NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
यदि संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर पर आज वोट हो, तो क्या वो पास होगा?
क्या संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रासंगिकता अब भी वही है जिस मकसद के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई थी? या संयुक्त राष्ट्र संघ केवल ताकतवर देशों की कठपुतली बनकर रह गया है?
ट्राईकोंटिनेंटल : सामाजिक शोध संस्थान
07 Oct 2021
Newsletter
राफ़ेल टुफ़िनो फ़िगुएरो (प्यूर्टो रिको), सम्पूर्ण, 1952-54.

हर साल सितंबर में, राष्ट्रीय सरकारों के प्रमुख संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा के नये सत्र का उद्घाटन करने के लिए न्यूयॉर्क शहर स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्यालय में मिलते हैं। मुख्यालय के आसपास का क्षेत्र रंगीन हो जाता है, 193 सदस्य देशों के प्रतिनिधि संयुक्त राष्ट्र संघ की इमारत में बहस करते हैं और फिर उसके आसपास के रेस्तराँ में दोपहर के भोजन के लिए बाहर जाते हैं, जो महामारी के चलते वीरान पड़े हैं। दुनिया के सामने खड़ी चुनौतियों के आधार पर, कुछ भाषणों को गंभीरता से सुना जाता है; अलग-अलग हिस्सों में चल रहे संघर्षों के लिए ज़रूरी है कि नेताओं के बयानों को ध्यान से सुना जाए, पर कई भाषण दिए जाते हैं, और भुला दिए जाते हैं।

25 सितंबर को बारबाडोस की प्रधान मंत्री, मिया अमोर मोटले, संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा के लगभग ख़ाली कक्ष के मंच पर गईं। उन्होंने पूछा कि 'और कितने नेताओं को इस मंच पर बिना सुने जाने के लिए आना होगा कि वो यहाँ आना ही बंद कर दें'? मोटले ने पूछा कि 'हमें कितनी बार एक ऐसी संस्था के ख़ाली हॉल को संबोधित करना पड़ेगा जिसे इसलिए बनाया गया था ताकि यहाँ आकर दुनिया भर के नेता बड़े युद्ध या हमारी या मानवता को चुनौती देने वाले किसी भी बड़े संकट को टालने के लिए ज़रूरी क़दमों पर विचार कर सकें?'। प्रधान मंत्री मोटले ने अपने तैयार किए गए भाषण को नहीं पढ़ा, क्योंकि उन्होंने कहा, वे 'वही बात कहेंगे जो आपने दूसरों से सुनी है'। उसके बजाय उन्होंने एक तीखी बात कही: 'हमारे पास इस ग्रह के हर बच्चे को एक टैबलेट देने के लिए पर्याप्त साधन हैं। और हमारे पास हर वयस्क का टीकाकरण करने के साधन हैं। और हमारे पास अपने ग्रह के सबसे कमज़ोर लोगों को जलवायु परिवर्तन से बचाने के लिए निवेश करने के साधन हैं। लेकिन हम ये सब नहीं करना चाहते हैं। ऐसा इसलिए नहीं है कि हमारे पास पर्याप्त [साधन] नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारे पास जो कुछ है उसे बाँटने की इच्छाशक्ति नहीं है... अगर हम लोगों को चाँद पर भेजने और पुरुषों के गंजेपन को दूर करने की इच्छाशक्ति रख सकते हैं...तो हम लोगों को सस्ते दर पर भोजन प्रदान करने जैसी आसान समस्याओं को हल कर सकते हैं'।

एल्बिन एगर-लिएंज़ (ऑस्ट्रिया), उत्तरी फ़्रांस, 1917.

संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन अक्टूबर 1945 में हुआ था, जब संयुक्त राष्ट्र संघ चार्टर को बहाल करने के लिए 50 देश सैन फ़्रांसिस्को में मिले थे। प्रधान मंत्री मोटले ने कहा, 'यह 2021 है', जहाँ ऐसे 'कई देश हैं जो 1945 में मौजूद नहीं थे जिन्हें अपने लोगों [के सवालों] का सामना करना चाहिए और अपने लोगों की ज़रूरतों का जवाब देना चाहिए'। इनमें से कई देश कभी उपनिवेश थे, जिनके लोगों की ज़िंदगियों को संयुक्त राष्ट्र संघ के औपनिवेशिक सरदारों ने तबाह किया था। प्रधान मंत्री मोटले ने कहा, अब, 76 साल बाद, बारबाडोस जैसे इन देशों के लोग - 'यह जानना चाहते हैं कि ऐसे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रासंगिकता क्या है जो केवल मिलता है पर एक-दूसरे की सुनता नहीं हैं, जो केवल बात बनाता है पर एक-दूसरे से बात नहीं करता'।

जहाँ विश्व के सभी नेता मंच पर एक के बाद एक बातें दोहराते रहे, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में क्षेत्रीय सहयोग और विकास को आगे बढ़ाने के लिए नौ सदस्य देशों के एक संगठन, एएलबीए-टीसीपी के महासचिव, साचा लोरेंटी ने मंच से एक मौलिक सवाल उठाया। बहुध्रुवीयता पर एक शीत युद्ध वेबिनार के दौरान उन्होंने पूछा: 'यदि आज संयुक्त राष्ट्र संघ चार्टर पर वोट हो, तो क्या वो पास होगा?'

संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य देश चार्टर का समर्थन करते हैं, लेकिन फिर भी संयुक्त राज्य अमेरिका सहित संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी शक्तिशाली सदस्य इसके प्रत्येक खंड का अनादर करते हैं। अगर मैं इसकी सूची बनाऊँ कि अमेरिकी सरकार ने कितनी बार संयुक्त राष्ट्र संघ के विभिन्न संस्थानों और संयुक्त राष्ट्र संघ चार्टर की अवहेलना की है, तो उसका कोई अंत नहीं होगा। इस सूची में निम्नलिखित सम्मेलन भी शामिल हैं जिन्हें स्वीकार करने, या जिनमें भाग लेने से अमेरिका इनकार कर चुका है:  

• समुद्र के क़ानून पर 1982 का संयुक्त राष्ट्र संघ सम्मेलन।

• ख़तरनाक कचरे की सीमा-पार आवाजाही और विक्रय पर नियंत्रण के लिए 1989 बेसल सम्मेलन, जैविक विविधता पर 1992 सम्मेलन, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में कुछ ख़तरनाक रसायनों और कीटनाशकों के लिए पूर्व सूचित सहमति प्रक्रिया पर 1998 रॉटरडैम सम्मेलन, और स्थाई कार्बनिक प्रदूषकों पर स्टॉकहोम समझौता।

• रोम संधि 2002 (जिसने अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय की स्थापना की)।

• प्रवासियों के लिए ‘ग्लोबल कॉम्पैक्ट’ 2016।

इस सूची में संयुक्त राष्ट्र संघ के दो दर्जन सदस्य देशों के ख़िलाफ़ एकतरफ़ा, अवैध प्रतिबंधों के उपयोग के साथ-साथ (इराक़ सहित) कई देशों के ख़िलाफ़ युद्ध के अवैध अभियोजन को भी शामिल किया जाना चाहिए।

यदि संयुक्त राष्ट्र संघ चार्टर पर वोट होता है तो क्या संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने वीटो का प्रयोग करेगी? अमेरिकी सरकार की ऐतिहासिक कार्रवाइयों के आधार पर, इस सवाल का आसानी से उत्तर दिया जा सकता है: निश्चित रूप से।

केथे कोल्विट्ज़ (जर्मनी), क़ैदी, 1908

संयुक्त राष्ट्र संघ सत्र के दौरान वेनेज़ुएला के नेतृत्व में 18 देशों ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर की रक्षा के लिए बने मित्र समूह के विदेश मंत्रियों ने एक मीटिंग की। दुनिया में रहने वाले हर चार लोगों में से एक लोग इन 18 देशों में से किसी एक देश में रहता है, जिनमें अल्जीरिया, चीन, क्यूबा, ​​फ़िलिस्तीन और रूस शामिल हैं। वेनेज़ुएला के नये विदेश मंत्री फेलिक्स प्लासेन्सिया के नेतृत्व में इस समूह ने 'पुनर्जीवित बहुपक्षवाद' का आह्वान किया। इसका मतलब केवल संयुक्त राष्ट्र संघ चार्टर के साथ समर्थन क़ायम रखना है: अवैध युद्धों और एकतरफ़ा प्रतिबंधों को ना कहना और कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने के लिए सहयोग के लिए हाँ कहना, जलवायु संकट पर सहयोग के लिए हाँ कहना, भूख, अशिक्षा और निराशा के ख़िलाफ़ सहयोग करने के लिए हाँ कहना। .

इन देशों को यह परिभाषित करने का कभी मौक़ा नहीं मिलता है कि 'अंतर्राष्ट्रीय समुदाय' क्या सोचता है, क्योंकि इस वाक्यांश का प्रयोग केवल संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों के संदर्भ में किया जाता है, जो तय करते हैं कि बाक़ी दुनिया के लिए क्या किया जाना चाहिए और उसे कैसे किया जाना चाहिए। तभी, हम गम्भीर स्वर में 'अंतर्राष्ट्रीय समुदाय' की बात करते हैं; तब नहीं जब ग्रूप ऑफ़ फ़्रेंड्ज़ -जो दुनिया के 25% लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं- या शंघाई सहयोग संगठन -जो दुनिया के 40% लोगों का प्रतिनिधित्व करता है- बोलते हैं, या जब गुटनिरपेक्ष आंदोलन अपने 120 सदस्यों के साथ बोलता है।

महमूद साबरी (इराक़), नायक, 1963.

संयुक्त राष्ट्र संघ सत्र में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा, 'हम कोई नया शीत युद्ध नहीं चाहते हैं। यह एक स्वागत योग्य ख़बर है। लेकिन इसमें विसंगति है। प्रधान मंत्री मोटले ने स्पष्टता और ईमानदारी की माँग की थी। बाइडेन की टिप्पणी में न तो स्पष्टता है और न ही ईमानदारी, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र संघ की बैठक के समय के आसपास ही अमेरिका ने एक नया हथियार समझौता किया, जो कि ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड किंगडम (एयूकेयूएस) के साथ एक सैन्य समझौते के रूप में सामने आया और क्वाड (ऑस्ट्रेलिया, भारत, और जापान) की एक बैठक भी आयोजित की। इन दोनों कार्रवाइयों का सैन्य निहितार्थ है चीन पर दबाव बनाना।

इसके अलावा, अमेरिकी सरकार के दस्तावेज़ बार-बार 'चीन के साथ भविष्य के संघर्ष में लड़ने और जीतने' के लिए अमेरिकी सेना का विस्तार करने की इच्छा को उजागर करते हैं; विस्तार करने के इन क़दमों में चीन के वाणिज्यिक और राजनीतिक हितों को नुक़सान पहुँचाने के लिए अफ़्रीकी महाद्वीप पर सैन्य गतिविधियों के पुनर्गठन की कोशिशें भी शामिल हैं। अमेरिकी सेना के लिए बाइडेन ने अतिरिक्त बजट का अनुरोध किया है, जिसमें लिखा है कि 'चीन से बढ़ते ख़तरे का मुक़ाबला करने के लिए' इसकी ज़रूरत है। 

यह ख़तरा चीन से नहीं, चीन के लिए है। यदि अमेरिका अपनी सेना का विस्तार करना, प्रशांत क्षेत्र में अपने गठबंधनों को गहरा करना, और अपनी तीखी बयानबाज़ी जारी रखता है, तो यह एक नये शीत युद्ध के अलावा और कुछ नहीं है - संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर का मज़ाक़ बनाने वाली एक और ख़तरनाक कार्रवाई ही है।

बहुध्रुवीयता पर नो कोल्ड वॉर वेबिनार 'टूवर्ड्स ए मल्टीपोलर वर्ल्ड: एन इंटरनेशनल पीस फ़ोरम' में, ज़ाम्बिया की सोशलिस्ट पार्टी के फ़्रेड एम'मेम्बे ने कहा कि वे एक ऐसी दुनिया में पले-बढ़े थे, जहाँ द्विध्रुवीय शीत युद्ध अस्तित्व के लिए ख़तरा बना हुआ था, लेकिन 'द्विध्रुवीय दुनिया की तुलना में एकध्रुवीय दुनिया अधिक ख़तरनाक है'। उन्होंने कहा, आज हम जिस व्यवस्था में रह रहे हैं, जिसमें पश्चिमी ताक़तों का दबदबा है, वे 'एक ऐसे समय में वैश्विक एकजुटता को कमज़ोर कर रही हैं, जब मानवीय एकजुटता की ज़रूरत है'।

रॉबर्टो मट्टा (चिली), चिली के लोगों का पहला लक्ष्य, 1971.

आप संयुक्त राष्ट्र संघ चार्टर को निगल नहीं सकते। लेकिन अगर आप पढ़ना सीखते हैं, और अगर आप चार्टर पढ़ते हैं, तो आप मानवीय शालीनता के अपने अधिकार के लिए लड़ने के संघर्ष में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर हम 7.9 अरब लोग एक साथ आकर अपने मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने की माँग के साथ तीन-तीन फ़ुट की दूरी पर खड़े होकर एक मानव शृंखला बनाने का फ़ैसला करते हैं, तो हम 65 लाख किलोमीटर की एक दीवार खड़ी कर सकते हैं। वह दीवार भूमध्य रेखा के चारों ओर 261 बार घूम जाएगी। हमें मानव बनने के अपने अधिकार की रक्षा के लिए, अपनी मानवता की रक्षा के लिए और प्रकृति की रक्षा के लिए मानव शृंखला की इस दीवार को बनाना चाहिए।

USA
China
Barbados
Charter of United Nations organization
UNO
General Assembly of UNO
Security council
Relevance of UNO

Related Stories

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन में हो रहा क्रांतिकारी बदलाव

अमेरिकी आधिपत्य का मुकाबला करने के लिए प्रगतिशील नज़रिया देता पीपल्स समिट फ़ॉर डेमोक्रेसी

क्या दुनिया डॉलर की ग़ुलाम है?

छात्रों के ऋण को रद्द करना नस्लीय न्याय की दरकार है

सऊदी अरब के साथ अमेरिका की ज़ोर-ज़बरदस्ती की कूटनीति

रूस की नए बाज़ारों की तलाश, भारत और चीन को दे सकती  है सबसे अधिक लाभ

अमेरिका ने रूस के ख़िलाफ़ इज़राइल को किया तैनात

चीन और लैटिन अमेरिका के गहरे होते संबंधों पर बनी है अमेरिका की नज़र

पश्चिम बनाम रूस मसले पर भारत की दुविधा


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License