NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
भारत
राजनीति
सरकार की तर्कहीन और मनमानी वैक्सीनेशन पॉलिसी पर सुप्रीम कोर्ट के ज़रूरी सवाल
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सरकार की वैक्सीनेशन पॉलिसी पर सुनवाई की। सरकार के जरिए वैक्सीनेशन के संबंध में लिए गए कुछ फैसलों को मनमाना और तर्कहीन बताया। 
अजय कुमार
03 Jun 2021
सुप्रीम कोर्ट

एक सजग नागरिक के तौर पर कई सारे लोग बहुत पहले से सवाल पूछ रहे थे कि भारत की वैक्सीनेशन पॉलिसी क्या है? जिस तरह से सरकार फैसले ले रही है, उससे वैक्सीनेशन पॉलिसी का कुछ भी अता पता नहीं चलता। केंद्र सरकार मुफ्त में वैक्सीन देगी। राज्य सरकार को वैक्सीन खरीदना पड़ेगा। केंद्र सरकार जिस कीमत पर वैक्सीन खरीद रही है, उससे अधिक कीमत पर राज्य सरकार खरीद रही हैं। एक ही देश में ऐसी अलग-अलग तरह की नीतियां क्यों? भारत वैक्सीन उत्पादन में दुनिया का सबसे बड़ा देश है तो भारत की बहुत सारी वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां बंद क्यों पड़ी हैं? इन कंपनियों का इस्तेमाल वैक्सीन उत्पादन में क्यों नहीं किया जा रहा है? जब महामारी पूरे देश में फैली है और वैक्सीन उत्पादन और पहुंच से जुड़ी नीतियां और नियमन बनाने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है तो केंद्र सरकार राज्य सरकारों से क्यों कह रही है कि वह नीति बनाएं कि वह अपने नागरिकों को मुफ्त में या कीमत वसूल कर वैक्सीन लगाएगी? आखिर क्या वजह है कि भारत सरकार दूसरे देशों से वैक्सीन नहीं ले पा रही? आखिर क्या वजह है कि कोरोना से लड़ने के लिहाज से वैक्सीन के रामबाण होने के बावजूद भारत सरकार सभी के लिए वैक्सीन मुहैया नहीं करवा पा रही है? आखिर क्या वजह है कि आरबीआई से कोरोना महामारी से लड़ने के नाम पर 99000 करोड़ रुपए मिलने के बावजूद भारत सरकार कोरोना से लड़ने के लिए सबसे बुनियादी तरीका वैक्सीन पर फोकस क्यों नहीं कर पा रही?

इन सारे सवालों का अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। नागरिक समाज बहुत पहले से इन सारे सवालों को सरकार से पूछता आ रहा है। सरकार ने इन सारे सवालों का जवाब साफ-साफ जवाब अभी तक नहीं दिया है। उसने वही नीति अपना कर रखी  है जो 7 सालों में सबसे कारगर है कि जनता को कुछ भी साफ-साफ कुछ भी न बताया जाए। पारदर्शिता की नीति को न अपनाया जाए। टीवी और टीवी डिबेट के माध्यम से जनता के मूल सवालों को बरगलाते रहा जाए। 

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सरकार की वैक्सीनेशन पॉलिसी पर सुनवाई की। सरकार के जरिए वैक्सीनेशन के संबंध में लिए गए कुछ फैसलों को मनमाना और तर्कहीन बताया। 

जब सरकार पक्ष के वकील की तरफ से यह कहा गया कि न्यायपालिका कार्यपालिका के अधिकारों में हस्तक्षेप कर रही है तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारा संविधान अदालतों को मूक दर्शक बने रहने की परिकल्पना नहीं करता है, वो भी जब नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन कार्यकारी नीतियों द्वारा किया जा रहा हो। कार्यपालिका द्वारा लिए जा रहे फैसलों की न्यायिक समीक्षा करना भी अदालतों का काम है।

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात मजदूर सभा बनाम गुजरात राज्य से जुड़े फैसले का हवाला देते हुए कहा कि "महामारी का मुकाबला करने के लिए नीतियों का मूल्यांकन जारी रखा जाना चाहिए ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि क्या कार्यपालिका का अन्य बातों के साथ-साथ, उस मकसद के साथ एक तर्कसंगत संबंध है, जिसे हासिल करने की मांग की गई है और उन्हें हासिल करने के लिए जरूरी है। इस तरह से इस भीषण महामारी के संकट में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। और कुछ जरूरी सवाल पूछ दिए और आदेश दे दिया:

- सरकार एफिडेविट फाइल करे कि अभी तक भारत की कितनी फ़ीसदी आबादी वैक्सीनेट हो चुकी है? कितनी फ़ीसदी आबादी को पहला और दूसरा डोज मिल चुका है? गांव और शहरों दोनों जगहों पर अलग-अलग कितनी फ़ीसदी आबादी वैक्सीनेट हो चुकी है?

- केंद्र सरकार ने वैक्सीन कंपनियों से अभी तक कितनी वैक्सीन खरीदी है? कब-कब खरीदी है? कब-कब वैक्सीन की सप्लाई की गई है? कब-कब वैक्सीन की सप्लाई की जानी है? कोविशील्ड, कोवैक्सिन और स्पूतनिक से किस तरह का अनुबंध हुआ है? यानी सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार की अब तक की वैक्सीन खरीद की पूरा ब्यौरा जानना चाहती है।

- सरकार एक खाका खींचकर यह बताएं कि वह वैक्सीनेट ना हुए लोगों तक वैक्सीन कब, कैसे और किस तरह से पहुंचाएगी?

- केंद्र सरकार यह भी निर्धारित करें कि लोगों को ब्लैक फंगस हो जाने पर उन्हें दवाई जरूर मिले। दवाई न मिलने जैसी कोई संभावना न बने।

- केंद्र सरकार 2 हफ्ते के भीतर उन सारे दस्तावेजों और फाइल नोटिंग को सुप्रीम कोर्ट को सौंपे जो दस्तावेज और फाइल नोटिंग वैक्सीन की नीति बनाने से जुड़े हैं। जिन दस्तावेजों पर भारत सरकार का वैक्सीन नीति को लेकर सारा विचार दिखता हो। 

- राज्य सरकार को भी आदेश दिया गया है कि वह बताएं कि वह अपनी आबादी को किस तरह से वैक्सीन पहुंचाएंगे?मुफ्त में या कीमत चुका कर?

- कोरोना से लड़ने के लिए वैक्सीनेशन सबसे जरूरी हथियार है। केंद्र सरकार के सामने ये अकेला सबसे बड़ा काम है। केंद्र ने इस साल वैक्सीनेशन के लिए 35 हजार करोड़ का बजट रखा है। केंद्र यह स्पष्ट करे कि अब तक ये फंड किस तरह से खर्च किया गया है। यह भी बताएं कि 18-44 आयु वालों के मुफ्त टीकाकरण के लिए इसका इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया? 

- केंद्र ने कहा है कि इस साल के अंत तक देश की सारी वैक्सीनेशन योग्य आबादी को टीका लग जाएगा। इसलिए सुप्रीम कोर्ट या जानना चाहती है कि सरकार कब और किस तरह पहले, दूसरे और तीसरे चरण में बची हुई जनता को वैक्सीनेट करना चाहती है? 

- भारत सरकार से भारत में उपलब्ध करायी जा रही वैक्सीन की कीमत और अंतरराष्ट्रीय कीमत का तुलनात्मक ब्योरा मांगा है। 

- सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि जब केंद्र सरकार ने प्राइवेट मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को आर्थिक मदद की या किसी भी तरीके से मदद की तो इस मदद को वैक्सीन की कीमत निर्धारित करने में शामिल किया गया है या नहीं और अगर किया गया है तो किस तरह से और कितना किया गया है?

- केंद्र सरकार की वैक्सीनेशन नीति के मुताबिक राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और प्राइवेट हॉस्पिटल्स को 50% वैक्सीन पहले से तय कीमतों पर मिलती है। केंद्र इस पर तर्क देता है कि ज्यादा प्राइवेट मैन्युफैक्चरर को मैदान में उतारने के लिए वैक्सीन की कीमत वसूलने की नीति अपनाई गई है। जब पहले से तय कीमतों पर मोलभाव करने के लिए केवल दो मैन्युफैक्चरर्स हैं तो इस तर्क को कितना टिकाऊ माना जाए? 

- केंद्र ये भी कह रहा है कि उसे वैक्सीन सस्ती कीमतों पर इसलिए मिल रही है क्योंकि वो ज्यादा मात्रा में ऑर्डर कर रहा है। इस पर तो सवाल उठता है कि फिर वो हर महीने 100% डोज क्यों नहीं खरीद लेता है?

Supreme Court
Narendra modi
Modi government
BJP
COVID-19
Covid Vaccination
Vaccination policy

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

महामारी में लोग झेल रहे थे दर्द, बंपर कमाई करती रहीं- फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां


बाकी खबरें

  • Gujarat Riots
    बादल सरोज
    गुजरात दंगों की बीसवीं बरसी भूलने के ख़तरे अनेक
    05 Mar 2022
    इस चुनिन्दा विस्मृति के पीछे उन घपलों, घोटालों, साजिशों, चालबाजियों, न्याय प्रबंधन की तिकड़मों की याद दिलाने से बचना है जिनके जरिये इन दंगों के असली मुजरिमों को बचाया गया था।
  • US Army Invasion
    रॉजर वॉटर्स
    जंग से फ़ायदा लेने वाले गुंडों के ख़िलाफ़ एकजुट होने की ज़रूरत
    05 Mar 2022
    पश्चिमी मीडिया ने यूक्रेन विवाद को इस तरह से दिखाया है जो हमें बांटने वाले हैं। मगर क्यों न हम उन सब के ख़िलाफ़ एकजुट हो जाएं जो पूरी दुनिया में कहीं भी जंगों को अपने फ़ायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं?
  • government schemes
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना के दौरान सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं ले पा रहें है जरूरतमंद परिवार - सर्वे
    05 Mar 2022
    कोरोना की तीसरी लहर के दौरान भारत के 5 राज्यों (दिल्ली, झारखंड, छत्तीसगढ, मध्य प्रदेश, ओडिशा) में 488 प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना हेतु पात्र महिलाओं के साथ बातचीत करने के बाद निकले नतीजे।
  • UP Elections
    इविता दास, वी.आर.श्रेया
    यूपी चुनाव: सोनभद्र और चंदौली जिलों में कोविड-19 की अनसुनी कहानियां हुईं उजागर 
    05 Mar 2022
    ये कहानियां उत्तर प्रदेश के सोनभद्र और चंदौली जिलों की हैं जिन्हे ऑल-इंडिया यूनियन ऑफ़ फ़ॉरेस्ट वर्किंग पीपल (AIUFWP) द्वारा आयोजित एक जन सुनवाई में सुनाया गया था। 
  • Modi
    लाल बहादुर सिंह
    यूपी चुनाव : क्या पूर्वांचल की धरती मोदी-योगी के लिए वाटरलू साबित होगी
    05 Mar 2022
    मोदी जी पिछले चुनाव के सारे नुस्खों को दुहराते हुए चुनाव नतीजों को दुहराना चाह रहे हैं, पर तब से गंगा में बहुत पानी बह चुका है और हालात बिल्कुल बदल चुके हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License