NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन के पीएफ में इतना बड़ा घोटाला कैसे हुआ?
यूपीपीसीएल में घोटाले के चलते प्रमुख सचिव ऊर्जा आलोक कुमार को पद से हटा दिया गया है। इसके अलावा पांच आईएएस और एक पीसीएस अधिकारी का भी तबादला किया गया है।
सोनिया यादव
09 Nov 2019
UPPCL
Image courtesy: Google

उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन (यूपीपीसीएल) के कर्मचारी भविष्य निधि घोटाले में शुक्रवार की देर शाम इम्प्लॉईज ट्रस्ट के चैयरमैन और प्रमुख सचिव ऊर्जा आलोक कुमार को उनके पद से हटा दिया गया है। इसके साथ ही पांच आईएएस और एक पीसीएस अधिकारी का भी तबादला किया गया है। इस मामले में यूपीपीसीएल द्वारा पत्र लिखकर भारतीय रिजर्व बैंक से मूलधन और ब्याज को वापस कराने के लिये बिना देरी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।

बीते मंगलवार 5 नवंबर को प्रदेश भर में बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं ने अपने भविष्य निधि के करीब 2,600 करोड़ रुपये के गलत तरीके से निजी संस्था डीएचएफएल यानी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड में निवेश को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था। जिसके बाद सरकार ने इस मामले में ताबड़तोड़ कार्रवाई की है। इस घोटाले में यूपीपीसीएल के पूर्व वित्त निदेशक सुधांशु द्विवेदी और इम्पलाइज ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव प्रवीण कुमार गुप्ता पहले ही पुलिस की गिरफ्त में हैं। विपक्ष इस मुद्दे को लेकर लगातार सरकार को घेरने में लगा है तो वहीं सरकार अपना दामन साफ बताने की कोशिश में लगी है।

यूपी में मौजूदा योगी सरकार का कहना है कि ये घोटाला अखिलेश यादव की सरकार में हुआ तो वहीं, अखिलेश यादव का कहना है कि उनकी सरकार के कार्यकाल में पीएफ का एक भी पैसे का गलत इस्तेमाल नहीं हुआ है।

आखिर कैसे हुआ इतना बड़ा घोटाला

पीएफ घोटाले के इस खेल की शुरुआत साल 2014 में हुई। 21 अप्रैल 2014 को यूपीपीसीएल ट्रस्ट के बोर्ड ऑफ ट्रस्ट्रिस की बैठक में यह फैसला लिया गया कि अधिक ब्याज के लिए पीएफ के पैसों को सरकारी बैंकों की बजाय निजी बैंको में निवेश किया जाए। इसके साथ ही यह भी तय किया गया कि पीएफ का 5 से 10 फीसदी हिस्सा निजी बैंकों में निवेश किया जा सकता है। इस समय तक सारी बात बैंकों में निवेश की थी जिसमें खतरा नहीं था।

कहानी आगे बढ़ी और दिसंबर 2016 में तत्कालीन यूपीपीसीएल के चेयरमैन संजय अग्रवाल ने तय किया कि पीएफ के यह पैसे सरकारी हाउसिंग स्कीम में लगाए जाएंगे। इसके बाद कॉर्पोरेशन ने पैसे पंजाब नेशनल बैंक के हाउसिंग स्कीम और एलआईसी हाउसिंग स्कीम में लगाए।

विवादित निवेश की शुरुआत मार्च 2017 में हुई। ट्रस्ट के सचिव पीके गुप्ता और वित्त निदेशक सुधांशु द्विवेदी ने डीएचएफएल में पैसे लगाने की मंजूरी दी। इसके बाद से मार्च 2017 से दिसंबर 2018 तक इसमें पैसे लगाए जाते रहे। कुल 4,121 करोड़ का निवेश डीएचएफएल में किया गया। यह पैसे दो अलग-अलग एफडी के तौर पर निवेश किए गए थे।
DHFL-crisis.jpg
पहली एफडी 1,854 करोड़ की थी जिसका निवेश एक साल के लिए था जबकि दूसरी 2,268 करोड़ की एफडी थी जो तीन सालों के लिए निवेश किया गया। एक साल वाली एफडी दिसंबर 2018 में पूरी हो गई जिसके पैसे भी ट्रस्ट को वापस मिल गए लेकिन तीन साल वाली एफडी मार्च 2020 में पूरी होगी, जिस पर फिलहाल तलवार लटक गई है।

गड़बड़ी की पहली सुगबुगाहट 10 जुलाई 2019 को सुनाई दी। यूपीपीसीएल के अध्यक्ष आलोक कुमार के नाम एक गुमनाम चिट्टी आई, जिसमें इस बात का जिक्र हुआ कि कर्मचारियों के भविष्य निधि का दुरुपयोग किया गया है। 12 जुलाई को इस मामले की जांच के लिए पॉवर कॉर्पोरेशन ने एक कमेटी का गठन किया।

खबरों के मुताबिक करीब 17 दिनों की जांच के बाद कमेटी ने बताया कि यूपीपीसीएल के 45,000 कर्मचारियों के लगभग 2,000 से ज्यादा पैसों के निवेश में अनियमितता हुई है। भविष्यनिधि का 65 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ 3 कंपनियों में लगाया गया है और इस पूंजी का भी 99 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ एक कंपनी डीएचएफएल में लगाया गया है।

यूपीपीसीएल के एक अधिकारी ने न्यू़ज़क्लिक को बताया कि इस मामले में 2 नवंबर 2019 को लखनऊ के हज़रतगंज थाने में उत्तर प्रदेश सरकार ने डीएचएफएल में निवेश की अनुमति देने वाले तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी और महानिदेशक पीके गुप्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। जिसके बाद पुलिस ने दोनों को तत्काल गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।

वित्त मामलों के जानकार अमित अरोड़ा का कहना है कि डीएचएफएल पहले ही अपनी वित्तीय गड़बड़ियों के चलते जांच के दायरे में है। मुंबई हाईकोर्ट ने इसके लेन-देन पर रोक लगा रखी है। पिछले एक साल में डीएचएफएल की माली हालत लगातार खराब होती रही है। 2018-19 के चौथे क्वाटर में आई कंपनी की वित्तीय रिपोर्ट में 2,223 करोड़ का नुकसान दिखाया गया है। कंपनी ने जो कर्जा लिया है उसकी किस्त जमा नहीं कर पा रही है और ना ही कोई नया लोन देने के लिए इसके पास पैसे हैं। डीएचएफएल पर बैंकों का करीब 40,000 करोड़ का कर्जा हो गया है।

इस घोटाले की जानकारी सामने आने के बाद 1 अक्टूबर को मामला कॉर्पोरेशन के सतर्कता विंग को सौंप दिया गया। इस मामले ने तूल पकड़ा तो कॉर्पोरेशन ने 10 अक्तूबर को पीएफ ट्रस्ट के सचिव पीके गुप्ता को निलंबित कर दिया। इसके बाद 2 नवंबर को योगी आदित्यनाथ ने ऊर्जा मंत्री श्रीकांत दास को मामले में कार्रवाई करने का निर्देश दिया। जिसके बाद इस मामले की जांच सीबीआई से करवाने के लिए ऊर्जा मंज्ञी ने पत्र लिखा।

इसे भी पढ़े:UPPCL पीएफ घोटाला : क्या है डीएचएफएल और बीजेपी का कनेक्शन!

डीएचएफएल पर इससे पहले भी वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे हैं जिस पर प्रवर्तन निदेशालय 19 अक्तूबर 2019 से जांच कर रहा है। कंपनी के नॉन एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर धीरज वाधवान उर्फ बाबा दीवान के साथ इकबाल मिर्ची के संबंधों ने भी खूब सुर्खिया बटोरी थी।

डीएचएफएल पर पत्रकारिता करने वाली न्यूज़ वेबसाइट कोबरा-पोस्ट ने जनवरी, 2019 में एक स्टिंग के जरिए दावा किया था कि डीएचएफएल ने 31,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया है। कोबरा-पोस्ट का मानना था कि यह भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी क्षेत्र का घोटाला है और इसने भाजपा को अवैध तरीके से चंदा दिया है। कोबरा-पोस्ट स्टिंग के मुताबिक, हाउसिंग लोन देने वाली कंपनी डीएचएफएल ने कई सेल कंपनियों को करोड़ों रुपये का लोन दिया और फिर वही रुपया वापस उन्हीं कंपनियों के पास आ गया, जिनके मालिक डीएचएफएल के प्रमोटर हैं।

उत्तर प्रदेश विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के सदस्यों ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा कि ट्रस्ट ने गैरकानूनी ढंग से अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक की सूची में न आने वाले डीएचएफएल में निवेश किया, जोकि ट्रस्ट द्वारा लागू गाइडलाइन्स का उल्लंघन है। इनमें किया गया निवेश नियम विरूद्ध व असुरक्षित है। वह सरकार से अपने पैसे का लिखित आश्वासन मांग रहे हैं।

UPPCL
Provident Fund
DHFL
Uttar pradesh
Yogi Adityanath
AKHILESH YADAV
SAMAJWADI PARTY
BJP
Reserve Bank of India
Enforcement Directorate

Related Stories

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

ग्राउंड रिपोर्ट: चंदौली पुलिस की बर्बरता की शिकार निशा यादव की मौत का हिसाब मांग रहे जनवादी संगठन

यूपी में  पुरानी पेंशन बहाली व अन्य मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों का प्रदर्शन

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

यूपी : महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा के विरोध में एकजुट हुए महिला संगठन

CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा


बाकी खबरें

  • भाषा
    ईडी ने फ़ारूक़ अब्दुल्ला को धनशोधन मामले में पूछताछ के लिए तलब किया
    27 May 2022
    माना जाता है कि फ़ारूक़ अब्दुल्ला से यह पूछताछ जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) में कथित वित्तीय अनिमियतता के मामले में की जाएगी। संघीय एजेंसी इस मामले की जांच कर रही है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    एनसीबी ने क्रूज़ ड्रग्स मामले में आर्यन ख़ान को दी क्लीनचिट
    27 May 2022
    मेनस्ट्रीम मीडिया ने आर्यन और शाहरुख़ ख़ान को 'विलेन' बनाते हुए मीडिया ट्रायल किए थे। आर्यन को पूर्णतः दोषी दिखाने में मीडिया ने कोई क़सर नहीं छोड़ी थी।
  • जितेन्द्र कुमार
    कांग्रेस के चिंतन शिविर का क्या असर रहा? 3 मुख्य नेताओं ने छोड़ा पार्टी का साथ
    27 May 2022
    कांग्रेस नेतृत्व ख़ासकर राहुल गांधी और उनके सिपहसलारों को यह क़तई नहीं भूलना चाहिए कि सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई कई मजबूरियों के बावजूद सबसे मज़बूती से वामपंथी दलों के बाद क्षेत्रीय दलों…
  • भाषा
    वर्ष 1991 फ़र्ज़ी मुठभेड़ : उच्च न्यायालय का पीएसी के 34 पूर्व सिपाहियों को ज़मानत देने से इंकार
    27 May 2022
    यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की पीठ ने देवेंद्र पांडेय व अन्य की ओर से दाखिल अपील के साथ अलग से दी गई जमानत अर्जी खारिज करते हुए पारित किया।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    “रेत समाधि/ Tomb of sand एक शोकगीत है, उस दुनिया का जिसमें हम रहते हैं”
    27 May 2022
    ‘रेत समाधि’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला पहला हिंदी उपन्यास है। इस पर गीतांजलि श्री ने कहा कि हिंदी भाषा के किसी उपन्यास को पहला अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार दिलाने का जरिया बनकर उन्हें बहुत…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License