार जिले का कुछ हिस्सा जींद में जोड़ दिया गया। एक सितंबर 1975 को सिरसा का गठन किया तो वो भी हिसार जिले में से ही किया गया। 15 जुलाई 1997 में हिसार जिले से एक नए जिले का गठन हुआ जिसे फतेहाबाद जिले के रूप में जानते है।

बंसीलाल और भजनलाल का हिसार

तीन जिलों के अलग हो जाने के बावजूद हिसार ने तेजी से विकास किया। इस शहर के विकास में पहले चौधरी बंसीलाल और बाद में भजनलाल का बड़ा ही योगदान रहा। यह अकेला ऐसा शहर है जिसमें तीन-तीन सरकारी यूनिवर्सिटी हैं। एशिया की सबसे बड़ी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी और ऑटो मार्किट भी हिसार में ही है।

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हिसार का पशुधन फार्म एशिया में सबसे बढ़िया है। 1815 में स्थापित पशुधन फार्म विदेश तक मशहूर है। हिसार में इसके साथ ही अश्व अनुसंधान केंद्र, भेड़ प्रजनन अनुसंधान केंद्र, भैंस अनुसंधान केंद्र भी हैं।

केंद्रीय भैंस अनुसंधान केन्द्र हिसार 25 लाख रुपये की मुर्राह भैंसें तैयार करके पूरे देश में प्रसिद्धि पा चुका है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार की पहचान है। इसकी स्थापना 1970 में हुई थी। लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय भी हिसार को खास बनाता है।

गुरु जंभेश्वर तकनीकी विश्वविद्यालय और अग्रोहा का मेडिकल कॉलेज भी हिसार को खास पहचान देते हैं। सेना की छावनी व बीएसएफ कैंप से हिसार का महत्व बढ़ा है।

अब यह शहर राजधानी दिल्ली में बढ़ते एयर ट्रैफिक का बोझ कम करने के लिए काउंटर मैगनेट सिटी बनने की दहलीज पर खड़ा है। हिसार में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाए जाने की चर्चा है। हिसार को इस्पात नगरी, स्टील सिटी और मैग्नेट सिटी के नाम से भी जाना जाता है।

यहां पर जहाजों की रिपेयरिंग का काम शुरू भी हो चुका है। इस तरह हिसार देश का पहला ऐसा शहर होगा जहां विमानों की मरम्मत होगी। अब तक विमानों को मरम्मत के लिए विदेश भेजा जाता है।

(यह आलेख अन्य तमाम लेखों और हिसार के लोगों से बातचीत के आधार पर तैयार किया गया है)

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