NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
पत्रकारिता एवं जन-आंदोलनों के पक्ष में विकीलीक्स का अतुलनीय योगदान 
विकीलीक्स द्वारा साझा की गई जानकारी ने दमनकारी सरकारों की कथनी और करनी के बीच अंतर और उनके सावधानीपूर्वक तैयार किये गये आख्यानों का भंडाफोड़ कर उनके खिलाफ प्रतिरोध को सशक्त बनाने का काम किया है। 
अब्दुल रहमान
31 Jan 2022
 Julian Assange
(चित्र: मॉर्निंग स्टार)

प्रकाशक जूलियन असांजे की दुर्दशा ने दुनिया-भर के जनांदोलनों, पत्रकारों और न्यायविद संघों एवं जागरूक नागरिकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। लंदन में एक्वाडोर के दूतावास के भीतर रहकर छह साल बिताने के बाद, असांजे को पिछले तीन साल ब्रिटेन के बेल्मर्श जेल में बिताने पड़े हैं। इन तकरीबन 10 वर्षों के कारावास का असांजे के मानसिक स्वास्थ्य पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है, जबकि बेल्मर्श में रहते हुए उनको कई बार कोविड प्रकोपों का सामना करना पड़ा है। 

पत्रकार असांजे ने ऐसे कौन से अपराध किये होंगे जिसके लिए उन्हें इस प्रकार की सजा भुगतनी पड़ रही है? 

असांजे और उनके संगठन विकीलीक्स ने ऐसे लाखों लीक दस्तावेज प्रकाशित किये हैं, जिनमें से कई तो अमेरिकी ख़ुफ़िया कर्मियों से हासिल हुए थे, जो अमेरिका के द्वारा विदेशों में असंख्य सैन्य तैनाती और युद्धों में मानवाधिकारों के घोर उल्लंघनों की ओर इशारा करते हैं। हकीकत यह है कि कई बार राज्य संस्थान इन तथ्यों से पूरी तरह से अवगत रहते थे।   

जैसा कि ऑस्ट्रेलियाई जॉन पिल्गर ने कहा है कि, उन्होंने “उन रहस्यों और झूठ का पर्दाफाश किया, जिनके कारण इराक, सीरिया और यमन पर आक्रमण हुए, जिसमें दर्जनों देशों में पेंटागन की हत्यारी भूमिका, अफगानिस्तान में 20-साल की तबाही का खाका तैयार करने, वाशिंगटन के द्वारा चुनी हुई सरकारों को उखाड़ फेंकने के प्रयासों, जैसे कि वेनेजुएला, सिर्फ नाम के राजनीतिक विरोधियों (बुश और ओबामा) के बीच की आपसी सांठगाँठ से एक यातना जांच का गला घोंटने और सीआईए के वॉल्ट 7 अभियान जिसने आपके मोबाइल फोन, यहाँ तक कि आपके टीवी सेट तक को आपके बीच में एक जासूस के तौर पर तब्दील कर दिया है।”

इसलिए यह कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है कि जूलियन असांजे के खिलाफ चलाए जा रहे इस अन्यायपूर्ण अभियोजन को अमेरिका में दोनों ही दलों का समर्थन हासिल है। जबकि यह ट्रम्प थे जिन्होंने उनके खिलाफ जासूसी कृत्य के तहत आरोप मढ़े और उनके प्रत्यर्पण का आह्वान किया, वहीँ जो बिडेन ने उनके खिलाफ चलाए जा रहे मामले को आगे बढ़ाना जारी रखा है। अपने खुलासों के जरिये असांजे और विकिलीक्स ने आम लोगों को उनके लिए आवश्यक जानकारी के साथ सशक्त बनाकर शक्तिशाली लोगों के आधिपत्य वाले आख्यानों और एजेंडे को खतरे में डाल दिया है। ये लीक्स न सिर्फ लाखों लोगों को अवगत कराने के लिए विश्व स्तर पर सैकड़ों समाचार पत्रों में प्रकाशित किये गए बल्कि ये खुलासे उल्लिखित अपराधों के पीड़ितों के लिए सत्य एवं न्याय के लिए उनके संघर्षों के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हुई हैं।   

आइये इनमें से कुछ बड़े खुलासों पर एक नजर डालते हैं। 

‘आतंक के खिलाफ वैश्विक युद्ध’ की वैधता को कमजोर करने का काम  

अप्रैल 2010 में, विकीलीक्स ने जुलाई 2007 के एक वीडियो को प्रकाशित किया जिसमें दिखाया गया था कि अमेरिकी सेना ने बगदाद में एक हेलीकॉप्टर से नागरिकों के उपर अंधाधुंध गोलीबारी की थी, जिसमें कई निर्दोष नागरिकों के साथ-साथ रायटर्स के दो पत्रकार भी मारे गए थे। इस “आनुषंगिक हत्या” नामक वीडियो ने अमेरिकी रक्षा विभाग के इस दावे का भंडाफोड़ कर दिया जिसमें दावा किया गया था कि इस घटना लोग मारे लोग “आंतकवादी” थे और यह कब्जे वाले बलों के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी वाली बात साबित हुई।

इस वीडियो से पहले, विकीलीक्स के द्वारा 2007 में इराक में अमेरिकी सेना के काम के नियमों को प्रकाशित किया गया था। इस जानकारी ने स्वतंत्र मीडिया को इस बात को सत्यापित करने में मदद की कि कब्जे वाले बलों के द्वारा चलाई गई अधिकांश कार्यवाही अपने स्वंय के बनाये नियमों की पूर्ण अवहेलना में थी और इसके बावजूद किसी को भी दंडित नहीं किया गया था। 

2010 में प्रकाशित अफ़गान और इराक़ युद्ध दैनिकी ने इन देशों में रह रहे निर्दोष नागरिकों के खिलाफ अमेरिका एवं अन्य अंतर्राष्ट्रीय सैन्य बलों द्वारा किये गए अत्याचारों और मानवाधिकारों के उल्लंघन के सुबूतों को पूरी तरह से मिटा देने के प्रयासों को पूरी तरह से उजागर करके रख दिया है। 

रक्षा प्रतिष्ठान के बारे में इन खुलासों और बाद के कई लीक्स ने वैश्विक शांति और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए एक आवश्यक कदम के तौर पर तथाकथित ‘आतंक पर वैश्विक युद्ध’ के अनुरूप निर्मित किये गये आख्यान को काफी हद तक कमजोर कर दिया है। इन खुलासों ने मिलिटरी-इंडस्ट्रियल काम्प्लेक्स के लिए होने वाले अप्रत्याशित लाभ के साथ-साथ युद्ध की साम्राज्यवादी प्रकृति को भी बेनकाब कर दिया है। 

यातना के खुलासों ने अमेरिकी वैधता को कमजोर बना दिया है 

2011 में प्रकाशित गिटमो फाइल्स और 2012 में प्रकाशित बंदियों की नीतियों से संबंधित दस्तावेजों ने दुनियाभर के कई हिस्सों में तथाकथित “अश्वेत स्थलों” सहित क्यूबा में ग्वांतानामो खाड़ी में सुनियोजित ढंग से मानवाधिकारों के उल्लंघन में अमेरिकी संलिप्तता के अकाट्य प्रमाण प्रदान कर दिए हैं। खालिद अल मसरी जैसे भूतपूर्व बंदियों को आंशिक तौर पर निवारण पाने में मदद पहुंचाने के अलावा इन फाइलों ने सीआईए द्वारा किये जा रहे अत्याचारों के बारे में तथ्यात्मक सुबूत प्रदान करने और किस प्रकार से रेड क्रॉस निरीक्षकों को गुमराह किया गया, के सुबूत पेश किये।

विकीलीक्स ने यह भी खुलासा किया कि अमेरिकी अधिकारियों ने करीब 150 लोगों के बेकसूर होने की जानकारी होने के बावजूद उन्हें कई वर्षों तक कैद में रखा। सिर्फ अमेरिका के नियंत्रण को मजबूत बनाने के लिए आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के नाम पर लोगों को अमानवीय परिस्थतियों में रखा गया। उदाहरण के लिए अल-जज़ीरा के पत्रकार सामी अल-हज के बारे में सीआईए को बखूबी इस बात की जानकारी थी कि उनका आतंकवाद से कोई संबंध नहीं है, इसके बावजूद उन्हें कई वर्षों तक ग्वांतानामो खाड़ी में हिरासत में रखा गया। उनकी कैद की अवधि सिर्फ इसलिए बढ़ाई गई ताकि सीआईए उस मीडिया हाउस के कामकाज के बारे में आंतरिक जानकारी निकाल सके।

सहयोगियों और दुश्मनों पर समान रूप से जासूसी कर रहा है अमेरिका  

2010-11 में जारी डिप्लोमेटिक केबल्स और 2016 में जारी एनएसए की गुप्त फाइल्स ने साबित कर दिया कि अमेरिका अपने दूतावासों और ख़ुफ़िया एजेंसियों का इस्तेमाल दुनिया भर में अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने में कर रहा है। दुनिया भर के प्रमुख प्रकाशनों द्वारा उन केबलों को प्रकाशित करने के फैसले ने अमेरिका के कई देशों के भीतर दिन-प्रतिदिन के फैसले लेने में अमेरिकी हस्तक्षेप के बारे में जो अटकलें लगाई जा रही थीं, उनकी पुष्टि की। इसने इस बात के सुबूत दिए कि कैसे अमेरिकी दूतावासों ने उन निरंकुश सरकारों की रक्षा की, यदि वे अमेरिका के साथ गठबंधन करते हैं और लोकप्रिय सरकारों के द्वारा इसके निर्देशों की अवहेलना करने पर उनके खिलाफ साजिश रचते हैं। 

इन दस्तावेजों ने खुलासा किया कि अमेरिका ने अपने दूतावासों का इस्तेमाल मेजबान देशों को धमकाने में भी किया और उन्हें अपने एजेंडे पर चलने के लिए मजबूर किया, विशेष कर लैटिन अमेरिका में। इन खुलासों के कारण इनमें से कई देशों में बड़े पैमाने पर कूटनीतिक एवं राजनीतिक उथल-पुथल देखने को मिली। बोलीविया में, अमेरिकी दूतावास ने अपने हितों को बढ़ावा देने के मकसद से अपनी सहायता एजेंसी यूएसएआईडी का इस्तेमाल देशज समूहों को आपस में विभाजित करने में किया। इसी प्रकार वेनेजुएला में अमेरिकी दूतावास ने सरकार के खिलाफ जासूसी करने के लिए अधिकारियों का परीक्षण किया गया और उनकी भर्ती की गई। पेरू में, इस बात का खुलासा हुआ कि किस प्रकार से कीको फुजीमोरी ने अमेरिकी दूतावास के साथ मिलकर तख्तापलट के माध्यम से अपने पिता अल्बेर्तो फुजीमोरी को सत्ता में फिर से स्थापित करने के लिए साजिश रची थी। 

2018 में प्रकाशित अमेरिकी दूतावास की शॉपिंग लिस्ट ने दर्शा दिया है कि कैसे ग्वाटेमाला में अमेरिकी दूतावास ने 2018 में पॉलीग्राफ समन्वयकों के लिए विज्ञापन निकाले, जिससे कि शरण चाहने वालों को उनके देश में होने वाले उत्पीड़न के बारे में “झूठ” बोलने से रोकने के लिए एक स्पष्ट कदम था। 

डिप्लोमेटिक केबल्स में उजागर हुए चागोस द्वीप का मामला इस बात का एक उत्कृष्ट उदाहरण पेश करता है कि कैसे अमेरिका ने अपने स्वंय के रणनीतिक हितों के लिए पर्यावरणीय संरक्षण के निमित्त का दोहन किया और लोगों को उनके अधिकारों से वंचित कर दिया। केबलों के अनुसार, अमेरिकी अधिकारियों ने 1966 में अमेरिकी सैन्य ठिकाने के कारण सैकड़ों स्थानीय लोगों को अपनी खो चुकी भूमि को पुनः प्राप्त करने के दावों से रोकने के लिए डिएगो गार्सिया में “दुनिया का सबसे बड़ा समुद्री प्राकृतिक रिज़र्व” स्थापित करने के लिए अंग्रेजों के साथ मिलकर साजिश रची थी।

अमेरिकी लोकतंत्र के बारे में मिथकों को तोड़ना 

विकीलीक्स के द्वारा अक्टूबर 2016 में राष्ट्रपति पद की प्रबल उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन के ईमेल लीक (क्लिंटन के चुनावी अभियान के अध्यक्ष, जॉन पोडेस्टा से हैक) कर दिए गए थे। इन लीक हुए ईमेल ने उनके राष्ट्रपति अभियान की संदिग्ध प्रकृति को स्थापित कर दिया और कई लोगों के अनुसार, इसके चलते उन्हें अपनी जीत से हाथ धोना पड़ा। इनके द्वारा इस बात के भी सुबूत प्रदान किये गए कि कैसे दुनिया के सबसे स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों के तौर पर अमेरिकी चुनावों का बखान किया जाता है, जिसको असल में बड़ी पूँजी और कुछ हित समूहों के द्वारा धन के इस्तेमाल के जरिये हेराफेरी की जाती है।

इन लीक हुए ईमेल ने साबित कर दिया जिसे जेफ़ स्टेन ने 2016 में वॉक्स के एक लेख में क्लिंटन के बारे में बताते हुए कहा था कि, अपने वादों को पूरा करने के किसी भी वास्तविक इरादे के बिना “उनके समक्ष जो दर्शक होते थे वे जो सुनना चाहते थे, कमोबेश उसे रख दिया जाता था।” यह अमेरिकी चुनावों में अधिकांश अन्य उम्मीदवारों के द्वारा भी अपनाई गई एक मानक अभियान रणनीति रही है, जैसा कि बिडेन प्रशासन द्वारा एक बार फिर से इसे साबित कर दिया गया है।

साभार : पीपल्स डिस्पैच 

#FreeJulianAssange
bolivia
Chagos Island
CIA
democracy
Gitmo
Global war on terrorism
Hillary Clinton
Human Rights
Imperialism
Joe Biden
Julian Assange
War in Afghanistan
War in Iraq
wikileaks

Related Stories

जन-संगठनों और नागरिक समाज का उभरता प्रतिरोध लोकतन्त्र के लिये शुभ है

नौजवान आत्मघात नहीं, रोज़गार और लोकतंत्र के लिए संयुक्त संघर्ष के रास्ते पर आगे बढ़ें

किसानों ने 2021 में जो उम्मीद जगाई है, आशा है 2022 में वे इसे नयी ऊंचाई पर ले जाएंगे

साम्राज्यवाद पर किसानों की जीत

यह जीत भविष्य के संघर्षों के लिए विश्वास जगाती है

तमाम मुश्किलों के बीच किसानों की जीत की यात्रा और लोकतांत्रिक सबक़

कृषि क़ानूनों की वापसी : कोई भी जनांदोलन बेकार नहीं जाता

खेती के संबंध में कुछ बड़ी भ्रांतियां और किसान आंदोलन पर उनका प्रभाव

अपने भविष्य के लिए लड़ते ब्राज़ील के मूल निवासी

मुज़फ़्फ़रनगर महापंचायत : हम देश बचाने निकले हैं...


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा
    04 Jun 2022
    ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर पर एक ट्वीट के लिए मामला दर्ज किया गया है जिसमें उन्होंने तीन हिंदुत्व नेताओं को नफ़रत फैलाने वाले के रूप में बताया था।
  • india ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट
    03 Jun 2022
    India की बात के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, अभिसार शर्मा और भाषा सिंह बात कर रहे हैं मोहन भागवत के बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को मिली क्लीनचिट के बारे में।
  • GDP
    न्यूज़क्लिक टीम
    GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफ़ा-नुक़सान?
    03 Jun 2022
    हर साल GDP के आंकड़े आते हैं लेकिन GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफा-नुकसान हुआ, इसका पता नहीं चलता.
  • Aadhaar Fraud
    न्यूज़क्लिक टीम
    आधार की धोखाधड़ी से नागरिकों को कैसे बचाया जाए?
    03 Jun 2022
    भुगतान धोखाधड़ी में वृद्धि और हाल के सरकारी के पल पल बदलते बयान भारत में आधार प्रणाली के काम करने या न करने की खामियों को उजागर कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक केके इस विशेष कार्यक्रम के दूसरे भाग में,…
  • कैथरिन डेविसन
    गर्म लहर से भारत में जच्चा-बच्चा की सेहत पर खतरा
    03 Jun 2022
    बढ़ते तापमान के चलते समय से पहले किसी बेबी का जन्म हो सकता है या वह मरा हुआ पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान कड़ी गर्मी से होने वाले जोखिम के बारे में लोगों की जागरूकता…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License