NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
उत्तर प्रदेश की ग्रामीण आबादी के लिए आर्सेनिक कितना बड़ा ख़तरा है?
राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने यूपी के कृषि विभाग को खाद्य श्रृंखला पर आर्सेनिक के असर का आकलन करने के लिए अध्ययन करने का निर्देश दिया है। साथ ही आर्सेनिक से प्रदूषित बस्तियों से जिन हैंडपंप को नहीं हटाया गया है उन्हें तीन महीने में हटाने का निर्देश भी दिया है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
06 Aug 2020
उत्तर प्रदेश की ग्रामीण आबादी के लिए आर्सेनिक कितना बड़ा ख़तरा है?
प्रतीकात्मक तस्वीर

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के कृषि विभाग को खाद्य श्रृंखला पर आर्सेनिक के असर का आकलन करने के लिए अध्ययन करने का निर्देश दिया है। एनजीटी ने इस बात का संज्ञान लिया कि उत्तर प्रदेश जल निगम ने बलिया जिले के 179 राजस्व गांवों की 310 बस्तियों और लखीमपुर खीरी के 49 राजस्व गांवों की 165 बस्तियों की पहचान की है जहां पर ऊपरी भूजल में आर्सेनिक की मात्रा भारतीय मानक ब्यूरो के पेयजल मानक की अनुमति सीमा 0.05 माइक्रोग्राम प्रति लीटर से अधिक है।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश की ग्रामीण आबादी का एक बड़ा हिस्सा आर्सेनिक से प्रदूषित पानी पीने के मजबूर है। एक अध्ययन के मुताबिक उत्तर प्रदेश के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में स्थित 40 जिलों के भूजल में आर्सेनिक का उच्च स्तर पाया गया है। इनमें से अधिकांश जिले गंगा, राप्ती और घाघरा नदियों के मैदानी भागों में स्थित हैं। बलिया, गोरखपुर, गाजीपुर, बाराबंकी, गोंडा, फैजाबाद और लखीमपुर खीरी आर्सेनिक से सबसे अधिक प्रभावित जिले हैं।

एनजीटी का निर्देश

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके गोयल की पीठ ने कृषि विभाग को छह महीने के भीतर असर आकलन योजना बनाने के साथ इसके प्रभाव को कम करने की रणनीति जैसे बुआई की जाने वाली फसलों और कृषि कार्य में बदलाव आदि बनाने को कहा। एनजीटी ने यह निर्देश पूरे मामले को देखने के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एसवीएस राठौड़ की अध्यक्षता में गठित समिति की अनुशंसा के आधार पर दिया।

अधिकरण ने समिति की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए कहा कि सभी जरूरी कदम उत्तर प्रदेश के संबंधित विभाग द्वारा उठाए जाएंगे और जिसकी निगरानी समिति कर सकती है। उल्लेखनीय है कि समिति ने आर्सेनिक से प्रदूषित बस्तियों से जिन चांपाकल (हैंडपंप) को नहीं हटाया गया है उन्हें तीन महीनें में हटाने और मुख्य सचिव द्वारा लापरवाही पर जिम्मेदारी तय करने की अनुशंसा की है।

अधिकरण ने इसके साथ ही मामले की अगली सुनवाई अगले साल एक फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी। एनजीटी उत्तर प्रदेश निवासी सुनीता पांडे और अन्य की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिन्होंने बहराइच, बलिया, बलरामपुर, बरेली, बस्ती, बिजनौर और चंदौली जिलों और ऐसे ही प्रदेश के अन्य हिस्सों में आर्सेनिक से प्रदूषित भूजल और पेयजल की समस्या के समाधान के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया था।

कितना बड़ा ख़तरा?

एक अध्ययन में पता चला है कि उत्तर प्रदेश की करीब 2.34 करोड़ ग्रामीण आबादी भूमिगत जल में मौजूद आर्सेनिक के उच्च स्तर से प्रभावित है। विभिन्न जिलों से प्राप्त भूमिगत जल के 1680 नमूनों का अध्ययन करने के बाद शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं।

इंडिया साइंस वायर पर छपे एक लेख के मुताबिक उत्तर प्रदेश की करीब 78 प्रतिशत आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है जो सिंचाई, पीने, भोजन पकाने और अन्य घरेलू कामों के लिए भूजल पर निर्भर है। ग्रामीण क्षेत्रों में आर्सेनिक से प्रभावित होने का खतरा अधिक है क्योंकि शहरों की तुलना में वहां पाइप के जरिये जल आपूर्ति का विकल्प उपलब्ध नहीं है।

पीने के पानी के लिए हैंडपंप या ट्यूबवेल पर निर्भर इलाकों में भूजल में आर्सेनिक प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए एक प्रमुख खतरा है। आर्सेनिक के संपर्क में आने से त्वचा पर घाव, त्वचा का कैंसर, मूत्राशय, फेफड़े एवं हृदय संबंधी रोग, गर्भपात, शिशु मृत्यु और बच्चों के बौद्धिक विकास जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ 

UttarPradesh
Arsenic in water
Arsenic
Rural population
national green tribunal
NGT

Related Stories

कोरोना अपडेट: उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले में 1 मई से 31 मई तक धारा 144 लागू

लोगों को समय से पहले बूढ़ा बना रहा है फ्लोराइड युक्त पानी

यूपी: बीएचयू अस्पताल में फिर महंगा हुआ इलाज, स्वास्थ्य सुविधाओं से और दूर हुए ग्रामीण मरीज़

बिहार में नवजात शिशुओं के लिए ख़तरनाक हुआ मां का दूध, शोध में पाया गया आर्सेनिक

यूपी चुनाव: बीमार पड़ा है जालौन ज़िले का स्वास्थ्य विभाग

कानपुर में ज़ीका की दहशत, अलर्ट मोड पर हेल्थ महकमा

बिहार: आर्सेनिक के बाद अब भूजल में यूरेनियम संदूषण मिलने से सेहत को लेकर चिंता बढ़ी

डेंगू, बारिश से हुई मौतों से बेहाल यूपी, सरकार पर तंज कसने तक सीमित विपक्ष?

EXCLUSIVE :  यूपी में जानलेवा बुखार का वैरिएंट ही नहीं समझ पा रहे डॉक्टर, तीन दिन में हो रहे मल्टी आर्गन फेल्योर!

ग्राउंड रिपोर्टः  यूपी में सवा सौ से ज्यादा बच्चों की मौत, अभी और कितनी जान लेगा 'मिस्ट्री फीवर'!


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा
    04 Jun 2022
    ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर पर एक ट्वीट के लिए मामला दर्ज किया गया है जिसमें उन्होंने तीन हिंदुत्व नेताओं को नफ़रत फैलाने वाले के रूप में बताया था।
  • india ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट
    03 Jun 2022
    India की बात के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, अभिसार शर्मा और भाषा सिंह बात कर रहे हैं मोहन भागवत के बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को मिली क्लीनचिट के बारे में।
  • GDP
    न्यूज़क्लिक टीम
    GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफ़ा-नुक़सान?
    03 Jun 2022
    हर साल GDP के आंकड़े आते हैं लेकिन GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफा-नुकसान हुआ, इसका पता नहीं चलता.
  • Aadhaar Fraud
    न्यूज़क्लिक टीम
    आधार की धोखाधड़ी से नागरिकों को कैसे बचाया जाए?
    03 Jun 2022
    भुगतान धोखाधड़ी में वृद्धि और हाल के सरकारी के पल पल बदलते बयान भारत में आधार प्रणाली के काम करने या न करने की खामियों को उजागर कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक केके इस विशेष कार्यक्रम के दूसरे भाग में,…
  • कैथरिन डेविसन
    गर्म लहर से भारत में जच्चा-बच्चा की सेहत पर खतरा
    03 Jun 2022
    बढ़ते तापमान के चलते समय से पहले किसी बेबी का जन्म हो सकता है या वह मरा हुआ पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान कड़ी गर्मी से होने वाले जोखिम के बारे में लोगों की जागरूकता…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License