NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
पुस्तकें
भारत
“रेत समाधि/ Tomb of sand एक शोकगीत है, उस दुनिया का जिसमें हम रहते हैं”
‘रेत समाधि’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला पहला हिंदी उपन्यास है। इस पर गीतांजलि श्री ने कहा कि हिंदी भाषा के किसी उपन्यास को पहला अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार दिलाने का जरिया बनकर उन्हें बहुत अच्छा महसूस हो रहा है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
27 May 2022
Geetanjali Shree

भारतीय लेखिका गीतांजलि श्री के हिंदी उपन्यास ‘रेत समाधि’ को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से नवाजा गया है। इसी के साथ गीतांजलि श्री हिंदी भाषा के किसी उपन्यास के लिए अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार हासिल करने वाली पहली भारतीय लेखिका बन गई हैं।

रेत समाधि का Tomb of sand नाम से अंग्रेजी में अनुवाद किया गया है। यह अनुवाद डेजी रॉकवेल ने किया है।

image

यह उपन्यास उत्तर भारत की पृष्ठभूमि पर आधारित है और 80 वर्षीय एक बुजुर्ग महिला की कहानी बयां करता है। यह महिला पाकिस्तान जाती है और विभाजन के वक्त की अपनी पीड़ाओं का हल तलाशने की कोशिश करती है। वह इस बात का मूल्यांकन करती है कि एक मां, बेटी, महिला और नारीवादी होने के क्या मायने हैं। 

लंदन में बृहस्पतिवार को आयोजित समारोह में गीतांजलि श्री ने कहा कि वह इस पल के लिए तैयार नहीं थीं और पुरस्कार पाकर पूरी तरह से अभिभूत हैं। लेखिका को पुरस्कार के तौर पर 50,000 पाउंड दिए गए, जिसे उन्होंने रॉकवेल के साथ साझा किया।

Take a look at the moment Geetanjali Shree and @shreedaisy found out that they had won the #2022InternationalBooker Prize! Find out more about ‘Tomb of Sand’ here: https://t.co/VBBrTmfNIH@TiltedAxisPress #TranslatedFiction pic.twitter.com/YGJDgMLD6G

— The Booker Prizes (@TheBookerPrizes) May 26, 2022

बुकर पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद अपने संक्षिप्त भाषण में गीतांजलि श्री ने कहा, “मुझे कहा गया था कि यह लंदन है, आप हर तरह से तैयार होकर आईयेगा। यहाँ बारिश भी हो सकती है, बर्फ़ भी गिर सकते हैं, धूप भी खिल सकती है। बुकर भी मिल सकता है। मैं तैयार होकर आयी थी, लेकिन शायद में तैयार होकर नहीं आयी थी। मैं अभिभूत हूँ। मैंने कभी भी बुकर का सपना नहीं देखा था, मुझे नहीं लगता था कि मैं यह हासिल सकती हूँ। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है, मैं चकित हूँ, प्रसन्न हूँ, सम्मानित हूँ, विनम्र हूँ। 

हिंदी-अंग्रेजी और फ्रेंच प्रकाशकों सहित मैं अपनी फ्रेंच अनुवादक एनीमांतो की आभारी हूँ जिसकी सबसे पहले इस पुस्तक पर नज़र पड़ी। मैं यहाँ तक पहुँची हूँ इसके पीछे हिंदी और दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य भाषाओं की वृहद् साहित्यिक परंपरा है। हम सब यहाँ कहाँ होते अगर डेजी रॉकवेल ना होती तो, जिन्होंने रेत समाधि को उसका अंग्रेजी स्वरूप दिया है”। 

उन्होंने कहा, ‘‘रेत समाधि/टॉम्ब ऑफ सैंड एक शोकगीत है, उस दुनिया का जिसमें हम रहते हैं। यह एक ऐसी ऊर्जा है, जो आशंकाओं के बीच उम्मीद की किरण जगाती है। बुकर पुरस्कार मिलने से यह पुस्तक अब और ज्यादा लोगों के बीच पहुंचेगी।’’

‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला पहला हिंदी उपन्यास है। इस पर गीतांजलि श्री ने कहा कि हिंदी भाषा के किसी उपन्यास को पहला अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार दिलाने का जरिया बनकर उन्हें बहुत अच्छा महसूस हो रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे इस उपन्यास के अलावा हिंदी और अन्य दक्षिण एशियाई भाषाओं में बहुद समृद्ध साहित्य मौजूद है। इन भाषाओं के कुछ बेहतरीन लेखकों के बारे में जानकर वैश्विक साहित्य और समृद्ध हो जाएगा। इस प्रकार के मेलजोल से जीवन के आयाम बढ़ेंगे।’’

बुकर पुरस्कार के निर्णायक दल ने ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’(Tomb of sand) को एक ‘मधुर कोलाहल’ और ‘बेहतरीन उपन्यास’ करार किया।

पुरस्कार समारोह में रॉकवेल भी मौजूद थीं। उन्होंने इस उपन्यास को ‘हिंदी भाषा के लिए प्रेम पत्र’ बताया। रॉकवेल जानी-मानी चित्रकार, लेखक और अनुवादक हैं। वह अमेरिका के वेरमोंट में रहती हैं।

निर्णायक दल के अध्यक्ष फ्रैंक वायने ने कहा, ‘‘हम गीतांजलि श्री के उपन्यास ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ की मार्मिकता, जीवंतता और शक्ति से अभिभूत हैं। डेजी रॉकवेल ने इसका बेहतरीन अनुवाद किया है।’’

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में जन्मी और दिल्ली में रहने वाली गीतांजलि श्री ने तीन उपन्यास व कई कहानियां लिखी हैं। उनकी किताबों का अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, सर्बियाई और कोरियाई भाषा में अनुवाद हुआ है।

गीतांजलि श्री ने अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार की दौड़ में शामिल पांच अन्य उपन्यासों (कर्स्ड बनी, अ न्यू नेम : सेप्टोलॉजी VI-VII, हेवन, एलिना नोज और द बुक्स ऑफ जैकब) को पछाड़कर यह प्रतिष्ठित पुरस्कार अपने नाम किया। इस पुरस्कार के लिए 135 कृतियों को चुना (शॉर्ट लिस्ट) गया था और 2022 में पहली बार इन सभी कृतियों के लेखकों व अनुवादकों को 2,500 पाउंड दिए जाएंगे। पहले यह राशि एक हजार पाउंड थी।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

Geetanjali Shree
Ret Samadhi
Tomb of sand

Related Stories


बाकी खबरें

  • SATAN
    जॉन दयाल
    एनआईए स्टेन स्वामी की प्रतिष्ठा या लोगों के दिलों में उनकी जगह को धूमिल नहीं कर सकती
    27 Apr 2022
    स्टेन के काम की आधारशिला शांतिपूर्ण प्रतिरोध थी, और यही वजह थी कि सरकार उनकी भावना को तोड़ पाने में नाकाम रही।
  • bhasha singh
    न्यूज़क्लिक टीम
    नागरिकों से बदले पर उतारू सरकार, बलिया-पत्रकार एकता दिखाती राह
    26 Apr 2022
    वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने बताया कि चाहे वह दलित विधायक जिग्नेश मेवानी की दोबारा गिरफ्तारी हो, या मध्यप्रदेश में कथित तौर पर हिंदू-मुस्लिम विवाह के बाद मुसलमान की दुकान और घर पर चला बुल्डोज़र, यह सब…
  • सत्यम् तिवारी
    रुड़की : डाडा जलालपुर गाँव में धर्म संसद से पहले महंत दिनेशानंद गिरफ़्तार, धारा 144 लागू
    26 Apr 2022
    27 अप्रैल को होने वाली 'धर्म संसद' का संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी उत्तराखंड पुलिस को निर्देश दिये थे। 26 अप्रैल की शाम को पुलिस ने डाडा जलालपुर गाँव से महंत दिनेशानंद को गिरफ़्तार कर लिया।
  • अजय कुमार
    एमवे के कारोबार में  'काला'  क्या है?
    26 Apr 2022
    साल 2021 में इस सम्बन्ध में उपभोक्ता संरक्षण नियम बने। इसके तहत नियम बना कि कोई भी डायरेक्ट सेलिंग कंपनी यानी वैसी कम्पनी जो उपभोक्ताओं को सीधे अपना माल बेचती हैं, वह कमीशन देने की शर्त पर अपना माल…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी विवाद: ईद बाद वकील कमिश्नर लेंगे परिसर का जायज़ा
    26 Apr 2022
    ‘प्रशासन पहले ही स्थिति स्पष्ट कर चुका है कि उसका स्थान ज्ञानवापी बैरिकेडिंग से बाहर है। श्रृंगार गौरी में रोजाना दर्शन पूजन को परंपरा का हिस्सा कतई न बनाया जाए। सिर्फ चैत्र नवरात्रि के दिन ही वहां…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License