NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
विकास की वर्तमान स्थिति, स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव और आम आदमी की पीड़ा
आय की असमानता, भ्रष्टाचार, भीषण ग़रीबी, भुखमरी, कुपोषण के मामले में निरंतर वृद्धि हो रही है ऐसे में दुर्दशा की स्थिति में पहुंचे करोड़ों बदक़िस्मत लोगों के लिए स्वतंत्रता और आज़ादी के अमृत महोत्सव के क्या मायने हैं?
डॉ. अमिताभ शुक्ल
28 Dec 2021
Azadi Ka Amrit Mahotsav

स्वतंत्रता के 75 वर्षो के पश्चात और विकास गाथा में कसीदे पढ़े जाने के बाद भी देश में विकास की वास्तविकता की स्थिति शोचनीय है। आजादी के 75 वर्ष कम नहीं होते। अनेक पीढ़ियां देश को विकास के शिखर पर देखने के प्रयत्नों और अरमानों के साथ विदा हो गईं। अनेक पीढ़ियां निर्धनता के स्याह अंधेरों में दुर्भाग्यजनक दशाओं में अभिशप्त जीवन बिता कर समाप्त हो गईं। लेकिन, विकास का प्रकाश एक बड़ी आबादी तक आज तक नहीं पहुंच सका है। एक बड़ी जनसंख्या "निर्धनता रेखा से नीचे है अर्थात तयशुदा मापदंडों के अनुसार देश की 25 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे है। भारत के 10 राज्यों की 30 प्रतिशत से अधिक आबादी "गरीबी रेखा के नीचे" है। इनमें से पांच राज्यों में तो यह सबसे ज्यादा है।

राज्यों के अनुसार देखें तो बिहार में 52 प्रतिशत, झारखंड में 42.2 प्रतिशत, उत्तरप्रदेश में 37.8 प्रतिशत, मेघालय में 37.2 प्रतिशत, मध्यप्रदेश में 36.7 प्रतिशत, असम में 32.2 प्रतिशत है। जबकि, छत्तीसगढ़ में 29.9 प्रतिशत, राजस्थान में 29.5 प्रतिशत, ओडिशा में 29.4 प्रतिशत और बंगाल में राज्य की 21.4 प्रतिशत "आबादी गरीबी रेखा से नीचे" है।

रोज़गार/श्रम भागीदारी दर में अभूतपूर्व गिरावट

पिछले कुछ वर्षों में देश में बेरोजगारी दर में वृद्धि हुई है अर्थात श्रम भागीदारी दर (एलपीआर) में भारी कमी आई है। रोजगार के ढांचे के हिसाब से केवल 20 प्रतिशत जनसंख्या वेतनभोगी श्रेणी में आती है। 50 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या स्वरोजगार में संलग्न है। शेष 30 प्रतिशत जनसंख्या दैनिक मजदूरी से जीवन यापन करती है। विगत वर्षो में श्रम भागीदारी दर में काफी गिरावट आई है। वर्ष 2016 में यह 46.6 प्रतिशत से अधिक थी, जो वर्ष 2021 में कम हो कर लगभग 40 प्रतिशत रह गई है। वर्ष 2016 से एलपीआर में गिरावट के साथ उन परिवारों की संख्या में भी कमी आई है जिनमें एक से अधिक सदस्य रोजगार में लगे थे। जिन परिवारों में एक से अधिक सदस्य कमाने वाले सदस्य थे उनका अनुपात वर्ष 2016 के 34.7 प्रतिशत से गिर कर वर्ष 2017 में 32.3 प्रतिशत रह गया और वर्ष 2018 में 30.1 प्रतिशत रह गया। वर्ष 2019 में यह और भी कम हो कर 28.4 प्रतिशत पर आ गया जबकि, वर्ष 2020 में यह अनुपात कम हो कर 24.2 प्रतिशत रह गया। अप्रैल 2020 अर्थात लॉक डाउन के समय में यह अनुपात और कम हो कर 17.6 प्रतिशत रह गया। अर्थात वर्ष 2016 से वर्ष 2020के चार वर्षो में इसमें 10 प्रतिशत से अधिक की कमी आई। दूसरे शब्दों में कहें तो 10 प्रतिशत से अधिक परिवारों के सदस्यों ने रोजगार खोया। जबकि वर्ष 2016 की तुलना में लॉक डाउन के समय यह अनुपात आधा रह गया। इस अवधि में ही केवल एक कमाऊ सदस्य वाले परिवारों की संख्या वर्ष 2016 के 59 प्रतिशत से बढ़ कर वर्ष 2021 के नवंबर माह तक 68 प्रतिशत हो गई। रोजगार में गिरावट से परिवारों की आय में हुई कमी से उन परिवारों के जीवन स्तर में गिरावट का सीधा संबंध है जो हाल के नीति आयोग के "समग्र गरीबी स्तर" के सर्वेक्षण के निष्कर्षों से भी स्पष्ट होता है।

कोरोना काल की अवधि में अमीर परिवारों की आय में आश्चर्यजनक वृद्धि

उपरोक्त गरीबी और बेरोजगारी के स्तर में कमी के विपरीत सबसे अधिक अमीर परिवारों की संख्या और आय में अभूतपूर्व वृद्धि चौंकाने वाली है। पिछले डेढ़ वर्षो में शेयर मार्केट में उछाल और सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) की बाढ़ से अरबपति प्रवर्तकों की श्रेणी में कई नए प्रवर्तक शामिल हुए। एक अरब डॉलर (करीब 75,000 करोड़ रूपये) की हैसियत वाले प्रवर्तकों की संख्या वर्ष 2020 के 85 से बढ़कर वर्ष 2021 के प्रारंभ में 126 हो गई। और इन अरबपति प्रवर्तकों की समेकित संपत्ति वर्ष 2020 के दिसंबर के 494 अरब डॉलर (लगभग 37 लाख करोड़ रुपये) से बढ़कर अब लगभग 729 अरब डॉलर (लगभग 55 लाख करोड़ रुपये) हो चुकी है।

क्या देश में विकास हो रहा है?

क्या देश में विकास हो रहा है? कौन सा विकास? कैसा विकास? और किनका विकास? एक बड़ी आबादी के निर्धनता स्तर में वृद्धि और रोजगार और जीवन स्तर में कमी की स्थितियों को क्या विकास माना जाए? उपरोक्त गरीबी रेखा के आंकड़े सरकार द्वारा न्यूनतम आय जो गरीबी रेखा के आकलन के लिए निर्धारित है, उसके आधार पर प्राप्त आंकड़े हैं। वास्तविक गरीबी अथवा विकास के लाभों से वंचित अथवा एक औसत निर्धारित मापदंड के अनुसार जीवन स्तर से तो बहुत बड़ी आबादी वंचित है, अर्थात वह आबादी जो गरीबी रेखा के अंतर्गत नहीं आती, लेकिन आवास, पौष्टिक भोजन, शिक्षा, स्वास्थ, दवाइयां तक से वंचित है। नीति आयोग का ताजा सर्वेक्षण इन तथ्यों की पुष्टि करता है।

वर्तमान विकास की पद्धति और परिणाम

एक बड़ी आबादी के जीवन में कोई सुधार नहीं आने के बावजूद खरबों रुपयों की लागत से हाईवे, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण, मूर्तियों और मंदिरों का निर्माण जारी है। विकास के नाम पर खरबों रुपयों द्वारा देश की नौकरशाही की सुख सुविधाएं जारी हैं। खरबों रुपयों के भ्रष्टाचार जारी हैं। आम जन के लिए न तो बुनियादी अनिवार्य आवश्यकताओं का प्रबंध है और न ही समुचित शिक्षा और स्वास्थ सुविधाओं का प्रबंध है। रोजगार के अभाव की स्थिति से बड़ी आबादी पीड़ित ही है। अब तो सरकारी अस्पतालों में लापरवाही से बड़ी संख्या में मौत की घटनाएं सामने आने लगी हैं। लगातार उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और बिहार आदि राज्यों में लापरवाहियों से अस्पतालों में इलाज के लिए भर्ती मरीजों और शिशुओं की आकस्मिक मृत्यों की घटनाओं में वृद्धि जग जाहिर है।

विकास की परिभाषा और आशय

आय की असमानता, भ्रष्टाचार, भीषण गरीबी, भुखमरी, कुपोषण के मामले में देश में निरंतर वृद्धि हो रही है ऐसे में देश में क्या विकास हो रहा है? अतः करोड़ों वंचितों और अधिक दुर्दशा की स्थिति में पहुंचे इन करोड़ों बदकिस्मत लोगों के लिए जो विकास के दायरे में नहीं आते उनके लिए स्वतंत्रता और आजादी के अमृत महोत्सव के क्या मायने और अर्थ हैं?

(लेखक आर्थिक मामलों के जानकार हैं और विगत चार दशकों से शोध, लेखन और अध्ययन-अध्यापन के क्षेत्र में सक्रिय हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Azadi Ka Amrit Mahotsav
Inequality of income
Corruption
extreme poverty
Hunger
malnutrition
Narendra modi
Modi government

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़


बाकी खबरें

  • corona
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के मामलों में क़रीब 25 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई
    04 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 3,205 नए मामले सामने आए हैं। जबकि कल 3 मई को कुल 2,568 मामले सामने आए थे।
  • mp
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    सिवनी : 2 आदिवासियों के हत्या में 9 गिरफ़्तार, विपक्ष ने कहा—राजनीतिक दबाव में मुख्य आरोपी अभी तक हैं बाहर
    04 May 2022
    माकपा और कांग्रेस ने इस घटना पर शोक और रोष जाहिर किया है। माकपा ने कहा है कि बजरंग दल के इस आतंक और हत्यारी मुहिम के खिलाफ आदिवासी समुदाय एकजुट होकर विरोध कर रहा है, मगर इसके बाद भी पुलिस मुख्य…
  • hasdev arnay
    सत्यम श्रीवास्तव
    कोर्पोरेट्स द्वारा अपहृत लोकतन्त्र में उम्मीद की किरण बनीं हसदेव अरण्य की ग्राम सभाएं
    04 May 2022
    हसदेव अरण्य की ग्राम सभाएं, लोहिया के शब्दों में ‘निराशा के अंतिम कर्तव्य’ निभा रही हैं। इन्हें ज़रूरत है देशव्यापी समर्थन की और उन तमाम नागरिकों के साथ की जिनका भरोसा अभी भी संविधान और उसमें लिखी…
  • CPI(M) expresses concern over Jodhpur incident, demands strict action from Gehlot government
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    जोधपुर की घटना पर माकपा ने जताई चिंता, गहलोत सरकार से सख़्त कार्रवाई की मांग
    04 May 2022
    माकपा के राज्य सचिव अमराराम ने इसे भाजपा-आरएसएस द्वारा साम्प्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश करार देते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं अनायास नहीं होती बल्कि इनके पीछे धार्मिक कट्टरपंथी क्षुद्र शरारती तत्वों की…
  • एम. के. भद्रकुमार
    यूक्रेन की स्थिति पर भारत, जर्मनी ने बनाया तालमेल
    04 May 2022
    भारत का विवेक उतना ही स्पष्ट है जितना कि रूस की निंदा करने के प्रति जर्मनी का उत्साह।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License