NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
भारत के अरबपतियों के पास कुल बजट से भी अधिक संपत्ति: ऑक्सफेम
इन एक प्रतिशत सबसे अमीर लोगों के पास देश की कम आय वाली 70 प्रतिशत आबादी यानी 95.3 करोड़ लोगों की तुलना में चार गुने से भी अधिक संपत्ति है। एक नये अध्ययन में सोमवार को इसका खुलासा किया गया।
भाषा
20 Jan 2020
poverty in india

दावोस: भारतीय अरबपतियों के पास देश के कुल बजट से भी अधिक संपत्ति है। इन एक प्रतिशत सबसे अमीर लोगों के पास देश की कम आय वाली 70 प्रतिशत आबादी यानी 95.3 करोड़ लोगों की तुलना में चार गुने से भी अधिक संपत्ति है। एक नये अध्ययन में सोमवार को इसका खुलासा किया गया।

दुनिया की बात की जाये तो 2,153 अरबपतियों के पास दुनिया की निम्न आय वाली 60 प्रतिशत आबादी यानी 4.6 अरब लोगों की संपत्ति से भी अधिक संपत्ति है। मानवाधिकारों की पैरवी करने वाले संगठन ऑक्सफेम ने विश्व आर्थिक मंच की 50वीं सालाना बैठक से पहले यहां ‘टाइम टू केयर’ अध्ययन जारी किया है जिसमें यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। 

अध्ययन में कहा गया कि विश्व में आर्थिक असमानता तेजी से बढ़ी है और पिछले दशक में अरबपतियों की संख्या दोगुनी हो गयी है। हालांकि, पिछले साल इन अरबपतियों की संयुक्त संपत्ति में कमी आयी है।

अध्ययन में भारत के संदर्भ में कहा गया कि देश के 63 अरबपतियों के पास 2018-19 के 24,42,200 करोड़ रुपये के आम बजट की तुलना में अधिक संपत्ति है।

ऑक्सफेम इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ बेहर ने कहा, ‘‘असमानता को दूर करने की दृढ़ नीतियों के बिना अमीर और गरीब की खाई को पाटा नहीं जा सकता है। कुछ ही सरकारें हैं जो ऐसा करने को प्रतिबद्ध हैं।’’

बेहर ने कहा, ‘‘हमारी अक्षम अर्थव्यवस्थाएं आम लोगों की कीमत पर अरबपतियों और बड़ी कंपनियों की जेबें भर रही हैं। आश्चर्य नहीं, ऐसे भी सवाल उठने लगे कि क्या अरबपतियों को होना चाहिये।’’

रिपोर्ट के अनुसार, एक घरेलू महिला कामगार को किसी प्रौद्योगिकी कंपनी के शीर्ष सीईओ की एक साल की कमाई के बराबर कमाने में 22,277 साल लगेंगे। प्रौद्योगिकी कंपनी के सीईओ प्रति सेकंड 106 रुपये की औसत कमाई करते हैं। ऐसे में एक घरेलू कामगार जितना एक साल में कमा पाती है, प्रौद्योगिकी कंपनी के सीईओ 10 मिनट में ही उससे अधिक कमाई कर लेते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया कि महिलायें व लड़कियां रोजाना 3.26 अरब घंटे का ऐसा काम करती हैं, जिसके लिये उन्हें पैसे नहीं मिलते हैं। यह भारतीय अर्थव्यवस्था में कम से कम 19 लाख करोड़ रुपये के योगदान के बराबर है, जो कि 2019 के भारत के 93 हजार करोड़ रुपये के शिक्षा बजट का 20 गुना है।

बेहर ने कहा कि मौजूदा आर्थिक तंत्र में महिलायें और लड़कियां ही सबसे कम लाभान्वित हो पाती हैं। ऑक्सफेम ने कहा कि सरकारें अमीर वर्ग और कंपनियों से बेहद कम कर वसूल रही हैं, जिससे राजस्व संग्रह गिर रहा है। यह राजस्व गरीबी और असमानता को दूर करने के काम आ सकता था।

अध्ययन के अनुसार, विश्व के 22 सबसे अमीर लोगों के पास अफ्रीका की सभी महिलाओं से अधिक संपत्ति है। इसमें कहा गया कि यदि अमीर वर्ग अपनी संपत्ति पर महज 0.5 प्रतिशत की दर से अगले 10 साल के लिये अतिरिक्त कर का भुगतान करे तो यह बुजुर्गों व बच्चों के लालन-पालन, शिक्षा तथा स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में 11.7 करोड़ रोजगार सृजित करने के लिये आवश्यक निवेश के बराबर होगा।

oxfam report
Indian Billionaires
poverty
Poverty in India
Deference between Poor and Rich
Unequal society
Poor-Rich

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

महामारी के दौर में बंपर कमाई करती रहीं फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां

UN में भारत: देश में 30 करोड़ लोग आजीविका के लिए जंगलों पर निर्भर, सरकार उनके अधिकारों की रक्षा को प्रतिबद्ध

सारे सुख़न हमारे : भूख, ग़रीबी, बेरोज़गारी की शायरी

भारत में असमानता की स्थिति लोगों को अधिक संवेदनशील और ग़रीब बनाती है : रिपोर्ट

कार्टून क्लिक: पर उपदेस कुसल बहुतेरे...

ज्ञानवापी, ताज, क़ुतुब पर बहस? महंगाई-बेरोज़गारी से क्यों भटकाया जा रहा ?

‘जनता की भलाई’ के लिए पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के अंतर्गत क्यों नहीं लाते मोदीजी!

अनुदेशकों के साथ दोहरा व्यवहार क्यों? 17 हज़ार तनख़्वाह, मिलते हैं सिर्फ़ 7000...


बाकी खबरें

  • maliyana
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल
    23 May 2022
    ग्राउंड रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह न्यूज़क्लिक की टीम के साथ पहुंची उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले के मलियाना इलाके में, जहां 35 साल पहले 72 से अधिक मुसलमानों को पीएसी और दंगाइयों ने मार डाला…
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    बनारस : गंगा में नाव पलटने से छह लोग डूबे, दो लापता, दो लोगों को बचाया गया
    23 May 2022
    अचानक नाव में छेद हो गया और उसमें पानी भरने लगा। इससे पहले कि लोग कुछ समझ पाते नाव अनियंत्रित होकर गंगा में पलट गई। नाविक ने किसी सैलानी को लाइफ जैकेट नहीं पहनाया था।
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी अपडेटः जिला जज ने सुनवाई के बाद सुरक्षित रखा अपना फैसला, हिन्दू पक्ष देखना चाहता है वीडियो फुटेज
    23 May 2022
    सोमवार को अपराह्न दो बजे जनपद न्यायाधीश अजय विश्वेसा की कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली। हिंदू और मुस्लिम पक्ष की चार याचिकाओं पर जिला जज ने दलीलें सुनी और फैसला सुरक्षित रख लिया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    क्यों अराजकता की ओर बढ़ता नज़र आ रहा है कश्मीर?
    23 May 2022
    2019 के बाद से जो प्रक्रियाएं अपनाई जा रही हैं, उनसे ना तो कश्मीरियों को फ़ायदा हो रहा है ना ही पंडित समुदाय को, इससे सिर्फ़ बीजेपी को लाभ मिल रहा है। बल्कि अब तो पंडित समुदाय भी बेहद कठोर ढंग से…
  • राज वाल्मीकि
    सीवर कर्मचारियों के जीवन में सुधार के लिए ज़रूरी है ठेकेदारी प्रथा का ख़ात्मा
    23 May 2022
    सीवर, संघर्ष और आजीविक सीवर कर्मचारियों के मुद्दे पर कन्वेन्शन के इस नाम से एक कार्यक्रम 21 मई 2022 को नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ़ इंडिया मे हुआ।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License