NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद कैसे कोविड-19 के प्रसार को रोक पाने में कामयाब रहा वेनेजुएला?
वेनेजुएला इस महामारी का मुकाबला करने में इसलिए सक्षम रहा क्योंकि कोविड-19 के विरुद्ध संघर्ष के हर पहलू में यहाँ के “आमजन की भागीदारी” बनी हुई थी।
विजय प्रसाद
31 Oct 2020
maduro

ऐसा एक पल भी नहीं बीता होगा जब इस महामारी के बीच में संयुक्त राज्य अमेरिका ने वेनेजुएला में निकोलस मादुरो सरकार के तख्तापलट के प्रयासों में कोई कमी की हो। अमेरिकी नीतियों के माध्यम से क्रूरता का एक निरंतर सिलसिला प्रवाहित होता रहता है। अपने प्रतिबंधों के जरिये यह वेनेजुएला को अपने तेल के खुले व्यापार के बदले में जरुरी मेडिकल उपकरणों के आयात करने से रोके हुए है, जिससे कि वायरस की श्रृंखला को तोड़ने में मदद हासिल कर सके और उससे संक्रमित लोगों का उपचार करने में सक्षम हो सके। 

वेनेजुएला सरकार के अरबों डॉलर धन को उत्तर अटलांटिक दुनिया के बैंकों ने जब्त कर रखा है, जिस धन को राष्ट्रपति मादुरो के कथनानुसार कोविड-19 से लड़ने में लगाना चाहते हैं। मादुरो सरकार के यह कहने के बावजूद कि बैंक ऑफ़ इंग्लैंड ने जो धनराशि अपने पास रोक रखी है, उसे वेनेजुएला के लिए जरुरी सामानों की खरीद के लिए संयुक्त राष्ट्र को स्थानांतरित कर दिया जाए, ब्रिटेन की सरकार ने इस कोष का हिस्सा बनने से साफ़ इंकार कर दिया है।

इस सबके बावजूद वेनेजुएलाई जनता संक्रमण की दर को नीचे बनाए रखने में कामयाब रही है और इसके चिकित्सा कर्मी उन बहुसंख्य लोगों का उपचार कर पाने में सफल रहे हैं जो कोविड-19 से इस बीच संक्रमित थे। मैक्सिको में वेनेजुएला के पूर्व राजदूत के तौर पर काम कर चुकीं मारिया लौर्देस उर्बानेजा दुरन्त ने पूर्व राष्ट्रपति ह्यूगो चावेज़ की सरकार में द्वितीय स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर कार्यभार संभाला था। वे सामाजिक चिकित्सा एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य के मामलों में प्रशिक्षित हैं। अपने इसी प्रशिक्षण की बदौलत उन्हें बोलीवियाई क्रांति के दौरान मेडिकल सेवाओं के बुनियादी ढाँचे को निजी क्षेत्र से सार्वजनिक क्षेत्र में स्थानांतरित करने के प्रयासों के तौर पर उसका स्वाभाविक नेता बना डाला था। अक्टूबर के मध्य में मैंने राजदूत उर्बानेजा से बातचीत की, जिन्होंने पिछले वर्ष मेक्सिको में अपने राजदूत के पद को छोड़ वेनेजुएला में वापसी की थी जहाँ वे इस महामारी के तूफ़ान से दो-दो हाथ करने में व्यस्त हैं।

वेनेजुएला के बारे में उन्होंने मुझे बताया कि वह इस महामारी का मुकाबला करने में कामयाब रहा है क्योंकि कोविड-19 के खिलाफ इस संघर्ष के हर पहलुओं पर “आमजन की भागीदारी” को सुनिश्चित किया गया है। उन्होंने बताया कि आमजन की लोकप्रिय भागीदारी “बोलीवियाई क्रांति का आधार-स्तंभ” रही है, जिसकी एक झलक को जनता के विभिन्न संगठनों द्वारा परीक्षण और कांटेक्ट ट्रेसिंग के साथ-साथ जिन्दगी की रोजमर्रा के कामों में मदद पहुँचाने के तौर पर देखा जा सकता है। सरकार की ओर से इस कठिन घड़ी में लोगों पर वायरस के प्रभाव और उनकी जरूरतों के मद्देनजर पैट्रिया.ओआरजी प्लेटफार्म को विकसित किया गया है, जिसके सर्वेक्षण में 1.80 करोड़ वेनेज़ुएलायाई लोगों ने (कुल 2.80 करोड़ की जनसंख्या में से) हिस्सेदारी की है। इस प्रक्रिया ने सरकार को अपने सीमित संसाधनों को सबसे अधिक प्रभावित समुदायों पर ध्यान केन्द्रित करने में सक्षम बनाया है। इस संबंध में वेनेजुएला को चीन, क्यूबा, रूस और तुर्की सहित पैन अमेरिकन हेल्थ आर्गेनाइजेशन एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन से भी भौतिक तौर पर मदद हासिल हुई है। 

सामाजिक चिकित्सा

1999 के बाद से जब चावेज़ राष्ट्रपति बने थे, बोलीवियाई क्रांति ने एक सुद्रढ़ सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र के मामले में संघर्ष को जारी रखा है। उस दौरान राजदूत उरबनेजा ने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के निदेशक के तौर पर कार्यरत डॉ. गिल्बेर्तो रोड्रिग्ज ओचोया के मातहत स्वास्थ्य मंत्रालय में अपना कामकाज किया था। वेनेजुएला के चिकित्सा क्षेत्र पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की ओर से ढांचागत समायोजन की नीतियों के तहत हमले किये गए थे, जिसमें इस स्वास्थ्य सेवाओं के उद्योग को निजीकरण के तौर पर परिभाषित किया गया था। जैसा कि डॉ. रोड्रिग्ज़ ओचोया ने सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थाओं को मजबूती प्रदान करने के प्रयास आरंभ किये, सार्वजनिक और निजी अस्पतालों के निजीकरण के समर्थक डाक्टरों की यूनियनों ने इन सुधारों की मुखालफत करनी शुरू कर दी थी, लेकिन सरकार इस बात को लेकर अड़ी रही कि देश को एक सुद्रढ़ सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की दरकार है। 

राजदूत उर्बनेजा ने स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर डॉ. रोड्रिग्ज ओचोआ का अनुसरण किय। वेनेजुएला में क्रन्तिकारी वाम आन्दोलन के पुरोधा के तौर पर रहीं राजदूत उर्बनेजा ने चिली में इंस्टिट्यूट ऑफ़ न्यूरोसर्जरी एवं ब्रेन रिसर्च की पढ़ाई प्रोफेसर अलफोंसो असेंजो गोमेज़ के साथ 1970 से 1973 के दरमियाँ राष्ट्रपति साल्वाडोर अल्लेंदे के पॉपुलर यूनिटी सरकार के शासनकाल में पूरी की थी। अल्लेंदे के खिलाफ तख्तापलट में दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। उन्हें जब एस्ताडियो चिली (अब विक्टर जारा स्टेडियम) ले जाया जा रहा था तो एक कामरेड द्वारा उन्हें छुड़ा लिया गया था और एक मानवीय सहायता विमान की मदद से उन्हें वेनेजुएला ले जाया गया था। इसके बाद उन्होंने ब्राज़ील के नेशनल स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ (ऍफ़आईओसीआरयूजेड- FIOCRUZ) से महामारीविद के तौर पर प्रशिक्षण प्राप्त किया था, जहाँ वे ब्राज़ील द्वारा स्थापित किये गए यूनिफाइड हेल्थ सिस्टम (एसयूएस) की अग्रणी कतार में रहीं।

सामाजिक चिकित्सा के क्षेत्र में राजदूत उर्बनेजा की प्रतिबद्धता उन्हें लैटिन अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ़ सोशल मेडिसिन (एएलएएमईएस) के क्षेत्र में ले गई, जिसकी उन्होंने अध्यक्षता की। यहाँ पर लोगों के निवास के आस पास स्वास्थ्य सेवाओं को मुहैय्या कराने की इसकी अंतर्दृष्टि ने उनके दृष्टिकोण को परिभाषित करने में मदद पहुँचाने का काम किया। 2003 में मिशन बर्रियो अदेंत्रो के गठन ने समूचे वेनेजुएला में हजारों की संख्या में मेडिकल क्लीनिकों के निर्माण कार्य के मार्ग को प्रशस्त करने का काम किया। यह काम 1999 में वेनेज़ुयेलाई संविधान के बाद जाकर संभव हो सका जिसने एएलएएमईएस सिद्धांतों को प्रतिष्ठापित किया था। इसमें उदहारण के तौर पर प्रणालीगत नीतियों पर सामुदायिक नियंत्रण के साथ एक विकेन्द्रीकृत और भागीदारी पर आधारित स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के निर्माण का काम शामिल है। व्यवस्था के निजीकरण करने का प्रयास संविधान द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया। यह वह प्रणाली थी जिसे प्रक्रिया के जरिये निर्मित किया गया था, जिसमें राजदूत उर्बनेजा ने हिस्सा लिया था। जो ढांचा उस दौरान विकसित हुआ था वह आज भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह का रहा है, इसके बावजूद की साधनों का अभाव है - लेकिन महामारी में यह आज भी लोगों तक अपनी पहुँच बना पाने में कामयाब है।

लचीलापन  

सितम्बर 2003 में स्वास्थ्य एवं सामाजिक विकास मंत्रालय के कार्यभार से मुक्त होने के बाद राजदूत उर्बनेजा को वेनेजुएला के राजदूत के तौर पर उरुग्वे (2004-2006), चिली (2006-2012), इक्वेडोर (2012-2015), ब्राज़ील (2015-2016), और इसके बाद मेक्सिको (2016-2019) का पदभार ग्रहण करने की जिम्मेदारी दी गई। राजदूत के तौर पर उनका कार्यकाल उरुग्वे में फ्रेंते अम्प्लियो सरकार के चुनाव के साथ शुरू हुई और मेक्सिको में मोरेना पार्टी के चुने जाने के साथ खत्म हुई: जो कि लैटिन अमेरिका के गुलाबी ज्वार के माध्यम से एक लम्बी लहर के प्रतीक के तौर पर है। इस अवधि के दौरान राजदूत उर्बनेजा ने यूनियन ऑफ़ साउथ अमेरिकन नेशंस के निर्माण में अपनी भागीदारी निभाई, जिसका उद्येश्य क्षेत्र में संप्रभुता को बढ़ावा देने का रहा। महामारी जैसे इस संकट की घड़ी में यह मंच इस क्षेत्र के देशों को एकजुट रखने में कारगर साबित हो सकता था, लेकिन इस क्षेत्र में कुलीन तंत्र की सरकारों के उदय ने उनासुर को निष्प्रभावी बना डाला है। 

जब राजदूत उर्बनेजा चिली में अपने छात्र जीवन के बारे में याद करती हैं - जिसने हाल ही में इसके तानशाही के युग के संविधान को एक बार फिर से लिखे जाने के पक्ष में मतदान किया है, तो वे एक नारे को याद करती हैं - मैं भूखा हूँ, लेकिन इससे क्या फर्क पड़ता है! मैं फिर भी पीयू से सम्बद्ध हूँ। पीयू का अर्थ पॉपुलर यूनिटी सरकार से है, जिसने संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा इसके उपर लादे गए प्रतिबंधों के बावजूद जनता के विश्वास को डिगने नहीं दिया था। वे कहती हैं कि बहुत कुछ इसी प्रकार की भावना का संचार वेनेजुएला में भी प्रवाहित हो रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका और इसके सहयोगियों के दबाव के बावजूद वेनेजुएला की जनता ने 1998 में ह्यूगो चावेज़ की चुनावी जीत के बाद से जिस लोकतंत्रीकरण की परियोजना का काम शुरू हुआ था, वह आज भी उसके प्रति प्रतिबद्ध है। 

इस लेख को ग्लोबट्रोटर द्वारा तैयार किया गया है। विजय प्रशाद एक भारतीय इतिहासकार होने के साथ-साथ संपादक एवं पत्रकार के तौर पर कार्यरत हैं। आप ग्लोबट्रोटर के साथ लेखन एवं मुख्य संवाददाता के तौर पर सम्बद्ध हैं। इसके साथ-साथ वे लेफ्टवर्ड बुक्स और ट्राईकांटिनेंटल: इंस्टीट्यूट फॉर सोशल रिसर्च के निदेशक हैं। आप चोंग्यांग इंस्टीट्यूट फॉर फाइनेंसियल स्टडीज, रेनमिन यूनिवर्सिटी ऑफ़ चाइना के वरिष्ठ अनिवासी फेलो हैं। 

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

How Venezuela Has Held Back COVID-19 in Spite of the U.S. Sanctions Stranglehold on Its Economy

Venezuela
COVID-19
Coronavirus
US sanctions

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई
    17 May 2022
    मुण्डका की फैक्ट्री में आगजनी में असमय मौत का शिकार बने अनेकों श्रमिकों के जिम्मेदार दिल्ली के श्रम मंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर उनके इस्तीफ़े की माँग के साथ आज सुबह दिल्ली के ट्रैड यूनियन संगठनों…
  • रवि शंकर दुबे
    बढ़ती नफ़रत के बीच भाईचारे का स्तंभ 'लखनऊ का बड़ा मंगल'
    17 May 2022
    आज की तारीख़ में जब पूरा देश सांप्रादायिक हिंसा की आग में जल रहा है तो हर साल मनाया जाने वाला बड़ा मंगल लखनऊ की एक अलग ही छवि पेश करता है, जिसका अंदाज़ा आप इस पर्व के इतिहास को जानकर लगा सकते हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    यूपी : 10 लाख मनरेगा श्रमिकों को तीन-चार महीने से नहीं मिली मज़दूरी!
    17 May 2022
    यूपी में मनरेगा में सौ दिन काम करने के बाद भी श्रमिकों को तीन-चार महीने से मज़दूरी नहीं मिली है जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • सोन्या एंजेलिका डेन
    माहवारी अवकाश : वरदान या अभिशाप?
    17 May 2022
    स्पेन पहला यूरोपीय देश बन सकता है जो गंभीर माहवारी से निपटने के लिए विशेष अवकाश की घोषणा कर सकता है। जिन जगहों पर पहले ही इस तरह की छुट्टियां दी जा रही हैं, वहां महिलाओं का कहना है कि इनसे मदद मिलती…
  • अनिल अंशुमन
    झारखंड: बोर्ड एग्जाम की 70 कॉपी प्रतिदिन चेक करने का आदेश, अध्यापकों ने किया विरोध
    17 May 2022
    कॉपी जांच कर रहे शिक्षकों व उनके संगठनों ने, जैक के इस नए फ़रमान को तुगलकी फ़ैसला करार देकर इसके खिलाफ़ पूरे राज्य में विरोध का मोर्चा खोल रखा है। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License