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स्वास्थ्य
भारत
लॉकडाउन में यात्रा का अवैध नेटवर्क- अमीर, एंबुलेंस रिज़र्व कर रहे, गरीब ट्रकों में छिपकर बिहार लौट रहे  
जहां मजदूर दूसरे राज्यों से वापस अपने घर लौटने के लिए तिरपाल से ढके ट्रकों का सहारा ले रहे हैं, वहीं राज्य का संपन्न तबका इस परिस्थिति में एंबुलेंस की मदद लेने से भी नहीं हिचक रहा। एंबुलेंस संचालक भी इस अवसर का भरपूर लाभ उठा रहे हैं।

 
पुष्यमित्र
29 Apr 2020
COVID
(पूर्णिया में इसी ट्रक से आया व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाया गया।)

बीते रविवार को बिहार के कैमूर जिले के रामगढ़ में 70 मजदूरों का एक जत्था पहुंचा है। यह जत्था गुरुवार 23 अप्रैल को हैदराबाद से चला था। इन सत्तर मजदूरों ने मिल कर दो लाख दस हजार रुपये का किराया अदा कर एक ट्रक रिजर्व कर लिया था। ट्रक को तिरपाल से ढक दिया गया था और ये मजदूर उनके अंदर छिप कर आ रहे थे। वे हर हाल में अपने घर पहुंचना चाहते थे, इसके लिए उन्होंने तीन-तीन हजार रुपये का चंदा किया था। मगर उनका यह सफ़र भी बहुत आरामदेह नहीं रहा, रास्ते में एमपी-यूपी बार्डर पर चेकिंग के ख़तरे को देखकर ट्रक वाले ने इन्हें उतार दिया और लगभग 200 किमी की य़ात्रा इन्हें पैदल तय करनी पड़ी। तब जाकर वे अपने गांव रामगढ़ के सदुल्लहपुर और महुअर पहुंचे हैं।

लॉकडाउन की अवधि में तिरपाल से ढके ट्रकों में छिप कर प्रवासी मजदूरों के बिहार आने की यह न पहली घटना है, न इकलौती। हाल के दिनों में पुलिस प्रशासन ने ऐसे कई ट्रकों को पकड़ा है और इन पर सवार लोगों को क्वारंटाइन किया है। दिल्ली, मुंबई, सूरत और देश के अलग-अलग इलाके से ऐसे लोग लगातार आ रहे हैं और लॉकडाउन की अवधि में संचालन की छूट पाने वाले ट्रक मालिक इन मजदूरों की मजबूरी का भरपूर फायदा उठा रहे हैं। इनसे दो हजार से तीन हजार रुपये प्रति व्यक्ति तक किराया वसूल रहे हैं। पूर्णिया जिला पहुंचने वाला ऐसा ही एक यात्री सोमवार के दिन कोरोना पॉजिटिव पाया गया, वह अपने जिले का पहला कोरोना संक्रमित व्यक्ति है, फल लदे ट्रक की सवारी करते हुए वह 23 अप्रैल के दिन दिल्ली से पूर्णिया आया था। इसी तरह सोमवार के दिन गोपालगंज और मधुबनी में ऐसे कई मजदूर कोरोना से संक्रमित पाये गये जो ट्रकों से छिपकर अलग-अलग राज्यों से बिहार आये थे।

जहां मजदूर दूसरे राज्यों से वापस अपने घर लौटने के लिए तिरपाल से ढके ट्रकों का सहारा ले रहे हैं, वहीं राज्य का संपन्न तबका इस परिस्थिति में एंबुलेंस की मदद लेने से भी नहीं हिचक रहा। एंबुलेंस संचालक भी इस अवसर का भरपूर लाभ उठा रहे हैं। 40 हजार से लेकर एक लाख तक के किराये में ये संपन्न तबके के स्वस्थ लोगों को मरीज बताकर दिल्ली, मुंबई और दूसरे जगहों से उनके घर बिहार तक पहुंचा रहे हैं।

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                                  (महाराष्ट्र में निबंधित यह एम्बुलेंस पूर्णिया जिले के एक गांव में)

बीते शुक्रवार को मुंबई से तीन लोग इसी तरह एंबुलेंस से पटना पहुंचे। हालांकि वे घर जाने के बदले सीधे पीएमसीएच अस्पताल पहुंच गये और खुद के कोरोना टेस्ट कराने का अनुरोध किया। वे टेस्ट में कोरोना प़ॉजिटिव पाये गये। नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर एक बड़े व्यवसायी ने खुद जानकारी दी है कि वे एंबुलेंस की सवारी करके दिल्ली से बिहार आये हैं और उन्होंने एंबुलेंस वाले को 60 हजार रुपये चुकाये। दिल्ली से सासाराम तक जाने के लिए एक व्यवसायी के 95 हजार तक चुकाने की सूचना है। ये मामले भी इक्का दुक्का नहीं, बड़ीं संख्या में सामने आ रहे हैं।

 लॉकडाउन के एक माह से अधिक समय बीत चुके हैं। राज्य सरकार से मिले आंकड़ों के मुताबिक 25 लाख से अधिक प्रवासी देश के अलग-अलग कोनों में फंसे हैं और वे वापस आना चाहते हैं। मगर राज्य सरकार ने तय कर लिया है कि वह किसी सूरत में लॉकडाउन खुलने से पहले इन लोगों को बिहार लाने की व्यवस्था नहीं करेगी। ऐसे में बड़ी संख्या में लोग बिहार वापस आने के लिए अवैध तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। जहां गरीब लोगों ने ट्रकों पर सवार होकर भीड़-भाड़ में यात्रा का विकल्प चुना है, वहीं साधन संपन्न लोग एंबुलेंस को टैक्सी की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।

 वहीं पंजाब में लोगों को अवैध तरीके से यूरोप और अमेरिका के मुल्कों में ले जाने के लिए सक्रिय कबूतरबाजी के नाम से जाना जाने वाला गिरोह भी इस वक्त सक्रिय हो गया है। वह पंजाब में फंसे बिहार के लोगों को जाली पास बनाकर बिहार भेजने की व्यवस्था कर रहा है। 24 अप्रैल को पंजाब पुलिस ने होशियारपुर में दो अलग-अलग जगहों से ऐसे गिरोहों को गिरफ्तार किया है, जो जाली पास बनवा कर मजदूरों के समूह को उत्तर प्रदेश और बिहार तक छोड़ने जाते थे। 23 अप्रैल को जिला फतेहगढ़ साहिब में भी ऐसा गिरोह पकड़ा गया था। पंजाब के डीजीपी दिनकर गुप्ता ने भी इन मामलों की पुष्टि की है। उन्होंने जानकारी दी कि 71 मजदूरों को यूपी और बिहार छोड़ने के लिए एक समूह ने इनसे तीन लाख से अधिक पैसे वसूले थे।

 इन मामलों से यह जाहिर है कि लॉकडाउन के बावजूद बिहार में दूसरे राज्यों से लगातार लोग अवैध तरीकों का इस्तेमाल करके आ रहे हैं। मगर उनकी यह यात्रा महंगी भी है और जोखिम से भरी भी। राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक हाल के दिनों में ऐसे डेढ़ दर्जन से अधिक लोग कोरोना संक्रमित पाये गये हैं, जो अवैध तरीके से एंबुलेंस या ट्रकों पर सवार होकर चोरी-छिपे बिहार आये थे।

 पटना के आईजीआईएमएस अस्पताल में चिकित्सक डॉ रत्नेश चौधरी इस बारे में पूछे जाने पर कहते हैं कि लोग घर पहुंचने के मोह में एंबुलेंस और ट्रकों का सहारा ले रहे हैं, मगर यह बहुत खतरनाक है। अमूमन एक एंबुलेंस में तीन से छह-सात तक लोगों के आने की खबर है तो ट्रकों में 50 से 80 लोग लद कर आ रहे हैं। अगर उनमें से एक भी कोरोना संक्रमित हुआ तो ड्राइवर समेत सभी सवारियों के संक्रमित होने का खतरा है। इन अवैध यात्राओं के बाद कोई एंबुलेंस या ट्रकों को सेनिटाइज भी नहीं करता है, ऐसे में इन वाहनों में अगली दफा यात्रा करने वालों के भी संक्रमित होने का खतरा बना रहता है। ऐसे में लोगों को इस तरह का जोखिम उठाने से बचना चाहिए।

इस मसले को लेकर सोमवार को बिहार के पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा ने राज्य के सभी जिलों को निर्देश दिया है कि लॉकडाउन की अवधि में दूसरे राज्यों से आने वाले मजदूरों को हर हाल में सीधे गांव में प्रवेश करने से रोका जाये और इसमें पंचायतों की मदद ली जाये। सभी ऐसे मजदूरों को स्कूलों में बने क्वारंटाइन सेंटर में रखा जाये। पंचायतों से कहा गया है कि वे अपने इलाकों में इस संबंध में लाउडस्पीकर से घोषणा करवाएं।

बिहार में इस मसले की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खास तौर पर इस समस्या को उठाया और कहा कि केंद्र सरकार से स्पष्ट नीति बनाने की मांग की। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में अभी भी कुछ लोग बाहर से आ रहे हैं। इनमें कई संक्रमित पाये गये हैं, उनकी वजह से दूसरे लोग भी संक्रमित हो रहे हैं। ऐसे में दूसरे राज्यों से जो लोग भेजे जा रहे हैं, उनकी पहले स्वास्थ्य जांच करायी जाये। 

 (पुष्यमित्र वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

 

 

Illegal network of travel in lockdown
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