NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
सरकार ही किसानों का हक़ मार रही है तो आमदनी दोगुनी कैसे होगी ?
C2 से जुड़े फॉर्मूले के आधार पर सरकार को फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करना चाहिए। लेकिन सरकर द्वारा आने वाली रबी फसल के लिए जो न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया जा रहा है, उसमें बहुत अधिक घपलेबाजी दिख रही है।
पुलकित कुमार शर्मा
06 Mar 2020
MSP-for-Rabi-Crops

रबी की फ़सल की कटाई का समय आने वाला है। किसान फ़सल के अच्छे पैदावार के साथ-साथ अच्छे दाम की भी आस लगाए हुए हैं। मोदी जी भी बार - बार यह कहते हैं कि वह साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कर देंगे। यह बात बहुत बार दुहराई जा चुकी है लेकिन सरकार की मूल्य निर्धारण नीति ऐसा कोई भी अंदेशा नहीं होता कि आने वाले दिनों में किसानों की आय में तनिक भी इजाफा होगा , दोगुनी होना तो दूर की बात है।

किसानों की आय से जुड़ी एक रिपोर्ट की खूब चर्चा होती है। रिपोर्ट का नाम है स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट। यह रिपोर्ट नवंबर, 2004 में आई थी। इस रिपोर्ट के तहत सरकार को यह सिफारिश दी गयी गयी थी कि वह किसानों की उपज को उनके लागत से डेढ़ गुना दाम पर खरीदे। इस बात को तकनीकी शब्दावली में कुछ ऐसे कहा जाता है- किसानों को उनकी फ़सलों पर सरकार द्वारा दिया जाने वाला समर्थन मूल्य फ़सल पैदावार की लागत यानी C2 से 50 फीसदी अधिक दर पर निर्धारित की जाएगी।

अब आप पूछेंगे कि यह C2 क्या होता है ? C2 = फसल उपजाने से जुड़े जरूरी कामों की कुल लागत जैसे बीज, खाद, मजदूरी, पानी पर किया गया नकद खर्चा + अगर फसल उपजाने के काम में में परिवार के सदस्य काम कर है तो उनकी कुल मजदूरी + अगर फसल उपजाने के लिए जमीन किराये पर ली जा रही है तो उसका किराया + अगर फसल उपजाने के लिए कर्ज लिया जा रहा है तो कुल कर्ज और कर्ज पर दिया जाने वाला ब्याज।

C2 से जुड़े इस फॉर्मूले के आधार पर सरकार को फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करनी चाहिए। लेकिन सरकर द्वारा आने वाले रबी फसल के लिए जो न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया जा रहा है, उसमें बहुत अधिक घपलेबाजी दिख रही है। घपलेबाजी यह है कि सरकार न्यूनतम समर्थन को मूल्य को C2 फॉर्मूले से बहुत अधिक कम करके निर्धारित कर रही है। यानी किसानों की आय अधिक करने की बजाए किसानों के जरूरी हक को ही मार रही है। इसे ऐसे समझिये।

गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1925 रुपये/क्विंटल है जबकि लागत C2 में 50 फीसदी अधिक पर मूल्य 2138 रुपये/क्विंटल मूल्य निर्धारित करना चाहिए।

जौ का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1525 रुपये/क्विंटल है जबकि लागत C2 में 50 फीसदी अधिक पर मूल्य 2021 रुपये/क्विंटल मूल्य निर्धारित करना चाहिए।

चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4875 रुपये/क्विंटल है जबकि लागत C2 में 50 फीसदी अधिक पर मूल्य 6034 रुपये/क्विंटल मूल्य निर्धारित करना चाहिए।

मसूर का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4800 रुपये/क्विंटल है जबकि लागत C2 में 50 फीसदी अधिक पर मूल्य 6429 रुपये/क्विंटल मूल्य निर्धारित करना चाहिए।

सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4425 रुपये/क्विंटल है जबकि लागत C2 में 50 फीसदी अधिक पर मूल्य 5102 रुपये/क्विंटल मूल्य निर्धारित करना चाहिए।

कुसुम या सूरजमुखी का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5251 रुपये/क्विंटल है जबकि लागत C2 में 50 फीसदी अधिक पर मूल्य 6890 रुपये/क्विंटल मूल्य निर्धारित करना चाहिए।

Picture2.png

इस तरह से सभी फसलों पर होने वाली कम आमदनी को भी समझ लीजिये

गेहूं की फसल में किसान को 213 रुपये/क्विंटल कम आमदनी होगी।

जौ की फसल में किसान को 496 रुपये/क्विंटल कम आमदनी होगी।

चना की फसल में किसान को 1160 रुपये/क्विंटल कम आमदनी होगी।

मसूर की फसल में किसान को 1629 रुपये/क्विंटल कम आमदनी होगी।

सरसो की फसल में किसान को 677 रुपये/क्विंटल कम आमदनी होगी।

कुसुम या सूरजमुखी की फसल में किसान को 1675 रुपये/क्विंटल कम आमदनी होगी।

Picture3 (1).png

भारतीय किसान मज़दूर संघ, के अचल शर्मा का कहना है कि भारतीय किसान मज़दूर संघ स्वामी नाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग करता हैं। साथ ही सरकार से निवेदन करता है कि किसानों को समय पर सही न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाए।

कहा जा सकता हैं किसान को सही दाम न मिलने का असर आने वाली फ़सलों की के उत्पादन पर भी पड़ता है, क्योंकि किसान द्वारा फ़सलों में लगाई गयी लागत उसकी आमदनी पर निर्भर करती हैं इसलिए सरकार को स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर मूल्य निर्धारित करने की ज़रूरत हैं जिससे किसान को उसकी फसल का सही दाम मिल सके।

इसे भी पढ़े : अध्ययन : किसानों का 31 हजार करोड़ रुपये का हक़ दबा गई बीजेपी सरकार

farmer
farmer crises
farmer suicides
farmers protest
BJP corruption
BJP
Narendra modi
Modi government

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: अभी नहीं चौथी लहर की संभावना, फिर भी सावधानी बरतने की ज़रूरत
    14 May 2022
    देश में आज चौथे दिन भी कोरोना के 2,800 से ज़्यादा मामले सामने आए हैं। आईआईटी कानपूर के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. मणींद्र अग्रवाल कहा है कि फिलहाल देश में कोरोना की चौथी लहर आने की संभावना नहीं है।
  • afghanistan
    पीपल्स डिस्पैच
    भोजन की भारी क़िल्लत का सामना कर रहे दो करोड़ अफ़ग़ानी : आईपीसी
    14 May 2022
    आईपीसी की पड़ताल में कहा गया है, "लक्ष्य है कि मानवीय खाद्य सहायता 38% आबादी तक पहुंचाई जाये, लेकिन अब भी तक़रीबन दो करोड़ लोग उच्च स्तर की ज़बरदस्त खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। यह संख्या देश…
  • mundka
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड : 27 लोगों की मौत, लेकिन सवाल यही इसका ज़िम्मेदार कौन?
    14 May 2022
    मुंडका स्थित इमारत में लगी आग तो बुझ गई है। लेकिन सवाल बरकरार है कि इन बढ़ती घटनाओं की ज़िम्मेदारी कब तय होगी? दिल्ली में बीते दिनों कई फैक्ट्रियों और कार्यस्थलों में आग लग रही है, जिसमें कई मज़दूरों ने…
  • राज कुमार
    ऑनलाइन सेवाओं में धोखाधड़ी से कैसे बचें?
    14 May 2022
    कंपनियां आपको लालच देती हैं और फंसाने की कोशिश करती हैं। उदाहरण के तौर पर कहेंगी कि आपके लिए ऑफर है, आपको कैशबैक मिलेगा, रेट बहुत कम बताए जाएंगे और आपको बार-बार फोन करके प्रेरित किया जाएगा और दबाव…
  • India ki Baat
    बुलडोज़र की राजनीति, ज्ञानवापी प्रकरण और राजद्रोह कानून
    13 May 2022
    न्यूज़क्लिक के नए प्रोग्राम इंडिया की बात के पहले एपिसोड में अभिसार शर्मा, भाषा सिंह और उर्मिलेश चर्चा कर रहे हैं बुलडोज़र की राजनीति, ज्ञानवापी प्रकरण और राजद्रोह कानून की। आखिर क्यों सरकार अड़ी हुई…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License