NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
नारदा स्टिंग मामले में सीबीआई ‘बीजेपी की मदद और ममता के लिए मुसीबत’ कैसे बन रही है?
चुनाव परिणाम के बाद गिरफ़्तारियों को लेकर जहां तृणमूल कांग्रेस बीजेपी पर निशाना साध रही है, तो वहीं इसी मामले में अभियुक्त बीजेपी नेता मुकुल रॉय और शुभेंदु अधिकारी पर कोई कार्रवाई न करने को लेकर सीबीआई की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
18 May 2021
नारदा स्टिंग मामले में सीबीआई ‘बीजेपी की मदद और ममता के लिए मुसीबत’ कैसे बन रही है?
Image courtesy : India Today

नारदा स्टिंग मामले को लेकर पश्चिम बंगाल का बवाल सुर्खियों में है। सोमवार, 17 मई को सीबीआई द्वारा ममता बनर्जी सरकार के दो मंत्रियों समेत टीएमसी के तीन बड़े नेताओं की गिरफ्तारी ने बंगाल की राजनीति में एक अलग ही भूचाल ला दिया है। एक ओर तृणमूल कांग्रेस विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के 15 दिन के भीतर हुई इन गिरफ़्तारियों को ‘राजनीतिक बदले की कार्रवाई’ बता रही है तो वहीं इसी मामले में अभियुक्त बीजेपी नेता मुकुल रॉय और शुभेंदु अधिकारी पर कोई कार्रावाई न करने को लेकर सीबीआई की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।

आपको बता दें कि 2014 में हुए इस स्टिंग ऑपरेशन के दौरान मुकुल रॉय और शुभेंदु अधिकारी तृणमूल कांग्रेस के सदस्य थे लेकिन बाद में वो बीजेपी में शामिल हो गए। नंदीग्राम से ममता बनर्जी को मात देने वाले शुभेन्दु अधिकारी नई विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं तो वहीं मुकुल रॉय विधायक चुने गए हैं, फिलहाल वे बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर भी काबिज़ हैं।

क्या है नारदा स्टिंग ऑपरेशन का पूरा मामला?

अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक़ इस साल पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यानी जनवरी में सीबीआई ने इन गिरफ्तार नेताओं के खिलाफ राज्यपाल से मुकदमा चलाने के लिए अनुरोध किया था। चुनाव परिणामों के बाद ठीक पांच दिन के भीतर ही एजेंसी को इसकी मंजूरी भी मिल गई, जिसके बाद सीबीआई ने मंत्री फिरहद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा और कोलकाता के पूर्व मेयर शोभन चटर्जी को गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि ये मामला पिछले 2016 विधानसभा चुनावों से पहले का है। तब चुनावों में बीजेपी ने इसे सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था, लेकिन इसका कोई खास असर चुनावों में दिखा नहीं। शायद यही कारण था कि इस बार चुनावों में ये मुद्दा करीब-करीब गायब रहा। लेकिन ममता बनर्जी की नई सरकार बनते ही सीबीआई ने नारदा घोटाले को एक बार फिर चर्चा में ला दिया।

2016 विधानसभा चुनाव में नारदा स्टिंग बना था सबसे बड़ा मुद्दा!

2016 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के ठीक पहले मार्च के महीने में नारदा न्यूज़ के सीईओ मैथ्यू सैमुएल ने एक स्टिंग वीडियो जारी किया था। इस स्टिंग में टीएमसी नेताओं को कथित तौर पर एक काल्पनिक कंपनी का पक्ष लेने के लिए नकद रुपये लेते हुए कैमरे पर देखा गया था। वीडियो में स्टिंग ऑपरेटर एक कंपनी के प्रतिनिधि के तौर पर तृणमूल कांग्रेस के सात सांसदों, तीन मंत्रियों और कोलकाता नगर निगम के मेयर शोभन चटर्जी को काम कराने के एवज़ में मोटी रकम देते नज़र आ रहा था। स्टिंग के सामने आने के बाद बंगाल की राजनीति में हलचल मच गई।

कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीबीआई को नारदा न्यूज डॉट कॉम पोर्टल पर प्रसारित टेपों की प्रारंभिक जांच करने का आदेश दिया था। इस आदेश को पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 2017 में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को राहत देने से इनकार कर दिया था और जरूरत पड़ने पर सीबीआई को प्राथमिकी दर्ज करने के लिए एक महीने का समय भी दिया था।

बीजेपी नेता मुकुल रॉय और शुभेंदु अधिकारी गिरफ़्तार क्यों नहीं?

मामला आगे बढ़ा अप्रैल, 2017 में सीबीआई ने कथित आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार के लिए ने इस केस में कुल 12 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। स्टिंग के वक़्त मुकुल रॉय तृणमूल से राज्यसभा सदस्य थे। रॉय 2017 में तृणमूल छोड़ बीजेपी में शामिल हुए थे। मीडिया खबरों के मुताबिक रॉय के ख़िलाफ़ तो कार्रवाई के लिए सीबीआई को अब तक स्वीकृति नहीं मिली है।

वहीं शुभेंदु अधिकारी के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं होने की वजह लोकसभा अध्यक्ष की मंज़ूरी है, जो अब तक मिल नहीं पाई है। उनके खिलाफ सीबीआई ने मुक़दमा चलाने के लिए स्वीकृति का अनुरोध 6 अप्रैल, 2019 को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को भेजा था। क्योंकि स्टिंग ऑपरेशन के वक्त शुभेंदु अधिकारी लोकसभा सांसद थे। इसलिए शुभेंदु पर केस चलाने के लिए लोकसभा अध्यक्ष की अनुमति अनिवार्य थी।

मालूम हो कि दिसंबर, 2020 में बीजेपी ने अपने चैनल से शुभेंदु अधिकारी के स्टिंग वाला वीडियो डिलीट कर दिया था। जिसके बाद बीजेपी की भारी आलोचना हुई थी।

द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) के दिशा-निर्देशों में ऐसा कहा गया है कि अनुरोध करने के चार महीने के भीतर मंजूरी दी जानी चाहिए या खारिज कर दी जानी चाहिए। सीवीसी के नवंबर 2020 तक के रिकॉर्ड के मुताबिक, पिछले साल दिसंबर में बीजेपी में शामिल हुए अधिकारी और टीएमसी के तीन सांसदों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सीबीआई का अनुरोध ही ऐसा एकमात्र अनुरोध है जो स्पीकर के कार्यालय में लंबित है।

कहीं के नहीं रहे शोभन चटर्जी!

बहरहाल, सोमवार को हुई गिरफ्तारियों में एक नाम टीएमसी के पूर्व नेता शोभन चटर्जी का भी है, जो तब कलकत्ता नगर निगम के मेयर हुआ करते थे। चटर्जी 2019 में बीजेपी में शामिल हुए थे पर विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का टिकट नहीं दिए जाने के बाद उन्होंने मार्च में पार्टी छोड़ दी।

एफ़आईआर के मुताबिक़, उन्हें कथित तौर पर “स्टिंग ऑपरेटर से 4 लाख रुपये नकद लेते हुए दिखाया गया था और अगले दिन उन्हें और 1 लाख रुपये का भुगतान करने का वादा किया था। स्टिंग में ये भी दिखाया गया था कि उन्होंने स्टिंग ऑपरेटर को आश्वासन दिया था कि वह चुनाव के बाद कम से कम एक बार ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बंदोपाध्याय के साथ उनके लिए एक मीटिंग की व्यवस्था करेंगे।”

क्या ममता सरकार कोरोना को लेकर गंभीर है?

गौरतलब है कि सोमवार को अपने नेताओं को सीबीआई दफ़्तर ले जाए जाने के बाद बड़ी संख्या में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने सीबीआई दफ़्तर के सामने घंटों प्रदर्शन किया। खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी सीबीआई के दफ़्तर गईं और वहाँ कई घंटे रहीं। सीबीआई दफ़्तर से निकलते वक़्त उन्होंने पत्रकारों से कहा "अदालत फ़ैसला करेगी"। पार्टी सांसद पार्थ चटर्जी ने कहा है कि तृणमूल अपने नेताओं की गिरफ़्तारी को अदालत में चुनौती देगी।

महामारी के बीच बंगाल के चुनाव तो खत्म हो गए लेकिन हिंसा की खबरों ने दिल दहला दिया। भारतीय जनता पार्टी के एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाने के बावजूद ममता बनर्जी ज़बरदस्त बहुमत के साथ लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटी। लेकिन राज्य में शांति अभी भी नहीं लौटी है। कोरोना का कहर जारी है लेकिन पहले चुनावी रैलियां और अब घूसखोरी के मामले में जैसी प्रदर्शन की तस्वीरें सामने आईं वो कोविड-19 को बढ़ावा देने वाली हैं। भारी संख्या में बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के खड़े लोग राजनीति से इतर इस भयानक बीमारी के दौर अपनी और अपने परिवार वालों की मौत को बुलावा दे रहे हैं, जिसे लेकर ममता सरकार कतई गंभीर नहीं दिखाई दे रही।

Narada Sting case
TMC
West Bengal
kolkata
CBI
BJP
mamta banerjee

Related Stories

राज्यपाल की जगह ममता होंगी राज्य संचालित विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति, पश्चिम बंगाल कैबिनेट ने पारित किया प्रस्ताव

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी सरकार के 8 साल: सत्ता के अच्छे दिन, लोगोें के बुरे दिन!
    29 May 2022
    देश के सत्ताधारी अपने शासन के आठ सालो को 'गौरवशाली 8 साल' बताकर उत्सव कर रहे हैं. पर आम लोग हर मोर्चे पर बेहाल हैं. हर हलके में तबाही का आलम है. #HafteKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार…
  • Kejriwal
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?
    29 May 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस बार भी सप्ताह की महत्वपूर्ण ख़बरों को लेकर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन…
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
    29 May 2022
    गोडसे जी के साथ न्याय नहीं हुआ। हम पूछते हैं, अब भी नहीं तो कब। गोडसे जी के अच्छे दिन कब आएंगे! गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
  • Raja Ram Mohan Roy
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या राजा राममोहन राय की सीख आज के ध्रुवीकरण की काट है ?
    29 May 2022
    इस साल राजा राममोहन रॉय की 250वी वर्षगांठ है। राजा राम मोहन राय ने ही देश में अंतर धर्म सौहार्द और शान्ति की नींव रखी थी जिसे आज बर्बाद किया जा रहा है। क्या अब वक्त आ गया है उनकी दी हुई सीख को अमल…
  • अरविंद दास
    ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली
    29 May 2022
    प्रख्यात निर्देशक का कहना है कि फिल्मी अवसंरचना, जिसमें प्राथमिक तौर पर थिएटर और वितरण तंत्र शामिल है, वह मुख्यधारा से हटकर बनने वाली समानांतर फिल्मों या गैर फिल्मों की जरूरतों के लिए मुफ़ीद नहीं है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License