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होंडा मज़दूर आंदोलन : उनके लिए अयोध्या से ज़्यादा ज़रूरी उनकी रोज़ी-रोटी का सवाल है
होंडा मानेसर में मज़दूर शनिवार को पांचवे दिन भी कारखाने के अंदर-बाहर धरने पर बैठे हुए हैं। जिसे पूरी मेनस्ट्रीम मीडिया ने नज़रंदाज़ कर रखा है।
मुकुंद झा
09 Nov 2019
honda workers protest
Image courtesy: Twitter

एक तरफ़ जहाँ पूरा देश आज, शनिवार को अयोध्या के फैसले को लेकर चर्चा कर रहा है, वहीं होंडा मानेसर में मजदूर शनिवार को पांचवे दिन भी कारखाने के अंदर-बाहर धरने पर बैठे हुए हैं। उनके लिए आज भी अयोध्या से ज़रूरी उनकी रोज़ी-रोटी का सवाल है। जिसे पूरी मेनस्ट्रीम मीडिया ने नज़रंदाज़ कर रखा है। होंडा प्रबंधन द्वारा कई-कई साल से काम कर रहे ठेका मज़दूरों का समय से पहले रिलीविंग कर छंटनी करने के प्रयास के खिलाफ मजदूर संघर्ष कर रहे हैं। मजदूरों की मांग है कि उन्हें स्थाई श्रमिक का दर्जा दिया जाए या फिर न्यूनतम एक लाख रुपये सालाना की दर से हिसाब किया जाए।

अब इन ठेका मज़दूरों के समर्थन में खुलकर स्थायी मज़दूरों की यूनियन आ गई है।  उन्होंने  ठेका श्रमिकों को लेकर मज़दूरों की एक कमेटी बनाई है ,जो प्रबंधन से वार्ता कर रही है। कई दिन से वार्ता जारी है किंतु वह किसी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है। मजदूर दिन के साथ-साथ रात को भी अपने धरने पर बैठे हुए हैं, ठंड में बिना किसी साधन के कारखाने के बाहर डटे हुए हैं।

कर्मचारियों का कहना है कि मैनजेमेंट मज़दूरों की मांगों पर बात करने के बजाय मज़दूरों को जबरन धरने से हटाने में लगी हुई हैं।  इसके लिए मैनजेमेंट कई तरह के हथकंडे अपना रही है। प्रदर्शनकारी मज़दूरों ने बताया कि मैनजेमेंट ने काम का बहिष्कार कर कंपनी के अंदर प्रदर्शन कर रहे मज़दूरों को धमकया इसके बावजूद जब मज़दूर धरने से नहीं उठे तो मैनजेमेंट अब उनका कैंटीन से खाना बंद कर दिया है। इतना ही नहीं मैनजमेंट ने गैर-मानवीय कृत्य करते हुए शौचालय को भी बंद कर दिया हैं। मज़दूरों ने बताया शौचालय सिर्फ बंद ही नहीं किया है बल्कि उसके गेट को वैल्ड कर दिया है, जिससे कोई भी खोल न सके।

मज़दूरों के मुताबिक इन सबके  बावजूद मज़दूर अभी भी डटे हुए हैं, क्योंकि यह लड़ाई उनके जीवन और मृत्यु की है।

@akshaykumar sir aap Honda ke brand ambassador hai lekin apko pata hai ki Honda company ne manesar plant Jo ki haryana me hai 3000 casual labour ko bahar nikal di hai hum majdor 10 year se kam ker rahe hai hum 5 days se comapny me strike per hai ghar bhi nahi gye hai pic.twitter.com/MuvPWnNnaI

— Birju Raut (@RautBirju) November 8, 2019

मज़दूर बारिश, धूप और कड़ी ठंड में ही सड़क पर है। पांच दिन बीत जाने के बाद भी मज़दूरों के हौसले में कोई कमी नहीं आई है।  मज़दूरों ने अपने अंदोलन को और तेज़ किया है।  उन्होंने सोशल मिडिया के माध्यम से अपनी मांगों  को लेकर आंदोलन तेज़ किया हैं।  इसी क्रम में कई मज़दूरों ने ट्विटर पर होंडा कंपनी केब्रांड एंबेसडर  अक्षय कुमार को टैग करते हुए उनसे अपील की है की वो मज़दूरों के पक्ष में बोलें क्योंकि उन्हें जो करोडो रुपये कंपनी देती है , वो इन मज़दूरों की ही कमाई हैं।  इसके साथ ही मज़दूरों को उम्मीद है की वो मज़दूरों के हक़ में बोलेंगे लेकिन अभी तक अक्षय कुमार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।

@akshaykumar ji pls aap Bahut Honest ho so Honda ka Brand ambassador chod do Honda workers ke upar bahut galat ho raha hai.Pls Pls help Honda workers.. pic.twitter.com/63aloDgkca

— Santosh Kumar (@s_kp1980) November 9, 2019

इन सबको लेकर न्यूज़क्लिक ने होंडा मज़दूर यूनियन के अध्यक्ष सुरेश गौड़ से बात की है।  उन्होंने न्यूज़क्लिक को कहा कि मैनेजमेंट मंदी की आड़ में मज़दूरों की छंटनी कर रहा है। जोकि पूरी तरह से गलत हैं, अगर ऐसा होता तो यह सिर्फ इसी प्लांट में छंटनी क्यों ? बाकी तीन प्लांट में क्यों नहीं हैं।  दूसरी बात मैनेजमेंट कह रहा है कि दूसरे प्लांट के मुकाबले इस प्लांट में उत्पादन की लागत अधिक है, जो बिल्कुल अतार्किक है।  क्योंकि अगर आप अन्य प्लांटों में काम करने वाले मज़दरों की औसत उम्र 25 साल हॉकी जबकि इस प्लांट में काम करने वाले मज़दूरों की औसत उम्र लगभग 42 साल हैं।  ये प्लांट सबसे पुराना प्लांट है, काम करने वाले मज़दूर  लगभग 10 सालों से काम कर रहे हैं तो स्वाभाविक है उनकी सैलरी नए कर्मचारी से अधिक होगी। मैनजेमेंट अधिक लागत की जो बात कर रहा है, वो पूरी तरह से गलत है अगर ऐसा है तो मज़दूरों से पहले मैनजेमेंट के लोगों को हटाना चाहिए जो लाखों रुपये सैलरी ले रहे हैं, उन्हें हटाना चाहिए लेकिन अभी तक ऐसी कोई जानकारी नहीं है कि मैनजेमेंट से लोगो को हटाया जा रहा है।

आगे वो कहते हैं कि ये सब कंपनी पुराने मज़दूरों को हटकर नए सस्ते मज़दूरों को रखने के लिए कर रही हैं, इसमें उसे इसमें उन्हें आर्थिक मंदी की आड़ मिल गई है।  लेकिन आज मज़दूर इन बातों को समझता है। उनका कहना है कि होंडा प्रबंधन का मजदूर विरोधी रुख साफ है। यहां तक कि तय समय से कई माह अधिक का समय गुजर जाने के बावजूद यूनियन प्रबंधन के बीच होने वाले त्रैवार्षिक समझौते को कंपनी ने लटका रखा है। ऐसे में होंडा मजदूरों का अपनी जुझारू एकता कायम कर इस संघर्ष को आगे बढ़ाना है।

होंडा श्रमिकों को कांग्रेस के रेवाड़ी विधायक चिरंजीव राव ने समर्थन दिया। आईएमटी मानेसर में होंडा कंपनी से निकाले गए श्रमिकों से मिलकर विधायक चिरंजीव राव ने आश्वासन दिलाया कि उनकी न्याय की लड़ाई में कांग्रेस पार्टी उनके साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि केवल आर्थिक मंदी का हवाला देकर इस तरह से लगभग ढाई हजार श्रमिकों को नौकरी से निकालना गलत है।

मज़दूरों का यह अंदोलन अभी जारी है और इस मुद्दे का हल होता नज़र नहीं आ रहा है। होंडा मज़दूरों के इस अंदोलन को अन्य यूनियनों का भी समर्थन और साथ मिल रहा है। ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन,  के साथ ही केंद्रीय ट्रेड यूनियन के नेता और कई अन्य कर्मचारी के यूनियन  के नेता होंडा के संघर्षरत मजदूरों के साथ धरना स्थल पर दिनो-रात मौजूद हैं।

सभी यूनियनों ने एक बात कही कि ये संकट सिर्फ इस एक कंपनी का नहीं है, बल्कि आज पूरे सेक्टर में जहां कई कारखानों से मजदूर निकाले गए हैं व निकाले जा रहे हैं, उन सबको अपने संघर्ष को एक लड़ी में पिरो कर आगे बढ़ाना होगा। आज होंडा के साथ साथ राने एनएसके स्टेरिंग सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड, बावल, शिरोकी तकनीको इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, बावल, नैरोलैक पेंट्स, बावल, डेंसो आदि कई कंपनियों में इसी प्रकार से मजदूरों की छंटनी की जा रही है। सभी ने यह बात कही कि  यह बात स्पष्ट  है कि अब हमें बिना देर किए ठेका प्रथा के खिलाफ संघर्ष संगठित करने की आवश्यकता है। हर तरफ यही हो रहा है कि कंपनी ठेकेदारी के नाम पर मनमर्जी से बिना कोई मुनासिब मुआवजा दिए मजदूरों को काम से निकाल दे रही है। जब हर कारखाने में मजदूरों के साथ यही हाल है तो मजदूरों को अपने कारखाने से बाहर आकर पूरे सेक्टर के लिहाज से संगठित होने की जरूरत हैं।

इसे भी पढ़े: हरियाणा : होंडा में मज़दूरों की छंटनी लगातार जारी, विरोध करने पर पुलिस तैनात

होंडा मज़दूर यूनियन के नेताओ ने एक बात साफतौर पर कहा कि मज़दूर अपना हक लेकर रहेगा ,इसके लिए मज़दूरों को जो भी करना पड़े वो इसके लिए तैयार हैं। मैनजमेंट पुलिस से हमपर लाठीचार्ज करा सकती है लेकिन हम नहीं उठेंगे। यह धरना तभी खत्म होगा जब मैनजेमेंट निकले गए मज़दूरों को वापस लेगी।

हमने इस पूरे मामले पर मैनजेमेंट का पक्ष जानने के लिए उनसे संपर्क किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला हैं।  जैसे मैनेजमेंट की तरफ से कोई जवाब आएगा तो कॉपी अपडेट की जाएगी।  

Honda Labour movement
workers protest
Media
honda worker
retrenchment of workers in Honda
Haryana

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