NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
सक्रिय राजनीति में कितना सफल होंगे भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर?
आंदोलन तक सीमित रहे भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर ने सक्रिय राजनीति में उतरने का ऐलान कर दिया है। चंद्रशेखर 15 मार्च को राजनीतिक पार्टी की घोषणा करेंगे।
असद रिज़वी
04 Mar 2020
भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर

लखनऊ के वीआईपी गेस्ट हाउस से भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने सक्रिय राजनीति में प्रवेश करने के संकेत दिए हैं। बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम की जयंती 15 मार्च को वह एक नई राजनीतिक पार्टी की स्थापना करेंगे। पार्टी की स्थापना के बाद चन्द्रशेखर आजाद उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव 2022 के लिए तैयारी करेंगे।

चंद्रशेखर लखनऊ में संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में चल रहे प्रदर्शन में शामिल होने आये थे। लेकिन प्रशासन ने उनको धरना स्थल घंटाघर (हुसैनाबाद) जाने की अनुमति नहीं दी। पहली मार्च को लखनऊ आये भीम आर्मी चीफ मुस्लिम नेताओं से मिलने नदवा कॉलेज और खम्मन पीर बाबा मज़ार पर चादर चढ़ाने भी जाना चाहते थे लेकिन पुलिस ने उनको वीआईपी गेस्ट हाउस के बाहर जाने की अनुमति नहीं दी। राजधानी में करीब 24 घंटे रुके भीम आर्मी चीफ केवल रविदास मंदिर के दर्शन करने जा सके।

आंदोलनों से चर्चा में आये चंद्रशेखर ने मीडिया से मुलाकात के दौरान कहा कि वह एक नई पार्टी की स्थापना करने जा रहे हैं। उन्होंने कहाकि वह सक्रिय राजनिति में आकर दलित-पिछड़ों और मुसलमानों के अधिकारों की लड़ाई लड़ना चाहते हैं। भीम आर्मी चीफ ने कहाकि वह कांशीराम की जयंती से अपने सियासी सफर की शुरुआत करेंगे क्योंकि जब लोग बाबा साहब आंबेडकर को भूल रहे थे तो कांशीराम ने दोबारा उनके सिद्धांतों को अपने आंदोलन से जीवन  दिया।

चंद्रशेखर वीआईपी गेस्ट हाउस के बाहर तो ज्यादा नहीं जा सके लेकिन वह लगातार अपने संगठन के सदस्यों और राजनीतिज्ञों से मिलते रहे। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर से उनकी मुलाकात पर मीडिया और राजनीतिक गलियारो में चर्चा हुई। सूत्रों का कहना है कि सुभासपा ने भीम आर्मी को आठ दलों के ‘भागीदारी संकल्प मोर्चा’ में शामिल होने पर राजी कर लिया है।

बता दें विधानसभा चुनाव 2017 में एनडीए के साथ समझौते में सुभासपा को 8 सीटें मिली थीं। जिनमें से 4 पर उनकी जीत हुई थी। जिसके बाद ओम प्रकाश राजभर योगी आदित्यनाथ की सरकार में मंत्री बनाये गए थे। लेकिन बाद में मुख्यमंत्री से ओम प्रकाश राजभर का विवाद हो गया और वे सरकार से अलग हो गए। ओम प्रकाश राजभर की मांग थी कि पिछड़े वर्ग से जो जातियां आरक्षण का लाभ नहीं ले पाई हैं उनको अलग से आरक्षण दिया जाए। हालांकि उनकी इस मांग को योगी आदित्यनाथ ने स्वीकार नहीं किया।

दूसरी ओर राजनीति के जानकारों का मानना है कि चंद्रशेखर के सक्रिय राजनीति में आने से सबसे ज्यादा परेशानी बहुजन समाज पार्टी को होगी। उल्लेखनीय है कि 2007 में अकेले उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने वाली बीएसपी पिछले कई चुनावों से संकट में है। आम चुनाव 2019 में पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था। गठबंधन होने के बाद भी मायावती की अध्यक्षता वाली पार्टी सिर्फ 10 सीटें जीत सकी और उसको 19.3 प्रतिशत वोट मिला।

उतर प्रदेश विधानसभा में भी बीएसपी कमजोर स्थिति में है। बीएसपी के पास 403 सीटों वाली विधान सभा में केवल 18 विधायक हैं। ऐसे में जानकार कहते हैं भीम आर्मी के राजनीति में आने से दलित राजनीति में बसपा को एकाधिकार के टूटने का डर है।

जानकारों का यह भी कहना है कि मायावती और चंद्रशेखर दोनों एक ही जाति और उप-जाति (जाटव) से हैं। मायावती की दलित राजनीति पर पकड़ कमज़ोर होता देख चन्द्रशेखर इसका फ़ायदा उठाना चाहते हैं।

हिन्दुस्तान अख़बार के पूर्व संपादक नवीन जोशी कहते हैं कि चंद्रशेखर अपने को मायावती के विकल्प के रूप में देख रहे हैं। हालांकि उन्हें राजनीति में पहचान बनाने के लिए अभी विश्वसनीयता की परीक्षा से गुजरना होगा। बता दें उत्तर प्रदेश में करीब 20 करोड़ की आबादी में 21 प्रतिशत दलित हैं और उनमें 55 प्रतिशत जाटव हैं।

राजनीतिक समीक्षक कहते हैं कि मायावती ने बीएसपी की राजनीति को ट्विटर तक सीमित कर दिया है। आज के समय में दलित समाज की समस्या- 80 के दशक से अलग है। उत्तर प्रदेश के राजनीति पर नज़र रखने वाले आशीष अवस्थी कहते हैं कि वतर्मान समय  में दलितों का विश्वविद्यालय परिसर में उत्पीड़न हो रहा है लेकिन बीएसपी की जमीन पर न इसके विरुद्ध कोई प्रतिक्रिया है और न कोई आंदोलन है।

अवस्थी मानते हैं कि मौजूदा हालत में दलित समाज को राजनीति में एक आवाज की तलाश है। अगर चंद्रशेखर जमीन पर राजनीति करते हैं तो उनकी पार्टी को भविष्य में बीएसपी के विकल्प के रूप में देखा जा सकता है।

भीम आर्मी चीफ के लगातार खबरों में बने रहने को उनके राजनीतिक भविष्य के लिए अनुकूल माना जा रहा है। नवभारत टाइम्स के संपादक सुधीर मिश्रा कहते हैं कि चंद्रशेखर लगातार सक्रिय रहते हैं और कई बार आंदोलनों में जेल भी गए हैं। इस लिए समाज में उन पर लगातार चर्चा हो रही है। उनके अनुसार अगर कोई ज़मीन पर काम करता है तो उसको विकल्प की तरह देखा जाता है। जैसे अरविंद केजरीवाल मुख्य धारा के दलों के होते हुए एक विकल्प बने, वैसे ही चंद्रशेखर भी दलित राजनीति का वैकल्पिक चेहरा हो सकते हैं।

हालांकि मुस्लिम समाज में विश्वास बनाने में भीम आर्मी को अभी काफी समय लग सकता है। मुस्लिम राजनीति को करीब से समझने वाले मानते हैं कि कई दलित नेताओ को मुसलमानों ने समर्थन दिया जो बाद में साम्प्रदायिक ताक़तों से मिल गए। एक उर्दू दैनिक के संपादक हुसैन अफ़सर कहते हैं कि मायावती से लेकर राम विलास पासवान तक ने मुस्लिमों का वोट लिया और सत्ता हासिल करने के लिए साम्प्रदायिक ताक़तों से हाथ मिला लिया।

वहीं, इसके उल्ट उत्तर प्रदेश की राजनीति की समझ रखने वाले कुछ राजनीतिक विश्लेषकों के हिसाब से चंद्रशेखर को चुनावी राजनीति में जल्दी सफलता नहीं मिलने वाली है। राजनीतिक विश्लेषक मुदित माथुर कहते हैं कि सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर से उनकी मुलाक़ात का कोई अर्थ नहीं है, क्योकि सुभासपा के पास केवल 1 से 1.5 प्रतिशत वोट है, जो उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में नहीं के बराबर है।

मुदित माथुर कहते हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जब भी भीम आर्मी चीफ संकट में आये या जेल गए तो कांग्रेस ने उनकी मदद की है। अब अगर वह कांग्रेस के मुकाबले लड़ते हैं तो उन पर बीजेपी की टीम-बी होने का आरोप लगना स्वाभाविक है।  मुदित माथुर कहते हैं कि फिलहाल अभी यह अप्रत्याशित है कि चंद्रशेखर की राजनीति किस दिशा में जाएगी या वह सक्रिय राजनीति में कितना सफल होंगे।

Chandrashekhar Azad
Bhim Army
Political Party (4341
bahujan samaj
CAA
NRC

Related Stories

CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा

देश बड़े छात्र-युवा उभार और राष्ट्रीय आंदोलन की ओर बढ़ रहा है

बसपा के बहुजन आंदोलन के हाशिये पर पहुंचने के मायने?

दिल्ली पुलिस की 2020 दंगों की जांच: बद से बदतर होती भ्रांतियां

सीएए : एक और केंद्रीय अधिसूचना द्वारा संविधान का फिर से उल्लंघन

समान नागरिकता की मांग पर देवांगना कलिता, नताशा नरवाल को गिरफ्तार किया गया: पिंजरा तोड़

ग़ैर मुस्लिम शरणार्थियों को पांच राज्यों में नागरिकता

नताशा नरवाल को अपने पिता के अंतिम संस्कार के लिए मिली ज़मानत

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: सड़क से कोर्ट तक संघर्ष करती महिलाएं सत्ता को क्या संदेश दे रही हैं?

मज़बूत होती किसान-मज़दूरों की एकता


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    क्या पुलिस लापरवाही की भेंट चढ़ गई दलित हरियाणवी सिंगर?
    25 May 2022
    मृत सिंगर के परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्होंने शुरुआत में जब पुलिस से मदद मांगी थी तो पुलिस ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया, उनके साथ दुर्व्यवहार किया। परिवार का ये भी कहना है कि देश की राजधानी में उनकी…
  • sibal
    रवि शंकर दुबे
    ‘साइकिल’ पर सवार होकर राज्यसभा जाएंगे कपिल सिब्बल
    25 May 2022
    वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है और अब सपा के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन भी दाखिल कर दिया है।
  • varanasi
    विजय विनीत
    बनारस : गंगा में डूबती ज़िंदगियों का गुनहगार कौन, सिस्टम की नाकामी या डबल इंजन की सरकार?
    25 May 2022
    पिछले दो महीनों में गंगा में डूबने वाले 55 से अधिक लोगों के शव निकाले गए। सिर्फ़ एनडीआरएफ़ की टीम ने 60 दिनों में 35 शवों को गंगा से निकाला है।
  • Coal
    असद रिज़वी
    कोल संकट: राज्यों के बिजली घरों पर ‘कोयला आयात’ का दबाव डालती केंद्र सरकार
    25 May 2022
    विद्युत अभियंताओं का कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 11 के अनुसार भारत सरकार राज्यों को निर्देश नहीं दे सकती है।
  • kapil sibal
    भाषा
    कपिल सिब्बल ने छोड़ी कांग्रेस, सपा के समर्थन से दाखिल किया राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन
    25 May 2022
    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कपिल सिब्बल ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। सिब्बल ने यह भी बताया कि वह पिछले 16 मई…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License